बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 द्वितीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के सामाजिक परिप्रेक्ष्य बी.एड. सेमेस्टर-1 द्वितीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के सामाजिक परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 द्वितीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के सामाजिक परिप्रेक्ष्य
प्रश्न- जनतंत्र की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए। जनतंत्र पर शिक्षा के प्रभाव की विवेचना कीजिए।
उत्तर -
जनतंत्र की प्रमुख विशेषताएँ अथवा गुण
(1) सभी के हितों की रक्षा - प्रजातन्त्र सरकार जनता की, जनता द्वारा तथा जनता के लिए होती है। इसमें सभी की उन्नति का ध्यान रखा जाता है, किसी वर्ग विशेष का नहीं। संसद में सभी वर्गों के व्यक्ति पहुँचते हैं, इसलिए सभी के हितों का ध्यान रखकर कानून बनाए जाते हैं जो जनहित का ध्यान नहीं रखते, उन्हें जनता अगले निर्वाचन में पद से हटा देती है।
(2) सभी को विकास का समान अवसर - प्रजातन्त्र सभी को अपनी योग्यता को प्रदर्शित करने तथा विकास करने का अवसर प्रदान करता है। सभी को मतदान, निर्वाचित होने तथा पद ग्रहण का अधिकार होता है। कोई भी व्यक्ति चुनाव जीतकर तथा मन्त्री पद ग्रहण पर अपनी प्रतिभा का परिचय दे सकता है।
(3) स्वतन्त्रता की रक्षा - प्रजातन्त्र नागरिकों की स्वतन्त्रता की रक्षा करता है। अन्य सरकारों, जैसे- राजतन्त्र, तानाशाही, आदि में जनता की स्वतन्त्रता खतरे में रहती है। प्रजातन्त्र सरकार जनमत के अनुसार चलती है और चुनावों से बनती है। इसलिए वह निरंकुश नहीं बन सकती।
(4) उन्नति के समान अवसर - प्रजातन्त्र सबको उन्नति के समान अवसर प्रदान करता है। सबको समान रूप से राजनीतिक, सामाजिक व आर्थिक अधिकार प्रदान किए जाते हैं। सभी कानून की दृष्टि में समान समझे जाते हैं।
(5) नैतिक गुणों का विकास - प्रजातन्त्र नागरिकों में नैतिक गुणों का विकास करता है। व्यापक दृष्टिकोण, सहयोग, सहिष्णुता आदि गुणों का विकास होता है तथा जनता की उदासीनता समाप्त होती है। नागरिकों में आत्म-सम्मान की भावना पैदा होती है। व्यक्तियों में स्वयं शासन संचालन का भाव पैदा होता है।
(6) जन-कल्याण में वृद्धि - प्रजातन्त्र सबसे कल्याण की कामना करता है, क्योंकि यह जनता का शासन है। शासनकर्त्ता जनता के प्रतिनिधि होते हैं। इसीलिए वे जनहित को ध्यान में रखकर शासन करते हैं। शासन जनता की इच्छाओं के प्रति सजग रहता है।
(7) जनमत पर आधारित - प्रजातन्त्र जनमत पर आधारित शासन है, व्यवस्थापिका जनमत का दर्पण होता है और सदैव जनता की इच्छा तथा भावना का ध्यान रखती है। शासन जनता के प्रति उत्तरदायी है। नागरिकों को जनमत व्यक्त करने की पूरी सुविधा होती है।
(8) आत्म-निर्भरता तथा स्वावलम्बन - प्रजातन्त्र में नागरिकों में आत्म-निर्भरता और स्वावलम्बन का भाव आता है। सभी को अपने विकास के पूर्ण अवसर मिलते हैं और सभी राजनीतिक अधिकार रखते हैं।
(9) उत्तरदायी शासन - प्रजातन्त्र में सरकार जनता के प्रतिनिधियों के प्रति और अन्तिम रूप से जनता के प्रति उत्तरदायी होती है।
(10) राजनीतिक जागृति - प्रजातन्त्र से राजनीति जागृति आती है क्योंकि इस अवस्था में स्थानीय तथा केन्द्रीय संस्थाओं के चुनाव होते हैं जिनमें जनता भाग लेती है। राजनीतिक दल राजनीतिक जागृति में सहायता देते हैं। ये प्रचार, सभा, भाषण और समाचार-पत्र निकालकर जनता को जागरूक बनाते हैं।
