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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - द्वितीय प्रश्नपत्र - फैशन डिजाइन एवं परम्परागत वस्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :172
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2694
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - द्वितीय प्रश्नपत्र - फैशन डिजाइन एवं परम्परागत वस्त्र

अध्याय - 2

 

फैशन का परिचय

(Introduction to Fashion )

प्रश्न- फैशन क्या है? इसकी प्रकृति या विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए-
(i) फैशन
(ii) स्टाइल
(iii) फैड
(iv) क्लासिक

उत्तर -

फैशन का प्रसार सम्पूर्ण विश्व में है। चूँकि फैशन का सम्बन्ध किसी जाति, प्रजाति या धर्म से नहीं होता अतः यह "उदार भावना" के अन्तर्गत आता है और यही इसका सामाजिक गुण है। मनुष्य के अधिकांश व्यवहार फैशन से प्रभावित होते हैं; जैसे- परिधान, केश विन्यास, फर्नीचर, मकान की मरम्मत, जेवर, साथ ही बैठना चलना, भाव-भंगिमा दिखाना आदि भी फैशन से प्रभावित होते हैं। फैशन अत्यन्त परिवर्तनशील है और मनुष्य * हमेशा फैशन का अनुकरण करता है और उसके पीछे दौड़ता है। प्राचीन समय में आवागमन व प्रचार के साधन सीमित होने के कारण फैशन में परिवर्तन धीमा होता था किन्तु वर्तमान समय में फैशन में नित ही नये परिवर्तन दिखाई देते हैं। यद्यपि यह एक तथ्य है कि फैशन को अपनाने में व्यक्ति अपनी लोकाचार की सीमा, सामाजिक रुचि, सांस्कृतिक आस्थाओं आदि का ध्यान रखता है।

फैशन की परिभाषाएँ

(1) श्री रॉस के अनुसार, “फैशन किसी भी जनसमूह की रुचि या पसन्द में होने वाले क्रमिक परिवर्तनों को कहते हैं जो उपयोगिता द्वारा निर्धारित नहीं होता, यद्यपि उसमें उपयोगिता का तत्व भी सम्मिलित हो सकता है। "

(2) श्री किम्बाल यंग के अनुसार, “फैशन व प्रचलन या फैली हुई रीति, तरीका, कार्य करने का ढंग, अभिव्यक्ति की विशेषता या सांस्कृतिक लक्षणों को प्रस्तुत करने की. विधि है, जिसे बदलने की आज्ञा स्वयं प्रथा देती है। यदि हम प्रथा को सामाजिक व्यवहार का एक स्थिर और स्थायी पहलू मानते हैं, तो फैशन की इस सामान्य स्वीकृति के अन्दर होने वाले परिवर्तन के रूप में कल्पना कर सकते हैं। "

(3) श्री जेम्स ड्रेवर के अनुसार, “फैशन सामाजिक लोकरीति का एक ऐसा प्रकार या पहलू है। जिसकी मुख्य विशेषता उसकी बदलती हुई प्रतियोगी प्रकृति है। "

फैशन की प्रकृति या विशेषताएँ
(Nature or Characteristics of Fashion)

(i) फैशन परिवर्तनशील होती है (Fashion are Changeable ) — परिवर्तनशीलता फैशन की प्रकृति है। वास्तव में बिना परिवर्तन के फैशन का अस्तित्व नहीं है। फैशन में यह परिवर्तन एक निश्चित चक्र के अनुसार आता है। यह चक्र इस प्रकार होता है-प्राचीन से वर्तमान की ओर, वर्तमान से नवीन की ओर, नवीन से नवीनतम की ओर व पुनः नवीनतम से प्राचीन की ओर। इस परिवर्तन का मुख्य आधार भावनात्मक होता है। फैशन की भावना - आत्म-प्रदर्शन की मूल प्रवृत्ति से संम्बन्धित होती है इसीलिए इसका आधार भावनात्मक होता है। इसके सम्बन्ध में तर्क और विचार-विमर्श का कोई अर्थ नहीं होता।

