लोगों की राय

बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र प्रथम प्रश्नपत्र - शैक्षिक चिन्तन : भारतीय दार्शनिक परम्परायें

एम ए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र प्रथम प्रश्नपत्र - शैक्षिक चिन्तन : भारतीय दार्शनिक परम्परायें

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2685
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

एम ए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र प्रथम प्रश्नपत्र - शैक्षिक चिन्तन : भारतीय दार्शनिक परम्परायें

प्रश्न- रूढ़िवाद किसे कहते हैं? रूढ़िवाद की परिभाषा बताइए।

उत्तर -

रूढ़िवाद

सबसे पहले रूढ़िवाद का अर्थ समझें। रूढ़िवाद का अर्थ हैधार्मिक ग्रन्थों (जैसे बाइबिल, श्री गुरुग्रन्थ साहिब गीता) की मान्यताओं तथा सिद्धान्तों को अविवाद्ध मानना। अनुयायी इसे ऐतिहासिक सत्य के रूप में देखते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि अनुयायी कट्टर दृष्टिकोण अपनाते हैं, वे अक्सर अपने लिये अलग स्वतंत्र राष्ट्र की माँग भी करते हैं। इसे भी ग्रन्थों की भविष्यवाणी के रूप में देखा जाता है। इस प्रकार रूढ़िवाद के कारण एक विशिष्ट समुदाय समाज की मुख्य धारा से अलग हो जाता है। पुलिस, सेना आदि की मदद से शेष समाज इन्हें दबाने अथवा खत्म करने का प्रयास करता है, खासतौर पर तब जब ये कानून का उल्लंघन करने लगते हैं। रूढ़िवाद और साम्प्रदायिकता के बीच अन्तर यह है कि सामुदायिक आधिपत्य के अलावा साम्प्रदायिक दंगों का और कोई विशेष उद्देश्य नहीं होता है। रूढ़िवाद एक संगठित आन्दोलन है जिसका उद्देश्य विशेष रूप से धर्मिक प्रष्ठिता के दृष्टिगत सामाजिक लक्ष्यों को बढ़ावा देना है।

 

रूढ़िवाद के पहलू - " रूढ़िवाद" का प्रयोग सर्वप्रथम 1910 1915 में किया गया था जब अज्ञात लेखकों ने साहित्य के 12 खण्ड प्रकाशित किए जो "फंडामेंटल्स" कहलाए। 20वीं शताब्दी के आरम्भ में मुद्रण जगत ने इस शब्द का प्रयोग उत्तरी अमेरिका में रूढ़िवादी प्रोटेस्टेंट समूहों के सन्दर्भ में किया। ये समूह बाइबिल की उदार व्याख्याओं के बारे में चिन्तित थे। इससे चिंतत होकर रूढ़िवादियों ने विश्वास (आस्था) के कुछ 'मूल सिद्धान्तों' पर जोर दिया। इसमें ईसा मसीह का जन्म, दैवत्य और पुनर्जीवन और धार्मिक ग्रन्थ की विश्वसनीयता शामिल थी। ये और अन्य मूल सिद्धान्त 12 पुस्तिकाओं में 1910 1915 के बीच प्रकाशित हुए जो दि फन्डामैंटल्स' (मूल सिद्धान्त) कहलाए। इस प्रकार 'रूढ़िवाद' की अवधारणा के विशिष्ट प्रयोग की शुरुआत हुई। बुनियादी आन्दोलन वह आन्दोलन है जो किसी धर्म ग्रन्थ को बुनियादी मुद्दे के रूप में मानता है और जीवन का मार्गदर्शक समझता है।

