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एम ए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र तृतीय प्रश्नपत्र - उच्चतर शैक्षिक मनोविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2687
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र तृतीय प्रश्नपत्र - उच्चतर शैक्षिक मनोविज्ञान

प्रश्न- थार्नडाइक द्वारा प्रतिपादित अधिगम के विभिन्न नियमों का उल्लेख कीजिए।

अथवा
सीखने की प्रक्रिया के तीन मुख्य नियम कौन-कौन से हैं?
अथवा
थॉर्नडाइक के अनुसार सीखने की प्रक्रिया के तीन प्रमुख नियम कौन-कौन से है?
अथवा
थार्नडाइक के सीखने के बेसिक नियम क्या हैं?
अथवा
थार्नडाइक के "सीखने के नियम" बताइये और उदाहरण देकर उनको स्पष्ट कीजिए।

उत्तर -

शिक्षा बालक के विकास की प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में अधिगम का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। विशेषकर मानसिक पक्ष इसमें सबसे महत्त्वपूर्ण होता है। विकास करने के लिये वांछित अनुभवों को प्रदान करना आवश्यक होता है। इन अनुभवों के आधार पर अधिगम करके ही बालक के विकास की प्रक्रिया को सम्पन्न कर पाना सम्भव होता पाता है। इस प्रकार अधिगम विकास का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण आधार है। इस महत्त्व के कारण विभिन्न मनोवैज्ञानिकों के द्वारा अधिगम के विभिन्न सिद्धान्तों का विकास किया गया है। शिक्षण अधिगम की प्रक्रिया में इन सिद्धान्तों को ध्यान में रखा जाना महत्त्वपूर्ण है।

अधिगम के नियम
(Laws of Learning)

व्यक्ति के विकास में अधिगम की प्रक्रिया महत्त्वपूर्ण है। यह प्रक्रिया किसी-न-किसी नियम पर ही आधारित होती है। हम जो कुछ भी सीखते हैं, वह सब किसी नियम के अनुसरण का ही परिणाम होता है। विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने अपने प्रयोगों एवं परीक्षणों के आधार पर इन नियमों का प्रतिपादन किया है। इन नियमों का अनुसरण करके अधिगम की प्रक्रिया को प्रभावपूर्ण बनाया जा सकता है। इन नियमों के अन्तर्गत थार्नडाइक द्वारा प्रतिपादित नियमों का विशेष महत्त्व है। इसके साथ ही स्किनर, गैस्टाल्ट, लैनिन आदि मनोवैज्ञानिकों द्वारा प्रतिपादित अधिगम के सिद्धान्त भी सार्थक अधिगम की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं। शिक्षा के क्षेत्र में इन नियमों एवं सिद्धान्तों का उपयोग अनेक प्रकार से किया जा रहा है। अभिप्रेरणा की विभिन्न विचारधारायें तथा अभिक्रमित अध्ययन इन नियमों व सिद्धान्तों पर ही आधारित है। शिक्षण प्रक्रिया के प्रमुख आधार भी यही नियम एवं सिद्धान्त हैं।

सीखने से सम्बन्धित नियमों तथा अन्य सिद्धान्तों के प्रतिपादन में थार्नडाइक ने अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। अपनी सुप्रसिद्ध पुस्तक "एजूकेशनल साइकोलॉजी” में थार्नडाइक ने इन नियमों एवं सिद्धान्तों का उल्लेख किया है। थार्नडाइक के अनुसार - " अधिगम एक मानसिक प्रक्रिया है, जो प्राणी को किसी विशिष्ट प्रकार का व्यवहार करने की दिशा में प्रेरित करती है। एक विशिष्ट प्रकार की परिस्थिति में किसी उद्दीपन का सम्बन्ध एक विशिष्ट अनुक्रिया से होने पर प्राणी को कुछ-न-कुछ सीखने का अवसर प्राप्त होता है।"

इसी को थार्नडाइक ने 'उद्दीपन अनुक्रिया' के नाम से सम्बोधित किया है। थार्नडाइक ने अपनी पुस्तक में अधिगम के जिन नियमों का उल्लेख किया है, उनका संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है-

(1) मुख्य नियम-

1. तत्परता अथवा तैयारी का नियम,
2. अभ्यास का नियम,
3. प्रभाव का नियम।

(2) गौण नियम -

यम। 1. बहु प्रतिक्रिया का नियम,
2. साहचर्य परिवर्तन का नियम,
3. आत्मीकरण का नियम,
4. आंशिक क्रिया का नियम,
5. मनोवृत्ति का नि

