बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - तृतीय प्रश्नपत्र - सामुदायिक विकास एवं प्रसार प्रबन्धन एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - तृतीय प्रश्नपत्र - सामुदायिक विकास एवं प्रसार प्रबन्धनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - तृतीय प्रश्नपत्र - सामुदायिक विकास एवं प्रसार प्रबन्धन
प्रश्न- प्रसार कार्यकर्त्ता के प्रमुख गुण (विशेषताएँ) बताइये।
उत्तर -
(Qualities of Extension Worker)
प्रसार कार्य बहु आयामी होता है जिसके विविध पहलू होते हैं। इसमें कृषि, कुटीर उद्योग, सामुदायिक विकास, आहार नियोजन, गृह प्रबन्ध, शिशुपालन, साक्षरता आदि सम्मिलित किये जाते हैं। प्रसार कार्यकर्त्ता का सम्बन्ध गाँव के सभी वर्गों, क्षेत्र के लोगों से होता है। उसे सभी के साथ मिल-जुलकर प्रेमपूर्वक निर्वाह करना होता है।
"प्रसार कार्यकर्त्ता"पद के अन्तर्गत उन सभी व्यक्तियों को सम्मिलित किया जाता है जो प्रसार कार्य में संलग्न हैं। ग्राम स्तरीय कार्यकर्त्ता, प्रसार अधिकारी, विकास खण्ड अधिकारी अथवा कोई भी प्रसार विशेषज्ञ अथवा गृह वैज्ञानिक प्रसार कार्यकर्त्ता कहलायेगा। प्रत्येक कार्यकर्त्ता के कार्य का स्वरूप भिन्न-भिन्न रहता है परन्तु लक्ष्य समान रहता है। इन सभी के प्रयत्नों के फलस्वरूप प्रसार कार्यों में सफलता प्राप्त हो सकती है। प्रसार कार्य की सफलता प्रसार कार्यकर्त्ता के गुणों पर ही निर्भर करती है। प्रसार कार्यकर्त्ता की मुख्य विशेषताएँ (गुण) निम्नलिखित हैं-
(1) विषय की जानकारी हो - प्रसार शिक्षा का सम्बन्ध अनेक विषयों से है – कृषि, पशुपालन, मनोविज्ञान, समाजशास्त्र, गृहविज्ञान, भूगोल, यांत्रिकी आदि। प्रसार कार्यक्रम की रूपरेखा तथा योजना से ये सब विषय जुड़े होते हैं। प्रसार शिक्षा कार्यक्रम द्वारा इन विषयों की जानकारी प्रत्यक्ष रूप से नहीं दी जाती पर जैसे ग्रामीणों की भावनाओं को समझने के लिये मनोविज्ञान, मौसम की जानकारी हेतु भूगोल, कृषि कार्य हेतु कृषि विज्ञान की बेसिक जानकारी प्रसार कार्यकर्त्ता के लिये आवश्यक है। इन क्षेत्रों से जुड़ी नई जानकारियों से भी उसे परिचित रहना चाहिये ताकि वह ग्रामवासियों तक वह ज्ञान पहुँचा सके उनके प्रश्नों का सही समय पर सही उत्तर दे सके यह समस्त जानकारियाँ भी उसके व्यक्तित्व निर्माण में सहायक होती हैं। प्रसार कार्यकर्त्ता के लिये आवश्यक है कि वह बिना किसी आडम्बर तथा घमण्ड के ग्रामीणों के बीच यह प्रभाव रखे कि उसका बौद्धिक ज्ञान ग्रामवासियों से अधिक है तभी वह उस पर विश्वास करेंगे। इसके लिये उसे विषय की जानकारी अवश्य होनी चाहिये।
(2) प्रगतिशील विचारधारा - पुराने विचार तथ रूढ़िवादिता, अपने दायरे में सीमित रहना व्यक्ति के विकास में बाधक होता है। आगे बढ़ने के लिए यह आवश्यक है कि व्यक्ति उन्नति तथा प्रगति पथ पर अग्रसर हो। अतः प्रगतिशील विचारधारा वाले व्यक्ति ऐसा कर सकते हैं, जिससे उनकी सामाजिक-आर्थिक उन्नति सम्भव हो सकती है। अतः प्रसार कार्यकर्त्ता प्रगतिशील विचारधारा अपनाकर ही अपने क्षेत्र में प्रसार द्वारा व्यापक परिवर्तन ला सकता है।
(3) ग्रामीण विकास के प्रति विश्वास की भावना - विश्वास एक ऐसी भावना जो मुश्किल काम को भी आसान बना देती है। प्रसार कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामों का विकास है जिसके लिये परिवर्तन आवश्यक है और परिवर्तन रातों-रात नहीं आता उसमें समय लगता है अतः प्रसार कार्यक्रम के परिणाम धीरे-धीरे प्राप्त होते हैं और लम्बे समय में विश्वास एक मजबूत सहारा होता है कि हमें मंजिल मिलेगी अतः प्रसार कार्यकर्त्ता में अपने कार्यक्रम तथा स्वयं अपने में विश्वास होना चाहिये कि वह धीमी गति से होने वाले परिवर्तन द्वारा ही ग्रामीण विकास करने में अवश्य सफल होगा।
