बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य बी.एड. सेमेस्टर-1 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य
प्रश्न- किशोरावस्था की मुख्य विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
किशोरावस्था की मुख्य विशेषताएँ
किशोरावस्था को दबाव, तनाव एवं तूफान की अवस्था माना गया है। इस अवस्था की विशेषताओं को एक शब्द 'परिवर्तन' में व्यक्त किया जा सकता है।
विग व हण्ट के शब्दों में - "किशोरावस्था की विशेषताओं को सर्वोत्तम रूप से व्यक्त करने वाला एक शब्द है- 'परिवर्तन' परिवर्तन शारीरिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक होता है।"
जिन परिवर्तनों की ओर ऊपर संकेत किया गया है, उनसे सम्बन्धित विशेषताएं निम्नांकित हैं-
1. शारीरिक विकास - किशोरावस्था को शारीरिक विकास का सर्वश्रेष्ठ काल माना जाता है। इस काल में किशोर के शरीर में अनेक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं, जैसे- भार और लम्बाई में तीव्र वृद्धि, माँसपेशियों और शारीरिक ढाँचे में दृढ़ता, किशोर में दाढ़ी और मूँछ की रोमावलियों एवं किशोरियों में प्रथम मासिक स्राव के दर्शन। कोलेसनिक का कथन है- "किशोरों और किशोरियों दोनों को अपने शरीर और स्वास्थ्य की विशेष चिन्ता रहती है। किशोरों के लिए सबल, स्वस्थ और उत्साही * बनना एवं किशोरियों के लिए अपनी आकृति को नारी जातीय आकर्षण प्रदान करना महत्त्वपूर्ण होता है।"
2. मानसिक विकास - किशोर के मस्तिष्क का लगभग सभी दिशाओं में विकास होता है। उसमें विशेष रूप से अग्रलिखित मानसिक गुण पाये जाते हैं कल्पना और दिवास्वप्नों की बहुलता, बुद्धि का अधिकतम विकास, सोचने-समझने और तर्क करने की शक्ति में वृद्धि, विरोधी मानसिक दशायें। कोलेसनिक के शब्दों में- "किशोर की मानसिक जिज्ञासा का विकास होता है। अतः वह सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक और अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं में रुचि लेने लगता है। वह इन समस्याओं के सम्बन्ध में अपने विचारों का निर्माण भी करता है।"
3. घनिष्ठ व व्यक्तिगत मित्रता - किसी समूह का सदस्य होते हुए भी किशोर केवल एक या दो बालकों से घनिष्ठ सम्बन्ध रखता है, जो उसके परम मित्र होते हैं और जिनसे वह अपनी समस्याओं के बारे में स्पष्ट रूप से बातचीत करता है। वेलेनटीन का कथन है- "घनिष्ठ और व्यक्तिगत मित्रता उत्तर - किशोरावस्था की विशेषता है।"
4. व्यवहार में विभिन्नता - किशोर में आवेगों और संवेगों की बहुत प्रबलता होती है। यही कारण है कि वह विभिन्न अवसरों पर विभिन्न प्रकार का व्यवहार करता है, उदाहरणार्थ, किसी समय वह अत्यधिक क्रियाशील होता है और किसी समय अत्यधिक काहिल, किसी परिस्थिति में साधारण रूप से उत्साहपूर्ण और किसी में असाधारण रूप से उत्साहहीन। बी.एन. झा ने लिखा है- "हमारे सबके संवेगात्मक व्यवहार में कुछ विरोध होता है, पर किशोरावस्था में यह व्यवहार विशेष रूप से स्पष्ट होता है।"
5. स्थिरता व समायोजन का अभाव - रॉस ने किशोरावस्था को शैशवावस्था का पुनरावर्तन कहा है, क्योंकि किशोर बहुत-कुछ शिशु के समान होता है। उसकी बाल्यावस्था की स्थिरता समाप्त हो जाती है और वह एक बार फिर शिशु के समान अस्थिर हो जाता है। उसके व्यवहार में इतनी उद्विग्नता आ जाती है और वह शिशु के समान अन्य व्यक्तियों और अपने वातावरण से समायोजन नहीं कर पाता है। अतः रॉस का मत है- "शिशु के समान किशोर को अपने वातावरण से समायोजन करने का कार्य फिर आरम्भ करना पड़ता है।"
6. स्वतन्त्रता व विद्रोह की भावना - किशोर में शारीरिक और मानसिक स्वतन्त्रता की प्रबल भावना होती है। वह बड़ों के आदेशों, विभिन्न परम्पराओं, रीति-रिवाजों और अन्धविश्वासों के बन्धनों में न बँधकर स्वतन्त्र जीवन व्यतीत करना चाहता है। अतः यदि उस पर किसी प्रकार का प्रतिबन्ध लगाया जाता है, तो उसमें विद्रोह की ज्वाला फूट पड़ती है। कोलेसनिक का कथन है- "किशोर, प्रौढ़ों को अपने मार्ग में बाधा समझता है, जो उसे उसकी स्वतन्त्रता का लक्ष्य प्राप्त करने से रोकते हैं।"