(1) मुख्य नियम - अधिगम से सम्बन्धित मुख्य नियमों के अन्तर्गत तैयारी का नियम, अभ्यास का नियम तथा प्रभाव के नियम को सम्मिलित किया गया है। ये निम्न प्रकार हैं-

1. तैयारी का नियम - थार्नडाइक के अनुसार, कार्य के प्रति तत्परता प्राणी के सीखने की गति एवं मात्रा को विशेष रूप से प्रभावित करती है। स्वाभाविक रूप से यदि कोई व्यक्ति किसी कार्य को करने हेतु मानसिक व शारीरिक रूप से तत्पर रहता है तो वह उस कार्य में अपना ध्यान अधिक समय तक केन्द्रित कर पाता है तथा उस कार्य को रुचिपूर्वक करते हुए अधिक-से-अधिक मात्रा में सीखने का अवसर प्राप्त करता है। इसके विपरीत अवस्था में व्यक्ति का ध्यान भंग हो जाता है तथा असन्तोषजनक स्थिति में कार्य करते हुए वांछित उपलब्धि भी सम्भव नहीं हो पाती।

2. अभ्यास का नियम - अभ्यास द्वारा किसी कार्य को सरलतापूर्वक व आसानी से सीखा जा सकता है। इसके माध्यम से व्यक्ति के कौशल में वृद्धि होती है। इस नियम को उपयोग व अनुपयोग के नियम के नाम से भी जाना जाता है। थार्नडाइक के अनुसार, यदि विषय-वस्तु जीवन से सम्बन्धित अथवा उपयोगी है तो दह विषय-वस्तु अधिक एवं प्रेरणादायक सिद्ध होती है तथा उस विषय-वस्तु को अपेक्षाकृत अधिक सहजता से व आसानी से ग्रहण किया जा सकता है। गणित एवं विज्ञान से सम्बन्धित विषय-वस्तु का अधिगम कराने में अभ्यास का नियम अत्यधिक सहायक व लाभकारी है।

3. प्रभाव का नियम - थार्नडाइक के अनुसार, कक्षा में इस प्रकार की परिस्थिति का निर्माण किया जाना चाहिए, जिसमें शिक्षार्थियों को अधिकाधिक सफलता प्राप्त हो सकें तथा वे अधिकाधिक ज्ञान प्राप्त करने की दिशा में अग्रसरित हो सकें। अपने प्रयासों के फलस्वरूप जब किसी शिक्षार्थी को सन्तोषजनक सफलता प्राप्त होती है या उसके कार्यों का परिणाम सकारात्मक रूप में उसके सम्मुख आता है तो स्वाभाविक रूप से उसे सुख एवं सन्तोष की अनुभूति होती है। सुख एवं सन्तोष की यह अनुभूति या सम्पूर्ण कार्यों का सकारात्मक प्रभाव ही उन्हें सतत् रूप से सीखने के लिए प्रेरित करता है।

(2) गौण नियम - थार्नडाइक द्वारा प्रतिपादित इन नियमों के अन्तर्गत इन नियमों को सम्मिलित किया गया है-

1. बहु प्रतिक्रिया का नियम - इस नियम के अनुसार अधिगम की दिशा में प्रयास करने वाले प्राणी को प्रयत्न एवं भूल के आधार पर प्रयास करने का अवसर प्रदान करना चाहिए तथा अपना कोई निर्णय थोपने से अच्छा है कि जहाँ आवश्यक हो, उसे अपना निर्देशन प्रदान करना चाहिए। थार्नडाइक के अनुसार, जब कोई प्राणी किसी कार्य का सीखना प्रारम्भ करता है तो स्वाभाविक रूप से वह विभिन्न प्रकार की प्रतिक्रिया करता है, परन्तु धीरे-धीरे अपने प्रयासों के आधार पर उसे यह ज्ञान हो जाता है कि सीखने की दृष्टि से कौन-सा उपाय या विधि सर्वश्रेष्ठ है।