(4) ज्ञानार्जन की इच्छा - लोगों को नई जानकारी प्रदान करने के लिए तथा उन्हें प्रेरित करने के लिए स्वयं ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा और लोगों की समस्याओं को जानने की इच्छा होनी चाहिए जिससे विभिन्न शोध कार्यों के परिणाम लोगों तक पहुँचाये जायें तथा उनकी समस्याओं को अनुसन्धान केन्द्र तक पहुँचाया जा सके। इसलिए यह कहा जाता है कि प्रसार कार्यकर्त्ता को अध्यापक ही नहीं, एक विद्यार्थी भी होना चाहिए।
(5) सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार - लोग कार्यकर्त्ता के प्रति आदर और सम्मान प्रकट करें यह कार्यकर्त्ता के सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार पर निर्भर करता है। लोगों का विश्वास जीतने के लिए लोगों की कठिनाइयों को सहानुभूतिपूर्ण ढंग से मानना और उनका समाधान करना प्रसार कार्यकर्त्ता का एक विशिष्ट गुण है।
(6) चरित्रवान - आदर्श चरित्र द्वारा प्रसार कार्यकर्त्ता ग्रामवासियों के बीच एक ऐसे नेता के रूप में उभरकर आता है जिसके कामों का अनुसरण करने के लिये वे राजी होते हैं उसे अपना आदर्श मानकर उसकी बात पर विश्वास करते हैं। एक चरित्रवान प्रसार कार्यकर्त्ता ग्रामीणों का विश्वास जीत सकता है और कार्यक्रम की सफलता के लिये ग्रामीणों का विश्वास जीतना आवश्यक है।
(7) विवेकशील - गलत कार्य करने की अपेक्षा कार्य न करना अच्छा है जिससे लोगों पर उल्टा प्रभाव पड़ता है और कार्यकर्त्ता से उनका विश्वास उठ जाता है। अतः कार्यकर्त्ता को सोच-समझ कर वही कार्य करने चाहिए जिनकी सफलता की पूर्ण आशा हो।
(8) लेखन क्षमता - कार्यालय कार्य पूरा करने के लिये लेखन क्षमता आवश्यक है। इसके साथ ही उसे अपने कार्यक्रमों की रिपोर्ट हेतु लेखन कला का ज्ञान होना चाहिये। कई बार स्थानीय स्तर पर लघुनाटक, लोकगीत, नुक्कड़ नाटक की रचना भी करनी पड़ती है लेखन कला इसमें सहायक होती है।
(9) सेवा भावना - प्रसार कार्य देश सेवा का कार्य है उसकी सफलता समाज सेवा के रूप में ही है क्योंकि प्रसार कार्य का न तो कोई समय होता है और न कोई कार्य निश्चित होता है। यह लोगों की आवश्यकता पर निर्भर करता है। अतः यह कार्य तभी हो सकता है जब कार्य सेवा भावना से किया जाये।
(10) दूरदर्शिता – प्रसार कार्य लम्बे समय तक चलने वाला कार्य है इसलिए प्रसारकर्त्ता में सोचने-समझने की क्षमता होनी चाहिए कि किस कार्य का क्या परिणाम होगा और लोगों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा। अतः प्रसार कार्य की सफलता के लिए दूरदर्शिता का होना आवश्यक है।
(11) आदर्श तथा आकर्षक व्यक्तित्व - केवल साधु जैसा चरित्र ही लोगों को अपनी ओर नहीं खींचता चरित्र के साथ-साथ आकर्षक व्यक्तित्व भी आवश्यक है उसके नम्र मृदु स्वभाव मे आकर्षण होना चाहिये वह ग्रामवासियों के बीच में उन जैसा मिलकर घुलमिल जाये ताकि वे उसे अपना दोस्त, मार्गदर्शक समझकर अपनी समस्याओं की चर्चा कर सकें। एक आकर्षक व्यक्तित्व दूसरों को आकर्षित करने के साथ-साथ अपने पीछे चलने के लिये प्रेरित भी करता है और यह कार्यक्रम की सफलता के लिये आवश्यक है।
(12) कुशल प्रबन्धक तथा नियोजक - उचित प्रबन्ध हेतु एक नियोजक के रूप में अच्छी योजना और योजना पूर्ति हेतु साधनों का प्रबन्ध एक प्रबन्धक के रूप में प्रसार कार्यकर्त्ता करता है। प्रसार कार्यक्रम की रूपरेखा अवश्य प्रशासन स्तर पर बनाई जाती है किन्तु यह एक लचीला कार्यक्रम है और प्रशासन की बनाई रूपरेखा में स्थान विशेष की माँग के अनुसार कार्यकर्त्ता परिवर्तन कर सकता है। कार्यक्रम की सफलता के लिये उसे एक अच्छा योजना बनाने वाला तथा योजना के क्रियान्वयन हेतु प्रबन्धक की भूमिका भी निभानी पड़ती है।..