7. काम-शक्ति की परिपक्वता - कामेन्द्रियों की परिपक्वता और काम शक्ति का विकास किशोरावस्था की सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषताओं में से एक है। इस अवस्था के पूर्व-काल में बालकों और बालिकाओं में समान लिंगों के प्रति आकर्षण होता है। इस अवस्था के उत्तरकाल में यह आकर्षण विषम लिंगों के प्रति प्रबल रुचि का रूप धारण कर लेता है। फलस्वरूप, कुछ किशोर और किशोरियाँ लिंगीय सम्भोग का आनन्द लेते हैं। गेट्स एवं अन्य का मत है- "लगभग 40% बालकों को एक या इससे अधिक बार का विषमलिंगीय अनुभव होता है।"
8. समूह को महत्त्व - किशोर जिस समूह का सदस्य होता है उसको वह अपने परिवार और विद्यालय से अधिक महत्त्वपूर्ण समझता है। यदि उसके माता-पिता और समूह के दृष्टिकोणों में अन्तर होता है, तो वह समूह के ही दृष्टिकोणों को श्रेष्ठतर समझता है और उन्हीं के अनुसार अपने व्यवहार, रुचियों, इच्छाओं आदि में परिवर्तन करता है। बिग एवं हण्ट के अनुसार "जिन समूहों से किशोरों का सम्बन्ध होता है, उनसे उनके लगभग सभी कार्य प्रभावित होते हैं। समूह उनकी भाषा, नैतिक मूल्यों, वस्त्र, पहनने की आदतों और भोजन की विधियों को प्रभावित करते हैं।"
9. रुचियों में परिवर्तन एवं स्थिरता - के.के. स्ट्रांग के अध्ययनों ने सिद्ध कर दिया है कि 15 वर्ष की आयु तक किशोरों की रुचियों में निरन्तर परिवर्तन होता रहता है पर उसके बाद उनकी रुचियों में स्थिरता आ जाती है। वेलेनटाइन के अनुसार किशोर बालकों और बालिकाओं की रुचियों में समानता भी होती है और विभिन्नता भी उदाहरणार्थ बालकों और बालिकाओं में अग्रांकित रुचियाँ होती हैं- पत्र-पत्रिकायें, कहानियों, नाटक और उपन्यास पढ़ना, सिनेमा देखना, रेडियो सुनना, शरीर को अलंकृत करना, विषम लिंगी से प्रेम करना आदि। बालकों को खेल-कूद और व्यायाम में विशेष रुचि होती है। उनके विपरीत बालिकाओं में कढ़ाई-बुनाई, नृत्य और संगीत के प्रति विशेष आकर्षण होता है।
10. समाज सेवा की भावना - किशोर में समाज सेवा की अति तीव्र भावना होती है। इस सम्बन्ध में रॉस के ये शब्द उल्लेखनीय हैं- "किशोर समाज-सेवा के आदर्शों का निर्माण और पोषण करता है। उसका उदार हृदय मानव-जाति के प्रेम से ओतप्रोत होता है और वह आदर्श समाज का निर्माण करने में सहायता देने के लिए उद्विग्न रहता है।"
11. ईश्वर व धर्म में विश्वास - किशोरावस्था के आरम्भ में बालकों को धर्म और ईश्वर में आस्था नहीं होती है। इनके सम्बन्ध में उनमें इतनी शंकायें उत्पन्न होती हैं कि वे उनका समाधान नहीं कर पाते हैं। पर धीरे-धीरे उनमें धर्म में विश्वास उत्पन्न हो जाता है और वे ईश्वर की सत्ता को स्वीकार करने लगते हैं।
12. जीवन-दर्शन का निर्माण - किशोरावस्था से पूर्व बालक अच्छी और बुरी, सत्य और असत्य, नैतिक और अनैतिक बातों के बारे में नाना प्रकार के प्रश्न पूछता है। किशोर होने पर वह स्वयं इन बातों पर विचार करने लगता है और फलस्वरूप अपने जीवन-दर्शन का निर्माण करता है। वह ऐसे सिद्धान्तों का निर्माण करना चाहता है, जिनकी सहायता से वह अपने जीवन में कुछ बातों का निर्णय कर सके। इसे इस कार्य में सहायता देने के उद्देश्य से ही आधुनिक युग में युवक आन्दोलनों का संगठन किया जाता है।
13. अपराध प्रवृत्ति का विकास - किशोरावस्था में बालक में अपने जीवन-दर्शन, नये अनुभवों की इच्छा, निराशा, असफलता, प्रेम के अभाव आदि के कारण अपराध प्रवृत्ति का विकास होता है। वैलेनटीन का विचार है- "किशोरावस्था, अपराध प्रवृत्ति के विकास का नाजुक समय है। पक्के अपराधियों की एक विशाल संख्या किशोरावस्था में ही अपने व्यावसायिक जीवन को गम्भीरतापूर्वक आरम्भ करती है।"
14. स्थिता व महत्त्व की अभिलाषा - किशोर में महत्त्वपूर्ण व्यक्ति बनने और प्रौढ़ों के समान निश्चित स्थिति प्राप्त करने की अत्यधिक अभिलाषा होती है। ब्लेयर, जोन्स एवं सिम्पसन के शब्दों में- "किशोर महत्त्वपूर्ण बनना, अपने समूह में स्थिति प्राप्त करना और श्रेष्ठ व्यक्ति के रूप में स्वीकार किया जाना चाहता है।"
15. व्यवसाय का चुनाव - किशोरावस्था में बालक अपने भावी व्यवसाय को चुनने के लिए चिन्तित रहता है। इस सम्बन्ध में स्ट्रेंग का कथन है- "जब छात्र हाईस्कूल में होता है, तब वह किसी व्यवसाय को चुनने, उसके लिए तैयारी करने, उसमें प्रवेश करने और उसमें उन्नति करने के लिए अधिक-से-अधिक चिन्तित होता जाता है।"
इस प्रकार हम देखते हैं कि किशोरावस्था में बालक में अनेक नवीन विशेषताओं के दर्शन होते हैं। इनके सम्बन्ध में स्टैनले हॉल ने लिखा है- "किशोरावस्था एक नया जन्म है, क्योंकि इसी में उच्चतर और श्रेष्ठतर मानव-विशेषताओं के दर्शन होते हैं।"