टी. एन. मदान - (1993) ने कहा है कि रूढ़िवादी शब्द समकालीन विश्व में लोकप्रियता प्राप्त कर चुका है। उनके अनुसार इसका अभिप्राय विभिन्न मानदण्डों, मूल्यों और मनोवृत्तियों से है जो या तो रूढ़िवादियों की आलोचना करते हैं या उनकी भर्त्सना करते हैं, इस शब्द का प्रयोग अधिकतर साम्प्रदायिकता के स्थान पर भी किया जाता है। वास्तव में रूढ़िवाद शब्द आवरण शब्द हो गया है। इसका अर्थ यह है कि संसार में होने वाले विभिन्न रूढ़िवाद आन्दोलन वास्तव में एकसमान नहीं होते परन्तु वे कई प्रकार से एक-दूसरे से अलग होते हैं। परन्तु वे समरूपता में जुड़े होते हैं। रूढ़िवादी आन्दोलन सामूहिक चरित्र के होते हैं। इन आन्दोलनों का चमत्कारी नेताओं द्वारा प्रायः नेतृत्व किया जाता है जो सामान्यतया मनुष्य होते हैं। 1979 के इरानी आन्दोलन का नेतृत्व अयातुल्लाह खुमैनी ने किया था और हाल ही में सिक्ख रूढ़िवाद की लहर संत भिंडरावाले ने चलाई थी।

रूढ़िवादी वे व्यावहारिक लोग हैं जो सभी अशुद्ध जीवन शैलियों को शुद्ध करने का प्रयास करते हें, वे सभी भ्रष्ट जीवन शैलियों को अस्वीकार करते हैं। इसका एक उदाहरण है परम्परागत और अंधविश्वास भरी जीवन शैली। इस प्रकार मोदी ने वर्तमान मुस्लिम जीवन पद्धति को "अज्ञानी" कहा और भिंडरावाले ने "पतित" सिक्खों का उल्लेख किया जो अपनी दाढ़ी बनाते हैं, अपने बाल काटते हैं और परम्परागत सिक्ख जीवन पद्धति का पालन नहीं करते। इसलिए रूढ़िवाद आन्दोलन न केवल धार्मिक विश्वासों ओर प्रथाओं के बारे में होते हैं बल्कि वे आमतौर पर जीवन पद्धतियों के बारे में भी होते हैं।

रूढ़िवादी आन्दोलन उन व्यक्तियों के लिये प्रतिक्रियाशील होते हैं जो इनमें भाग लेते हैं जैसे नेता और उसमें भाग लेने वाले लोग। इसका अर्थ है वे पुनः परिभाषित मूल सिद्धान्त जिनमें आज की जरूरतें शामिल हैं। इसमें आमतौर पर परम्परा का सुधार निहित होता है। यह परम्परा की एक खोज भी कही जा सकती है। दयानंद प्रकरण में इसे बहुत अच्छी तरह समझाया गया है। ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्मान्तरण की चुनौती के प्रत्युत्तर में स्वामी ने हिन्दू धर्म विकसित करने का प्रयास किया। (मदान, वही) उन्होंने दावा किया कि वेद ही हिन्दू धर्म का एकमात्र सत्य रूप है और उन्होंने वेदों के लिये आह्वान किया।

ईरान में खुमैनी ने इस्लामी राज्य विकसित किया जो काजियों के संरक्षण पर आधारित था। फिर भिंडरावाले ने अपने तात्कालिक उत्तराधिकारियों की शिक्षाओं की अपेक्षा श्री गुरु गोविन्द सिंह की शिक्षाओं पर जोर दिया। धार्मिक प्राधिकार का दावा और संस्कृति की आलोचना रूढ़िवाद के दो पहलू हैं। राजनीतिक शक्ति का अनुसरण रूढ़िवाद के लिये अत्यन्त आवश्यक है। उत्तर - भारत में आर्यसमाजी प्रबल राष्ट्रवादी थे और उनके आन्दोलन में राजनीतिक स्वर था। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ जिसे सांस्कृतिक संगठन कहा गया है, उसके घनिष्ठ सम्बन्ध राजनीतिक दलों और विशेष रूप से संघ परिवार से रहे हैं। इसमें हिन्दू राष्ट्रवाद के सांस्कृतिक और राजनीतिक दोनों पहलू शामिल हैं। इससे पता चलता है कि रूढ़िवादी आन्दोलन प्रायः हिंसक क्यों हो जाते हैं और धर्मनिरपेक्षता की विचारधारा को क्यों अस्वीकार कर दिया जाता है। वे सर्वसत्तावादी हैं और विरोध सहन नहीं कर सकते। हालांकि ये आन्दोलन आधुनिक समाज में एक विशेष भूमिका भी निभाते हैं जिसे नकारा नहीं जा सकता।