(11) क्रान्ति का भय नहीं रहता - प्रजातन्त्र क्रान्ति को समाप्त करता है। जनता को शासन में भागीदार होने का अवसर देता है तथा चुनाव द्वारा सरकार को बदला जा सकता है।
(12) राजनीतिक शिक्षा - प्रजातन्त्र राजनीतिक शिक्षा का अच्छा माध्यम है। इससे जनता जागृत होती है, नए विचार आते हैं और जनता प्रशासन का संचालन सीख जाती है।
(13) राष्ट्रीय चरित्र का उत्थान - प्रजातन्त्र से एक श्रेष्ठ राष्ट्रीय चरित्र उत्पन्न होता है। इसमें स्वाभिमान, आत्म-सम्मान और देश-प्रेम की भावना जागृत होती है। इससे राष्ट्रीय चरित्र विकसित होता है। जब जनता समझाती है कि सरकार उसी की है, तब देश-प्रेम का भाव जागृत होता है।
लोकतंत्र पर शिक्षा के प्रभाव
लोकतंत्र पर शिक्षा के निम्नवत् प्रभाव होते हैं -
(1) लोकतंत्र जीवन की एक विधि है और शिक्षा मनुष्य को जीवन की विधि में प्रशिक्षित करने का साधन। अत: इनमें साध्य व साधन का सम्बन्ध है। हम जानते हैं कि साध्य और साधन एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं। साध्य की दृष्टि से साधन जुटाया जाता है और साधन के आधार पर साध्य का स्वरूप निश्चित होता है।
(2) लोकतंत्र की प्राप्ति के लिये हमें एक विशेष प्रकार की शिक्षा की आवश्यकता होती है।
(3) इस शिक्षा का स्वरूप निश्चित करने में हम कितना अधिक सफल हुए हैं, यह इस बात से ही पता चल सकता है कि हमने उसके द्वारा मनुष्य को लोकतान्त्रीय जीवन में किस सीमा तक प्रशिक्षित किया है। यह मूल्यांकन करने के बाद हम शिक्षा के स्वरूप में परिवर्तन करते हैं।
(4) इस प्रकार लोकतंत्र शिक्षा के स्वरूप को और शिक्षा लोकतंत्र के स्वरूप को निरन्तर प्रभावित करते रहते हैं।
(5) यूँ तो किसी भी व्यवहार अथवा विचार के प्रचार एवं प्रसार के लिये शिक्षा की आवश्यकता होती है परन्तु लोकतंत्र की सफलता तो पूर्णरूपेण शिक्षा पर निर्भर करती है।
(6) शासन की अन्य प्रणालियों में बाह्य नियंत्रण होता है जिसके भय से मनुष्य एक विशेष प्रकार का व्यवहार करने लगते हैं परन्तु लोकतंत्र में मनुष्य स्वयं से शासित होता है। अतः उसके स्वयं के विचारों को उचित दिशा देना पहली आवश्यकता होती है। यह कार्य उचित शिक्षा के द्वारा ही किया जा सकता है।
(7) शिक्षा के अभाव में न तो मनुष्य अपने अधिकारों से परिचित हो सकते हैं और न कर्त्तव्यों से।
(8) उनमें विचार करने एवं सत्य-असत्य में भेद करने की शक्ति का विकास भी नहीं किया जा सकता। तब वे देश के जागरूक नागरिक कैसे बन सकते हैं।
(9) अशिक्षित लोग अपने मताधिकार का सही प्रयोग नहीं कर पाते और परिणाम यह होता है कि ऐसे देशों में उचित सरकार का निर्माण नहीं हो पाता।
(10) अशिक्षित मनुष्यों में प्रायः हीन भावना भर जाती है, वे आगे आ ही नहीं पाते। तब सामाजिक क्षेत्र में भी लोकतन्त्र सफल नहीं हो सकता।
(11) शिक्षा के अभाव में व्यावसायिक कुशलता का विकास भी नहीं किया जा सकता। तब अमीर और गरीब के बीच की खाई कैसे पाटी जा सकती है। यह कहना गलत न होगा कि शिक्षा के अभाव में आर्थिक क्षेत्र में भी लोकतन्त्र नहीं पनप सकता।
(12) शिक्षा ही हममें धार्मिक एवं सांस्कृतिक सहिष्णुता का विकास कर सकती है। उसके अभाव में इन क्षेत्रों में भी लोकतन्त्र का प्रवेश असम्भव होता है। इस प्रकार लोकतन्त्र के लिये शिक्षा बहुत आवश्यक है। शिक्षा लोकतन्त्र की रीढ़ की हड्डी है।
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- प्रश्न- समाजशास्त्र का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- समाजशास्त्र को जन्म देने वाली प्रवृत्तियाँ कौन-कौन-सी हैं?
