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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षा

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :232
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2701
आईएसबीएन :0

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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षा

प्रश्न- मूल्य शिक्षा की प्रकृति के बारे में लिखिए।

उत्तर-

मानव एक सामाजिक प्राणी है। समाज में अनेक प्रकार के मूल्य यथा - सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, नैतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक इत्यादि का विकास हुआ है। यह मूल्य मानव जीवन को प्रेरणा प्रदान करते हैं तथा विश्व मानव जीवन की आधारशिला है। मूल्यों के स्वरूप के आधार पर शिक्षा का स्तर सुनिश्चित किया जाता है।

(1) मूल्य एक अमूर्त संरचना है जिसका सम्बन्ध मानव के अन्तर्मन से है। अतः शिक्षा में ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न करनी चाहिए, जिससे विद्यार्थी को अपनी अंतरात्मा से मूल्यों की पहचान करने का अवसर मिल सके।

(2) मूल्य व्यक्ति की आवश्यकताओं का निर्धारण व नियंत्रण करते हैं जिसमें शिक्षा से मूल्यों के अभाव में मनुष्य एक दिशाहीन प्राणी बन सकता है।

(3) समाज में अलग-अलग मूल्य होते हैं जिनसे समाज की पहचान होती है और समाज की पहचान बनाने में शिक्षा की अहम भूमिका होती है।

(4) सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनीतिक क्रियाओं में सहभागिता से ही इन मूल्यों का निर्माण होता है।

(5) मूल्यों का अपना महत्व होता है, इनकी रक्षा के लिए व्यक्ति व समाज कुछ भी करने को तत्पर हो जाता है।

(6) नैतिक नियमों, आदर्शों, सिद्धांतों, विश्वासों एवं व्यवहार मानदंडों का प्रत्येक समाज में प्रचलन होता है। वाली शिक्षा के माध्यम से विकसित किया जाता है।

(7) मूल्य मनुष्य को उचित-अनुचित, अच्छा-बुरा इत्यादि का निर्णय लेने में सहायता करता है। अतः मूल्य शिक्षा की प्रकृति उचित-अनुचित, अच्छा-बुरा का भेद बताने वाली होनी चाहिए।

(8) मूल्य दीर्घकालिक शिक्षा का परिणाम होते हैं।

(9) मूल्य व्यक्तित्व निर्माण को केंद्र बनाते हैं, उनका विकास तथा महत्व प्रदान करने के व्यवहार व आचार अपनाने के गुणों को विकसित करने में सहायता मिलती है।

मूल्य शिक्षा से तात्पर्य ऐसी शिक्षा से है जिसके अंतर्गत पाठ्यक्रम के विभिन्न विषयों में मनोविज्ञान, दर्शनशास्त्र के साथ-साथ सामाजिक, सांस्कृतिक, नैतिक, आध्यात्मिक आदि मूल्यों को समाहित करके विद्यार्थियों को उनका महत्व समझाया जाता है। शिक्षण प्रक्रिया से ही इन मूल्यों का छात्रों में विकास किया जा सकता है।

मूल्य शिक्षा बालकों को राष्ट्र की सांस्कृतिक, सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक परिस्थितियों के सम्बन्ध में जागरूक बनाना, उन परिस्थितियों में वांछित सुधार हेतु प्रेरित करने का कार्य करती है। यह शिक्षा स्वयं शक्ति, समाज की शक्ति, स्वतंत्रता के प्रति तथा समाज के प्रत्येक वर्ग, जाति, इत्यादि के प्रति मानवीय दृष्टिकोण का विकास कर राष्ट्र, समाज, संस्कृतियों तथा पर्यावरण के प्रति संतुलित दृष्टिकोण के विकास करती है।

बालकों को उत्तरदायी नागरिक बनाने में मूल्य शिक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। धर्म निरपेक्षता, लोकतंत्र, समाजवाद, राष्ट्रीय एकता जैसे राष्ट्रीय लक्ष्यों के ज्ञान व पालन करने में मूल्य शिक्षा आवश्यक है।

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