बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य बी.एड. सेमेस्टर-1 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
0 5 पाठक हैं |
बी.एड. सेमेस्टर-1 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य
प्रश्न- किशोरावस्था में शिक्षा के स्वरूप की विस्तृत विवेचना कीजिए।
उत्तर -
किशोरावस्था में शिक्षा का स्वरूप
किशोरावस्था में शिक्षा के सम्बन्ध में हैडो रिपोर्ट में लिखा गया है- "ग्यारह या बारह वर्ष की आयु में बालक की नसों में ज्वार उठना शुरू हो जाता है। इसको किशोरावस्था के नाम से पुकारा जाता है। यदि इस ज्वार का बाढ़ के समय ही उपयोग कर लिया जाय एवं इसकी शक्ति और धारा के साथ- साथ नई यात्रा आरम्भ कर दी जाय, तो सफलता प्राप्त की जा सकती है।"
उपरिलिखित शब्दों से स्पष्ट हो जाता है कि किशोरावस्था आरम्भ होने के समय से ही शिक्षा कों एक निश्चित स्वरूप प्रदान किया जाना अनिवार्य है। इस शिक्षा का स्वरूप क्या होना चाहिए, इस पर हम प्रकाश डाल रहे हैं, यथा-
1. शारीरिक विकास के लिए शिक्षा - किशोरावस्था में शरीर में अनेक क्रान्तिकारी परिवर्तन होते हैं, जिनको उचित शिक्षा प्रदान करके शरीर को सबल और सुडौल बनाने का उत्तरदायित्व विद्यालय पर है। अतः उसे निम्नलिखित का आयोजन करना चाहिए 1. शारीरिक और स्वास्थ्य- शिक्षा, 2. विभिन्न प्रकार के शारीरिक व्यायाम, 3. सभी प्रकर के खेलकूद आदि।
2. मानसिक विकास के लिए शिक्षा - किशोर की मानसिक शक्तियों का सर्वोत्तम और अधिकतम विकास करने के लिए शिक्षा का स्वरूप उसकी रुचियों, रुझानों, दृष्टिकोणों और योग्यताओं के अनुरूप होना चाहिए। अतः उसकी शिक्षा में अग्रलिखित को स्थान दिया जाना चाहिए - 1. कला, विज्ञान, साहित्य, भूगोल, इतिहास आदि सामान्य विद्यालय विषय, 2. किशोर की जिज्ञासा को सन्तुष्ट करने और उसकी निरीक्षण शक्ति को प्रशिक्षित करने के लिए प्राकृतिक, ऐतिहासिक आदि स्थानों का भ्रमण, 3. उसकी रुचियों, कल्पनाओं और दिवास्वप्नों को साकार करने के लिए पर्यटन, वाद-विवाद, कविता, लेखन, साहित्यिक गोष्ठी आदि पाठ्यक्रम सहगामी क्रियायें।
3. संवेगात्मक विकास के लिए शिक्षा - किशोर अनेक प्रकार के संवेगों से संघर्ष करता है। इन संवेगों में से कुछ उत्तम और कुछ निकृष्ट होते हैं। अतः शिक्षा में इस प्रकार के विषयों और पाठ्यक्रम सहगामी क्रियाओं को स्थान दिया जाना चाहिए, जो निकृष्ट संवेगों का दमन या मार्गान्तरीकरण और उत्तम संवेगों का विकास करें। इस उद्देश्य से कला, विज्ञान, साहित्य, संगीत, सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि की सुन्दर व्यवस्था की जानी चाहिए।
