बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षा बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षा
प्रश्न- "पारिवारिक जीवन के संकट के समाधान" विषय की व्याख्या एवं विश्लेषण कीजिए।
उत्तर-
पारिवारिक संकट से आशय- जीवन के मूल्य क्या हैं? वास्तव में ये वे शाश्वत मूल्य हैं जो मनुष्य जीवन में नैतिकता तथा मानवता को सामान्यतः उसके अन्य जीवधारियों से पृथक करते हैं तथा उसे महत्वपूर्ण पद प्रदान करते हैं। पारिवारिक जीवन में आए संकट को पारिवारिक संकट कहते हैं।
मूल्य का अर्थ- मूल्य से तात्पर्य किसी भी परिस्थिति में उसकी कीमत, गुणवत्तता एवं उपयोगिता से होता है। मूल्य हमारे मानव जीवन को सार्थक बनाते हैं उसका मूल्य बढ़ाते हैं। इन मूल्यों के हम जितना अधिक व्यवहार में प्रयोग करते हैं, ये उतनी ही शीघ्रता से नैतिकता में वृद्धि करते हैं।
हम आधुनिक युग में, बदलते परिवार में रह रहे हैं, परिणाम स्वरूप मानव मूल्यों का संकट की काली छाया मंडरा रही है। हमारे देश को स्वतंत्रता के 70 वर्षों के पश्चात् हमने आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक, औद्योगिक, शैक्षिक एवं वैज्ञानिक स्तर पर विकास किया है। परंतु इस विकास के दौर में हम अपने मानवीय मूल्यों को हमारी विशेषता से उसे बिछड़ते जा रहे हैं। मानव अन्य से अन्य नैतिक गुणों, जैसे- प्रेम, अहिंसा, दया, क्षमा, शांति, प्रेम आदि के कारण ही भिन्न है। इन मूल्यों को हम दिन-प्रतिदिन खोते जा रहे हैं। यही पारिवारिक मूल्य संकट है।
मूल्यों के ह्रास के परिणामस्वरूप हमारे समाज में असमानता, अलगाव, उपद्रव, आंदोलित, असहिष्णुता, संवेदनशून्यता, अराजकता, अंधविश्वास, अन्याय, अनाचार, अपमान, असुरक्षा, अवसाद, असंतोष, अराजकता, संघर्ष एवं हिंसा आदि ने मनुष्य को अंदर तक हिला दिया है।
व्यक्ति एवं समाज में साम्प्रदायिकता, जातिवादिता, मतभेद, क्षीणनवृत्ति, संकीर्ण, कुटिल भावनाओं एवं समस्याओं के मूल कारण हैं। मनुष्य का नैतिक एवं चारित्रिक पतन अर्थात नैतिक मूल्यों का क्षय।
वर्तमान में हमारे व्यक्तिगत, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय जीवन में तनाव तथा घुटन, द्वन्द-प्रतिद्वन्द बढ़ती जा रही है। मनुष्य जीवन की परिवारों से होकर गुजरता है अतः सभी के लिए ये मूल्य अत्यावश्यक हैं एवं मूल्यों के ह्रास होने से संकट समस्त परिवारों में उथल-पुथल मचा रहा है।
मूल्यों के ह्रास के कारण पारिवारिक संकट बढ़ता जा रहा है। परिवार में अब प्रेम नहीं व्याप्त रहा। भाई-भाई के खून का प्यास बन रहा है। व्यावसायिक जीवन में खटास बढ़ती जा रही है। माता-पिता से बच्चों का प्रेम नहीं रहा।
लालच एवं लोभ मनुष्य एक-दूसरे को मारने-काटने हेतु एक क्षण भी नहीं विचारता। मूल्यों के ह्रास के कारण मानव जाति स्वर्ण-युग समाप्त होता जा रहा है। निरंतर विनाश की ओर बढ़ते हमारा यह समाज अराजकता की ओर बढ़ रहा है। गरीबों, असहायों का शोषण बढ़ता जा रहा है। समाज में मनुष्य का उद्देश्य होता है कि वह मानवीय मूल्यों, जैसे- सत्य, अहिंसा, प्रेम, शांति आदि का संस्कार करे तथा उनका पालन करें ताकि समाज के कल्याणार्थ सामाजिक स्थिति कायम रखने हेतु मूल्यों का संरक्षण करे। मूल्य ही समस्त मानव समाज का तत्व हैं।
पारिवारिक मूल्य संकट के कारण एवं समाधान- पारिवारिक मूल्य संकट के निम्नवत कारण एवं समाधान हैं-
(1) अत्याधुनिक शिक्षा व्यवस्था- आधुनिक शिक्षा व्यवस्था दोषपूर्ण हो गई है। जिससे केवल व्यावसायिक शिक्षा पर ही बल दिया जा रहा है, बल्कि नैतिक शिक्षा को कोई महत्व नहीं मिल पा रहा है।
(2) भारतीय संस्कृति के प्रति अज्ञानता- भारतीय संस्कृति के प्रति लोगों में अज्ञानता व्याप्त है। भारतीय संस्कृति हमें सर्वोच्चतम नैतिक मूल्यों से ही अवगत कराती है। अतः संस्कृति से प्रभावित शिक्षा प्रणाली होनी चाहिए।
(3) परिवार का छोटा होना- पहले के समय में परिवार बड़े होते थे, जिनमें दादा, दादी, बुआ, ताऊ आदि रहते थे जिससे संपर्क में नैतिकता का ज्ञान मिलता रहता था। परंतु आज के समय में परिवार छोटे होते गए हैं। लोग जीविकोपार्जन हेतु अपने परिवार से दूर होकर अनेक नैतिकता के ज्ञान को भुलाते जा रहे हैं।
(4) सरकारी नीतियाँ- सरकार द्वारा ऐसी शैक्षिक नीतियाँ बनाई जानी चाहिए कि नैतिक मूल्यों की शिक्षाएं बच्चों में प्रोत्साहित हो, जिसके कारण बच्चे माता-पिता की सेवा करें एवं घर में उनकी आर्थिक सहायता करें। नहीं करने पर नैतिक नियंत्रण हेतु सरकारी ऐसी नीतियाँ बनानी चाहिए जिनमें बच्चे अपने माता-पिता की आर्थिक सहायता करें तथा उनकी देखरेख भी करें।
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