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एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र चतुर्थ प्रश्नपत्र - परिवर्तन एवं विकास का समाजशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2684
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र चतुर्थ प्रश्नपत्र - परिवर्तन एवं विकास का समाजशास्त्र

प्रश्न- क्षेत्रीय नियोजन को परिभाषित करते हुए, भारत में क्षेत्रीय नियोजन के अनुभव की विस्तृत व्याख्या कीजिए।

उत्तर -

क्षेत्रीय नियोजन क्षेत्रीय नियोजन किसी एक शहर या कस्बे की तुलना में भूमि के बड़े क्षेत्र में भूमि उपयोग गतिविधियों, बुनियादी ढाँचे और निपटान विकास के कुशल प्लेसमेंट से सम्बन्धित हैं। क्षेत्रीय नियोजन शहरी नियोजन से सम्बन्धित है क्योंकि यह व्यापक पैमाने पर भूमि उपयोग प्रयासों से सम्बन्धित है। इसमें ऐसे कानून बनाना भी शामिल है जो ऐसे उक्त क्षेत्रों की कुशल योजना और प्रबन्धन का मार्गदर्शन करेंगे। विभिन्न विषयों को शामिल करके क्षेत्रीय योजना व्यापक हो सकती है। लेकिन यह अक्सर एक विशेष विषय को निर्दिष्ट करती है, जिसके लिये क्षेत्रव्यापी विचार की आवश्यकता होती है। क्षेत्रों को विभिन्न भूमि उपयोगों की आवश्यकता होती है, कृषि भूमि, शहरों, औद्योगिक स्थान, परिवहन केन्द्रों और बुनियादी ढाँचे, सैन्य ठिकानों और जंगल की सुरक्षा क्षेत्रीय नियोजन एक क्षेत्र के सतत् विकास के लिये बुनियादी ढाँचे के कुशल प्लेसमेंट और जोनिंग का विज्ञान है। नये शहरीवादी पीटर कैलथोरपे जैसे क्षेत्रीय नियोजन के अधिवक्ता, दृष्टिकोण को बढ़ावा देते हैं क्योंकि यह क्षेत्रव्यापी, पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक मुद्दों को सम्बोधित कर सकता है, जिन्हें आवश्यक रूप से एक क्षेत्रीय ध्यान देने की आवश्यकता हो सकती है। नियोजन के संदर्भ में एक क्षेत्र प्रशासनिक या कम से कम आंशिक रूप से कार्यात्मक हो सकता है और इसमें बस्तियों और चरित्र क्षेत्रों का एक नेटवर्क शामिल होने की संभावना है। अधिकांश यूरोपीय देशों में क्षेत्रीय और राष्ट्रीय योजनायें स्थानिक हैं जो विशिष्ट शहरों और कस्बों के विकास के कुछ स्तरों को विशिष्ट 'आवश्यकताओं के आधार पर क्षेत्र का समर्थन और प्रबन्धन करने के लिये निर्देशित करती हैं। यद्यपि 'क्षेत्रीय नियोजन' शब्द अंग्रेजी भाषी देशों में लगभग सार्वभौमिक है, इसमें शामिल क्षेत्र और विशिष्ट प्रशासनिक व्यवस्था व्यापक रूप से भिन्न है। उत्तरी अमेरिका में क्षेत्रीय योजना संघ या एक बड़ा महामंडल या बस्तियों का नेटवर्क। उत्तर अमेरीकी क्षेत्रीय योजना में यूके की क्षेत्रीय विधानसभाओं की तुलना में बहुत बड़े क्षेत्र को कवर करने की संभावना है। हालांकि दो ही प्रकृति में समान रूप से क्षेत्रीय है।

भारत में क्षेत्रीय नियोजन का अनुभव भारत में क्षेत्रीय नियोजन का कार्यक्षेत्र सीमित है क्योंकि राज्य स्वतंत्र राजनीतिक सत्ता के रूप में कार्य करते हैं तथा उनका अपना-अपना पृथक् नियोजन तंत्र होता है। अंतर्राज्यीय एवं अंतर्राजीय स्तरों पर क्षेत्रीय नियोजन के कुछ अनुभव इस प्रकार हैं-

