बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य बी.एड. सेमेस्टर-1 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य
प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। शिक्षक प्रशिक्षण में इसकी सम्बद्धता क्या है?
अथवा
'शिक्षा मनोविज्ञान' के सम्प्रत्यय की व्याख्या कीजिए। बताइए कि इसका ज्ञान शिक्षक-प्रशिक्षुओं लिए क्यों आवश्यक है?
उत्तर -
शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ
शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की एक महत्त्वपूर्ण शाखा है। यह दो शब्दों से मिलकर बना है- 'शिक्षा' और 'मनोविज्ञान' - जिसका अर्थ होता है शिक्षा की प्रक्रिया से सम्बन्धित व्यवहारों का अध्ययन करने वाला विज्ञान। दूसरे शब्दों में- शिक्षा मनोविज्ञान ऐसा विज्ञान है जो शिक्षा की प्रक्रिया में मानव व्यवहार का अध्ययन करता है।
शिक्षा के क्षेत्र में मनोवैज्ञानिक विधियों का प्रयोग ही शिक्षा मनोविज्ञान है। शिक्षा मनोविज्ञान का मुख्य केन्द्र मानव व्यवहार है। शिक्षा मनोविज्ञान खोज तथा निरीक्षण द्वारा प्राप्त तथ्यों को संग्रहित करके उन्हें सैद्धान्तिक रूप प्रदान करता है तथा इसकी विधियों के द्वारा शिक्षा सम्बन्धी समस्याओं का समाधान किया जाता है।
शिक्षा मनोविज्ञान की परिभाषायें
नॉल व अन्य के अनुसार - "शिक्षा मनोविज्ञान मुख्य रूप से शिक्षा की सामाजिक प्रक्रिया से परिवर्तित या निर्देशित होने वाले मानव व्यवहार के अध्ययन से सम्बन्धित है।"
एलिस को के अनुसार - "शिक्षा मनोविज्ञान व्यक्ति के जन्म से वृद्धावस्था तक सीखने के अनुभवों का वर्णन और व्याख्या करता है।"
कॉलसनिक के अनुसार - "शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान के सिद्धान्तों तथा खोजों का शिक्षा में प्रयोग है।"
आलोचनात्मक मूल्यांकन - शिक्षा एक सामाजिक विज्ञान है और यह बालक के सर्वांगीण एवं समाजोपयोगी विकास में काफी सहायक होता है। शिक्षा के द्वारा बालक की मानसिक शक्ति और उसके व्यवहार को इस प्रकार विकसित किया जाता है कि वह एक अच्छा नागरिक बन सके। लेकिन बालक की शक्तियों का समुचित विकास मनोविज्ञान के द्वारा ही सम्भव होता है। शिक्षा और मनोविज्ञान का अटूट सम्बन्ध है। यह सम्बन्ध जितना गहरा होगा उतना ही अधिक शैक्षिक एवं सामाजिक उन्नति होगी। अतः हमें चाहिये कि हम उन सम्भावनाओं का अधिक-से-अधिक पता लगायें जिससे शिक्षा मनोविज्ञान का अधिकाधिक उपयोग शिक्षा में किया जा सके। हमें बालकों के खेल, शारीरिक, मानसिक वृद्धि एवं विकास, रक्षा, आत्मविश्वास, उन्मुक्तता, इच्छाओं, रुचियों और तर्क अभिव्यक्ति आदि आवश्यकताओं से सम्बन्धित मनोवैज्ञानिक ज्ञान का प्रसार शिक्षकों में करने के लिये प्रभावी कदम उठाने चाहिये। ऐसे क्लब या मनोविज्ञान केन्द्र खोले जायें जहाँ शिक्षक, अभिभावक एवं छात्र इन बातों का समुचित प्रशिक्षण प्राप्त कर सकें। इन केन्द्रों में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिये कि शिक्षक अपने छात्रों से मुक्त भाव से सम्पर्क कर सकें और यह जान सकें कि छात्र का स्वभाव, रुचि और रुझान किस ओर है? इसके साथ ही इन केन्द्रों में शिक्षकों की विभिन्न प्रकार की सामाजिक व मनोवैज्ञानिक समस्याओं के समाधान का भी प्रबन्ध होना चाहिये।