2. साहचर्य परिवर्तन का नियम - इस नियम को सम्बद्ध परिवर्तन के नियम के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है। इस नियम के आधार पर पूर्व अधिगम से सम्बन्धित परिस्थितियों का सृजन किया जाना आवश्यक होता है। थार्नडाइक के अनुसार, यदि छात्रों के समक्ष नवीन ज्ञान प्रदान करते समय उन्हीं परिस्थितियों का निर्माण कर दिया जाये, जो परिस्थितियाँ उसके समक्ष, पूर्व ज्ञान प्रदान करते समय विद्यमान थीं तो वह परिस्थिति की साम्यता के आधार पर अधिक गति के साथ सीखने में सक्षम हो पाता है।

3. आत्मीकरण का नियम - इस नियम के आधार पर पहले प्राप्त ज्ञान का नवीन ज्ञान से सम्बन्ध स्थापित किया जाता है तथा प्रदत्त ज्ञान को शिक्षार्थियों के मस्तिष्क का स्थायी अंग बनाया जाता है। 'ज्ञात से अज्ञात' का शिक्षण सूत्र इसी नियम पर आधारित है। इस नियम के आधार पर नवीन ज्ञान के पूर्व ज्ञान से सम्बद्ध करने तथा सम्बद्धीकरण की प्रक्रिया के उपरान्त उसे ग्रहण कर लेने में सहायता प्राप्त होती है।

4. आंशिक क्रिया का नियम - इस नियम के अन्तर्गत 'अंश से पूर्ण की ओर' शिक्षण सूत्र का अनुपालन किया जाता है। पाठ योजना को छोटी-छोटी इकाइयों में बाँट करके प्रस्तुत करना इसी नियम के आधार पर होता है। सही अर्थों में जिस कौशल का विकास हम छात्रों में करना चाहते हैं, अथवा जिस ज्ञान को सम्प्रेषित करके उनके अधिगम में वृद्धि करने का प्रयास करते हैं, यदि उस ज्ञान को छोटे-छोटे खण्डों में छात्रों के समक्ष प्रस्तुत किया जाये तो वे उस ज्ञान को अधिक सरलता के साथ ग्रहण कर सकते हैं। इसी प्रकार विभिन्न कौशलों का अधिगम भी, छोटे-छोटे कार्य खण्डों में अधिक आसानी के साथ कराया जा सकता है।