इसलिए उद्देश्यपरक बौद्धिक विश्लेषण में रूढ़िवाद को एक विशिष्ट श्रेणी के रूप में माना जाना चाहिए। यह धर्म तंत्र नहीं है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- दर्शन का क्या अर्थ है? इसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  2. प्रश्न- दर्शन की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- दर्शन के सम्बन्ध में शिक्षा के उद्देश्य बताइये।
  4. प्रश्न- शिक्षा दर्शन का क्या अर्थ है तथा परिभाषा भी निर्धारित कीजिए। शिक्षा दर्शन के क्षेत्र को स्पष्ट कीजिए।
  5. प्रश्न- शिक्षा दर्शन की परिभाषाएँ स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- शिक्षा दर्शन के क्षेत्र को स्पष्ट कीजिए।
  7. प्रश्न- दर्शन के अध्ययन क्षेत्र एवं विषय-वस्तु का वर्णन कीजिए। दर्शन और शिक्षा में क्या सम्बन्ध है?
  8. प्रश्न- भारतीय दर्शन के आधारभूत तत्व कौन कौन से हैं? विवेचना कीजिए।
  9. प्रश्न- भारतीय दर्शन जगत में षडदर्शन का क्या महत्त्व है?
  10. प्रश्न- सांख्य और योग दर्शन के शिक्षण विधि संबंधी विचारों की तुलना कीजिए।
  11. प्रश्न- भारतीय दर्शन में जैन व चार्वाक का उल्लेख कीजिए।
  12. प्रश्न- बौद्ध दर्शन के मुख्य तत्वों पर प्रकाश डालिए।
  13. प्रश्न- धर्म तथा विज्ञान की दृष्टि से शिक्षा तथा दर्शन के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।उप
  14. प्रश्न- विज्ञान की शिक्षा तथा दर्शन से सम्बद्धता स्पष्ट कीजिए।
  15. प्रश्न- शिक्षा दर्शन से क्या अभिप्राय है? इसके स्वरूप का उल्लेख कीजिए।
  16. प्रश्न- शिक्षा दर्शन के स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
  17. प्रश्न- "शिक्षा सम्बन्धी समस्त प्रश्न अन्ततः दर्शन से सम्बन्धित हैं।" विवेचना कीजिए।
  18. प्रश्न- दर्शन तथा शिक्षण पद्धति के सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
  19. प्रश्न- आधुनिक भारत में शिक्षा के उद्देश्य क्या होने चाहिए?
  20. प्रश्न- सामाजिक विज्ञान के रूप में शिक्षा की विवेचना कीजिए।
  21. प्रश्न- दर्शनशास्त्र में अनुशासन का क्या महत्त्व है?
  22. प्रश्न- दर्शन शिक्षा पर किस प्रकार आश्रित है?
  23. प्रश्न- शिक्षा दर्शन पर किस प्रकार निर्भर करती है?
  24. प्रश्न- शिक्षा दर्शन के प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए।‌
  25. प्रश्न- शिक्षा-दर्शन के अध्ययन की आवश्यकता एवं महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
  26. प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के अर्थ एवं परिभाषा की विवेचना कीजिए। शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र की भी विवेचना कीजिए।
  27. प्रश्न- शिक्षा एवं मनोविज्ञान में क्या सम्बन्ध है?
  28. प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र की विवेचना कीजिए।
  29. प्रश्न- "शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षक के लिए कुंजी है, जिससे वह प्रत्येक जिज्ञासा एवं समस्या का उचित समाधान प्रस्तुत करता है।' विवेचना कीजिए।