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- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ बताइये एवं इसकी प्रकृति को संक्षेप में स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान और शिक्षा के सम्बन्ध का विवेचन कीजिये और बताइये कि मनोविज्ञान ने शिक्षा सिद्धान्त और व्यवहार में किस प्रकार की क्रान्ति की है?
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान की भूमिका या महत्त्व बताइये।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। शिक्षक प्रशिक्षण में इसकी सम्बद्धता क्या है?
- प्रश्न- वृद्धि और विकास से आपका क्या अभिप्राय है? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धि और विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धि और विकास को परिभाषित करें तथा वृद्धि एवं विकास के महत्वपूर्ण सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास के प्रमुख तत्त्वों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- विकास से आपका क्या अभिप्राय है? बाल विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन- कौन-सी हैं? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास के अध्ययन के महत्त्व को समझाइये।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के प्रमुख उद्देश्यों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान एवं अधिगमकर्त्ता के सम्बन्ध की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- शैक्षिक सिद्धान्त व शैक्षिक प्रक्रिया के लिये शैक्षिक मनोविज्ञान का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के कार्यों को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान की विभिन्न परिभाषाओं को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- वृद्धि का अर्थ एवं प्रकृति स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृद्धि तथा विकास से क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विकास का क्या अर्थ है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धि तथा विकास के नियमों का शिक्षा में महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बालक के सम्बन्ध में विकास की अवधारणा क्या है? समझाइये |
- प्रश्न- विकास के सामान्य सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- अभिवृद्धि एवं विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-कौन सी हैं? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास में वंशानुक्रम का क्या योगदान है?
- प्रश्न- शैशवावस्था क्या है? इसकी प्रमुख विशेषतायें बताइये। इस अवस्था में शिक्षा किस प्रकार की होनी चाहिये।
- प्रश्न- शैशवावस्था की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- शैशवावस्था में शिशु को किस प्रकार की शिक्षा दी जानी चाहिये?
- प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है? बाल्यावस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बाल्यावस्था में शिक्षा का स्वरूप कैसा होना चाहिए? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'बाल्यावस्था के विकासात्मक कार्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था से आप क्या समझते हैं? किशोरावस्था के विकास के सिद्धान्त की. विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था की मुख्य विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था में शिक्षा के स्वरूप की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धान्तों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शैशवावस्था की प्रमुख समस्याएँ बताइए।
- प्रश्न- जीन पियाजे के विकास की अवस्थाओं के सिद्धांत को समझाइये |
- प्रश्न- कोहलर के प्रयोग की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैक्षिक मनोविज्ञान एवं मानव विकास)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (मानव वृद्धि एवं विकास )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (व्यक्तिगत भिन्नता )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैशवावस्था, बाल्यावस्था एवं किशोरावस्था )
- प्रश्न- सीखने की संकल्पना को समझाइए। 'सूझ' सीखने में किस प्रकार सहायता करती है?
