बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - तृतीय प्रश्नपत्र - सामुदायिक विकास एवं प्रसार प्रबन्धन एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - तृतीय प्रश्नपत्र - सामुदायिक विकास एवं प्रसार प्रबन्धनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - तृतीय प्रश्नपत्र - सामुदायिक विकास एवं प्रसार प्रबन्धन
प्रश्न- प्रसार शिक्षा की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
उत्तर -
प्रसार शिक्षा की विशेषताएँ
(Characteristics of Extension Education)
प्रसार शिक्षा जिसे अनौपचारिक शिक्षा या प्रौढ़ शिक्षा भी कहते हैं, अपनी कतिपय विशेषताओं के कारण औपचारिक शिक्षा से भिन्नता रखती है।
प्रसार शिक्षा आज तेजी से बदलते युग में मनुष्य के सोचने के ढंग, भावनाओं, जीवन मूल्यों, नैतिकता में भी, तेजी से परिवर्तन ला रही है जिसका प्रभाव उनके रहन-सहन के स्तर पर पड़ रहा है। एक सामान्य जनजागृति को फैलाने का काम कुछ हद तक प्रसार शिक्षा कर रही है। प्रसार शिक्षा की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(1) विद्यालय के बाहर की शिक्षा - इसे विद्यालय के बाहर की शिक्षा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें पूर्व निर्धारित परिस्थितियाँ एवं साज-सामान जैसे- कक्षा भवन, प्रयोगशाला तथा एक पूर्वनिर्धारित पाठ्यक्रम नहीं होते। इस प्रकार की अनौपचारिक शिक्षा कहीं भी दी जा सकती है। किसान के खेत पर, बाग में, सार्वजनिक स्थान पर, बाजार में, यहाँ तक कि सड़क पर भी प्रसार शिक्षा दी जा सकती है जहाँ शिक्षक और विद्यार्थी पठन-पाठन की प्रक्रिया में संलग्न हो जाएँ।
(2) निरन्तर चलने वाली शिक्षा - औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने की आयु सीमा होती है। विद्यालय महाविद्यालय को छोड़ने पर वह शिक्षा समाप्त हो जाती है। किन्तु प्रसार शिक्षा के साथ ऐसा कोई बन्धन नहीं है। यह निरौपचारिक शिक्षा किसी बन्धन में नहीं बँधी इसमें शिक्षा देने का काम अनुभव भी करते हैं। अनुभव सारी उम्र होते हैं अतः यह शिक्षा निरन्तर चलती है। इस शिक्षा को प्राप्त करने के लिये एक निश्चित कक्षा में नहीं बैठना पड़ता। यह शिक्षा घर, खलिहान, मैदान, मनुष्य का कार्यक्षेत्र जहाँ वह काम करता है वहाँ जाकर दी जाती है क्योंकि उसके कार्यक्षेत्र से जुड़ी समस्याओं को उसी के कार्यक्षेत्र में जाकर समझा तथा सुलझाया जाता है न ही इस शिक्षा की निश्चित अवधि समय और उम्र होती है जब जागो तभी सबेरा कहावत पर आधारित है। मनुष्य अपनी आवश्यकता के अनुसार इस शिक्षा को ग्रहण करता है। इस शिक्षा को देने के लिये उसका परिवार, ग्रामीण शिक्षक, ग्रामीण नेतृत्व, ग्राम पंचायत, प्रसार शिक्षा कार्यक्रम के कार्यकर्त्ता तथा संचार माध्यम मुख्य भूमिका निभाते हैं।