(1) अंतर्राज्यीय नियोजन - आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्यों के नियोजन के लिये उपक्षेत्रों के तौर पर पहचान की गई है। रायल सीमा क्षेत्र के लिये आंध्र प्रदेश द्वारा योजना का उद्देश्य सिंचाई के लिये सतही और भौमजल क्षमता का विकास करना, औद्योगिक विकास, डेयरी कृषि और वन एवं खनिज संसाधनों का अधिकतम उपयोग करना है।

(2) अंतरराज्यीय योजनायें - अंतरराज्यीय योजनाओं के अन्तर्गत विभिन्न क्षेत्रों को सम्मिलित किया गया है -

(a) दामोदर घाटी परियोजना - यह एक बहुउद्देश्यीय पारियोजना है, जिसके अन्तर्गत उद्देश्यों के रूप में सिंचाई, पेयजल, विद्युत, बाढ़ नियंत्रण, वनीकरण तथा वन, खनिज एवं अन्य संसाधनों के विवेक संगत उपयोग शामिल हैं। इनमें झारखण्ड, बिहार, पं. बंगाल तथा संघीय सरकार सम्मिलित हैं।

(b) दण्डकारण्य परियोजना - इस परियोजना के अन्तर्गत ओडिशा एवं उसके पड़ोसी राज्यों के जनजातीय क्षेत्र शामिल हैं। इसका उद्देश्य जनजातीय हितों को ध्यान में रखते हुए बांग्लादेश से आये शरणार्थियों का पुनर्वास करना था। यह परियोजना दण्डकारण्य विकास प्राधिकरण द्वारा क्रियान्वित की गई।

(c) दक्षिणी - पूर्वी संसाधन क्षेत्र टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग आर्गेनाइजेशन (जिसने दामोदर घाटी एवं दण्डकारण्य परियोजनाओं की रूपरेखा तैयार की थी) द्वारा इन दोनों क्षेत्रों के बीच स्थित संसाधनों से सम्पन्न मध्यतर्वी क्षेत्र की महत्ता का अनुभव किया गया, जो विकास की समस्याओं से ग्रस्त था। इस क्षेत्र के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, ओडीशा, छत्तीसगढ़ एवं पश्चिम बंगाल के विभिन्न भू-भाग शामिल हैं। इस परियोजना की सफलता अंतरराज्यीय सहयोग की मात्रा पर निर्भर करती है।

(d) बुंदेलखण्ड - इस क्षेत्र में मध्य प्रदेश के छह तथा उत्तर प्रदेश के पाँच जिले शामिल हैं। इस क्षेत्र में जल की कमी, कृषि गतिविधियों का निम्नस्तर, उद्योगों का अभाव तथा कमजोर संचार तंत्र जैसी समस्यायें मौजूद हैं। दोनों ही राज्यों द्वारा इस क्षेत्र के विकास हेतु कई परियोजनायें लागू की गई हैं।

(e) पश्चिमी घाट - इस क्षेत्र में छह राज्य गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा, केरल एवं तमिलनाडु शामिल हैं। एकीकृत योजना के तहत वनीकरण मृदा संरक्षण, जल-विद्युत विकास, पौध कृषि खनिज संसाधन विकास एवं वन्य जीव संरक्षण के मुद्दों को ध्यान में रखा जाना है। एक उच्चस्तरीय निकाय द्वारा इस क्षेत्र के लिए दिशा निर्देशों का प्रारूप तैयार किया गया है एवं उसी के अनुसार योजनाओं का निर्माण किया जा रहा है।

(f) उत्तर - पूर्वी क्षेत्र इस क्षेत्र में पूर्वोत्तर के सात राज्य असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, नागालैण्ड, मणिपुर, त्रिपुरा व मिजोरम शामिल हैं। इस क्षेत्र की प्रमुख समस्यायें हैं दुर्गम भू-भाग एवं हीनतर आधार संरचना के कारण पहुँच कम होना, मृदा क्षरण, बाढ़, निम्न कृषि उत्पादकता एवं उद्योगीकरण का निम्न स्तर। 1971 में, उत्तर - पूर्वी परिषद की स्थापना की गई है ताकि योजना प्रयासों में समन्वय एवं सुधार लाया जा सके। यह परिषद् अंतरराज्यीय प्रकृति की गतिविधियाँ संचार, बिजली, बाढ़ नियंत्रण तथा विपणन एवं प्रशिक्षण सुविधायें इत्यादि के सम्बन्ध में योजना परामर्श देती है।