(ii) फैशन सामूहिक रुचि से सम्बन्धित होती है (Fashion related with group's Interest ) — फैशन एक वैयक्तिक अवधारणा नहीं है। फैशन कुछ व्यक्तियों के समूह से सम्बन्धित होती है। यदि किसी विशेष रीति को पूरा समूह स्वीकार कर लेता है तब ही इसे फैशन कहा जाता है अन्यथा वह व्यक्तिगत शैली ( Style) ही कहलाती है। जब किसी व्यक्तिगत शैली को समूह के दूसरे सदस्य भी पसन्द करने लगते हैं तो वह व्यक्तिगत शैली न रहकर फैशन बन जाती है।

(iii) फैशन में समरूपता (Uniformity in Fashion)—पहले संचार व यातायात के साधनों में व्यापक प्रगति नहीं होने से फैशन का क्षेत्र सीमित होता था। किन्तु वर्तमान समय में रेडियो, टेलीविजन, प्रेस, सिनेमा व साथ ही हवाई जहाज, रेलगाड़ी आदि यातायात के साधनों में विस्तार होने से फैशन शीघ्र ही एक स्थान से दूसरे स्थान पर फैल जाता है और जब फैशन सारी सीमाएँ पार करके दुनिया में फैल जाता है इसीलिए फैशन में समरूपता देखने को मिलती है।

(iv) फैशन में व्यापक विस्तार (Expansion .in Fashion ) - वर्तमान समय में फैशन किसी एक वस्तु या कपड़ों तक ही सीमित नहीं है वरन् अनेक वस्तुएँ व जीवन के अनेक तरीके फैशन के अन्तर्गत सम्मिलित हो गये हैं।

(v) उन्मादी प्रवृत्ति (Maddening Tempo ) - यद्यपि फैशन में परिवर्तनशीलता की प्रवृत्ति पाई जाती है पर इसके साथ ही इसमें उन्मादी प्रवृत्ति भी पाई जाती है। कई लोग फैशन के दीवाने हो जाते हैं और इतनी शीघ्रता से फैशन को परिवर्तित करते हैं कि सामान्य व्यक्ति का फैशन के साथ कदम मिलाकर चलना ही असम्भव हो जाता है।

(vi) फैशन की तर्कशून्यता (Irrationality of Fashion ) — आधुनिक फैशन का आधार तर्क न होकर एक धारा प्रवाह सा होता है जो कि अहं भाव, व्यक्तिवाद, संवेगात्मक कल्पना,नवीनता की चाह और आत्म-प्रदर्शन की भावना पर आधारित होता है।

