बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य बी.एड. सेमेस्टर-1 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य
प्रश्न- वृद्धि और विकास से आपका क्या अभिप्राय है? विवेचना कीजिए।
अथवा
वृद्धि और विकास की संकल्पना स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
वृद्धि का अर्थ
वृद्धि का अर्थ आमतौर पर मानव के शरीर के विभिन्न अंगों के विकास तथा उन अंगों की कार्य करने की क्षमता का विकास माना जाता है। व्यक्ति के इन शारीरिक अंगों के विकास के परिणामस्वरूप उसका व्यवहार किसी न किसी रूप से प्रभावित होता है। इस प्रभाव के परिणामस्वरूप ही उस व्यक्ति के अंगों में परिवर्तन होता है। इस तरह वृद्धि से अभिप्राय है- शरीर, आकार और भार में वृद्धि। इस प्रकार की वृद्धि में व्यक्ति की माँसपेशियों की वृद्धि भी शामिल है।
हरबर्ट सोरेन्सन - ने तो शारीरिक वृद्धि को 'बड़ा और भारी होना' बताया है, जो वृद्धि और परिवर्तनों की ओर संकेत करते हैं।
एच. वी. मैरीडिथ के अनुसार - "वृद्धि और विकास का पहला प्रमाण मानव के आकार में परिवर्तनों का आना है। दूसरा प्रमाण संख्या है। दो कोशिकाओं के मिलने से कई कोशिकाओं वाला मानव जन्म लेता है। तीसरा प्रमा है मानव की हड्डियों में परिवर्तन होना। चौथा प्रमाण है- हृदय, आंतड़ियों और अन्य अंगों के कोणों और स्थिति में परिवर्तन का होना। पाँचवां प्रमाण है- सापेक्षिक आकार में परिवर्तन, अर्थात् सिर टाँगों की अपेक्षा छोटा हो जाता है।" संक्षेप में, वृद्धि और विकास के पाँच प्रमाण हुए- आकार, संख्या, प्रकार, स्थिति तथा सापेक्षिक आकार।
जैसा कि हमें मालूम है कि मानव की वृद्धि निषेचित अंड में विभाजन के परिणामस्वरूप होती है। विभाजित निषेचित अंड ही भ्रूण बनता है तथा उसकी कोशिकाओं में वृद्धि से ही मानव शरीर में वृद्धि होती है। वृद्धि तथा शारीरिक वृद्धि निरन्तर नहीं होती। इसकी गति एक जैसी नहीं होती। वृद्धि की गति में परिवर्तन आते रहते हैं। किसी विशेष समय तक वृद्धि होती रहती है तथा उसके पश्चात् यह रुक जाती है।
वृद्धि एकं विशेष पद्धति पर तथा आन्तरिक रूप से होती रहती है। शिशुकाल में वृद्धि की गति बहुत तीव्र होती है, लेकिन बाद में यह धीमी हो जाती है। वृद्धि वंशानुक्रम और वातावरण की अन्तःक्रिया से होती है।
फ्रैंक ने वृद्धि को इस प्रकार परिभाषित किया है - "शरीर के किसी विशेष पक्ष में जो परिवर्तन आता है, उसे वृद्धि कहते हैं।"
उपरोक्त विवरण से वृद्धि के अर्थ एवं प्रकृति को निम्नलिखित तथ्य स्पष्ट कर देते हैं-
(i) वृद्धि से व्यक्ति बड़ा और भारी होता है।
(ii) वृद्धि को मात्रा के रूप में मापा जा सकता है।
(iii) वृद्धि की सामान्य पद्धति होती है, न कि अलग-अलग व्यक्तियों में अलग-अलग।
(iv) वृद्धि निषेचित अंड में विभाजन के परिणामस्वरूप होती है।
(v) वृद्धि निरन्तर नहीं होती।
(vi) वृद्धि की गति एक समान नहीं रहती। इसमें (गति में) परिवर्तन आते रहते हैं।
(vii) वृद्धि एक विशेष समय तक होती रहती है। फिर उसके बाद रुक जाती है।
(viii) वृद्धि आन्तरिक रूप से होती है।
(ix) स्त्रियों में पुरुषों की अपेक्षा वृद्धि तीव्र होती है।
(x) वृद्धि वंशानुक्रम और वातावरण की अन्तःक्रिया से होती है।
(xi) शिशुकाल में वृद्धि तीव्र गति से होती है, लेकिन बाद में धीमी हो जाती है।
(xii) शारीरिक और मानसिक वृद्धि का आपस में गहरा सम्बन्ध होता है।