अतः क्षेत्रीय नियोजन के अनुभव हमें बताते हैं कि कोई भी अन्तरराज्यीय योजना निकाय अपनी प्रकृति में मात्र परामर्शदायी हो सकता है। क्षेत्रीय नियोजन के अन्तर्गत संश्लेषित, भौतिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक हित संलग्न होते हैं। यह चर्चा की जाती है कि क्षेत्रीय नियाजन की नींव काफी हद तक भूगोल में होती है, क्योंकि विशेष रूप से केवल भूगोलवेत्ता ही क्षेत्रीय संसाधनों और इसकी समस्याओं का अध्ययन करता है और एक क्षेत्र में प्राकृतिक, भौतिक और मानव कारकों के बीच अंतर्क्रिया का भी अध्ययन करता है।

प्रदेश की अवधारणा और उसका प्रादेशिक स्थान भूगोल के लिये विशेष चिंता का क्षेत्र है। शोधार्थियों के अनुसार प्रादेशिक भूगोल ही भूगोल का मुख्य क्षेत्र है। यह इसलिये है क्योंकि भूगोलवेत्ता क्षेत्र और इसके पर्यावरण का बेहतर ज्ञान रखते हैं ताकि पर्यावरणीय संदर्भ को समझने में वे प्रादेशिक नीति निर्माताओं की मदद कर सके। क्षेत्रीय नियोजन सम्मिलित क्षेत्र की क्षैतिक एकता के दर्शन पर बल डालता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का अर्थ बताइये सामाजिक परिवर्तन की विशेषतायें बताते हुए सामाजिक परिवर्तन को प्रभावित करने वाले कारकों का विवरण दीजिए?
  2. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की विशेषतायें बताइए।
  3. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की प्रमुख प्रक्रियायें बताइये तथा सामाजिक परिवर्तन के कारणों (कारकों) का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- नियोजित सामाजिक परिवर्तन की विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
  5. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में नियोजन के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन से आप क्या समझते है? सामाजिक परिर्वतन के स्वरूपों की व्याख्या स्पष्ट कीजिए।
  7. प्रश्न- सामाजिक संरचना के विकास में सहायक तथा अवरोधक तत्त्वों को वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- सामाजिक संरचना के विकास में असहायक तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
  9. प्रश्न- केन्द्र एवं परिरेखा के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
  10. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का अर्थ बताइये? सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख कारकों का उल्लेख कीजिए।
  11. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के भौगोलिक कारक की विवेचना कीजिए।
  12. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जैवकीय कारक की विवेचना कीजिए।
  13. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारक की विवेचना कीजिए।
  14. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के राजनैतिक तथा सेना सम्बन्धी कारक की विवेचना कीजिए।.
  15. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में महापुरुषों की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  16. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्रौद्योगिकीय कारक की विवेचना कीजिए।
  17. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारक की विवेचना कीजिए।
  18. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विचाराधारा सम्बन्धी कारक की विवेचना कीजिए।
  19. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के सांस्कृतिक कारक की विवेचना कीजिए।
  20. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के मनोवैज्ञानिक कारक की विवेचना कीजिए।
  21. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की परिभाषा बताते हुए इसकी विशेषताएं लिखिए।
  22. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की विशेषतायें बताइये।
  23. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में सूचना प्रौद्योगिकी की क्या भूमिका है?
  24. प्रश्न- निम्नलिखित पुस्तकों के लेखकों के नाम लिखिए - (अ) आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन (ब) समाज
  25. प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी एवं विकास के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
  26. प्रश्न- सूचना तंत्र क्रान्ति के सामाजिक परिणामों की व्याख्या कीजिए।
  27. प्रश्न- रूपांतरण किसे कहते हैं?
  28. प्रश्न- सामाजिक नियोजन की अवधारणा को परिभाषित कीजिए।