(3) अनुभूति - आवश्यकताओं की ओर लक्षित-मानव की आवश्ययकताएँ दो प्रकार की होती हैं। इस अनुभूतित, जिनका उसे एहसास होता और दूसरी उन अनुभूतित, जिनका उसे एहसास नहीं होता है। प्रसार-शिक्षा में सर्वप्रथम हमारा प्रयत्न अनुभूतित आवश्यकताओं की पूर्ति करना होता है क्योंकि इनकी पूर्ति में ग्रामीणों का अपेक्षित सहयोग आसानी से प्राप्त हो जाता है जैसे-किसी नये बीज, खाद या कृषि यन्त्र की आवश्यकता, फसल की बीमारी, कीड़े की रोकथाम इत्यादि अनुभूतित आवश्यकता है। दूसरी अनुभूतित आवश्यकताओं की पूर्ति में ग्रामीण का सहयोग प्राप्त करना तब तक सम्भव नहीं है जब तक उन आवश्यकताओं को पठन-पाठन की प्रक्रिया द्वारा अनुभूतित आवश्यकताओं में परिणत न कर दिया जाये। घरों में रोशनदान लगाना, सफाई रखना एवं वातावरण को साफ-सुथरा रखना आदि कतिपय इस प्रकार की आवश्यकताएँ हैं।
(4) कार्यक्रम में लचीलापन - यह कार्यक्रम सर्वमान्य के लिये है इसलिये इसका लचीलापन आवश्यक है। यदि इसे नियमों के बन्धन में बाँध दिया जायेगा तो यह कार्यक्रम सर्वसामान्य के लिये नहीं रह जायेगा। इस प्रकार शिक्षा को इसकी इसी विशेषता के कारण व्यक्ति समय, सामाजिक आर्थिक परिवेश के अनुसार बदल सकते हैं। हर स्थान पर एक ही विषय की शिक्षा देने के लिये भी एक-सा पाठ्यक्रम तथा पठन विधि का प्रयोग सम्भव नहीं है क्योंकि दो अलग-अलग स्थान के वातावरण और परिस्थितियों में अन्तर होने के कारण वहाँ के लोगों का व्यवहार और मनोवृत्तियाँ अलग-अलग होंगी और प्रसार शिक्षा कार्यक्रम उस समुदाय की मनोवृत्तियों, आवश्यकता, व्यवहार, नैतिक, आर्थिक मूल्यों के अनुसार चलाना होगा तभी सफल होगा अतः इस कार्यक्रम की सफलता इसके लचीलेपन में हैं।
(5) जीवन की संजीव परिस्थितियों से सम्बन्ध - प्रसार शिक्षा जीवन के व्यावहारिक तथा जीवन्त समस्याओं से सम्बन्धित हैं। ये समस्याएँ हैं जिनका सामना अपने दिन-प्रतिदिन के जीवन में कर रहें हैं और जिनका समाधान अतिशीघ्र निकट भविष्य में होता है। प्रसार शिक्षा वर्तमान से सम्बन्धित है। इसके विपरीत औपचारिक शिक्षा का अधिक सम्बन्ध भविष्य के लिए तैयारी से होता है।
(6) सहकारी प्रयत्न - ग्रामीण, प्रसार कार्यकर्त्ता तथा सरकारी विभाग विभिन्न स्तरों पर सहयोग करके प्रसार शिक्षा को सफल बनाते हैं। प्रसार शिक्षा विकास की विभिन्न संस्थाओं तथा उनके कार्यकर्त्ताओं में होने वाले सहयोग का ज्वलन्त उदाहरण है। इस प्रकार का सहयोग औपचारिक शिक्षा में देखने को नहीं मिलता।
(7) व्यावहारिक तथा क्रियात्मक - प्रसार शिक्षा के दो पक्ष हैं-सैद्धान्तिक तथा व्यावहारिक। सैद्धान्तिक पक्ष साक्षरता का काम करता है जबकि व्यावहारिक पक्ष प्रयोगों तथा अनुभवों पर आधारित होता है। यह भाषण से नहीं स्वयं काम कर अपनी कमियों गलतियों को जानने तथा सुधारने का अवसर देता है जो कि व्यावहारिक तथा क्रियात्मक है। इस विधि द्वारा दिया गया परीक्षण गहरे तक बैठता है आसानी से भूलता नहीं है। उस व्यावहारिक ज्ञान को देने का प्रयत्न किया जाता है जिसकी आवश्यकता है जैसे कि कृषक वर्ग को कृषि कार्य का ज्ञान दिया जायेगा कुम्हार के काम का नहीं वह चाहे तो जहाँ कुम्हार वर्ग का ज्ञान दिया जा रहा है वहाँ जाकर उसे सीखकर ज्ञान बढ़ा सकता है। व्यावहारिक इसलिये है कि शिक्षार्थी प्रयोगों द्वारा सीखता है क्रियात्मक इसलिये कि उसे स्वयं करता है।