शिक्षक इस बात के लिये स्वतन्त्र हैं कि वह शिक्षा मनोविज्ञान द्वारा सुझाये गये उपायों को अपनाये अथवा नहीं। प्रत्येक शिक्षाविद् अपने-अपने मतानुसार समस्याओं का समाधान खोजने का प्रयास करता हैं। यह विविधता ही शिक्षा की विशेषता है और यही उसके विकास का मार्ग प्रशस्त करती है। मनोविज्ञान और शिक्षा मनोविज्ञान तो केवल शिक्षा की सहायता मात्र करते हैं, शिक्षा को अपने निर्णयों को अपनाने के लिये बाध्य नहीं करते हैं।
इसी तरह शिक्षा और मनोविज्ञान एक-दूसरे के विरोधी न होकर पूरक हैं। यही बात विश्लेषण और संश्लेषण पर लागू होती है। ये दोनों स्वयं में स्वतन्त्र नहीं हैं परन्तु बिना दोनों के ज्ञान पूर्ण नहीं हो पाता है।
शिक्षक प्रशिक्षण में इसकी सम्बद्धता
शिक्षा मनोविज्ञान का मानव जीवन में बहुत महत्त्व है। शिक्षा मनोविज्ञान के द्वारा ही मनुष्य के जीवन का सर्वांगीण विकास सम्भव है। एक सफल शिक्षक बनने के लिये शिक्षा मनोविज्ञान का ज्ञान होना बहुत महत्त्वपूर्ण है। शिक्षक के लिये मनोविज्ञान की सम्बद्धता एवं उपयोगिता निम्नलिखित है-
1. मनोविज्ञान के द्वारा अध्यापक को सभी प्रकार की शिक्षण विधियों का ज्ञान हो जाता है उसे पाठ्यक्रम को पढ़ाने में किसी प्रकार की भी कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ता है।
2. मनोविज्ञान के ज्ञान के द्वारा शिक्षक छात्रों की रुचि के अनुसार शैक्षिक वातावरण तैयार कर सकता है जिससे छात्रों को उनकी बुद्धि के विकास में और अधिक सहायता मिलेगी।
3. शिक्षक के लिये मनोविज्ञान का विशेष महत्त्व है क्योंकि इसकी सहायता से शिक्षक पिछड़े बालकों की समस्याओं को आसानी से सुलझा सकते हैं, और उन्हें इस बात की जानकारी प्राप्त होती है कि किस प्रकार वे पिछड़े बालकों को प्रतिभाशाली बालकों के बराबर ला सकते हैं।
4. शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षक को अनुशासन बनाये रखने में सहायता करता है। यह शिक्षा मनोविज्ञान ही है जिसके द्वारा शिक्षक दमनात्मक अनुशासन का विरोध करता है और प्रभावात्मक अनुशासन का समर्थन करता है।
5. शिक्षा मनोविज्ञान के द्वारा शिक्षक को बालकों की वैयक्तिक भिन्नताओं को समझने में सहायता मिलती है और शिक्षक बालकों की भिन्नताओं के आधार पर उनकी रुचि के आधार पर बालकों को विषयों का ज्ञान कराता है।
उपर्युक्त विवेचनों से स्पष्ट है कि शिक्षा मनोविज्ञान एक अध्यापक को अनेक सिद्धान्तों तथा व्यावहारिक तथ्यों से अवगत कराता है जिससे वह अपने कार्य को कुशलतापूर्वक सम्पन्न करने में समर्थ होता है। एक बार अध्यापक द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त कर लेने पर शिक्षा मनोविज्ञान का अध्ययन पूर्ण नहीं हो जाता। एक अध्यापक को सतत् रूप से जब तक वह अध्ययन व्यवसाय में कार्यशील रहता है, शिक्षा मनोविज्ञान द्वारा प्रतिपादित आधुनिक विचारों एवं व्यवहारों के सम्पर्क में रहना आवश्यक है क्योंकि शिक्षा मनोविज्ञान ही एक अध्यापक को सही मायने में कुशल और व्यावसायिक अध्यापकीय गुणों से अभिभूत करता है।
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- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ बताइये एवं इसकी प्रकृति को संक्षेप में स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान और शिक्षा के सम्बन्ध का विवेचन कीजिये और बताइये कि मनोविज्ञान ने शिक्षा सिद्धान्त और व्यवहार में किस प्रकार की क्रान्ति की है?