  29. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विभिन्न परिप्रेक्ष्यों का वर्णन कीजिए।
  30. प्रश्न- प्रवर्जन व सामाजिक परिवर्तन पर एक टिप्पणी लिखिए।
  31. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- सामाजिक उद्विकास से आप क्या समझते हैं? सामाजिक उद्विकास के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिए।
  33. प्रश्न- सामाजिक उद्विकास के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिए।
  34. प्रश्न- भारत में सामाजिक उद्विकास के कारकों का वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- भारत में सामाजिक विकास से सम्बन्धित नीतियों का संचालन कैसे होता है?
  36. प्रश्न- सामाजिक प्रगति को परिभाषित कीजिए। सामाजिक प्रगति और सामाजिक परिवर्तन में अन्तर कीजिए।
  37. प्रश्न- सामाजिक प्रगति और सामाजिक परिवर्तन में अन्तर कीजिए।
  38. प्रश्न- सामाजिक प्रगति में सहायक दशाओं की विवेचना कीजिए।
  39. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के लिए जैव-तकनीकी कारण किस प्रकार उत्तरदायी है?
  40. प्रश्न- सामाजिक प्रगति को परिभाषित कीजिए। सामाजिक प्रगति और सामाजिक परिवर्तन में अन्तर कीजिए?
  41. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन एवं सामाजिक प्रगति में अन्तर बताइये।
  42. प्रश्न- सामाजिक उद्विकास एवं प्रगति में अन्तर बताइये।
  43. प्रश्न- सामाजिक उद्विकास की अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
  44. प्रश्न- समाज में प्रगति के मापदण्डों को स्पष्ट कीजिए।
  45. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों की विवेचना कीजिए।
  46. प्रश्न- उद्विकास व प्रगति में अन्तर स्थापित कीजिए।
  47. प्रश्न- "भारत में जनसंख्या वृद्धि ने सामाजिक आर्थिक विकास में बाधाएँ उपस्थित की हैं।" स्पष्ट कीजिए।
  48. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारक बताइये तथा आर्थिक कारकों के आधार पर मार्क्स के विचार प्रकट कीजिए?
  49. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन मे आर्थिक कारकों से सम्बन्धित अन्य कारणों को स्पष्ट कीजिए।
  50. प्रश्न- आर्थिक कारकों पर मार्क्स के विचार प्रस्तुत कीजिए?
  51. प्रश्न- मिश्रित अर्थव्यवस्था से आप क्या समझते हैं? भारत के सन्दर्भ में समझाइए।
  52. प्रश्न- भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था के बारे समझाइये।
  53. प्रश्न- मिश्रित अर्थव्यवस्था का नये स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
  54. प्रश्न- मिश्रित अर्थव्यवस्था की आलोचनात्मक समीक्षा कीजिए।
  55. प्रश्न- विकास के समाजशास्त्र को परिभाषित कीजिए तथा उसका विषय क्षेत्र एवं महत्व बताइये?
  56. प्रश्न- विकास के समाजशास्त्र का विषय क्षेत्र बताइये?
  57. प्रश्न- विकास के समाजशास्त्र के महत्व की विवेचना विकासशील समाजों के सन्दर्भ में कीजिए?
  58. प्रश्न- मिश्रित अर्थव्यवस्था की उपादेयता व सीमाओं की विवेचना कीजिए।
  59. प्रश्न- मिश्रित अर्थव्यवस्था की सीमाएँ स्पष्ट कीजिए।
  60. प्रश्न- औद्योगीकरण के सामाजिक प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
  61. प्रश्न- मिश्रित अर्थव्यवस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
  62. प्रश्न- समाज पर प्रौद्योगिकी का प्रभाव बताइए।
  63. प्रश्न- विकास के उपागम बताइए?
  64. प्रश्न- सामाजिक विकास के मार्ग में पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख कीजिए।
  65. प्रश्न- भारतीय समाज मे विकास की सतत् प्रक्रिया पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  66. प्रश्न- विकास के प्रमुख संकेतकों की व्याख्या कीजिए।
  67. प्रश्न- मानव विकास को परिभाषित करते हुए इसकी उपयोगिता स्पष्ट करो।
  68. प्रश्न- मानव विकास के अध्ययन के महत्व की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।
  69. प्रश्न- मानव विकास को समझने में शिक्षा की भूमिका बताओ।
  70. प्रश्न- वृद्धि एवं विकास में क्या अन्तर है?
  71. प्रश्न- सतत् विकास की संकल्पना को बताते हुये इसकी विशेषतायें लिखिये।
  72. प्रश्न- सतत् पोषणीय विकास का महत्व अथवा आवश्यकता स्पष्ट कीजिये।
  73. प्रश्न- सतत् पोषणीय विकास के उद्देश्यों का उल्लेख कीजिये।
  74. प्रश्न- विकास से सम्बन्धित पर्यावरणीय समस्याओं को हल करने की विधियों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिये।