(8) ग्रामीण नेतृत्व का सम्मिलन - प्रसार कार्यक्रम के नियोजन कार्यान्वयन तथा मूल्यांकन में ग्रामीण नेताओं का सक्रिय सहयोग रहता है। बिना इसके ग्रामीण विकास कार्य कभी सम्भव नहीं हो सकता। औपचारिक शिक्षा में इस तरह का सहयोग लगभग नहीं के बराबर होता है।
(9) सहयोग की भावना पर आधारित शिक्षा - प्रसार शिक्षा का केन्द्र परिवार है और कोई भी परिवार बिना सहयोग की भावना के मजबूत नहीं हो सकता। परिवार मजबूत है तो समाज भी मजबूत है अर्थात् एक अच्छे समाज निर्माण के लिये भी सहयोग चाहिये। प्रसार शिक्षा सहनशीलता, सहयोग, समायोजन, सात्मीकरण जैसे गुणों को बढ़ाने के लिये सामाजिक क्रियाएँ, सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करवाती है। ताकि आपस में मिलकर सब लोग काम करना सीखें। समस्याएँ व्यक्तिगत नहीं सामूहिक मानकर उनका हल ढूँढ़े। आर्थिक उन्नति के लिये सहकारी बैंक, सहकारी समितियों की स्थापना प्रसार शिक्षा कार्यक्रम का एक कदम है।
(10) व्यपाक कार्यक्षेत्र - प्रसार शिक्षा शब्द का अर्थ व्यापक है तो क्षेत्र तो व्यापक होगा ही। पिछले पृष्ठों में कार्यक्षेत्र के अन्तर्गत हम देख चुके हैं प्रसार शिक्षा का क्षेत्र इसलिये व्यापक है क्योंकि इसका सम्बन्ध मनुष्य के जीवन के हर पहलू से है। इसके क्षेत्र को समझने के लिये तीन भागों में बाँटा गया है-
(a) मनुष्य के विकास का क्षेत्र
(b) मनुष्य के वातावरण, परिवेश के विकास का क्षेत्र
(c) मनुष्य की आवश्यकता पूर्ति के लिये निर्मित संस्थाओं तथा साधनों के विकास का
प्रसार शिक्षा के क्षेत्र यह स्पष्ट करते हैं कि प्रसार शिक्षा केवल मनुष्य के विकास के लिये काम नहीं करती यह मनुष्य के परिवार तथा उस वातावरण परिवेश जिसमें मनुष्य रहता है मनुष्य के परिवार, समुदाय समाज जिसका वह अंग है उसके उत्थान के लिये विभिन्न साधनों संस्थाओं के विकास कार्यक्रम बनाती है जो मनुष्य तक पहुँचकर उसका विकास करते हैं।
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- प्रश्न- प्रसार शिक्षा से आप क्या समझते हैं? प्रसार शिक्षा को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा का क्षेत्र समझाइए।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा से आप क्या समझते हैं? गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का क्षेत्र समझाइये।
- प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के उद्देश्यों का विस्तार से वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा की विशेषताएँ समझाइये।
- प्रश्न- ग्रामीण विकास में गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का महत्व समझाइये।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा, शिक्षण पद्धतियों को प्रभावित करने वाले प्रमुख तत्वों का वर्णन करो।
- प्रश्न- प्रसार कार्यकर्त्ता की भूमिका तथा गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दृश्य-श्रव्य साधन क्या हैं? प्रसार शिक्षा में दृश्य-श्रव्य साधन की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सीखने और प्रशिक्षण की विधियाँ बताइए। प्रसार शिक्षण सीखने और प्रशिक्षण की कितनी विधियाँ हैं?