(13) कार्यालय सम्बन्धी कार्यों में दक्षता - प्रसार कार्य हेतु प्रसार कार्यकर्त्ता को कई प्रकार की लिखित कार्यवाही भी करनी आवश्यक होती है जैसे प्रसार कार्यक्रम सम्बन्धी विवरण तैयार करना, प्रतिवेदन लिखना, कार्य का ब्यौरा लिखना, आँकड़े एकत्रित करना और प्रतिशत संकलित करना आदि। कार्यक्रम क्रियान्वयन सम्बन्धी विवरण भी तैयार किये जाते है; उदाहरणार्थ लोगों ने नई कृषि पद्धतियों को कितना अपनाया, उर्वरकों का प्रयोग करने वालों की संख्या में कितनी वृद्धि हुई, बैंकों का कितनों ने लाभ प्राप्त किया, महिलाओं की कार्य शैली में कौन-कौन से परिवर्तन आये, शिशुपालन तथा शिशु स्वास्थ्य सम्बन्धी कार्यक्रमों से कितने परिवार लाभान्वित हुए। प्रशासन को इस प्रकार की जानकारी प्रसार कार्यकर्त्ता द्वारा प्राप्त होती है। अतः प्रसार कार्यकर्त्ता में कार्यालय सम्बन्धी कार्यों तथा कागजी काम-काज को करने की क्षमता का होना अनिवार्य होता है।
(14) सामाजिक कल्याण तथा सामाजिक विकास लक्ष्य हो - प्रसार कार्यकर्त्ता का उद्देश्य समाज का कल्याण तथा विकास, जो कि प्रसार कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है, वही होना चाहिये। यह उद्देश्य क्रियात्मक रूप में हो जिसका परिणाम एक परिवर्तित समृद्ध नयी सोच वाले समाज के रूप में परिलक्षित हो।
(15) अपने कार्यक्षेत्र से उसका जुड़ाव हो - प्रसार कार्यक्रम प्रमुख रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में चलाये जाते हैं तथा शहर के पिछड़े इलाकों में भी ये कार्यक्रम चलाये जाते हैं। प्रसार कार्यकर्त्ता का उस क्षेत्र से जुड़ाव आवश्यक गुण है अन्यथा वह उस क्षेत्र के लोगों की समस्याओं को कभी न जान पायेगा तथा उसे वहाँ के लोगों के साथ मिलकर काम करने में भी असुविधा होगी पर यदि वह उसी क्षेत्र का या आस-पास का रहने वाला होगा तो जाने अनजाने में उसकी तथा वहाँ के वासियों की समस्याएँ एक सी होंगी उसका उनसे जुड़ाव हो जायेगा। वह आसानी से उस वातावरण से जहाँ उसे काम करना है समायोजन कर लेगा जुड़ाव के अभाव में यह समयोजन मुश्किल हो जाता है किन्तु वे लोग जो गाँव या उस क्षेत्र का जहाँ कार्यक्रम प्रारम्भ हो रहा है प्रतिनिधित्व करते हैं तो उनके साथ समायोजन की समस्या नहीं होती है क्योंकि उन्हें वहाँ के रहने वालों के सोचने का तरीका उनकी मानसिकता की जानकारी होती है वे वहाँ की समस्याओं से परिचित होते हैं वे आसानी से उनको अपनी बात समझा पाते हैं। अपने ही परिवेश से आये साथी पर ग्रामवासी भी विश्वास जल्दी करते हैं।
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- प्रश्न- प्रसार शिक्षा से आप क्या समझते हैं? प्रसार शिक्षा को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा का क्षेत्र समझाइए।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा से आप क्या समझते हैं? गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का क्षेत्र समझाइये।
- प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के उद्देश्यों का विस्तार से वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा की विशेषताएँ समझाइये।
- प्रश्न- ग्रामीण विकास में गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का महत्व समझाइये।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा, शिक्षण पद्धतियों को प्रभावित करने वाले प्रमुख तत्वों का वर्णन करो।
- प्रश्न- प्रसार कार्यकर्त्ता की भूमिका तथा गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दृश्य-श्रव्य साधन क्या हैं? प्रसार शिक्षा में दृश्य-श्रव्य साधन की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सीखने और प्रशिक्षण की विधियाँ बताइए। प्रसार शिक्षण सीखने और प्रशिक्षण की कितनी विधियाँ हैं?