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान की भूमिका या महत्त्व बताइये।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। शिक्षक प्रशिक्षण में इसकी सम्बद्धता क्या है?
- प्रश्न- वृद्धि और विकास से आपका क्या अभिप्राय है? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धि और विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धि और विकास को परिभाषित करें तथा वृद्धि एवं विकास के महत्वपूर्ण सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास के प्रमुख तत्त्वों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- विकास से आपका क्या अभिप्राय है? बाल विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन- कौन-सी हैं? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास के अध्ययन के महत्त्व को समझाइये।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के प्रमुख उद्देश्यों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान एवं अधिगमकर्त्ता के सम्बन्ध की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- शैक्षिक सिद्धान्त व शैक्षिक प्रक्रिया के लिये शैक्षिक मनोविज्ञान का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के कार्यों को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान की विभिन्न परिभाषाओं को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- वृद्धि का अर्थ एवं प्रकृति स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृद्धि तथा विकास से क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विकास का क्या अर्थ है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धि तथा विकास के नियमों का शिक्षा में महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बालक के सम्बन्ध में विकास की अवधारणा क्या है? समझाइये |
- प्रश्न- विकास के सामान्य सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- अभिवृद्धि एवं विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-कौन सी हैं? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास में वंशानुक्रम का क्या योगदान है?
- प्रश्न- शैशवावस्था क्या है? इसकी प्रमुख विशेषतायें बताइये। इस अवस्था में शिक्षा किस प्रकार की होनी चाहिये।
- प्रश्न- शैशवावस्था की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- शैशवावस्था में शिशु को किस प्रकार की शिक्षा दी जानी चाहिये?
- प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है? बाल्यावस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बाल्यावस्था में शिक्षा का स्वरूप कैसा होना चाहिए? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'बाल्यावस्था के विकासात्मक कार्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था से आप क्या समझते हैं? किशोरावस्था के विकास के सिद्धान्त की. विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था की मुख्य विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था में शिक्षा के स्वरूप की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धान्तों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शैशवावस्था की प्रमुख समस्याएँ बताइए।
- प्रश्न- जीन पियाजे के विकास की अवस्थाओं के सिद्धांत को समझाइये |
- प्रश्न- कोहलर के प्रयोग की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैक्षिक मनोविज्ञान एवं मानव विकास)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (मानव वृद्धि एवं विकास )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (व्यक्तिगत भिन्नता )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैशवावस्था, बाल्यावस्था एवं किशोरावस्था )
- प्रश्न- सीखने की संकल्पना को समझाइए। 'सूझ' सीखने में किस प्रकार सहायता करती है?
- प्रश्न- अधिगम की प्रकृति को समझाइए।
- प्रश्न- सीखने की प्रक्रिया से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सूझ सीखने में किस प्रकार सहायता करती है?
- प्रश्न- 'प्रयत्न एवं त्रुटि' तथा 'सूझ' द्वारा सीखने में भेद कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक बताइए।
- प्रश्न- थार्नडाइक के सीखने के प्रयोग का उल्लेख कीजिए और बताइये कि इस प्रयोग द्वारा निकाले गये निष्कर्ष, शिक्षण कार्य को कहाँ तक सहायता पहुँचाते हैं?
- प्रश्न- थार्नडाइक के सीखने के सिद्धान्त के प्रयोग का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- थार्नडाइक के सीखने के सिद्धान्त का शिक्षा में उपयोग बताइये।
- प्रश्न- शिक्षण में प्रयत्न तथा भूल द्वारा सीखने के सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिये।
- प्रश्न- 'अनुबन्धन' से क्या अभिप्राय है? पावलॉव के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया को नियंत्रित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं?