(xiii) जब कद में वृद्धि होती है, तो भार कम हो जाता है।
(xiv) स्वास्थ्य और भोजन शारीरिक और मानसिक वृद्धि को प्रभावित करते हैं।
(xv) शारीरिक वृद्धि को देखना मानसिक वृद्धि की अपेक्षा सरल होता है।
विकास का अर्थ - विकास शब्द उन्नति से सम्बन्धित परिवर्तनों की ओर संकेत करता है और परिपक्वता की ओर अग्रसर करता है। मानव के आकार और उसकी रचना में गुणात्मक और मात्रात्मक परिवर्तनों के कारण उसमें कार्य सम्बन्धी सुधार आ जाते हैं। अतः विकास परिपक्वता की ही एक प्रक्रिया है। अधिकतर शारीरिक विकास शारीरिक वृद्धि पर निर्भर करता है। वृद्धि और विकास के इस बुनियादी सम्बन्ध के कारण वृद्धि और विकास शब्दों को एक-दूसरे के लिए प्रयोग किया जाता है।
जर्सिल्ड, टेलफोर्ड और सॉरी के अनुसार - "विकास शब्द का अर्थ उन जटिल प्रक्रियाओं का समूह है जिनसे निषेचित अंड से एक परिपक्व व्यक्ति का उदय होता है।"
हरलॉक के अनुसार - "विकास परतों में वृद्धि तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह परिपक्वता के लक्ष्य की ओर परिवर्तनों की एक प्रगतिशील श्रृंखला है।"
हरलॉक के अनुसार - "विकास के परिणामस्वरूप व्यक्ति में नई विशेषताओं और नई योग्यताओं का उदय होता है।"
वृद्धि की भाँति विकास की भी अपनी विशेष प्रकृति होती है। विकास की भी अपनी एक निश्चित पद्धति होती है। विकास सदा सामान्य से विशिष्ट दिशा की ओर होता है। वृद्धि की तरह विकास रुकता नहीं। यह जन्म से लेकर मृत्यु तक निरन्तर होता ही रहता है।
वास्तव में 'विकास' शब्द का प्रयोग सभी प्रकार के परिवर्तनों के लिए प्रयुक्त होता है, जिससे व्यक्ति की कार्य क्षमता, कार्य कुशलता और व्यवहार में प्रगति हो। इस दृष्टि से विकास का अर्थ वृद्धि की अपेक्षा व्यापक है। विकास के विस्तृत अर्थ में ही वृद्धि भी शामिल है। विकास गुणात्मक परिवर्तनों की ओर संकेत करता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि विकास व्यक्ति के सम्पूर्ण व्यक्तित्व में आने वाले विभिन्न परिवर्तनों का प्रतिनिधित्व करता है, चाहे वे परिवर्तन सामाजिक, शारीरिक, संवेगात्मक या बौद्धिक हों। सामान्यतः वृद्धि और विकास की प्रक्रियाएँ साथ-साथ ही चलती हैं।
इस प्रकार विकास की प्रकृति निम्न तथ्यों से स्पष्ट हो जाती है-
(i) विकास की निश्चित पद्धति होती है।
(ii) विकास सामान्य से विशिष्ट दिशा की ओर होता है।
(iii) विकास रुकता नहीं, निरन्तर चलता रहता है।
(iv) विकास सभी प्रकार के परिवर्तनों का प्रतिनिधित्व करता है।
(v) विकास का अर्थ अधिक व्यापक है।
(vi) विकास और वृद्धि की प्रक्रियाएँ साथ-साथ चलती हैं।
(vii) विकास गुणात्मक परिवर्तनों का संकेतक है।
चित्र: वृद्धि और विकास का अर्थ
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- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ बताइये एवं इसकी प्रकृति को संक्षेप में स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान और शिक्षा के सम्बन्ध का विवेचन कीजिये और बताइये कि मनोविज्ञान ने शिक्षा सिद्धान्त और व्यवहार में किस प्रकार की क्रान्ति की है?
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान की भूमिका या महत्त्व बताइये।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। शिक्षक प्रशिक्षण में इसकी सम्बद्धता क्या है?
