बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षा बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षा
प्रश्न- शैक्षिक मूल्य का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा शैक्षिक मूल्य के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
शिक्षा किसी भी शिक्षा क्षेत्र में उपयोगी होती है, जिनमें निश्चित रूप से कुछ मूल्य अवश्य होता है। उदाहरण के लिए पाठ्यक्रम का चयन, शिक्षण विधि का प्रयोग, अनुशासन पालन के नियम आदि क्रियाएं उपयोगी साबित होती हैं। शिक्षक व शिक्षार्थी दोनों महत्वपूर्ण वस्तुएं : उपयोगिता की दृष्टि से चयन करके ही करते हैं। वे ही शैक्षिक मूल्य कहलाते हैं।
बूब्रेकर महोदय के शब्दों में- शिक्षा का उद्देश्य यही है कि "शिक्षा के उद्देश्यों को निर्धारित करना शैक्षिक मूल्यों को निर्धारित करना है।"
मूल्यों की प्राप्ति हेतु विद्यालयों का विषय संबंधी व्यापक, व्यवस्थित, उपयोगी, बौद्धिकत्मक उन्नतता बढ़ाने वाले एवं व्यक्तित्व निर्माण में सहायक ज्ञान अर्जित करने की क्षमता उत्पन्न की जानी चाहिए। अतः आधुनिक काल में मूल्यों को मानी जाती है ताकि वे व्यवहारिक जीवन से सम्बंधित किये जाएं। इसके अतिरिक्त ज्ञान को बढ़ाने हेतु पुस्तकालय, शोध, टेलीविजन, सेमिनार, वर्कशॉप आदि को बढ़ावा दिया जाए।
इत्यादि का भी सहारा लिया जाना चाहिए। शिक्षण पद्धति में वाद-विवाद, विचार-विनिमय, लोगों के भाषण, उत्सव एवं अभिनय के माध्यम से क्रियाशीलता लानी चाहिए। इन सबसे बौद्धिक विकास अच्छा एवं सर्वोत्तमुनी होता है। ऐसे कार्यों की परिचर्या तथा समाज में स्थायी की भावना विकसित। शिक्षक एवं विद्यार्थी, विद्यार्थी-विद्यार्थी पारस्परिक सहयोग, सहअस्तित्व, प्रेम स्नेह, आज्ञा पालन, नम्रता, सौहार्द, आदि भाव जैसे मूल्य विकसित होते हैं। यह सब विद्यालय के वातावरण पर निर्भर करता है।
शैक्षिक मूल्यों के प्रकार - शैक्षिक मूल्य निम्नवत हैं-
(1) एक प्रकार का मध्यम मूल्य - विद्यालय में अनेक क्रियाएं होती हैं, विभिन्न पाठ्यक्रम होते हैं, अनिवार्य एवं ऐच्छिक विषयों का बोध होता है। बालक इन सभी से ज्ञान करने में असमर्थ होता है। इन क्रियाओं में से कुछ विशेष क्रियाओं को ही चुनते हैं। इन विषयों में उन महत्वपूर्ण विषयों को छांट लेते हैं। छोटे हुए पाठ्य को ग्रहण लेते हैं। ऐसे प्रकार चयनित विषय अथवा क्रियाएं ही उसकी उन्नति, अधिक उपयोगी या कम उपयोगी विषयों का चयन हृदय व बुद्धि से करना पड़ता है। बुद्धि का प्रयोग करने से, इन मूल्यों को बुद्धि से समन्वित मूल्य भी कहते हैं। इच्छाओं को पूर्ण करने के लिए किसी एक कार्य या विषय को मध्यम बनाने के कारण इसे मध्यम मूल्य कहा जाता है।
(2) साधन मूल्य - जिस प्रकार बालक के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए साधन मूल्य का प्रयोग करता है। किसी भी कार्य को पूर्ण करने के लिए इन मूल्यों का उपयोग साधन रूप में होता है। यदि कोई छात्र इंजीनियर बनने की इच्छा रखता है तो बी.ई. को उत्तीर्ण करना उसके लिए साधन मूल्य है। इसी प्रकार इंजीनियर के लिए गणित और विज्ञान का, एक डॉक्टर के लिए विज्ञान तथा जीव-विज्ञान का, एक चार्टर्ड अकाउंटेंट के लिए वाणिज्य का अध्ययन साधन मूल्य में समझा जाएगा।
(3) तात्कालिक मूल्य - ऐसे मूल्य हमारी इच्छाओं तथा आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं, उन्हें तात्कालिक मूल्य कहते हैं।
(4) अन्य मूल्य - उपर्युक्त मूल्यों के अतिरिक्त एक अन्य प्रकार का मूल्य भी है, जिसे सौंदर्यात्मक मूल्यों की संज्ञा दी गई है। शिक्षा के प्रत्येक मूल्य की अपनी एक विशेषता होती है। जिसकी सामाजिक सौंदर्यात्मक मूल्य है। यदि हम किसी विषय विशेष को विशेष वैज्ञानिक गुणों को सत्य करते हैं तो उसके माध्यम से हमें आनन्द अनुभवित होती है और हमें उसके आत्मिक मूल्यों के महत्व को समझ सकते हैं। महत्त्व का सम्मान ही सौंदर्यात्मक मूल्यों का बोध होता है।
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