  30. प्रश्न- वर्तमान शिक्षा की मनोवैज्ञानिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- शिक्षा के व्यापक एवं संकुचित अर्थ बताइये।
  32. प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का महत्व बताइये।
  33. प्रश्न- शिक्षक प्रशिक्षण में शिक्षा मनोविज्ञान की सम्बद्धता एवं उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
  34. प्रश्न- मनोविज्ञान शिक्षा को विभिन्न समस्याओं का समाधान करने में किस प्रकार सहायता देता है?
  35. प्रश्न- सांख्य दर्शन के शैक्षिक अर्थ क्या हैं? सविस्तार वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- सांख्य दर्शन में पाठ्यक्रम की अवधारणा को शैक्षिक परिप्रेक्ष्य में समझाइये।
  37. प्रश्न- सांख्य दर्शन के शैक्षिक परिप्रेक्ष्य में शिक्षण विधियों का वर्णन करो।
  38. प्रश्न- सांख्य दर्शन के शैक्षिक परिप्रेक्ष्य में अनुशासन, शिक्षण, छात्र व स्कूल का उल्लेख कीजिए।
  39. प्रश्न- सांख्य दर्शन के मूल सिद्धान्तों का क्या प्रभाव शिक्षा पद्धति पर हुआ है? व्याख्या कीजिए।
  40. प्रश्न- वेदान्त काल की शिक्षा के स्वरूप को उल्लेखित करते हुए विवेचना कीजिए।
  41. प्रश्न- वेदान्त दर्शन के शैक्षिक स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
  42. प्रश्न- उपनिषद् काल की शिक्षा की वर्तमान समय में प्रासंगिकता की विवेचना कीजिए।
  43. प्रश्न- वेदान्त दर्शन की तत्व मीमांसा, ज्ञान मीमांसा तथा मूल्य एवं आचार मीमांसा का वर्णन कीजिए।
  44. प्रश्न- वेदान्त दर्शन की मुख्य विशेषताओं की विवेचना कीजिए। वेदान्त दर्शन के अनुसार शिक्षा के उद्देश्यों व पाठ्यक्रम की व्याख्या कीजिए।
  45. प्रश्न- न्याय दर्शन में ईश्वर विचार तथा ईश्वर के अस्तित्व के लिए प्रमाण बताइये।
  46. प्रश्न- न्याय दर्शन में ईश्वर के अस्तित्व के प्रमाण लिखिए।
  47. प्रश्न- न्याय दर्शन की भूमिका प्रस्तुत कीजिए तथा न्यायशास्त्र का महत्त्व बताइये। न्यायशास्त्र के अन्तर्गत प्रमाण शास्त्र का वर्णन कीजिए।
  48. प्रश्न- वैशेषिक दर्शन में पदार्थों की व्याख्या कीजिये।
  49. प्रश्न- वैशेषिक द्रव्यों की व्याख्या कीजिए।
  50. प्रश्न- वैशेषिक दर्शन में कितने गुण होते हैं?
  51. प्रश्न- कर्म किसे कहते हैं? व्याख्या कीजिए।
  52. प्रश्न- सामान्य की व्याख्या कीजिए।
  53. प्रश्न- विशेष किसे कहते हैं? लिखिए।
  54. प्रश्न- समवाय किसे कहते हैं?
  55. प्रश्न- वैशेषिक दर्शन में अभाव क्या है?
  56. प्रश्न- सांख्य दर्शन के मूल सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  57. प्रश्न- सांख्य दर्शन के गुण-दोष लिखिए।
  58. प्रश्न- सांख्य दर्शन के बारे में आप क्या जानते हैं?
  59. प्रश्न- सांख्य दर्शन के प्रमुख बिन्दु क्या हैं?
  60. प्रश्न- न्याय दर्शन से आप क्या समझते हैं?
  61. प्रश्न- योग दर्शन के बारे में अपने विचार प्रकट कीजिए।
  62. प्रश्न- वेदान्त दर्शन में ईश्वर अर्थात् ब्रह्म के स्वरूप का वर्णन कीजिए।