5. मनोवृत्ति का नियम - इस नियम के अनुसार, अधिगम का प्राणी की मनोवृत्ति से निकट सम्बन्ध होता है। किसी ज्ञान को प्राप्त करने अथवा कौशल को विकसित करने के प्रति जिस प्रकार का मानसिक दृष्टिकोण, जिस छात्र का होगा, वह उसी के अनुरूप सीख सकेगा। इसके विपरीत स्थिति में, शिक्षण की प्रक्रिया को कितना भी प्रभावशाली क्यों न बना दिया जाये, यदि बालक की अभिवृत्ति अथवा उसका रुझान सीखने के प्रति नहीं है तो वह वांछित अधिगम की दिशा में प्रेरित नहीं किया जा सकता। इसका प्रमुख कारण यह है कि सीखने के लिए जिन गुणों, यथा-रुचि, तत्परता, ध्यान आदि की आवश्यकता होती है, उनका उद्भव सकारात्मक अभिवृत्ति के अभाव में सम्भव नहीं। अतः कुछ भी सीखने से पूर्व अधिगम के प्रति वांछित मनोवृत्ति का विकास, प्रत्येक शिक्षार्थी की प्राथमिक आवश्यकता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ बताइये एवं इसकी प्रकृति को संक्षेप में स्पष्ट कीजिये !
  2. प्रश्न- मनोविज्ञान और शिक्षा के सम्बन्ध का विवेचन कीजिये और बताइये कि मनोविज्ञान ने शिक्षा सिद्धान्त और व्यवहार में किस प्रकार की क्रान्ति की है?
  3. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान की भूमिका या महत्त्व बताइये।
  4. प्रश्न- 'शिक्षा मनोविज्ञान का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। शिक्षक प्रशिक्षण में इसकी सम्बद्धता क्या है?
  5. प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान की विकासात्मक विधि को समझाइये तथा इस विधि की विशेषताओं एवं सीमाओं का उल्लेख कीजिये।
  6. प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के प्रमुख उद्देश्यों का उल्लेख कीजिये।
  7. प्रश्न- शैक्षिक सिद्धान्त व शैक्षिक प्रक्रिया के लिये शैक्षिक मनोविज्ञान का क्या महत्त्व है?
  8. प्रश्न- मनोविज्ञान की विभिन्न परिभाषाओं को स्पष्ट कीजिये।
  9. प्रश्न- व्यवहारवाद की प्रमुख विशेषताएँ बताइए और आधुनिक भारतीय शिक्षा के क्षेत्र में व्यवहारवाद सम्प्रदाय का क्या योगदान है?
  10. प्रश्न- व्यवहारवाद तथा शिक्षा के सम्बन्ध का उल्लेख कीजिए।
  11. प्रश्न- गैस्टाल्ट मनोविज्ञान का शैक्षिक महत्व बताते गेस्टाल्टवाद का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- प्रकार्यवाद क्या है? उल्लेख कीजिए। प्रकार्यवाद का सिद्धान्त बताइए।
  13. प्रश्न- अवयवीवाद (गेस्टाल्टवाद) की मुख्य विशेषतायें बताइये।
  14. प्रश्न- फ्रायड के मनोविश्लेषणवाद को समझाइये।
  15. प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा की कुछ महत्त्वपूर्ण समस्याओं का समाधान करता है कैसे?
  16. प्रश्न- मनोविज्ञान में व्यवहारवाद की आवश्यकता का विश्लेषण कीजिए।
  17. प्रश्न- व्यवहारवाद क्या है? इसका शैक्षिक महत्व बताइये।
  18. प्रश्न- मनोविज्ञान के सम्प्रदाय का अर्थ तथा प्रकार का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- संरचनावाद का शिक्षा में क्या योगदान है?
  20. प्रश्न- अधिगम के अर्थ एवं प्रकृति की विवेचना कीजिए। अधिगम एवं परिपक्वता के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
  21. प्रश्न- अधिगम की परिभाषा बताइए।
  22. प्रश्न- अधिगम की प्रकृति समझाइये।
  23. प्रश्न- परिपक्वता और सीखने में क्या अन्तर है?
  24. प्रश्न- अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन-से हैं? उन्हें स्पष्ट कीजिए।
  25. प्रश्न- अधिगम को प्रभावित करने वाले अध्यापक से सम्बन्धित कारक कौन-से हैं?
  26. प्रश्न- विषय से सम्बन्धित अधिगम को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
  27. प्रश्न- अधिगम के वातावरण सम्बन्धी कारकों का वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- 'अनुबन्धन' से क्या अभिप्राय है? पावलॉव और स्किनर के सीखने के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया को नियंत्रित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
  30. प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं?
  31. प्रश्न- प्रानुकूलित अनुक्रिया से आप क्या समझते हैं? इस सिद्धान्त का शिक्षा में प्रयोग बताइये।
  32. प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  33. प्रश्न- स्किनर द्वारा सीखने के सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  34. प्रश्न- थार्नडाइक द्वारा प्रतिपादित अधिगम के विभिन्न नियमों का उल्लेख कीजिए।