4. सामाजिक सम्बन्धों की शिक्षा - किशोर अपने समूह को अत्यधिक महत्त्व देता है और उसमें आचार-व्यवहार की अनेक बातें सीखता है। अतः विद्यालय में ऐसे समूहों का संगठन किया जाना चाहिए, जिनकी सदस्यता ग्रहण करके किशोर उत्तम सामाजिक व्यवहार और सम्बन्धों के पाठ सीख सके। इस दिशा में सामूहिक क्रियाएँ, सामूहिक खेल और स्काउटिंग अत्यधिक उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं।
5. व्यक्तिगत विभिन्नताओं के अनुसार शिक्षा - किशोर में व्यक्तिगत विभिन्नताओं और आवश्यकताओं को सभी शिक्षाविद स्वीकार करते हैं। अतः विद्यालयों में विभिन्न पाठ्यक्रमों की व्यवस्था की जानी चाहिए जिससे किशोरों की व्यक्तिगत माँगों को पूर्ण किया जा सके। इस बात पर बल देते हुए माध्यमिक शिक्षा आयोग ने लिखा है- "हमारे माध्यमिक विद्यालयों को छात्रों की विभिन्न प्रवृत्तियों, रुचियों और योग्यताओं को पूर्ण करने के लिए विभिन्न शैक्षिक कार्यक्रमों की व्यवस्था करनी चाहिए।"
6. पूर्व-व्यावसायिक शिक्षा - किशोर अपने भावी जीवन में किसी-न-किसी व्यवसाय में प्रवेश करने की योजना बनाता है। पर वह यह नहीं जानता है कि कौन-सा व्यवसाय उसके लिए सबसे अधिक उपयुक्त होगा। उसे इस बात का ज्ञान प्रदान करने के लिए विद्यालय में कुछ व्यवसायों की प्रारम्भिक शिक्षा दी जानी चाहिए। इसी बात को ध्यान में रखकर हमारे देश के बहुद्देशीय विद्यालयों में व्यावसायिक विषयों की शिक्षा की व्यवस्था की गई है।
7. जीवन-दर्शन की शिक्षा - किशोर अपने जीवन-दर्शन का निर्माण करना चाहता है, पर उचित पथ-प्रदर्शन के अभाव में वह ऐसा करने में असमर्थ रहता है। इस कार्य का उत्तरदायित्व विद्यालय पर है। इसका समर्थन करते हुए ब्लेयर, जोन्स एवं सिम्पसन ने लिखा है "किशोर को हमारे जनतंत्रीय दर्शन के अनुरूप जीवन के प्रति दृष्टिकोणों का विकास करने में सहायता देने का महान् उत्तदायित्व विद्यालय पर है।"
8. धार्मिक व नैतिक शिक्षा - किशोर के मस्तिष्क में विरोधी विचारों में निरन्तर द्वन्द्व होता रहता है। फलस्वरूप, वह उचित व्यवहार के सम्बन्ध में किसी निश्चित निष्कर्ष पर नहीं पहुँच पाता है। अतः उसे उदार, धार्मिक और नैतिक शिक्षा दी जानी चाहिए ताकि वह उचित और अनुचित में अन्तर करके अपने व्यवहार को समाज के नैतिक मूल्यों के अनुकूल बना सके। इसीलिए कोठारी कमीशन ने हमारे माध्यमिक विद्यालयों में नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों की शिक्षा की सिफारिश की है।
9. यौन शिक्षा - किशोर बालकों और बालिकाओं की अधिकांश समस्याओं का सम्बन्ध उनकी काम प्रवृत्ति से होता है। अतः विद्यालय में यौन-शिक्षा की व्यवस्था होना अति आवश्यक है। इस शिक्षा की आवश्यकता और विधि पर अपना मत प्रकट करते हुए रॉस ने लिखा है कि- "यौन शिक्षा की परम आवश्यकता को कोई भी अस्वीकार नहीं कर सकता है। इस बात की आवश्यकता है कि किशोर को एक ऐसे वयस्क द्वारा गोपनीय शिक्षा दी जाय, जिस पर उसे पूर्ण विश्वास हो।".