- प्रश्न- अधिगम की प्रकृति को समझाइए।
- प्रश्न- सीखने की प्रक्रिया से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सूझ सीखने में किस प्रकार सहायता करती है?
- प्रश्न- 'प्रयत्न एवं त्रुटि' तथा 'सूझ' द्वारा सीखने में भेद कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक बताइए।
- प्रश्न- थार्नडाइक के सीखने के प्रयोग का उल्लेख कीजिए और बताइये कि इस प्रयोग द्वारा निकाले गये निष्कर्ष, शिक्षण कार्य को कहाँ तक सहायता पहुँचाते हैं?
- प्रश्न- थार्नडाइक के सीखने के सिद्धान्त के प्रयोग का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- थार्नडाइक के सीखने के सिद्धान्त का शिक्षा में उपयोग बताइये।
- प्रश्न- शिक्षण में प्रयत्न तथा भूल द्वारा सीखने के सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिये।
- प्रश्न- 'अनुबन्धन' से क्या अभिप्राय है? पावलॉव के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया को नियंत्रित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं?
- प्रश्न- अनुकूलित अनुक्रिया से आप क्या समझते हैं? इस सिद्धान्त का शिक्षा में प्रयोग बताइये।
- प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- स्किनर का सक्रिय अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त क्या है? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- स्किनर के सक्रिय अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पुनर्बलन का क्या अर्थ है? इसके प्रकार बताइये।
- प्रश्न- पुनर्बलन की सारणियाँ वर्गीकृत कीजिए।
- प्रश्न- सक्रिय अनुकूलित-अनुक्रिया. सिद्धान्त अथवा पुर्नबलन का शिक्षा में प्रयोग बताइये।
- प्रश्न- अधिगम के गेस्टाल्ट सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए और इस सिद्धान्त के सबल तथा दुर्बल पक्ष की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- समग्राकृति पूर्णकारवाद की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- कोहलर के प्रयोग की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- अन्तर्दृष्टि तथा सूझ के सिद्धान्त से सीखने की क्या विशेषताएँ हैं।
- प्रश्न- पूर्णकारवाद के नियम को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्दृष्टि को प्रभावित करने वाले कारक एवं शिक्षा में प्रयोग बताइये।'
- प्रश्न- अन्तर्दृष्टि सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- रॉबर्ट मिल्स गेग्ने का जीवन-परिचय दीजिए तथा इनके द्वारा बताये गये सिद्धान्त का सविस्तार वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गेग्ने के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गेग्ने के योगदान को संक्षेप में बताइये।
- प्रश्न- विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर अभिप्रेरणा का अर्थ स्पष्ट करते हुए अभिप्रेरणा के प्रकारों का वर्णन कीजिए।।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक कौन-से हैं? उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा का क्या महत्त्व है? अभिप्रेरणा के विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा के विभिन्न सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा का मूल प्रवृत्ति सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा का मूल मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा का उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धान्त को समझाइये |
- प्रश्न- शैक्षिक दृष्टि से अभिप्रेरणा का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- आवश्यकता चालन एवं उद्दीपन के सम्बन्ध की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कक्षा शिक्षण में पुरस्कार या प्रोत्साहन की क्या आवश्यकता है?
- प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण क्या है? अधिगम स्थानान्तरण के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण से क्या तात्पर्य है? अधिगम स्थानान्तरण को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण की दशाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अधिगमान्तरण के विभिन्न सिद्धान्तों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (अधिगम )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (अभिप्रेरणा )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (अधिगम का स्थानान्तरण )
- प्रश्न- विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर बुद्धि का अर्थ स्पष्ट करते हुये बुद्धि की प्रकृति या स्वरूप तथा उसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- बुद्धि की प्रकृति एवं स्वरूप का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि की विशेषताओं को समझाइये।
- प्रश्न- बुद्धि परीक्षा के विभिन्न प्रकार कौन-से हैं? वैयक्तिक व सामूहिक बुद्धि परीक्षा की तुलना कीजिये।
- प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शाब्दिक व अशाब्दिक तथा उपलब्धि परीक्षण को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- वाचिक अथवा अवाचिक वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण से क्या अभिप्राय है? उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- स्टैनफोर्ड बिने क्या है?
- प्रश्न- बर्ट द्वारा संशोधित बुद्धि परीक्षण को बताइये।
- प्रश्न- अवाचिक वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण के प्रकार बताइये।
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- प्रश्न- अवाचिक सामूहिक बुद्धि परीक्षणों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- बुद्धि के प्रमुख सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
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- प्रश्न- शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को उन्नत करने वाले प्रमुख कारक कौन-से हैं?
- प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य का महत्व बताइये।
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- प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य के नियमों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मानसिक स्वच्छता क्या है?
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (व्यक्तित्व )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (मानसिक स्वास्थ्य)