- प्रश्न- अनुकूलित अनुक्रिया से आप क्या समझते हैं? इस सिद्धान्त का शिक्षा में प्रयोग बताइये।
- प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- स्किनर का सक्रिय अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त क्या है? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- स्किनर के सक्रिय अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पुनर्बलन का क्या अर्थ है? इसके प्रकार बताइये।
- प्रश्न- पुनर्बलन की सारणियाँ वर्गीकृत कीजिए।
- प्रश्न- सक्रिय अनुकूलित-अनुक्रिया. सिद्धान्त अथवा पुर्नबलन का शिक्षा में प्रयोग बताइये।
- प्रश्न- अधिगम के गेस्टाल्ट सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए और इस सिद्धान्त के सबल तथा दुर्बल पक्ष की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- समग्राकृति पूर्णकारवाद की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- कोहलर के प्रयोग की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- अन्तर्दृष्टि तथा सूझ के सिद्धान्त से सीखने की क्या विशेषताएँ हैं।
- प्रश्न- पूर्णकारवाद के नियम को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्दृष्टि को प्रभावित करने वाले कारक एवं शिक्षा में प्रयोग बताइये।'
- प्रश्न- अन्तर्दृष्टि सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- रॉबर्ट मिल्स गेग्ने का जीवन-परिचय दीजिए तथा इनके द्वारा बताये गये सिद्धान्त का सविस्तार वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गेग्ने के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गेग्ने के योगदान को संक्षेप में बताइये।
- प्रश्न- विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर अभिप्रेरणा का अर्थ स्पष्ट करते हुए अभिप्रेरणा के प्रकारों का वर्णन कीजिए।।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक कौन-से हैं? उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा का क्या महत्त्व है? अभिप्रेरणा के विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा के विभिन्न सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा का मूल प्रवृत्ति सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा का मूल मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा का उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धान्त को समझाइये |
- प्रश्न- शैक्षिक दृष्टि से अभिप्रेरणा का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- आवश्यकता चालन एवं उद्दीपन के सम्बन्ध की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कक्षा शिक्षण में पुरस्कार या प्रोत्साहन की क्या आवश्यकता है?
- प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण क्या है? अधिगम स्थानान्तरण के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण से क्या तात्पर्य है? अधिगम स्थानान्तरण को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण की दशाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अधिगमान्तरण के विभिन्न सिद्धान्तों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (अधिगम )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (अभिप्रेरणा )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (अधिगम का स्थानान्तरण )
- प्रश्न- विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर बुद्धि का अर्थ स्पष्ट करते हुये बुद्धि की प्रकृति या स्वरूप तथा उसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- बुद्धि की प्रकृति एवं स्वरूप का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि की विशेषताओं को समझाइये।
- प्रश्न- बुद्धि परीक्षा के विभिन्न प्रकार कौन-से हैं? वैयक्तिक व सामूहिक बुद्धि परीक्षा की तुलना कीजिये।
- प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शाब्दिक व अशाब्दिक तथा उपलब्धि परीक्षण को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- वाचिक अथवा अवाचिक वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण से क्या अभिप्राय है? उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- स्टैनफोर्ड बिने क्या है?
- प्रश्न- बर्ट द्वारा संशोधित बुद्धि परीक्षण को बताइये।
- प्रश्न- अवाचिक वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- वाचिक सामूहिक बुद्धि परीक्षण कौन-से हैं?
- प्रश्न- अवाचिक सामूहिक बुद्धि परीक्षणों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- बुद्धि के प्रमुख सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता से क्या तात्पर्य है? इसके स्वरूप तथा प्रकृति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सृजनात्मक की परिभाषाएँ बताइए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता के स्वरूप बताइए।
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- प्रश्न- सृजनात्मकता की परिभाषा दीजिए तथा सृजनात्मक छात्रों का पता लगाने की विधि स्पष्ट कीजिए।
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