10. बालकों व बालिकाओं के पाठ्यक्रम में विभिन्नता - बालकों और बालिकाओं के पाठ्यक्रमों में विभिन्नता होना अति आवश्यक है। इसका कारण बताते हुए बी. एन. झा ने लिखा है- "लिंग-भेद के कारण और इस विचार से कि बालकों और बालिकाओं को भावी जीवन में समाज में विभिन्न कार्य करने हैं, दोनों के पाठ्यक्रमों में विभिन्नता होनी चाहिए।"
11. उपयुक्त शिक्षण विधियों का प्रयोग - किशोर में स्वयं परीक्षण, निरीक्षण, विचार और तर्क करने की प्रवृत्ति होती है। अतः उसे शिक्षा देने के लिए परम्परागत विधियों का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। उसके लिए किस प्रकार की शिक्षण विधियाँ उपयुक्त हो सकती हैं, इस सम्बन्ध में रॉस का मत है - " विषयों का शिक्षण व्यावहारिक ढंग से किया जाना चाहिए और उसका दैनिक जीवन की बातों से प्रत्यक्ष सम्बन्ध स्थापित किया जाना चाहिए।"
12. किशोर को न तो बालक समझना चाहिए और न उसकेकिशोर के प्रति वयस्क का सा व्यवहार - प्रति बालक का सा व्यवहार किया जाना चाहिए। इसके विपरीत, उसके प्रति वयस्क का- सा व्यवहार किया जाना चाहिए। इसका कारण बताते हुए ब्लेयर, जोन्स एवं सिम्पसन ने लिखा है- "जिन किशोरों के प्रति वयस्क का-सा जितना ही अधिक व्यवहार किया जाता है, उतना ही अधिक वे वयस्कों का-सा व्यवहार करते हैं।"
13. किशोर के महत्त्व को मान्यता - किशोर में उचित महत्त्व और उचित स्थिति प्राप्त करने की प्रबल इच्छा होती है। उसकी इस इच्छा को पूर्ण करने के लिए उसे उत्तरदायित्व के कार्य दिये जाने चाहिए। इस उद्देश्य से सामाजिक क्रियाओं, छात्र-स्वशासन और युवक-गोष्ठियों का संगठन किया जाना चाहिए।
14. अपराध प्रवृत्ति पर अंकुश - किशोर में अपराध करने की प्रवृत्ति का मुख्य कारण है- निराशा। इस कारण को दूर करके उसकी अपराध प्रवृत्ति पर अंकुश लगाया जा सकता है। विद्यालय, उसको उसकी उपयोगिता का अनुभव कराके उसकी निराशा को कम कर सकता है और इस प्रकार उसकी अपराध प्रवृत्ति को कम कर सकता है।
15. किशोर-निर्देशन - स्किनर के शब्दों में "किशोर को निर्णय करने का कोई अनुभव नहीं होता है।" अतः वह स्वयं किसी बात का निर्णय नहीं कर पाता है और चाहता है कि कोई उसे इस कार्य में निर्देशन और परामर्श दे। यह उत्तरदायित्व उसके अध्यापकों और अभिभावकों को लेना चाहिए।
|
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ बताइये एवं इसकी प्रकृति को संक्षेप में स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान और शिक्षा के सम्बन्ध का विवेचन कीजिये और बताइये कि मनोविज्ञान ने शिक्षा सिद्धान्त और व्यवहार में किस प्रकार की क्रान्ति की है?
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान की भूमिका या महत्त्व बताइये।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। शिक्षक प्रशिक्षण में इसकी सम्बद्धता क्या है?
- प्रश्न- वृद्धि और विकास से आपका क्या अभिप्राय है? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धि और विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धि और विकास को परिभाषित करें तथा वृद्धि एवं विकास के महत्वपूर्ण सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास के प्रमुख तत्त्वों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- विकास से आपका क्या अभिप्राय है? बाल विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन- कौन-सी हैं? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास के अध्ययन के महत्त्व को समझाइये।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के प्रमुख उद्देश्यों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान एवं अधिगमकर्त्ता के सम्बन्ध की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- शैक्षिक सिद्धान्त व शैक्षिक प्रक्रिया के लिये शैक्षिक मनोविज्ञान का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के कार्यों को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान की विभिन्न परिभाषाओं को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- वृद्धि का अर्थ एवं प्रकृति स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृद्धि तथा विकास से क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विकास का क्या अर्थ है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धि तथा विकास के नियमों का शिक्षा में महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बालक के सम्बन्ध में विकास की अवधारणा क्या है? समझाइये |
- प्रश्न- विकास के सामान्य सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- अभिवृद्धि एवं विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-कौन सी हैं? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास में वंशानुक्रम का क्या योगदान है?
- प्रश्न- शैशवावस्था क्या है? इसकी प्रमुख विशेषतायें बताइये। इस अवस्था में शिक्षा किस प्रकार की होनी चाहिये।
- प्रश्न- शैशवावस्था की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- शैशवावस्था में शिशु को किस प्रकार की शिक्षा दी जानी चाहिये?