(vii) फैशन का निर्धारण उपयोगिता द्वारा नहीं (Fashion not determine by utility) — फैशन का जन्म उपयोगिता के आधार पर नहीं होता। यद्यपि सभी प्रकार के फैशन अनुपयोगी नहीं होते हैं, कई फैशन उपयोगी भी होते हैं। किन्तु यह निश्चित है कि फैशन अपनाते समय व्यक्ति उसकी उपयोगिता को ध्यान में नहीं रखता। यदि किसी फैशन में बिल्कुल भी उपयोगिता नहीं हो फिर भी उसे अपनाया जा सकता है। इसका कारण यह है कि फैशन की उत्पत्ति आकस्मिक रूप से होती है। अकस्मात किये गये कार्य में विचार नहीं किया जाता और इसीलिए फैशन अपनाते समय व्यक्ति उसकी उपयोगिता के बारे में विचार नहीं करते।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- डिजाइन के तत्वों से आप क्या समझते हैं? ड्रेस डिजाइनिंग में इसका महत्व बताएँ।
  2. प्रश्न- डिजाइन के सिद्धान्तों से क्या तात्पर्य है? गारमेण्ट निर्माण में ये कैसे सहायक हैं? चित्रों सहित समझाइए।
  3. प्रश्न- परिधान को डिजाइन करते समय डिजाइन के सिद्धान्तों को किस प्रकार प्रयोग में लाना चाहिए? उदाहरण देकर समझाइए।
  4. प्रश्न- "वस्त्र तथा वस्त्र-विज्ञान के अध्ययन का दैनिक जीवन में महत्व" इस विषय पर एक लघु निबन्ध लिखिए।
  5. प्रश्न- वस्त्रों का मानव जीवन में क्या महत्व है? इसके सामाजिक एवं सांस्कृतिक महत्व की विवेचना कीजिए।
  6. प्रश्न- गृहोपयोगी वस्त्र कौन-कौन से हैं? सभी का विवरण दीजिए।
  7. प्रश्न- अच्छे डिजायन की विशेषताएँ क्या हैं ?
  8. प्रश्न- डिजाइन का अर्थ बताते हुए संरचनात्मक, सजावटी और सार डिजाइन का उल्लेख कीजिए।
  9. प्रश्न- डिजाइन के तत्व बताइए।
  10. प्रश्न- डिजाइन के सिद्धान्त बताइए।
  11. प्रश्न- अनुपात से आप क्या समझते हैं?
  12. प्रश्न- आकर्षण का केन्द्र पर टिप्पणी लिखिए।
  13. प्रश्न- अनुरूपता से आप क्या समझते हैं?
  14. प्रश्न- परिधान कला में संतुलन क्या हैं?
  15. प्रश्न- संरचनात्मक और सजावटी डिजाइन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  16. प्रश्न- फैशन क्या है? इसकी प्रकृति या विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  17. प्रश्न- फैशन के प्रेरक एवं बाधक तत्वों पर प्रकाश डालिये।
  18. प्रश्न- फैशन चक्र से आप क्या समझते हैं? फैशन के सिद्धान्त समझाइये।
  19. प्रश्न- परिधान सम्बन्धी निर्णयों को कौन-कौन से कारक प्रभावित करते हैं?
  20. प्रश्न- फैशन के परिप्रेक्ष्य में कला के सिद्धान्तों की चर्चा कीजिए।
  21. प्रश्न- ट्रेंड और स्टाइल को परिभाषित कीजिए।
  22. प्रश्न- फैशन शब्दावली को विस्तृत रूप में वर्णित कीजिए।
  23. प्रश्न- फैशन का अर्थ, विशेषताएँ तथा रीति-रिवाजों के विपरीत आधुनिक समाज में भूमिका बताइए।
  24. प्रश्न- फैशन अपनाने के सिद्धान्त बताइए।
  25. प्रश्न- फैशन को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं ?
  26. प्रश्न- वस्त्रों के चयन को प्रभावित करने वाला कारक फैशन भी है। स्पष्ट कीजिए।
  27. प्रश्न- प्रोत / सतही प्रभाव का फैशन डिजाइनिंग में क्या महत्व है ?
  28. प्रश्न- फैशन साइकिल क्या है ?
  29. प्रश्न- फैड और क्लासिक को परिभाषित कीजिए।
  30. प्रश्न- "भारत में सुन्दर वस्त्रों का निर्माण प्राचीनकाल से होता रहा है। " विवेचना कीजिए।
  31. प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों का उनकी कला तथा स्थानों के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- मलमल किस प्रकार का वस्त्र है? इसके इतिहास तथा बुनाई प्रक्रिया को समझाइए।
  33. प्रश्न- चन्देरी साड़ी का इतिहास व इसको बनाने की तकनीक बताइए।
  34. प्रश्न- कश्मीरी शॉल की क्या विशेषताएँ हैं? इसको बनाने की तकनीक का वर्णन कीजिए।.
  35. प्रश्न- कश्मीरी शॉल के विभिन्न प्रकार बताइए। इनका क्या उपयोग है?