- प्रश्न- शाब्दिक दृष्टि से समाजशास्त्र का अर्थ बताइये।
- प्रश्न- पारिभाषिक दृष्टि से समाजशास्त्र का अर्थ समझाइये |
- प्रश्न- समाजशास्त्र की वास्तविक प्रकृति स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय समाज के आधुनिक स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- बालक पर भारतीय समाज के विभिन्न प्रभावों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
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- प्रश्न- शान्तिपूर्ण व सामूहिक जीवन हेतु विभिन्नता में एकता की स्थापना करने वाले घटकों का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता का अर्थ स्पष्ट करते हुए धर्मनिरपेक्षता की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
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- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता के कारण भारतीय समाज में क्या परिवर्तन हुए?
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्ष शिक्षा की विशेषताओं एवं इसके विकास में विद्यालय की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता के विकास में विद्यालय की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन से आप क्या समझते हैं? इसकी प्रक्रिया, रूप एवं प्रमुख कारकों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के रूप बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन और शिक्षा के पारस्परिक सम्बन्धों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास का क्या अर्थ है? आर्थिक विकास के साधन के रूप में शिक्षा के योगदान को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- संस्कृति से आप क्या समझते हैं? संस्कृति की आवश्यकता एवं महत्त्व पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तनों तथा शिक्षा के पारस्परिक सम्बन्धों को समझाइए।
- प्रश्न- "शिक्षा एक सामाजिक एवं गत्यात्मक प्रक्रिया है। " इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा का समाजशास्त्रीय सम्प्रत्यय स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा प्रक्रिया की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक परिवर्तन से क्या तात्पर्य है? सांस्कृतिक परिवर्तन लाने में शिक्षा की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- समाजशास्त्र और शिक्षाशास्त्र में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- समाजशास्त्र और शिक्षाशास्त्र में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्ति और समाज के मध्य सम्बन्धों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- वर्तमान समाज में परिवार का स्वरूप बदल गया है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय सामाजिक व्यवस्था में असमानताओं को दूर करने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए।
- प्रश्न- सामाजीकरण में परिवार का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- सामाजिक व्यवस्था की मुख्य विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में बाधा उत्पन्न करने वाले प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में शिक्षा की भूमिका पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- भारतीय सांस्कृतिक धरोहर की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विरासत से आप क्या समझते हैं? यह शिक्षा से किस प्रकार सम्बन्धित है?
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- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- भारत में सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक परिवर्तन के सांस्कृतिक कारक का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा सांस्कृतिक परिवर्तन कैसे लाती है?
- प्रश्न- शिक्षा के सामाजिक आधार से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (समाजशास्त्र और शिक्षा का सम्बन्ध)
- प्रश्न- संविधान की परिभाषा दीजिये। संविधान की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- भारतीय संविधान की अवधारणा बताइए। भारतीय संविधान के अन्तर्गत मौलिक अधिकारों एवं कर्त्तव्यों का वर्णन कीजिये।
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- प्रश्न- भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों के उल्लेख की आवश्यकता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मौलिक कर्त्तव्य कौन-कौन से हैं? इनके महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नागरिकों के मूल कर्त्तव्यों की प्रकृति तथा उनके महत्व का उल्लेख कीजिए।
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- प्रश्न- "आधुनिक शिक्षा में लोकतांत्रिक प्रवृष्टि दृष्टिगोचर होती है।' स्पष्ट कीजिए तथा लोकतांत्रिक समाज में विद्यालयों की भूमिका पर भी प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जनतंत्र केवल प्रशासन की एक विधि ही नहीं है वरन् यह एक सामाजिक प्रणाली भी है। व्याख्या कीजिए |
- प्रश्न- भारत जैसे लोकतन्त्रीय राष्ट्र में शिक्षा के उद्देश्य किस प्रकार के होने चाहिए?
