लोगों की राय

बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - द्वितीय प्रश्नपत्र - फैशन डिजाइन एवं परम्परागत वस्त्र

एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - द्वितीय प्रश्नपत्र - फैशन डिजाइन एवं परम्परागत वस्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :172
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2694
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - द्वितीय प्रश्नपत्र - फैशन डिजाइन एवं परम्परागत वस्त्र

प्रश्न- कश्मीर की कशीदाकारी के अन्तर्गत शॉल, ढाका की मलमल व साड़ी और चंदेरी की साड़ी पर टिप्पणी लिखिए।

उत्तर -

कश्मीर की कशीदाकारी का शॉल
(Embroidery of Kashmir's Shawl)

कश्मीर भी कढ़ाई किए हुए वस्त्रों के लिए प्रसिद्ध था। पश्मीना शाल के अतिरिक्त कश्मीर की कढ़ी हुई साड़ियाँ, कढ़े हुए नमदा तथा कढ़ाई किए हुए सिल्क वस्त्र और अन्य वस्त्र भी प्रसिद्ध थे। कश्मीर की कढ़ाई को 'कशीदा' कहा जाता था और इसमें साधारण टांके, जैसे- साटिन, उल्टी बखिया, फंदे वाले टांके, साधारण टंकाई के टांके, हेरिंगबेन तथा चेन टांके प्रयोग किए जाते थे। कश्मीर में कढ़ाई का काम प्रायः पुरुष और युवा लड़के करते थे। एक अनुभवी पुरुष मास्टर के समान टांके का नाम बोलता था और लड़के शीघ्रता से उसे बना डालते थे। कश्मीर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर घाटी है। कशीदा काढने वाले प्राकृतिक सौंदर्य को ही वस्त्र में सजीव कर देते थे। नमूनों का उनके पास अभाव नहीं था। प्राकृतिक चित्रण में वे इतने पटु हो जाते थे कि प्रकृति से भी आगे बढ़ जाते थे। 'कशीदा' कढ़ाई के वस्त्र दोनों ओर सीधे रहते थे।

कढ़ाई में रंग-बिरंगे ऊनी और रेशमी धागों का प्रयोग किया जाता था। इनके नमूनों में फूल - फलों के गुच्छे, चिनार की पत्तियाँ, रंग-बिरंगी चिड़ियाँ, आदि के नमूनों का बाहुल्य रहता था। कश्मीरी वस्त्रों के सौंदर्य का कारण इनकी सुन्दर रंग- योजना रहती थी। चटक रंगों को भी इतने सुन्दर ढंग से लगाया जाता था कि समस्त कढ़ाई का प्रभाव नेत्रों को सुखद लगता था। समस्त कढ़ाई में रुखापन कहीं देखने को नहीं मिलता था, बल्कि वे स्निग्धता से भरपूर दिखाई देते थे। प्रत्येक टाँके की सूक्ष्मता और स्पष्ट बाह्य रेखाओं को देखकर मानव की उंगलियों की प्रवीणता पर अचम्भित हुए बिना नहीं रहा जाता है। शॉल तथा स्कार्फो पर रफूगरी की कढ़ाई भी की जाती थी। आजकल भी कश्मीर में कढ़ाई के द्वारा अनेक वस्त्र बनाए जाते हैं, परन्तु अब उनमें वह सौन्दर्य नहीं है, जो पहले रहता था। कश्मीर के हल्के एवं पतले पश्मीना - शॉल नमूनों के सूक्ष्मतम चित्रण के लिए प्रसिद्ध थे। कश्मीर का नमदा

गलीचे के समान काम आने वाला मोटा, ऊनी, फेल्ट किया हुआ वस्त्र था। इतने मोटे वस्त्र पर भी कश्मीरी कशीदाकार सुन्दर नमूनों पर अति सुन्दर कढ़ाई करते थे। इनमें ऊनी धागों का ही प्रयोग किया जाता था, जो चटक रंग के होते थे। इनमें चिनार की पत्तियों के नमूनों के साथ सुन्दर रंग की सुकोमल टहनियाँ और फूल-फल तथा पक्षियों आदि के भी नमूने रहते थे। इनके नमूने बड़े - बड़े तथा समस्त वस्त्र को घेर लेने वाले होते थे। नमदा की कढ़ाई में केवल मात्र चेन - स्टिच का प्रयोग होता था। कढ़ाई के द्वारा आजकल भी पश्मीना शाल, नमदा, टीकोजी, कोट- कार्डिगन आदि बनते हैं तथा ये अत्यन्त लोकप्रिय भी हैं। आजकल कशीदाकारी की कला का पुनरुद्धार किया जा रहा है।

