बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षा बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
|
5 पाठक हैं |
बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षा
प्रश्न- मदर टेरेसा के कथन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
मदर टेरेसा दलितों एवं पीड़ितों की सेवा में किसी प्रकार की पश्चाताप नहीं थी। उन्होंने समभाव दर्शन के लिए संलग्न कार्य किया है। उनकी मान्यता है कि "प्यार के भूखे पेटों को सुख से कोई बड़ी है।" उनके विचार से प्रेरणा लेकर संसार के विभिन्न भागों से सहृदय भारत आए, प्रेम, धन व गरीबों की सेवा में लग गए। मदर टेरेसा का कहना है कि सेवा का कार्य एक कठिन कार्य है एवं इसके लिए पूर्ण समर्पण की आवश्यकता है। वही लोग इस कार्य को कर सकते हैं जो सेवा को ही अपना धर्म मानते हैं, "भूखों को खिलाएं, नग्न बालकों को वस्त्र दें, दमन तोड़ने वाले बेज़ुबान को प्यार से सहलाएं, अपंगों को साहस दें, दुखियों को स्नेह दें, निर्बलों के प्रति तैयार रहें।"
मदर टेरेसा को उनकी सेवाओं के लिए विभिन्न पुरस्कारों एवं सम्मानों से विभूषित किया गया है। अमेरिका के कैथोलिक विश्वविद्यालय ने उन्हें डॉक्टरटे ऑफ मेडिसिन से विभूषित किया है। भारत सरकार ने उन्हें 1962 में 'पद्मश्री' और 1980 में भारत रत्न से विभूषित किया। BHU ने डॉ. टी.डी. की उपाधि से विभूषित किया गया। 19 अक्टूबर 1979 को टेरेसा जी को नोबेल-मंगल्यान हेतु शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। एक स्वागत समारोह में मदर टेरेसा ने कहा कि - "धन्य वे मानव-जाति की सेवा नहीं होती, उसके लिए पूर्ण लगन से कार्य में जुट जाने की आवश्यकता है।"
9 सितंबर, 2016 को वेटिकन सिटी में पोप फ्रांसिस ने मदर टेरेसा को संत की उपाधि से विभूषित किया। इस प्रकार मदर टेरेसा का व्यक्तित्व अत्यंत मूल्यवान एवं मानव सेवा, विश्व सेवा के प्रति समर्पित रहा है।
|