- प्रश्न- अधिगम या सीखने की प्रक्रिया में मीडिया की भूमिका बताइये।
- प्रश्न- अधिगम की परिभाषा देते हुए प्रसार अधिगम का महत्व बताइए।
- प्रश्न- प्रशिक्षण के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- प्रसार कार्यकर्त्ता के प्रमुख गुण (विशेषताएँ) बताइये।
- प्रश्न- दृश्य-श्रव्य साधनों के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा के मूल तत्व बताओं।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा के अर्थ एवं आवश्यकता की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- श्रव्य दृश्य साधन क्या होते हैं? इनकी सीमाएँ बताइए।
- प्रश्न- चार्ट और पोस्टर में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- शिक्षण अधिगम अथवा सीखने और प्रशिक्षण की प्रक्रिया को समझाइए।
- प्रश्न- सीखने की विधियाँ बताइए।
- प्रश्न- समेकित बाल विकास सेवा (ICDS) कार्यक्रम को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- महिला सशक्तिकरण से आपका क्या तात्पर्य है? भारत में महिला सशक्तिकरण हेतु क्या प्रयास किए जा रहे हैं?
- प्रश्न- स्वच्छ भारत अभियान की विस्तारपूर्वक विवेचना कीजिए। इस अभियान के उद्देश्यों का उल्लेख करें।
- प्रश्न- 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' योजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उज्जवला योजना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वच्छ भारत अभियान घर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में राष्ट्रीय विस्तारप्रणाली की रूपरेखा को विस्तारपूर्वक समझाइए।
- प्रश्न- स्वयं सहायता समूह पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- स्वच्छ भारत अभियान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- उज्जवला योजना के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- नारी शक्ति पुरस्कार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रधानमंत्री मातृ वन्दना योजना क्या है? इसके लाभ बताइए।
- प्रश्न- श्रीनिकेतन कार्यक्रम के लक्ष्य क्या-क्या थे? संक्षिप्त में समझाइए।
- प्रश्न- भारत में प्रसार शिक्षा का विस्तार किस प्रकार हुआ? संक्षिप्त में बताइए।
- प्रश्न- महात्मा गाँधी के रचनात्मक कार्यक्रम के लक्ष्य क्या-क्या थे?
- प्रश्न- सेवा (SEWA) के कार्यों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कल्याणकारी कार्यक्रम का अर्थ बताइये। ग्रामीण महिलाओं और बच्चों के लिए बनाये गए कल्याणकारी कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास से आप क्या समझते हैं? सामुदायिक विकास कार्यक्रम की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना का क्षेत्र एवं उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के उद्देश्यों को विस्तारपूर्वक समझाइए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास एवं प्रसार शिक्षा के अन्तर्सम्बन्ध की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास की विधियों को समझाइये।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यकर्त्ता की विशेषताएँ एवं कार्य समझाइये।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना संगठन को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम को परिभाषित कीजिए एवं उसके सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समुदाय के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास की विशेषताएँ बताओ।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास के मूल तत्व क्या हैं?
- प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना के अन्तर्गत ग्राम कल्याण हेतु कौन से कार्यक्रम चलाने की व्यवस्था है?
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम की सफलता हेतु सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना की विशेषताएँ बताओ।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास के सिद्धान्त बताओ।
- प्रश्न- सामुदायिक संगठन की आवश्यकता क्यों है?
- प्रश्न- कार्यक्रम नियोजन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है?
- प्रश्न- प्रसार प्रबन्धन की परिभाषा, प्रकृति, सिद्धान्त, कार्य क्षेत्र और आवश्यकता बताइए।
- प्रश्न- नेतृत्व क्या है? नेतृत्व की परिभाषाएँ दीजिए।
- प्रश्न- नेतृत्व के प्रकार बताइए। एक नेता में कौन-कौन से गुण होने चाहिए?
- प्रश्न- प्रबंध के कार्यों को संक्षेप में समझाइए।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा या विस्तार शिक्षा (Extension education) से आप क्या समझते है, समझाइए।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा व प्रबंधन का सम्बन्ध बताइये।
- प्रश्न- विस्तार प्रबन्धन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- विस्तार प्रबन्धन की विशेषताओं को संक्षिप्त में समझाइए।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा या विस्तार शिक्षा की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
- प्रश्न- विस्तार शिक्षा के महत्व को समझाइए।
- प्रश्न- विस्तार शिक्षा तथा विस्तार प्रबंध में क्या अन्तर है?