  35. प्रश्न- थार्नडाइक के उद्दीपन-अनुक्रिया सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- गेस्टाल्ट का समग्राकृति अथवा अन्तर्दृष्टि का सिद्धान्त क्या है?
  37. प्रश्न- स्किनर के सक्रिय अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धान्त के शिक्षा में प्रयोग को समझाइये |
  38. प्रश्न- थार्नडाइक के सम्बन्धवाद अथवा प्रयास व त्रुटि के सिद्धान्त के द्वारा अधिगम को समझाइये |
  39. प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण क्या है? अधिगम स्थानान्तरण के प्रकार बताइये।
  40. प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण के प्रकार बताइए।
  41. प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण की दशाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  42. प्रश्न- अधिगमान्तरण के विभिन्न सिद्धान्तों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर अभिप्रेरणा का अर्थ स्पष्ट करते हुए अभिप्रेरणा के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  44. प्रश्न- अभिप्रेरणा के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  45. प्रश्न- अभिप्रेरणा को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक कौन-से हैं? उल्लेख कीजिये।
  46. प्रश्न- 'प्रेरणा' के सम्प्रत्यय का वर्णन कीजिए। छात्रों को अभिप्रेरित करने के लिए आप किन तकनीकों या विधियों का प्रयोग करेंगे?
  47. प्रश्न- अभिप्रेरणा क्या है? अभिप्रेरणा एवं व्यक्तित्व किस प्रकार सम्बन्धित हैं?
  48. प्रश्न- अभिप्रेरणा का क्या महत्त्व है? अभिप्रेरणा के विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  49. प्रश्न- अभिप्रेरणा के विभिन्न सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  50. प्रश्न- अभिप्रेरणा का मूल प्रवृत्ति सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  51. प्रश्न- अभिप्रेरणा का मूल मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  52. प्रश्न- अभिप्रेरणा का उद्दीपन-अनुक्रिया सिद्धान्त को समझाइये |
  53. प्रश्न- शैक्षिक दृष्टि से अभिप्रेरणा का क्या महत्त्व है?
  54. प्रश्न- विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर बुद्धि का अर्थ स्पष्ट करते हुये बुद्धि की प्रकृति या स्वरूप तथा उसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
  55. प्रश्न- बुद्धि की प्रकृति एवं स्वरूप का वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- बुद्धि की विशेषताओं को समझाइये |
  57. प्रश्न- बुद्धि परीक्षा के विभिन्न प्रकार कौन-से हैं? वैयक्तिक व सामूहिक बुद्धि परीक्षा की तुलना कीजिये।
  58. प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं?
  59. प्रश्न- शाब्दिक व अशाब्दिक तथा उपलब्धि परीक्षण को स्पष्ट कीजिये।
  60. प्रश्न- वाचिक अथवा अवाचिक वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण से क्या अभिप्राय है? उल्लेख कीजिये।
  61. प्रश्न- स्टैनफोर्ड बिने मानदण्ड क्या है?
  62. प्रश्न- बर्ट द्वारा संशोधित बुद्धि परीक्षण को बताइये।
  63. प्रश्न- अवाचिक वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण के प्रकार बताइये।
  64. प्रश्न- वाचिक सामूहिक बुद्धि परीक्षण कौन से हैं?
  65. प्रश्न- अवाचिक सामूहिक बुद्धि परीक्षणों का वर्णन कीजिये।
  66. प्रश्न- बुद्धि परीक्षण के विभिन्न उपयोगों पर संक्षिप्त प्रकाश डालिये।
  67. प्रश्न- आई. क्यू. (I.Q.) से क्या तात्पर्य है? यह कैसे नापा जाता है? क्या आई. क्यू. स्थायी होता है? बुद्धि कहाँ तक पितृगत होती है? अपने उत्तर के समर्थन में प्रयोगात्मक प्रमाणों का उल्लेख कीजिये।
  68. प्रश्न- क्या आई. क्यू. (बुद्धिलब्धि) स्थायी होती है?
  69. प्रश्न- बुद्धि कहाँ तक पितृगत (वंशानुगत) होती है?
  70. प्रश्न- बुद्धि के स्वरूप व प्रकारों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- बुद्धि के विभिन्न सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  72. प्रश्न- बुद्धि-लब्धि क्या है?
  73. प्रश्न- बुद्धि की पहचान किन तथ्यों के माध्यम से की जा सकती है? व्याख्या कीजिए।
  74. प्रश्न- व्यक्तिगत भिन्नता से आप क्या समझते हैं? इसके कारणों एवं प्रकारों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  75. प्रश्न- व्यक्तिगत भिन्नता होने के क्या-क्या कारण हैं?