  63. प्रश्न- अद्वैत वेदान्त के तीन प्रमुख सिद्धान्तों को बताइये।
  64. प्रश्न- उपनिषदों के बारे में बताइये।
  65. प्रश्न- उपनिषदों अर्थात् वेदान्त के अनुसार विद्या, अविद्या तथा परमतत्व का उल्लेख कीजिए।
  66. प्रश्न- शिक्षा में वेदान्त का महत्व बताइए।
  67. प्रश्न- बौद्ध धर्म के प्रमुख दार्शनिक सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  68. प्रश्न- बौद्ध धर्म के क्षणिकवाद तथा अनात्मवाद दार्शनिक सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं?
  69. प्रश्न- बौद्ध दर्शन में पंच स्कन्ध तथा कर्मवाद सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  70. प्रश्न- बौद्ध दर्शन के परिप्रेक्ष्य में बोधिसत्व से आप क्या समझते हैं?
  71. प्रश्न- बौद्ध दर्शन माध्यमिक शून्यवाद के सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं?
  72. प्रश्न- बौद्ध दर्शन में निहित मूल शैक्षिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- बौद्ध दर्शन में प्रतीत्य समुत्पाद, कर्मवाद तथा बोधिसत्व के सिद्धान्तों के शैक्षिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- बौद्ध दर्शन के शैक्षिक स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्य, पाठ्यक्रम एवं अनुशासन पर महात्मा बुद्ध के विचारों की विवेचना कीजिए।
  76. प्रश्न- बौद्ध दर्शन के अष्टांगिक मार्ग के शैक्षिक निहितार्थ का उल्लेख कीजिए।
  77. प्रश्न- बौद्ध धर्म के हीनयान तथा महायान सम्प्रदाय के मूलभूत भेद क्या हैं? उल्लेख कीजिए।
  78. प्रश्न- बौद्ध दर्शन में चार आर्य सत्यों का उल्लेख करते हुए उनके शैक्षिक निहितार्थ का विश्लेषण कीजिए?
  79. प्रश्न- जैन दर्शन से क्या तात्पर्य है? जैन दर्शन के मूल सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- जैन दर्शन के अनुसार 'द्रव्य' संप्रत्यय की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  81. प्रश्न- जैन दर्शन द्वारा प्रतिपादित शिक्षा के उद्देश्यों, पाठ्यक्रम और शिक्षण विधियों का उल्लेख कीजिए।
  82. प्रश्न- इस्लाम दर्शन का परिचय दीजिए। इस्लाम दर्शन के शिक्षा के अर्थ को स्पष्ट करते हुए इसमें निहित शिक्षा के उद्देश्यों, पाठ्यक्रम तथा शिक्षण विधियों का उल्लेख कीजिए।
  83. प्रश्न- इस्लाम धर्म एवं दर्शन की प्रमुख विशेषताएँ क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  84. प्रश्न- जैन दर्शन का मूल्यांकन कीजिए।
  85. प्रश्न- मूल्य निर्माण में जैन दर्शन का क्या योगदान है?
  86. प्रश्न- अनेकान्तवाद (स्याद्वाद) को समझाइए।
  87. प्रश्न- जैन दर्शन और छात्र पर टिप्पणी लिखिए।
  88. प्रश्न- इस्लाम दर्शन के अनुसार शिक्षा व शिक्षार्थी के विषय में बताइए।
  89. प्रश्न- संसार को इस्लाम धर्म की देन का उल्लेख कीजिए।
  90. प्रश्न- गीता में नीतिशास्त्र की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
  91. प्रश्न- गीता में भक्ति मार्ग की महत्ता क्या है?