  75. प्रश्न- पर्यावरणीय सतत् पोषणता के कौन-कौन से पहलू हैं? समझाइये।
  76. प्रश्न- सतत् पोषणीय विकास की आवश्यकता / महत्व को स्पष्ट कीजिये। भारत जैसे विकासशील देश में इसके लिये कौन-कौन से उपाय किये जाने चाहिये?
  77. प्रश्न- "भारत में सतत् पोषणीय पर्यावरण की परम्परा" शीर्षक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  78. प्रश्न- जीवन की गुणवत्ता क्या है? भारत में जीवन की गुणवत्ता को स्पष्ट कीजिये।
  79. प्रश्न- सतत् विकास क्या है?
  80. प्रश्न- जीवन की गुणवत्ता के आवश्यक तत्व कौन-कौन से हैं?
  81. प्रश्न- स्थायी विकास या सतत विकास के प्रमुख सिद्धान्त कौन-कौन से हैं?
  82. प्रश्न- सतत् विकास सूचकांक, 2017 क्या है?
  83. प्रश्न- सतत् पोषणीय विकास की आवश्यक शर्ते कौन-कौन सी हैं?
  84. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख सिद्धान्तों की समीक्षा कीजिए।
  85. प्रश्न- समरेखीय सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  86. प्रश्न- भौगोलिक निर्णायकवादी सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  87. प्रश्न- उद्विकासीय समरैखिक सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  88. प्रश्न- सांस्कृतिक प्रसारवाद सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  89. प्रश्न- चक्रीय सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  90. प्रश्न- चक्रीय तथा रेखीय सिद्धान्तों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  91. प्रश्न- आर्थिक निर्णायकवादी सिद्धान्त पर टिप्पणी लिखिए।
  92. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का सोरोकिन का सिद्धान्त एवं उसके प्रमुख आधारों का वर्णन कीजिए।
  93. प्रश्न- वेबर एवं टामस का सामाजिक परिवर्तन का सिद्धान्त बताइए।
  94. प्रश्न- मार्क्स के सामाजिक परिवर्तन सम्बन्धी निर्णायकवादी सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए तथा वेब्लेन के सिद्धान्त से अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  95. प्रश्न- मार्क्स व वेब्लेन के सामाजिक परिवर्तन सम्बन्धी विचारों की तुलना कीजिए।
  96. प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त की समीक्षा कीजिये।
  97. प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त की आलोचना कीजिए।
  98. प्रश्न- अभिजात वर्ग के परिभ्रमण की अवधारणा क्या है?
  99. प्रश्न- विलफ्रेडे परेटो द्वारा सामाजिक परिवर्तन के चक्रीय सिद्धान्त की विवेचना कीजिए!
  100. प्रश्न- जनसांख्यिकी विज्ञान की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  101. प्रश्न- सॉरोकिन के सांस्कृतिक सिद्धान्त पर टिप्पणी लिखिए।
  102. प्रश्न- ऑगबर्न के सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  103. प्रश्न- चेतनात्मक (इन्द्रियपरक) एवं भावात्मक (विचारात्मक) संस्कृतियों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  104. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्राकृतिक कारकों का वर्णन कीजिए। सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों व प्रणिशास्त्रीय कारकों का वर्णन कीजिए।।
  105. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- प्राणिशास्त्रीय कारक और सामाजिक परिवर्तन की व्याख्या कीजिए?
  107. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में जनसंख्यात्मक कारक के महत्व की समीक्षा कीजिए।
  108. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में प्रौद्योगिकीय कारकों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  109. प्रश्न- समाज पर प्रौद्योगिकी का प्रभाव बताइए।
  110. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में प्रौद्योगिक कारकों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  111. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में सूचना प्रौद्योगिकी की क्या भूमिका है? व्याख्या कीजिए।
  112. प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी एवं विकास के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
  113. प्रश्न- मीडिया से आप क्या समझते हैं? सूचना प्रौद्योगिकी की सामाजिक परिवर्तन में क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
  114. प्रश्न- जनसंचार के प्रमुख माध्यम बताइये।