  36. प्रश्न- हैदराबाद, बनारस और गुजरात के ब्रोकेड वस्त्रों की विवेचना कीजिए।
  37. प्रश्न- ब्रोकेड के अन्तर्गत 'बनारसी साड़ी' पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- बाँधनी (टाई एण्ड डाई) का इतिहास, महत्व बताइए।
  39. प्रश्न- बाँधनी के प्रमुख प्रकारों को बताइए।
  40. प्रश्न- टाई एण्ड डाई को विस्तार से समझाइए।
  41. प्रश्न- गुजरात के प्रसिद्ध 'पटोला' वस्त्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  42. प्रश्न- राजस्थान के परम्परागत वस्त्रों और कढ़ाइयों को विस्तार से समझाइये।
  43. प्रश्न- पोचमपल्ली पर संक्षिप्त प्रकाश डालिये।
  44. प्रश्न- पटोला वस्त्र से आप क्या समझते हैं ?
  45. प्रश्न- औरंगाबाद के ब्रोकेड वस्त्रों पर टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- बांधनी से आप क्या समझते हैं ?
  47. प्रश्न- ढाका की साड़ियों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  48. प्रश्न- चंदेरी की साड़ियाँ क्यों प्रसिद्ध हैं?
  49. प्रश्न- उड़ीसा के बंधास वस्त्र के बारे में लिखिए।
  50. प्रश्न- ढाका की मलमल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  51. प्रश्न- उड़ीसा के इकत वस्त्र पर टिप्पणी लिखें।
  52. प्रश्न- भारत में वस्त्रों की भारतीय पारंपरिक या मुद्रित वस्त्र छपाई का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- भारत के पारम्परिक चित्रित वस्त्रों का वर्णन कीजिए।
  54. प्रश्न- गर्म एवं ठण्डे रंग समझाइए।
  55. प्रश्न- प्रांग रंग चक्र को समझाइए।
  56. प्रश्न- परिधानों में बल उत्पन्न करने की विधियाँ लिखिए।
  57. प्रश्न- भारत की परम्परागत कढ़ाई कला के इतिहास पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  58. प्रश्न- कढ़ाई कला के लिए प्रसिद्ध नगरों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  59. प्रश्न- सिंध, कच्छ, काठियावाड़ और उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  60. प्रश्न- कर्नाटक की 'कसूती' कढ़ाई पर विस्तार से प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- पंजाब की फुलकारी कशीदाकारी एवं बाग पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  62. प्रश्न- टिप्पणी लिखिए: (i) बंगाल की कांथा कढ़ाई (ii) कश्मीर की कशीदाकारी।
  63. प्रश्न- कश्मीर की कशीदाकारी के अन्तर्गत शॉल, ढाका की मलमल व साड़ी और चंदेरी की साड़ी पर टिप्पणी लिखिए।
  64. प्रश्न- कच्छ, काठियावाड़ की कढ़ाई की क्या-क्या विशेषताएँ हैं? समझाइए।
  65. प्रश्न- "मणिपुर का कशीदा" पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  66. प्रश्न- हिमाचल प्रदेश की चम्बा कढ़ाई का वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- भारतवर्ष की प्रसिद्ध परम्परागत कढ़ाइयाँ कौन-सी हैं?
  68. प्रश्न- सुजानी कढ़ाई के इतिहास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  69. प्रश्न- बिहार की खटवा कढ़ाई पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  70. प्रश्न- फुलकारी किसे कहते हैं?
  71. प्रश्न- शीशेदार फुलकारी क्या हैं?
  72. प्रश्न- कांथा कढ़ाई के विषय में आप क्या जानते हैं?
  73. प्रश्न- कढ़ाई में प्रयुक्त होने वाले टाँकों का महत्व लिखिए।
  74. प्रश्न- कढ़ाई हेतु ध्यान रखने योग्य पाँच तथ्य लिखिए।
  75. प्रश्न- उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- जरदोजी पर टिप्पणी लिखिये।
  77. प्रश्न- बिहार की सुजानी कढ़ाई पर प्रकाश डालिये।
  78. प्रश्न- सुजानी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  79. प्रश्न- खटवा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।

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