  92. प्रश्न- श्रीमद्भगवत गीता के विषय विस्तार को संक्षेप में समझाइये।
  93. प्रश्न- गीता के अनुसार कर्म मार्ग क्या है?
  94. प्रश्न- गीता दर्शन में शिक्षा का क्या अर्थ है?
  95. प्रश्न- गीता दर्शन के अन्तर्गत शिक्षा के सिद्धान्तों को बताइए।
  96. प्रश्न- गीता दर्शन में शिक्षालयों का स्वरूप क्या था?
  97. प्रश्न- गीता दर्शन तथा मूल्य मीमांसा को संक्षेप में बताइए।
  98. प्रश्न- गीता में गुरू-शिष्य के सम्बन्ध कैसे थे?
  99. प्रश्न- वैदिक परम्परा व उपनिषदों के अनुसार शिक्षा के उद्देश्य लिखिए।
  100. प्रश्न- नास्तिक सम्प्रदायों का शैक्षिक अभ्यास में योगदान बताइए।
  101. प्रश्न- आस्तिक एवं नास्तिक पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  102. प्रश्न- रूढ़िवाद किसे कहते हैं? रूढ़िवाद की परिभाषा बताइए।
  103. प्रश्न- भारतीय वेद के सामान्य सिद्धान्त बताइए।
  104. प्रश्न- भारतीय दर्शन के नास्तिक स्कूलों का परिचय दीजिए।
  105. प्रश्न- आस्तिक दर्शन के प्रमुख स्कूलों का परिचय दीजिए।
  106. प्रश्न- भारतीय दर्शन के आस्तिक तथा नास्तिक सम्प्रदायों की व्याख्या कीजिये।
  107. प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्य, पाठ्यक्रम और शिक्षण विधि पर श्री अरविन्द घोष के विचारों की विवेचना कीजिए।
  108. प्रश्न- श्री अरविन्द अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षा केन्द्र का वर्णन कीजिए।
  109. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में अरविन्द घोष के योगदान का वर्णन कीजिए।
  110. प्रश्न- श्री अरविन्द के किन शैक्षिक विचारों ने आपको अपेक्षाकृत अधिक प्रभावित किया और क्यों?
  111. प्रश्न- श्री अरविन्द के शैक्षिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  112. प्रश्न- टैगोर के शिक्षा दर्शन का मूल्यांकन कीजिए तथा शिक्षा के उद्देश्य, शिक्षण पद्धति, पाठ्यक्रम एवं शिक्षक के स्थान के सम्बन्ध में उनके विचारों को स्पष्ट कीजिए।
  113. प्रश्न- टैगोर का शिक्षा में योगदान बताइए।
  114. प्रश्न- विश्व भारती का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  115. प्रश्न- शान्ति निकेतन की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं? आप कैसे कह सकते हैं कि यह शिक्षा में एक प्रयोग है?
  116. प्रश्न- टैगोर का मानवतावादी प्रकृतिवाद पर टिप्पणी लिखिए।
  117. प्रश्न- डॉ. राधाकृष्णन के बारे में प्रकाश डालिए।
  118. प्रश्न- शिक्षा के अर्थ, उद्देश्य तथा शिक्षण विधि सम्बन्धी विचारों पर प्रकाश डालते हुए गाँधी जी के शिक्षा दर्शन का मूल्यांकन कीजिए।
  119. प्रश्न- गाँधी जी के शिक्षा दर्शन तथा शिक्षा की अवधारणा के विचारों को स्पष्ट कीजिए। उनके शैक्षिक सिद्धान्त वर्तमान भारत की प्रमुख समस्याओं का समाधान कहाँ तक कर सकते हैं?
  120. प्रश्न- बुनियादी शिक्षा क्या है?
  121. प्रश्न- बुनियादी शिक्षा का वर्तमान सन्दर्भ में महत्व बताइए।
