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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :215
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2700
आईएसबीएन :0

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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा

प्रश्न- धीमी गति से सीखने के कारणों का उल्लेख कीजिए।

अथवा
सामाजिक रूप से पिछड़े बालकों की समस्याएं स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-

वैसे तो धीमी गति से सीखने वाले बच्चों को कम बुद्धि वाला माना जाता है, परंतु कम बुद्धि होना, धीमी गति से सीखने का एक कारण हो सकता है। उसके अतिरिक्त धीमी गति से सीखने के और भी कई कारण हो सकते हैं। प्रत्येक बच्चे में कारण विभिन्न होते हैं।

  1. आंतरिक कारण- धीमी गति से सीखने के आंतरिक कारण निम्नलिखित होते हैं।

(i) शारीरिक कारण- कुपोषण एवं वातावरण के कारण कुछ बच्चों का पूरा विकास नहीं हो पाता है। कुछ बच्चों का जन्म से विकलांग होते हैं, कुछ बच्चे लंबे समय तक बीमार रहने के कारण अपने शारीरिक विकास पूरा न होने के कारण कठिन परिस्थितियों का सामना करते हैं। ऐसे बच्चे, जो शारीरिक और मानसिक रूप से जल्दी थक जाते हैं, सीखने में पीछे रह जाते हैं।

(ii) बुद्धि- बुद्धि का धीमी गति से सीखने में एक मुख्य कारण है, जिसके कारण यह अंतर लंबे समय तक पीछे छूट जाता है। बुद्धि की कमी जन्मजात होती है। इस कमी को दूर नहीं किया जा सकता।

(iii) सामाजिक व्यवहार- यदि बच्चे को समाज से उचित सामंजस्य नहीं हो पाता है, तो भी उसके पिछड़ने की संभावना होती है।

(iv) स्वभाव संबंधी- अपने स्वभाव संबंधी दोषों के कारण भी बच्चे पिछड़ जाते हैं। दुष्प्रभावी एवं भावुक स्वभाव के बच्चे अपनी कक्षा में सबके साथ मिल-जुलकर नहीं रहते जिससे उनकी प्रगति रुक जाती है और वे सीखने में पीछे रह जाते हैं।

  1. बाह्य कारण- बच्चों के धीमी गति से सीखने में वातावरण की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है। इसके अंतर्गत निम्नलिखित कारण आते हैं-

(i) पारिवारिक कारण- माता-पिता के अशिक्षित होने के कारण अपने बच्चों की ओर ध्यान नहीं देते हैं। पढ़ाई हेतु आवश्यक चीजें, जैसे पुस्तक, कापी, पेंसिल, इत्यादि बच्चों को उपलब्ध नहीं कराते हैं। परिवार में सदस्यों की संख्या अधिक होने के कारण बच्चों को खाने, पीने, सोने हेतु परेशानी होती है, जिससे वे शाला के कामों में पिछड़ जाते हैं। माता-पिता में आपसी झगड़े एवं अशांति के कारण भी बच्चों में मानसिक रूप से चिंता बढ़ जाती है जिससे बच्चा चिंताग्रस्त महसूस करता है और पढ़ाई में मन नहीं लगता है। माता-पिता की खराब आदतें जैसे शराब पीना, आलस्य, लापरवाही, चोरी करना, देर से सोकर उठना, झूठ बोलना, जिम्मेदारी से भागना आदि गंदी आदतें बच्चों भी माता-पिता से सीखते हैं, जिससे वह समय पर तथा रोज कक्षा में नहीं पहुंचते हैं और पढ़ाई में पीछे हो जाते हैं।

(ii) विद्यालयीन कारण- विद्यालयीन वातावरण भी बच्चों के धीमी गति से सीखने का एक मुख्य कारण है। यदि बच्चों की बौद्धिक क्षमता सामान्य से कुछ कम हो तथा शिक्षक का व्यवहार कठोर हो जाए तो बच्चा कक्षा में भागता है, शिक्षक से कुछ पूछना नहीं चाहता और कक्षा में ध्यान नहीं देता। विद्यालय में मनपसंद एवं खेल सुविधाओं का अभाव गलत शिक्षण विधियां इत्यादि बातें बच्चों के अध्ययन में पीछे रहने के कारण हो सकते हैं।

(iii) आर्थिक कारण- परिवार में गरीबी के कारण यदि मां को अच्छा भोजन नहीं मिलता है, तो ऐसी मां के बच्चे में शारीरिक और मानसिक कमजोरी दिखाई देती है। यदि बच्चा सामान्य पेट भी नहीं खा पाता है, परंतु गरीबी के कारण उन्हें सम्पूर्ण आराम नहीं मिलने के कारण मानसिक परेशानी होती है। माता-पिता के खराब शारीरिक और मानसिक स्थितियों के कारण भी बच्चा अध्ययन में उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाता है और पीछे रह जाता है।

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