- प्रश्न- वृद्धि और विकास से आपका क्या अभिप्राय है? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धि और विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धि और विकास को परिभाषित करें तथा वृद्धि एवं विकास के महत्वपूर्ण सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास के प्रमुख तत्त्वों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- विकास से आपका क्या अभिप्राय है? बाल विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन- कौन-सी हैं? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास के अध्ययन के महत्त्व को समझाइये।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के प्रमुख उद्देश्यों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान एवं अधिगमकर्त्ता के सम्बन्ध की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- शैक्षिक सिद्धान्त व शैक्षिक प्रक्रिया के लिये शैक्षिक मनोविज्ञान का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के कार्यों को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान की विभिन्न परिभाषाओं को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- वृद्धि का अर्थ एवं प्रकृति स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृद्धि तथा विकास से क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विकास का क्या अर्थ है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धि तथा विकास के नियमों का शिक्षा में महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बालक के सम्बन्ध में विकास की अवधारणा क्या है? समझाइये |
- प्रश्न- विकास के सामान्य सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- अभिवृद्धि एवं विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-कौन सी हैं? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास में वंशानुक्रम का क्या योगदान है?
- प्रश्न- शैशवावस्था क्या है? इसकी प्रमुख विशेषतायें बताइये। इस अवस्था में शिक्षा किस प्रकार की होनी चाहिये।
- प्रश्न- शैशवावस्था की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- शैशवावस्था में शिशु को किस प्रकार की शिक्षा दी जानी चाहिये?
- प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है? बाल्यावस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बाल्यावस्था में शिक्षा का स्वरूप कैसा होना चाहिए? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'बाल्यावस्था के विकासात्मक कार्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था से आप क्या समझते हैं? किशोरावस्था के विकास के सिद्धान्त की. विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था की मुख्य विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था में शिक्षा के स्वरूप की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धान्तों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शैशवावस्था की प्रमुख समस्याएँ बताइए।
- प्रश्न- जीन पियाजे के विकास की अवस्थाओं के सिद्धांत को समझाइये |
- प्रश्न- कोहलर के प्रयोग की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैक्षिक मनोविज्ञान एवं मानव विकास)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (मानव वृद्धि एवं विकास )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (व्यक्तिगत भिन्नता )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैशवावस्था, बाल्यावस्था एवं किशोरावस्था )
- प्रश्न- सीखने की संकल्पना को समझाइए। 'सूझ' सीखने में किस प्रकार सहायता करती है?
- प्रश्न- अधिगम की प्रकृति को समझाइए।
- प्रश्न- सीखने की प्रक्रिया से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सूझ सीखने में किस प्रकार सहायता करती है?
- प्रश्न- 'प्रयत्न एवं त्रुटि' तथा 'सूझ' द्वारा सीखने में भेद कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक बताइए।
- प्रश्न- थार्नडाइक के सीखने के प्रयोग का उल्लेख कीजिए और बताइये कि इस प्रयोग द्वारा निकाले गये निष्कर्ष, शिक्षण कार्य को कहाँ तक सहायता पहुँचाते हैं?
- प्रश्न- थार्नडाइक के सीखने के सिद्धान्त के प्रयोग का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- थार्नडाइक के सीखने के सिद्धान्त का शिक्षा में उपयोग बताइये।
- प्रश्न- शिक्षण में प्रयत्न तथा भूल द्वारा सीखने के सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिये।
- प्रश्न- 'अनुबन्धन' से क्या अभिप्राय है? पावलॉव के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया को नियंत्रित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं?
- प्रश्न- अनुकूलित अनुक्रिया से आप क्या समझते हैं? इस सिद्धान्त का शिक्षा में प्रयोग बताइये।
- प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- स्किनर का सक्रिय अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त क्या है? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- स्किनर के सक्रिय अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पुनर्बलन का क्या अर्थ है? इसके प्रकार बताइये।
- प्रश्न- पुनर्बलन की सारणियाँ वर्गीकृत कीजिए।
- प्रश्न- सक्रिय अनुकूलित-अनुक्रिया. सिद्धान्त अथवा पुर्नबलन का शिक्षा में प्रयोग बताइये।
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- प्रश्न- कोहलर के प्रयोग की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- अन्तर्दृष्टि तथा सूझ के सिद्धान्त से सीखने की क्या विशेषताएँ हैं।
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- प्रश्न- अन्तर्दृष्टि को प्रभावित करने वाले कारक एवं शिक्षा में प्रयोग बताइये।'
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- प्रश्न- गेग्ने के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गेग्ने के योगदान को संक्षेप में बताइये।
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- प्रश्न- अभिप्रेरणा के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
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