  122. प्रश्न- "बुनियादी शिक्षा महात्मा गाँधी की महानतम् देन है"। समीक्षा कीजिए।
  123. प्रश्न- गाँधी जी की शिक्षा की परिभाषा की विवेचना कीजिए।
  124. प्रश्न- शारीरिक श्रम का क्या महत्त्व है?
  125. प्रश्न- गाँधी जी की शिल्प आधारित शिक्षा क्या है? शिल्प शिक्षा की आवश्यकता बताते हुए.इसकी वर्तमान प्रासंगिकता बताइए।
  126. प्रश्न- वर्धा शिक्षा योजना पर टिप्पणी लिखिए।
  127. प्रश्न- महर्षि दयानन्द के जीवन एवं उनके योगदान को समझाइए।
  128. प्रश्न- दयानन्द के शिक्षा दर्शन के विषय में सविस्तार लिखिए।
  129. प्रश्न- स्वामी दयानन्द का शिक्षा में योगदान बताइए।
  130. प्रश्न- शिक्षा का अर्थ एवं उद्देश्यों, पाठ्यक्रम, शिक्षण-विधि, शिक्षक का स्थान, शिक्षार्थी को स्पष्ट करते हुए जे. कृष्णामूर्ति के शैक्षिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
  131. प्रश्न- जे. कृष्णमूर्ति के जीवन दर्शन पर टिप्पणी लिखिए।
  132. प्रश्न- जे. कृष्णामूर्ति के विद्यालय की संकल्पना पर प्रकाश डालिए।
  133. प्रश्न- मानवाधिकार आयोग के सार्वभौमिक घोषणा पत्र में मानव मूल्यों के सन्दर्भ में क्या घोषणाएँ की गई।
  134. प्रश्न- मूल्यों के संवैधानिक स्रोतों का उल्लेख कीजिए।
  135. प्रश्न- राष्ट्रीय मूल्य की अवधारणा क्या है?
  136. प्रश्न- जनतंत्र का अर्थ स्पष्ट कीजिए जनतन्त्रीय शिक्षा का वर्णन कीजिए?
  137. प्रश्न- लोकतन्त्र में शिक्षा के उद्देश्य क्या हैं?
  138. प्रश्न- आधुनिकीकरण के गुण-दोषों की व्याख्या करते हुए इसमें शिक्षा की भूमिका का भी वर्णन कीजिए।
  139. प्रश्न- आधुनिकीकरण का अर्थ एवं परिभाषएँ बताइए।
  140. प्रश्न- आधुनिकीकरण की विशेषताएँ बताइये।
  141. प्रश्न- आधुनिकीकरण के लक्षण बताइये।
  142. प्रश्न- आधुनिकीकरण में शिक्षा की भूमिका बताइये।
  143. प्रश्न- राष्ट्रीय एकता में शिक्षा की भूमिका क्या है? विवेचना कीजिए।
  144. प्रश्न- शैक्षिक अवसरों में समानता से आप क्या समझते हैं?
  145. प्रश्न- लोकतन्त्रीय शिक्षा के पाठ्यक्रम और शिक्षण विधियों की विवेचना कीजिए।
  146. प्रश्न- जनतन्त्रीय शिक्षा के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
  147. प्रश्न- शिक्षा में लोकतंत्रीय धारणा से आप क्या समझते हैं?
  148. प्रश्न- राष्ट्रीय एकता की समस्या पर प्रकाश डालिए?
  149. प्रश्न- भारत में शैक्षिक अवसरों की असमानता के विभिन्न स्वरूपों पर प्रकाश डालिए।
  150. प्रश्न- प्रजातन्त्र में शिक्षा की भूमिका बताइये।
  151. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में शिक्षा की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
  152. प्रश्न- लोकतन्त्र में शिक्षा के उद्देश्य बताइये।
  153. प्रश्न- जनतंत्र के मूल सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  154. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन से आप क्या समझते हैं? शिक्षा सामाजिक परिवर्तन किस प्रकार लाती है?

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book