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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षा

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :232
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2701
आईएसबीएन :0

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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षा

प्रश्न- "भारत में जीवन मूल्यों की शिक्षा गृह तथा परिवार से आरम्भ होती है।" वर्णन कीजिए।

उत्तर-

"परिवार बच्चे की महत्वपूर्ण पाठशाला है।" परिवार में बच्चा बोलना सीखता है, आचरण की विधियाँ सीखता है, धर्म एवं संस्कृति ग्रहण करता है। परिवार में ही बच्चों में मूल्यों की नींव रखी जाती है। प्रारम्भ में बच्चा माता-पिता, भाई-बहन आदि का अनुकरण करना सीखता है। आचरण की विधियाँ सीखता है। फिर वह बड़े व्यक्तियों के प्रति उनके दृष्टिकोण को समझ आने पर वह अपने कार्यों का विश्लेषण करने लगता है एवं गलत को त्यागने लगता है। बस यही से मूल्यों के निर्माण की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाती है। परिवारों में बच्चों में उचित मूल्यों का चयन व विकास करने के लिए निम्नलिखित बिन्दुओं को ध्यान में रखना चाहिए।

(1) मूल्य आधारित आचरण- आरम्भ में बालक अपने माता-पिता, भाई-बहन आदि का अनुकरण कर व्यवहार की विधियाँ सीखते हैं। कुछ बड़ा होने पर वह इन विधियों के औचित्य के बारे में सोचना लगता है और क्योंकि के उत्तर में वे मूल्य पूरक जाने लगते हैं। यह मूल्य ही उनके व्यवहार का आधार बन जाते हैं। वे इसे अपने अच्छे-बुरे व्यवहार को परखने में भी प्रयोग करने लगते हैं।

(2) कहानी द्वारा मूल्यों की स्थापना- परिवार में बच्चों को ऐसी कहानियाँ सुनानी चाहिए जो छोटी एवं सरल हो जिनके अर्थ परिणाम स्पष्ट हो, जिससे बच्चों को प्रेम, सहानुभूति, सहयोग, दया, दान, क्षमा, शांति और राष्ट्र समर्पण के महत्व का ज्ञान हो।

(3) रेडियो-टेलीविजन कार्यक्रमों का विश्लेषण- ज्यादातर परिवारों में रेडियो, टेलीविजन कार्यक्रम सुने, देखे जाते हैं। इन विषय कार्यक्रमों में देशभक्ति गीत, भक्ति, नाटक, धारावाहिक चित्र, फिल्में आदि। प्रायः परिवार के अनेक सदस्य इन्हें एक साथ सुनते-देखते हैं।

(4) अच्छे सामाजिक आचरण की पुष्टि- बड़े होने पर बच्चे समूह के बच्चों के बीच जाते हैं। यहाँ उनके परिवार की अपेक्षा बहुत बड़ा व्यवहार क्षेत्र मिलता है। वे अपने व्यवहार की पुष्टि दूसरों की अनुकृति द्वारा करते हैं।

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