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बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा
प्रश्न- बहुसंवेदी शिक्षण से क्या तात्पर्य है?
उत्तर -
बहुसंवेदी शिक्षण का अर्थ (Meaning of Multisensory Teaching) - जैसा कि नाम से ही पता लगता है बहुसंवेदी अर्थात् एक से ज्यादा संवेदी अनुभव को मिलाकर देना। यह श्रवण, देखने, स्पर्श, सूंघने, महकने का काम एक से अधिक संवेदी-संवेदन जैसे सुनना, देखना, स्पर्श, सूंघना, महकना करता है। इसलिए बहुसंवेदी शिक्षण में एक समय में एक से अधिक अर्थ का स्पष्टिकरण करना तथा समस्त चेतनाओं के उपयोग का प्रयास करना है।
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जेम्स (James) के अनुसार - "संवेदना अंग ज्ञान मार्ग में पहला वस्त्र है।"
विभिन्न संदर्भ - ध्वनि, दृष्टि, स्वाद, स्पर्श, गंध, गुण आदि कभी-कभी इनसे अनुभव भी देखने को मिलते हैं।
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वार्ड (Ward) के अनुसार - "सूत्र संवेदना मनोवैज्ञानिक कल्पना है।"
अधिगम असमर्थ युवा बालकों हेतु शिक्षण प्रशिक्षण में बहुसंवेदी प्रशिक्षण बहुत उपयोगी है। बहुसंवेदी प्रशिक्षण से तात्पर्य एक से अधिक ज्ञानेन्द्रियों (दृश्य/श्रवण, स्पर्श/गंध/स्वाद आदि) को प्रेरित करते हुए पढ़ाना बहुसंवेदी अधिगम की प्रवृत्तियाँ सुश्री शिक्षाविद् मारिया मॉन्टेसरी मानी जाती हैं।
टी. ए. के. टी. (विजुअल ऑडिटरी काइनेस्थेटिक एंड टेक्सटुअल) उपापम अधिगम असमर्थ युक्त बालकों को भाषायी प्रशिक्षण की एक सुप्रसिद्ध विधि है जिसमें बच्चे को सर्वप्रथम किसी शब्द के सभी अक्षरों से परिचित कराया जाता है। तत्पश्चात् बच्चे को प्रमाण: पूरे शब्द से परिचित कराया जाता है। फिर, बच्चे शब्द के संबंधित चीजों को देखने, छूने तथा पहचानने के लिए प्रेरित होते हैं। इसके बाद बच्चे शब्द विशेष का ज्ञान ले जाते हैं, तब उसे उस शब्द को वाक्यों में प्रयोग करना सिखाया जाता है। शब्द के वाक्यों में प्रयोग पर अधिकार कर लेने पर बच्चे छोटी-छोटी कहानियाँ आदि लिखने को कहा जा सकता है।
शैक्षिक प्रक्रिया को बहुसंवेदी बनाने के लिए विभिन्न प्रकार की शैक्षिक सामग्री जैसे- श्रवण कौशल, बोध सामग्री आदि का प्रयोग किया जाता है। विद्यालय में विभिन्न शिक्षण तकनीक का प्रयोग किया जाता है।
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