ढाका का मलमल
(Malmal of Dhaka)

ढाका, जो अब बंगलादेश की राजधानी है, विश्व की सर्वाधिक सूक्ष्म एवं बारीक मलमल का समानार्थक नाम था। वास्तव में, ढाका के बुनकरों के हाथों में जादू था, जिनसे वे इतने सुंदर वस्त्रे बना लेते थे। वाटसन के अनुसार, "हम अपनी समस्त मशीनों एवं आश्चर्यजनक उपकरणों से इतने सूक्ष्म एवं बारीक वस्त्र नहीं बना पाए हैं, जैसी कि ढाका की यह 'बुनी हुई हवा' है।"

ढाका की मलमल के थानों के बारे में प्रसिद्ध है कि वे अंगूठी में से निकाले जा सकते थे। कहा जाता है कि एक थान एक दियासलाई की डिब्बी में समा सकता था। दस गज का थान लगभग पांच महीने में बनकर तैयार होता था। आब-ए-रवाँ (Flowing water), वफ्त हवा (Woven-air), शबनम (Evening dew) आदि वस्त्र ढाका की मलमल के ही विभिन्न प्रकार होते थे। इन्हें अनुकूल तापमान में बनाया जाता था, क्योंकि धागे इतने बारीक होते थे कि वातावरणीय ऊष्मा से वे चटक जाया करते थे, अतः केवल वर्षाकाल में ही इन्हें बुना जाता था, जब कि वातावरणीय वायु नमी से परिपूर्ण रहती थी।

ढाका की साड़ियाँ
(Sarees of Dhaka )

ढाका की साड़ियाँ भी कला के सुन्दर नमूने होती थीं। आज भी ढाका की साड़ियां सुन्दर नमूनों में बनती हैं, फिर भी वह सुन्दरता, हल्कापन आदि अब देखने को नहीं मिलता है। ढाका की साड़ियों में नमूने चाँदी तथा सोने के तारों में काढ़े जाते थे। इन्हें 'जामदानी' कहा जाता था।

इनमें चम्पा चमेली के फूल काढ़े जाते थे। बूटेदार साड़ी में बूटे समस्त भाग पर रहते थे। तिरछी लाइनों की कढ़ाई वाली साड़ी 'तेरछा' तथा फूलों के गुच्छों वाले नमूनों की साड़ियाँ 'पन्ना हजारें' ( Thousand emerald) नाम से प्रसिद्ध थीं। छोटे-छोटे फूलवाली 'फुलवार' और बड़े-बड़े फूलों वाली 'तोरदार' कहलाती थीं। इन साड़ियों के बार्डर तथा आंचल सुन्दर पशु-पक्षी तथा मानव आकृतियों से सजे रहते थे। मोर और हंस इन बुनकरों के प्रिय नमूने थे। साथ ही कई नमूने पौराणिक कथाओं पर आधृत तथा स्थानीय परम्पराओं के अनुरूप बनाए जाते थे। स्पष्ट बाह्यरूपों वाले ये नमूने बीच-बीच में रेखाओं तथा फूलों और बूटों से संतुलित किए जाते थे। गति को चित्रित करने में ये बुनकर बड़े कुशल थे। उड़ती चिड़िया, नृत्य करती आकृतियाँ बनाने में उनका उच्चतम नैपुण्य, अपूर्व शिल्पकौशल और असीम धैर्य अद्वितीय था।

चंदेरी की साड़ियाँ
(Sarees of Chanderi)

ग्वालियर के पास चंदेर में निर्मित ये साड़ियाँ अपनी सूक्ष्मता एवं सुन्दर नमूनों के लिए प्रसिद्ध थीं। ये प्रायः सूती होती थीं तथा इनके नमूने रेशम और जरी से बनाए जाते थे। सूती एवं रेशमी धागों से मिश्रित रूप से तैयार साड़ियाँ भी अत्यंत लोकप्रिय थीं। साड़ी के मध्य भाग में प्रायः बूटे रहते थे। कभी-कभी इनमें ऐसे नमूने बनाए जाते थे, जो दो तरफ दो रंगों