  76. प्रश्न- व्यक्तिगत भिन्नता कितने प्रकार की होती है? प्रत्येक का वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- व्यक्तिगत भिन्नता मापने की विधियाँ बताइये।
  78. प्रश्न- व्यक्तिगत भिन्नता और शिक्षा में क्या सम्बन्ध है?
  79. प्रश्न- व्यक्तिगत विभिन्नता का शिक्षा में क्या महत्व है?
  80. प्रश्न- वैयक्तिक विभिन्नता से आप क्या समझते है? शिक्षा में इसके महत्व का वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- वैयक्तिक विभिन्नताओं के मापन पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  82. प्रश्न- वैयक्तिक विभिन्नता का मापन व्यक्तित्व परीक्षा द्वारा कैसे किया जाता है?
  83. प्रश्न- परीक्षण के बाद व्यक्तिगत विभिन्नता का मापन बताइए।
  84. प्रश्न- उपलब्धि परीक्षण से व्यक्तिगत विभिन्नता का मापन बताइये।
  85. प्रश्न- वैयक्तिक भिन्नता पर आधारित शिक्षण प्रविधियों का उल्लेख कीजिए।
  86. प्रश्न- डेक्रोली शिक्षण योजना को स्पष्ट कीजिए।
  87. प्रश्न- कॉन्ट्रेक्ट शिक्षण योजना तथा प्रोजेक्ट शिक्षण योजना का वर्णन कीजिए।
  88. प्रश्न- डाल्टन योजना को स्पष्ट कीजिए।
  89. प्रश्न- अभिक्रमित अनुदेशन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  90. प्रश्न- निष्पत्ति लब्धि की व्याख्या कीजिए।
  91. प्रश्न- शिक्षा-लब्धि पर टिप्पणी लिखिए।
  92. प्रश्न- निष्पत्ति परीक्षण की शैक्षिक उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
  93. प्रश्न- व्यक्तित्व के प्रमुख प्रकारों का उल्लेख कीजिये।
  94. प्रश्न- थार्नडाइक ने व्यक्तित्व को कितने भागों में विभाजित किया है?
  95. प्रश्न- स्प्रैगर के अनुसार व्यक्तित्व के प्रकार बताइए।
  96. प्रश्न- युंग द्वारा बताए गए व्यक्तित्व के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  97. प्रश्न- व्यक्तित्व क्या है? व्यक्तित्व का निर्धारण करने वाले जैविक एवं वातावरणजन्य कारकों का विवेचन कीजिये।
  98. प्रश्न- व्यक्तित्व के प्रमुख गुणों (विशेषताओं) या शीलगुण सिद्धान्त का विस्तार का उल्लेख कीजिए।
  99. प्रश्न- व्यक्तित्व के निर्धारण में वंशानुक्रम तथा पर्यावरण की भूमिका बताइए।
  100. प्रश्न- व्यक्तित्व निर्धारण में विद्यालय कैसे प्रभाव डालता है?
  101. प्रश्न- व्यक्तित्व की संरचना से सम्बन्धित विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  102. प्रश्न- फ्रायड के सिद्धान्त के प्रमुख तत्व बताइये।
  103. प्रश्न- फ्रायड द्वारा बताई गई रक्षा युक्तियों को समझाइये।
  104. प्रश्न- व्यक्तित्व की संरचना से सम्बन्धित युंग के सिद्धान्त को बताइये।
  105. प्रश्न- युंग के अनुसार व्यक्तित्त्व का वर्गीकरण कीजिये।
  106. प्रश्न- व्यक्तित्व क्या है? व्यक्तित्व मापन के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  107. प्रश्न- व्यक्ति की किशोरावस्था या प्रौढ़ावस्था में उसके मानसिक स्वास्थ्य को किस प्रकार संरक्षित किया जा सकता है?
  108. प्रश्न- प्रौढ़ावस्था में मानसिक स्वास्थ्य को किस प्रकार से संरक्षित किया जायेगा?
  109. प्रश्न- कौन-कौन से कारक मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं और शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा नामे रखने के उपाय बताइए।
  110. प्रश्न- शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखने के उपाय बताइये।
  111. प्रश्न- मानसिक द्वन्द्व से आप क्या समझते हैं? इसके क्या कारण हैं?
  112. प्रश्न- मानसिक द्वन्द्व के स्रोत बताइए।
  113. प्रश्न- समायोजन से क्या आशय है? विद्यालयी बालकों में कुसमायोजन के कारण बताइये।
  114. प्रश्न- समायोजन की विशेषताएँ बताइये।
  115. प्रश्न- विद्यालयी बालकों में कुसमायोजन के लिए कौन-कौन से कारण उत्तरदायी हैं? उनका वर्णन कीजिए।
  116. प्रश्न- बचाव (समायोजन) क्या है? प्रमुख बचाव (समायोजन) यंत्रीकरणों को उदाहरण सहित प्रस्तुत कीजिए।
  117. प्रश्न- 'संघर्ष' को परिभाषित कीजिए।
  118. प्रश्न- भग्नाशा (कुंठा) को परिभाषित कीजिए। भग्नाशा के प्रमुख कारणों की चर्चा कीजिए।
  119. प्रश्न- दुश्चिंता पर टिप्पणी लिखिए।
  120. प्रश्न- समायोजन स्थापित करने की विभिन्न तकनीकों की व्याख्या कीजिए।
  121. प्रश्न- तनाव प्रबन्धन क्या है?
  122. प्रश्न- समायोजन विधि को संक्षेप में समझाइये।

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