- प्रश्न- अधिगम या सीखने की प्रक्रिया में मीडिया की भूमिका बताइये।
- प्रश्न- अधिगम की परिभाषा देते हुए प्रसार अधिगम का महत्व बताइए।
- प्रश्न- प्रशिक्षण के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- प्रसार कार्यकर्त्ता के प्रमुख गुण (विशेषताएँ) बताइये।
- प्रश्न- दृश्य-श्रव्य साधनों के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा के मूल तत्व बताओं।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा के अर्थ एवं आवश्यकता की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- श्रव्य दृश्य साधन क्या होते हैं? इनकी सीमाएँ बताइए।
- प्रश्न- चार्ट और पोस्टर में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- शिक्षण अधिगम अथवा सीखने और प्रशिक्षण की प्रक्रिया को समझाइए।
- प्रश्न- सीखने की विधियाँ बताइए।
- प्रश्न- समेकित बाल विकास सेवा (ICDS) कार्यक्रम को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- महिला सशक्तिकरण से आपका क्या तात्पर्य है? भारत में महिला सशक्तिकरण हेतु क्या प्रयास किए जा रहे हैं?
- प्रश्न- स्वच्छ भारत अभियान की विस्तारपूर्वक विवेचना कीजिए। इस अभियान के उद्देश्यों का उल्लेख करें।
- प्रश्न- 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' योजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उज्जवला योजना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वच्छ भारत अभियान घर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में राष्ट्रीय विस्तारप्रणाली की रूपरेखा को विस्तारपूर्वक समझाइए।
- प्रश्न- स्वयं सहायता समूह पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- स्वच्छ भारत अभियान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- उज्जवला योजना के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- नारी शक्ति पुरस्कार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रधानमंत्री मातृ वन्दना योजना क्या है? इसके लाभ बताइए।
- प्रश्न- श्रीनिकेतन कार्यक्रम के लक्ष्य क्या-क्या थे? संक्षिप्त में समझाइए।
- प्रश्न- भारत में प्रसार शिक्षा का विस्तार किस प्रकार हुआ? संक्षिप्त में बताइए।
- प्रश्न- महात्मा गाँधी के रचनात्मक कार्यक्रम के लक्ष्य क्या-क्या थे?
- प्रश्न- सेवा (SEWA) के कार्यों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कल्याणकारी कार्यक्रम का अर्थ बताइये। ग्रामीण महिलाओं और बच्चों के लिए बनाये गए कल्याणकारी कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास से आप क्या समझते हैं? सामुदायिक विकास कार्यक्रम की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना का क्षेत्र एवं उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के उद्देश्यों को विस्तारपूर्वक समझाइए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास एवं प्रसार शिक्षा के अन्तर्सम्बन्ध की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास की विधियों को समझाइये।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यकर्त्ता की विशेषताएँ एवं कार्य समझाइये।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना संगठन को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम को परिभाषित कीजिए एवं उसके सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समुदाय के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास की विशेषताएँ बताओ।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास के मूल तत्व क्या हैं?
- प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना के अन्तर्गत ग्राम कल्याण हेतु कौन से कार्यक्रम चलाने की व्यवस्था है?
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम की सफलता हेतु सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना की विशेषताएँ बताओ।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास के सिद्धान्त बताओ।
- प्रश्न- सामुदायिक संगठन की आवश्यकता क्यों है?
- प्रश्न- कार्यक्रम नियोजन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है?
- प्रश्न- प्रसार प्रबन्धन की परिभाषा, प्रकृति, सिद्धान्त, कार्य क्षेत्र और आवश्यकता बताइए।
- प्रश्न- नेतृत्व क्या है? नेतृत्व की परिभाषाएँ दीजिए।
- प्रश्न- नेतृत्व के प्रकार बताइए। एक नेता में कौन-कौन से गुण होने चाहिए?
- प्रश्न- प्रबंध के कार्यों को संक्षेप में समझाइए।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा या विस्तार शिक्षा (Extension education) से आप क्या समझते है, समझाइए।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा व प्रबंधन का सम्बन्ध बताइये।
- प्रश्न- विस्तार प्रबन्धन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- विस्तार प्रबन्धन की विशेषताओं को संक्षिप्त में समझाइए।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा या विस्तार शिक्षा की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
- प्रश्न- विस्तार शिक्षा के महत्व को समझाइए।
- प्रश्न- विस्तार शिक्षा तथा विस्तार प्रबंध में क्या अन्तर है?