के होते थे। आजकल भी चंदेरी में सुंदर साड़ियाँ बनती हैं, जो सूक्ष्म धागों, सूक्ष्म रचना तथा बुनाई से बने लालित्यपूर्ण नमूनों के लिए सुप्रसिद्ध हैं।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- डिजाइन के तत्वों से आप क्या समझते हैं? ड्रेस डिजाइनिंग में इसका महत्व बताएँ।
  2. प्रश्न- डिजाइन के सिद्धान्तों से क्या तात्पर्य है? गारमेण्ट निर्माण में ये कैसे सहायक हैं? चित्रों सहित समझाइए।
  3. प्रश्न- परिधान को डिजाइन करते समय डिजाइन के सिद्धान्तों को किस प्रकार प्रयोग में लाना चाहिए? उदाहरण देकर समझाइए।
  4. प्रश्न- "वस्त्र तथा वस्त्र-विज्ञान के अध्ययन का दैनिक जीवन में महत्व" इस विषय पर एक लघु निबन्ध लिखिए।
  5. प्रश्न- वस्त्रों का मानव जीवन में क्या महत्व है? इसके सामाजिक एवं सांस्कृतिक महत्व की विवेचना कीजिए।
  6. प्रश्न- गृहोपयोगी वस्त्र कौन-कौन से हैं? सभी का विवरण दीजिए।
  7. प्रश्न- अच्छे डिजायन की विशेषताएँ क्या हैं ?
  8. प्रश्न- डिजाइन का अर्थ बताते हुए संरचनात्मक, सजावटी और सार डिजाइन का उल्लेख कीजिए।
  9. प्रश्न- डिजाइन के तत्व बताइए।
  10. प्रश्न- डिजाइन के सिद्धान्त बताइए।
  11. प्रश्न- अनुपात से आप क्या समझते हैं?
  12. प्रश्न- आकर्षण का केन्द्र पर टिप्पणी लिखिए।
  13. प्रश्न- अनुरूपता से आप क्या समझते हैं?
  14. प्रश्न- परिधान कला में संतुलन क्या हैं?
  15. प्रश्न- संरचनात्मक और सजावटी डिजाइन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  16. प्रश्न- फैशन क्या है? इसकी प्रकृति या विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  17. प्रश्न- फैशन के प्रेरक एवं बाधक तत्वों पर प्रकाश डालिये।
  18. प्रश्न- फैशन चक्र से आप क्या समझते हैं? फैशन के सिद्धान्त समझाइये।
  19. प्रश्न- परिधान सम्बन्धी निर्णयों को कौन-कौन से कारक प्रभावित करते हैं?
  20. प्रश्न- फैशन के परिप्रेक्ष्य में कला के सिद्धान्तों की चर्चा कीजिए।
  21. प्रश्न- ट्रेंड और स्टाइल को परिभाषित कीजिए।
  22. प्रश्न- फैशन शब्दावली को विस्तृत रूप में वर्णित कीजिए।
  23. प्रश्न- फैशन का अर्थ, विशेषताएँ तथा रीति-रिवाजों के विपरीत आधुनिक समाज में भूमिका बताइए।
  24. प्रश्न- फैशन अपनाने के सिद्धान्त बताइए।
  25. प्रश्न- फैशन को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं ?
  26. प्रश्न- वस्त्रों के चयन को प्रभावित करने वाला कारक फैशन भी है। स्पष्ट कीजिए।
  27. प्रश्न- प्रोत / सतही प्रभाव का फैशन डिजाइनिंग में क्या महत्व है ?
  28. प्रश्न- फैशन साइकिल क्या है ?
  29. प्रश्न- फैड और क्लासिक को परिभाषित कीजिए।
  30. प्रश्न- "भारत में सुन्दर वस्त्रों का निर्माण प्राचीनकाल से होता रहा है। " विवेचना कीजिए।
  31. प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों का उनकी कला तथा स्थानों के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- मलमल किस प्रकार का वस्त्र है? इसके इतिहास तथा बुनाई प्रक्रिया को समझाइए।
  33. प्रश्न- चन्देरी साड़ी का इतिहास व इसको बनाने की तकनीक बताइए।
  34. प्रश्न- कश्मीरी शॉल की क्या विशेषताएँ हैं? इसको बनाने की तकनीक का वर्णन कीजिए।.
  35. प्रश्न- कश्मीरी शॉल के विभिन्न प्रकार बताइए। इनका क्या उपयोग है?
  36. प्रश्न- हैदराबाद, बनारस और गुजरात के ब्रोकेड वस्त्रों की विवेचना कीजिए।
  37. प्रश्न- ब्रोकेड के अन्तर्गत 'बनारसी साड़ी' पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- बाँधनी (टाई एण्ड डाई) का इतिहास, महत्व बताइए।