  115. प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी की सामाजिक परिवर्तन में भूमिका बताइये।
  116. प्रश्न- जनांकिकीय कारक से आप क्या समझते हैं?
  117. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  118. प्रश्न- प्रौद्योगिकी क्या है?
  119. प्रश्न- प्रौद्योगिकी के विकास पर टिप्पणी कीजिए।
  120. प्रश्न- प्रौद्योगिकी के कारकों को बताइये एवं सामाजिक जीवन में उनके प्रभाव पर टिप्पणी कीजिए।
  121. प्रश्न- सन्देशवहन के साधनों के विकास का सामाजिक जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?
  122. प्रश्न- मार्क्स तथा वेब्लन के सिद्धान्तों की तुलना कीजिए?
  123. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के 'प्रौद्योगिकीय कारक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  124. प्रश्न- मीडिया से आप क्या समझते है?
  125. प्रश्न- जनसंचार के प्रमुख माध्यम बताइये।
  126. प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी क्या है?
  127. प्रश्न- विकास के समाजशास्त्र को परिभाषित कीजिए तथा उसका विषय क्षेत्र एवं महत्व बताइये?
  128. प्रश्न- विकास के समाजशास्त्र का विषय क्षेत्र बताइये?
  129. प्रश्न- विकास के समाजशास्त्र के महत्व की विवेचना विकासशील समाजों के सन्दर्भ में कीजिए?
  130. प्रश्न- विश्व प्रणाली सिद्धान्त क्या है?
  131. प्रश्न- केन्द्र परिधि के सिद्धान्त पर प्रकाश डालिए।
  132. प्रश्न- विकास के उपागम बताइए?
  133. प्रश्न- सामाजिक विकास के मार्ग में पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख कीजिए।
  134. प्रश्न- भारतीय समाज में विकास की सतत् प्रक्रिया पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  135. प्रश्न- विकास के प्रमुख संकेतकों की व्याख्या कीजिए।
  136. प्रश्न- भारत में आर्थिक व सामाजिक विकास में योजना की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए?
  137. प्रश्न- सामाजिक तथा आर्थिक नियोजन में क्या अन्तर है?
  138. प्रश्न- भारत में योजना आयोग की स्थापना एवं कार्यों की व्याख्या कीजिए?
  139. प्रश्न- भारत में पंचवर्षीय योजनाओं की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिये तथा भारत की पंचवर्षीय योजनाओं का मूल्यांकन कीजिए?
  140. प्रश्न- पंचवर्षीय योजनाओं का मूल्यांकन कीजिए।
  141. प्रश्न- भारत में पर्यावरणीय समस्याएँ एवं नियोजन की विवेचना कीजिए।
  142. प्रश्न- पर्यावरणीय प्रदूषण दूर करने के लिए नियोजित नीति क्या है?
  143. प्रश्न- विकास में गैर-सरकारी संगठनों की भूमिका का वर्णन कीजिए।
  144. प्रश्न- गैर सरकारी संगठनों से आप क्या समझते है? विकास में इनकी उभरती भूमिका की चर्चा कीजिये।
  145. प्रश्न- भारत में योजना प्रक्रिया की संक्षिप्त विवेचना कीजिये।
  146. प्रश्न- सामाजिक विकास के मार्ग में पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की भूमिका का वर्णन कीजिये।
  147. प्रश्न- पंचवर्षीय योजनाओं से आप क्या समझते हैं। पंचवर्षीय योजनाओं का समाजशास्त्रीय मूल्यांकन कीजिए।
  148. प्रश्न- पूँजीवाद पर मार्क्स के विचारों का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
  149. प्रश्न- लोकतंत्र को परिभाषित करते हुए लोकतंत्र के विभिन्न प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
  150. प्रश्न- लोकतंत्र के विभिन्न सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
  151. प्रश्न- भारत में लोकतंत्र को बताते हुये इसकी प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  152. प्रश्न- अधिनायकवाद को परिभाषित करते हुए इसकी विशेषताओं का विस्तृत उल्लेख कीजिए।
  153. प्रश्न- क्षेत्रीय नियोजन को परिभाषित करते हुए, भारत में क्षेत्रीय नियोजन के अनुभव की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
  154. प्रश्न- नीति एवं परियोजना नियोजन पर एक टिप्पणी लिखिये।.
  155. प्रश्न- विकास के क्षेत्र में सरकारी संगठनों की अन्य भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
  156. प्रश्न- गैर-सरकारी संगठन (N.G.O.) क्या है?
  157. प्रश्न- लोकतंत्र के गुण एवं दोषों की संक्षिप्त में विवेचना कीजिए।
  158. प्रश्न- सोवियत संघ के इतिहासकारों द्वारा अधिनायकवाद पर विचार पर एक संक्षिप्त टिप्पणी प्रस्तुत कीजिए।
  159. प्रश्न- शीतयुद्ध से आप क्या समझते हैं?

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