- प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है? बाल्यावस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बाल्यावस्था में शिक्षा का स्वरूप कैसा होना चाहिए? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'बाल्यावस्था के विकासात्मक कार्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था से आप क्या समझते हैं? किशोरावस्था के विकास के सिद्धान्त की. विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था की मुख्य विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था में शिक्षा के स्वरूप की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धान्तों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शैशवावस्था की प्रमुख समस्याएँ बताइए।
- प्रश्न- जीन पियाजे के विकास की अवस्थाओं के सिद्धांत को समझाइये |
- प्रश्न- कोहलर के प्रयोग की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैक्षिक मनोविज्ञान एवं मानव विकास)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (मानव वृद्धि एवं विकास )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (व्यक्तिगत भिन्नता )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैशवावस्था, बाल्यावस्था एवं किशोरावस्था )
- प्रश्न- सीखने की संकल्पना को समझाइए। 'सूझ' सीखने में किस प्रकार सहायता करती है?
- प्रश्न- अधिगम की प्रकृति को समझाइए।
- प्रश्न- सीखने की प्रक्रिया से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सूझ सीखने में किस प्रकार सहायता करती है?
- प्रश्न- 'प्रयत्न एवं त्रुटि' तथा 'सूझ' द्वारा सीखने में भेद कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक बताइए।
- प्रश्न- थार्नडाइक के सीखने के प्रयोग का उल्लेख कीजिए और बताइये कि इस प्रयोग द्वारा निकाले गये निष्कर्ष, शिक्षण कार्य को कहाँ तक सहायता पहुँचाते हैं?
- प्रश्न- थार्नडाइक के सीखने के सिद्धान्त के प्रयोग का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- थार्नडाइक के सीखने के सिद्धान्त का शिक्षा में उपयोग बताइये।
- प्रश्न- शिक्षण में प्रयत्न तथा भूल द्वारा सीखने के सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिये।
- प्रश्न- 'अनुबन्धन' से क्या अभिप्राय है? पावलॉव के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया को नियंत्रित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं?
- प्रश्न- अनुकूलित अनुक्रिया से आप क्या समझते हैं? इस सिद्धान्त का शिक्षा में प्रयोग बताइये।
- प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- स्किनर का सक्रिय अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त क्या है? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- स्किनर के सक्रिय अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पुनर्बलन का क्या अर्थ है? इसके प्रकार बताइये।
- प्रश्न- पुनर्बलन की सारणियाँ वर्गीकृत कीजिए।
- प्रश्न- सक्रिय अनुकूलित-अनुक्रिया. सिद्धान्त अथवा पुर्नबलन का शिक्षा में प्रयोग बताइये।
- प्रश्न- अधिगम के गेस्टाल्ट सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए और इस सिद्धान्त के सबल तथा दुर्बल पक्ष की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- समग्राकृति पूर्णकारवाद की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- कोहलर के प्रयोग की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- अन्तर्दृष्टि तथा सूझ के सिद्धान्त से सीखने की क्या विशेषताएँ हैं।
- प्रश्न- पूर्णकारवाद के नियम को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्दृष्टि को प्रभावित करने वाले कारक एवं शिक्षा में प्रयोग बताइये।'
- प्रश्न- अन्तर्दृष्टि सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- रॉबर्ट मिल्स गेग्ने का जीवन-परिचय दीजिए तथा इनके द्वारा बताये गये सिद्धान्त का सविस्तार वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गेग्ने के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गेग्ने के योगदान को संक्षेप में बताइये।
- प्रश्न- विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर अभिप्रेरणा का अर्थ स्पष्ट करते हुए अभिप्रेरणा के प्रकारों का वर्णन कीजिए।।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक कौन-से हैं? उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा का क्या महत्त्व है? अभिप्रेरणा के विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा के विभिन्न सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा का मूल प्रवृत्ति सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा का मूल मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा का उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धान्त को समझाइये |
- प्रश्न- शैक्षिक दृष्टि से अभिप्रेरणा का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- आवश्यकता चालन एवं उद्दीपन के सम्बन्ध की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कक्षा शिक्षण में पुरस्कार या प्रोत्साहन की क्या आवश्यकता है?