  39. प्रश्न- बाँधनी के प्रमुख प्रकारों को बताइए।
  40. प्रश्न- टाई एण्ड डाई को विस्तार से समझाइए।
  41. प्रश्न- गुजरात के प्रसिद्ध 'पटोला' वस्त्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  42. प्रश्न- राजस्थान के परम्परागत वस्त्रों और कढ़ाइयों को विस्तार से समझाइये।
  43. प्रश्न- पोचमपल्ली पर संक्षिप्त प्रकाश डालिये।
  44. प्रश्न- पटोला वस्त्र से आप क्या समझते हैं ?
  45. प्रश्न- औरंगाबाद के ब्रोकेड वस्त्रों पर टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- बांधनी से आप क्या समझते हैं ?
  47. प्रश्न- ढाका की साड़ियों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  48. प्रश्न- चंदेरी की साड़ियाँ क्यों प्रसिद्ध हैं?
  49. प्रश्न- उड़ीसा के बंधास वस्त्र के बारे में लिखिए।
  50. प्रश्न- ढाका की मलमल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  51. प्रश्न- उड़ीसा के इकत वस्त्र पर टिप्पणी लिखें।
  52. प्रश्न- भारत में वस्त्रों की भारतीय पारंपरिक या मुद्रित वस्त्र छपाई का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- भारत के पारम्परिक चित्रित वस्त्रों का वर्णन कीजिए।
  54. प्रश्न- गर्म एवं ठण्डे रंग समझाइए।
  55. प्रश्न- प्रांग रंग चक्र को समझाइए।
  56. प्रश्न- परिधानों में बल उत्पन्न करने की विधियाँ लिखिए।
  57. प्रश्न- भारत की परम्परागत कढ़ाई कला के इतिहास पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  58. प्रश्न- कढ़ाई कला के लिए प्रसिद्ध नगरों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  59. प्रश्न- सिंध, कच्छ, काठियावाड़ और उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  60. प्रश्न- कर्नाटक की 'कसूती' कढ़ाई पर विस्तार से प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- पंजाब की फुलकारी कशीदाकारी एवं बाग पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  62. प्रश्न- टिप्पणी लिखिए: (i) बंगाल की कांथा कढ़ाई (ii) कश्मीर की कशीदाकारी।
  63. प्रश्न- कश्मीर की कशीदाकारी के अन्तर्गत शॉल, ढाका की मलमल व साड़ी और चंदेरी की साड़ी पर टिप्पणी लिखिए।
  64. प्रश्न- कच्छ, काठियावाड़ की कढ़ाई की क्या-क्या विशेषताएँ हैं? समझाइए।
  65. प्रश्न- "मणिपुर का कशीदा" पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  66. प्रश्न- हिमाचल प्रदेश की चम्बा कढ़ाई का वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- भारतवर्ष की प्रसिद्ध परम्परागत कढ़ाइयाँ कौन-सी हैं?
  68. प्रश्न- सुजानी कढ़ाई के इतिहास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  69. प्रश्न- बिहार की खटवा कढ़ाई पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  70. प्रश्न- फुलकारी किसे कहते हैं?
  71. प्रश्न- शीशेदार फुलकारी क्या हैं?
  72. प्रश्न- कांथा कढ़ाई के विषय में आप क्या जानते हैं?
  73. प्रश्न- कढ़ाई में प्रयुक्त होने वाले टाँकों का महत्व लिखिए।
  74. प्रश्न- कढ़ाई हेतु ध्यान रखने योग्य पाँच तथ्य लिखिए।
  75. प्रश्न- उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- जरदोजी पर टिप्पणी लिखिये।
  77. प्रश्न- बिहार की सुजानी कढ़ाई पर प्रकाश डालिये।
  78. प्रश्न- सुजानी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  79. प्रश्न- खटवा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book