- प्रश्न- शिक्षा का लोकतन्त्रीकरण क्या है? स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- जनतंत्र की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए। जनतंत्र पर शिक्षा के प्रभाव की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा में जनतन्त्र से आप क्या समझते हैं? सोदाहरण पूर्णतः स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय में प्रजातन्त्र से आप क्या समझते हैं? विद्यालय में प्रजातान्त्रिक वातावरण बनाए रखने के लिए आप क्या प्रयास करेंगे?
- प्रश्न- लोकतंत्र और शिक्षा के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोकतंत्र और अनुशासन में सम्बन्ध बताइए।
- प्रश्न- लोकतंत्र और शिक्षक एवं शिक्षार्थी में सम्बन्ध बताइए।
- प्रश्न- लोकतंत्र में विद्यालयों की क्या भूमिका होती है?
- प्रश्न- लोकतंत्र में शिक्षा का अन्य पहलू क्या है?
- प्रश्न- लोकतंत्र के लिए शिक्षा की क्या आवश्यकता है?
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारत का संविधान )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शिक्षा एवं प्रजातंत्र )
- प्रश्न- शैक्षिक अवसरों की समानता से आप क्या समझते हैं? समानता के क्षेत्र एवं भारत में यह कहाँ तक उपलब्ध है?
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- प्रश्न- अल्पसंख्यक की अवधारणा बताइये। अल्पसंख्यकों की शिक्षा के लिये किये गये प्रयासों का वर्णन कीजिये।
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- प्रश्न- भाषायी विविधता के संदर्भ में अध्यापक से क्या अपेक्षाएँ होती हैं?
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- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय अवबोध के लिए शिक्षा का सिद्धान्त आवश्यक है समझाइये |
- प्रश्न- पाठ्यक्रम और शिक्षा विधि की समीक्षा कीजिए।
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- प्रश्न- कोठारी आयोग के द्वारा प्रवेश शिक्षा के अवसर व समानता व इससे सम्बन्धित सुझाव बताइए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 में शिक्षा की असमानता को दूर करने के लिए क्या कदम उठाए गए?
- प्रश्न- शैक्षिक अवसरों की समानता से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय आयोग के शैक्षिक अवसरों की समानता सम्बन्धी सुझावों को बताइए।
- प्रश्न- स्त्री शिक्षा के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- भारत में शैक्षिक अवसरों की असमानता के विभिन्न स्वरूपों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संविधान में अल्पसंख्यकों की सुविधाओं के लिये क्या प्रावधान किये गये हैं?
- प्रश्न- शिक्षा आयोग (1964-66) द्वारा शैक्षिक अवसरों की समानता के लिये दिये गये सुझाव क्या हैं?
- प्रश्न- शैक्षिक अवसरों की समानता में शिक्षक की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- शिक्षा के सार्वभौमीकरण में बाधक 'शैक्षिक असमानता' को दूर करने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना से क्या तात्पर्य है? इसकी आवश्यकता क्यों अनुभव की गई?
- प्रश्न- शिक्षा किस प्रकार से अन्तर्राष्ट्रीय सदभावना का विकास कर सकती है?
- प्रश्न- विद्यालय को समाज से जोड़ने में शिक्षक की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- लोकतान्त्रिक अन्तःक्रिया के माध्यम से राष्ट्रीय एकीकरण में शिक्षक की क्या भूमिका हो सकती है?
- प्रश्न- आदर्श भारतीय समाज के निर्माण में शिक्षक की भूमिका।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैक्षिक अवसरों की समानता )
- प्रश्न- सर्व शिक्षा के बारे में बताइये एवं इसके लक्ष्यों, क्रियान्वयन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय साक्षरता मिशन क्या है? विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सम्पूर्ण साक्षरता अभियान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्त्री साक्षरता कार्यक्रम पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मध्याह्न भोजन योजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय योजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कॉमन स्कूल पद्धति का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- सर्व शिक्षा अभियान के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के प्रमुख प्रावधान क्या हैं?
- प्रश्न- समावेशी शिक्षा में शिक्षक की भूमिका स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- आश्रम पद्धति विद्यालय के बारे में बताइये।
- प्रश्न- आश्रम पद्धति विद्यालय की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मिड डे मील स्कीम के गुण एवं दोष की गणना कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैक्षिक कार्यक्रम )