बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षा बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षा
प्रश्न- भारत एवं विश्व-शांति पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर -
भारत एवं विश्व-शांति - भारत का प्राचीनकाल से ही विश्व-शांति के समर्थक देश रहा है। विश्व को ज्ञानवंत समाज और संस्कृति वाले राष्ट्र, हिन्दुत्व की शांति से सम्बन्ध में स्थिति अमूल्य है। भारत ने प्राचीन शांति-सन्देश को सभी मानवों में वितरित किया, इसे अत्यंत विशेष एवं अद्वितीय रहा है। हजारों वर्षों से भारत से संस्कार जाने वाली शांति-सन्देश का धरातलीकरण से जीवन एवं विचारों पर गहरा प्रभाव पड़ा है। इस गहन प्रभाव के मूल में, भारतीय परम्पराओं में आचार-विचारों का संबंध प्रमुख रहा है। भारतीय संस्कृति में प्रेम, करुणा, शांति, मानवता, पर्यावरण, पुण्य पुरुष, तपस्वियों एवं विज्ञान द्वारा आध्यात्मिक ज्ञान एवं कर्मों को बल एवं असाधारण अनुभव की भागीदारी रही।
शांति-शिक्षा भारतीय परंपराओं में सर्वाधिक समर्थक है। भारतीय परंपराओं में शांति सक्रिय स्थिति के रूप में समाहित रही है। व्यक्तिगत रूप से शांति की अवधारणा से समाज में तनाव एवं दबाव के मूल में निहित तात्कालिक प्रेरणा रही है। शांति-शिक्षा के मूल तत्वों में भारतीय अवधारणाएं सहअस्तित्व के वातावरण की अपेक्षा रखती है। स्वस्थ एवं अस्तित्व की अवस्था के निर्माण के लिए, सामाजिक प्रयोगों को आह्वान करती है, ताकि विचारधारा जनकल्याण उन्मुखि हो सके। भारतीय परंपराओं में शांति की विशाल अवधारणाएं को, सार्वभौमों की व्याख्याओं से सार्वभौमिक स्तर तक की कामना से, जो वैदिक शांति मंत्र से भली-भांति प्रकट होती है।
स्पष्टीकरण: समझा जा सकता है। सर्वथा शक्तिमान परमात्मा से इस शांति-प्रकरण के माध्यम से सुप्रसिद्ध वैदिक मंत्र द्वारा, कामना का संबंध की गई है, वह अद्वितीय है। मंत्र के अनुसार -
"ॐ द्यौः शान्तिरंतरिक्षः शान्तिः पृथ्वी शान्तिः शान्तिरापः शान्तिः ओषधयः शान्तिः वनस्पतयः शान्तिर्विश्वेदेवाः शान्तिः ब्रह्मणः शान्तिः सर्वं शान्तिः शान्तिरेव शान्तिः सा मा शान्तिरेधि॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॐ"
अर्थ: "हे परमेश्वर! त्रिभुवन में शांति कीजिए। जल, दल एवं ग्राम में, अनारिख में, अग्नि एवं वायु में, औषध-वनस्पतियों, इन-उपवन में, सकल (समस्त) विश्व में, जड़ एवं चेतन में, शांति कीजिए परमात्मा! शांति कीजिए राष्ट्र-निर्माण एवं सृजन में, नगर-ग्राम एवं भवन में, प्राणी मात्र के तन और मन में, जगत के कण-कण में। शांति कीजिए।"
ॐ शांति, शांति, शांति ॐ।
इस प्रकार से भारतीय दृष्टिकोण से विश्व शांति सम्बन्धी अत्यंत विशाल सहअस्तित्व प्रतीत होती है। अतः वैदिक दृष्टि यह भारत की सोच शांति स्थापित में अत्यंत नामांकित रही है। आज, इसी दृष्टिकोण के बृहद प्रेरक हेतु बढ़ने से, जिससे वैदिक समस्याओं का समाधान हो सके।
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