- प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण क्या है? अधिगम स्थानान्तरण के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण से क्या तात्पर्य है? अधिगम स्थानान्तरण को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण की दशाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अधिगमान्तरण के विभिन्न सिद्धान्तों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (अधिगम )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (अभिप्रेरणा )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (अधिगम का स्थानान्तरण )
- प्रश्न- विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर बुद्धि का अर्थ स्पष्ट करते हुये बुद्धि की प्रकृति या स्वरूप तथा उसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- बुद्धि की प्रकृति एवं स्वरूप का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि की विशेषताओं को समझाइये।
- प्रश्न- बुद्धि परीक्षा के विभिन्न प्रकार कौन-से हैं? वैयक्तिक व सामूहिक बुद्धि परीक्षा की तुलना कीजिये।
- प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शाब्दिक व अशाब्दिक तथा उपलब्धि परीक्षण को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- वाचिक अथवा अवाचिक वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण से क्या अभिप्राय है? उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- स्टैनफोर्ड बिने क्या है?
- प्रश्न- बर्ट द्वारा संशोधित बुद्धि परीक्षण को बताइये।
- प्रश्न- अवाचिक वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- वाचिक सामूहिक बुद्धि परीक्षण कौन-से हैं?
- प्रश्न- अवाचिक सामूहिक बुद्धि परीक्षणों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- बुद्धि के प्रमुख सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता से क्या तात्पर्य है? इसके स्वरूप तथा प्रकृति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सृजनात्मक की परिभाषाएँ बताइए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता के स्वरूप बताइए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता से आप क्या समझते हैं? अपने शिक्षण को अधिक सृजनशील बनाने हेतु आप क्या करेंगे? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता की परिभाषा दीजिए तथा सृजनात्मक छात्रों का पता लगाने की विधि स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता एवं समस्या समाधान पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कक्षा वातावरण किस प्रकार विद्यार्थियों की सृजनात्मकता के विकास को प्रभावित करता है? सृजनात्मकता को विकसित करने हेतु आप ब्रेनस्टार्मिंग का प्रयोग कैसे करेंगे?
- प्रश्न- गिलफोर्ड के त्रिआयामी बुद्धि सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समूह कारक या संघसत्तात्मक सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि के बहु-प्रकारीय सिद्धान्त की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (बुद्धि एवं सृजनात्मकता )
- प्रश्न- व्यक्तित्व क्या है? उनका निर्धारण कैसे होता है? व्यक्तित्व की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तित्व के लक्षणों की स्पष्ट व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक कौन-कौन हैं?
- प्रश्न- व्यक्तित्व के जैविक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तित्व के विभिन्न उपागमों या सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- समूह चर्चा से आपका क्या अभिप्राय है? समूह चर्चा के उद्देश्य एवं मान्यताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तित्व मूल्यांकन की प्रश्नावली विधि को समझाइए।
- प्रश्न- व्यक्तित्वं मूल्यांकन की अवलोकन विधि से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ बताइए तथा छात्रों की मानसिक अस्वस्थता के क्या कारण हैं? शिक्षक उन्हें दूर करने में उनकी सहायता कैसे कर सकता है?
- प्रश्न- बालकों के मानसिक अस्वस्थता के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- बालकों के मानसिक स्वास्थ्य में उन्नति के उपाय बताइये।
- प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के विचार को स्पष्ट कीजिए। विद्यालय की परिस्थितियाँ शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को किस प्रकार प्रभावित करती हैं?
- प्रश्न- विद्यालय की परिस्थितियाँ शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को किस प्रकार प्रभावित करती हैं?
- प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ स्पष्ट कीजिए। मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति में कौन-सी विशेषता होती है?
- प्रश्न- मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति में कौन-कौन-सी विशेषताएँ होती हैं?
- प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य के उपायों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौन-कौन से कारक मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं और शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा रखने के उपाय बताइए।
- प्रश्न- शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य के प्रमुख तत्व बताइये।
- प्रश्न- शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को उन्नत करने वाले प्रमुख कारक कौन-से हैं?
- प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य का महत्व बताइये।
- प्रश्न- बालक के मानसिक स्वास्थ्य के विकास में विद्यालय की क्या भूमिका होती है?
- प्रश्न- बालक के मानसिक स्वास्थ्य में उसके कुटम्ब का क्या योगदान है?-
- प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य के नियमों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मानसिक स्वच्छता क्या है?
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (व्यक्तित्व )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (मानसिक स्वास्थ्य)