बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र चतुर्थ प्रश्नपत्र - परिवर्तन एवं विकास का समाजशास्त्र एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र चतुर्थ प्रश्नपत्र - परिवर्तन एवं विकास का समाजशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र चतुर्थ प्रश्नपत्र - परिवर्तन एवं विकास का समाजशास्त्र
प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में प्रौद्योगिकीय कारकों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
अथवा
सामाजिक परिवर्तनों के तकनीकी कारकों की चर्चा कीजिए।
उत्तर -
आधुनिक समय में सामाजिक परिवर्तन के कारकों में प्रौद्योगिकी को सबसे महत्वपूर्ण कारक माना जाता है। नये-नये आविष्कारों, यंत्रों, उपकरणों के तेजी से निर्माण से सामान्य व्यक्ति तो यह मानता है कि प्रौद्योगिकी सामाजिक परिवर्तन का एकमात्र कारक है। इस बात को कुछ विशेषज्ञों जैसे कार्ल मार्क्स, बेब्लेन आदि ने स्वीकार किया है। इस विचार से हम सहमत हों या न हों किन्तु यह मानना पड़ेगा कि प्रौद्योगिकी का प्रभाव मानव जीवन में व्यापक रूप से पड़ा है जिससे सामाजिक परिवर्तन के अन्य कारण प्रौद्योगिकी की तुलना में पीछे छूट गये हैं व गौण हो गये हैं।
सामाजिक परिवर्तन में प्रौद्योगिकी की भूमिका का विवेचन करने से पहले इसका अर्थ समझ लेना आवश्यक है। प्रौद्योगिकी किसी उद्देश्य की पूर्ति करने वाले साधनों से संबंधित उपकरण अथवा ज्ञान है अर्थात् उद्देश्य पूर्ति के साधन प्रौद्योगिकी नहीं हैं। जैसे पत्र लिखने का साधन फाउण्टेन पेन है, यात्रा करने का साधन मोटर गाड़ी है तो फाउण्टेन पेन की मशीन अथवा मोटर गाड़ी के निर्माण का ज्ञान व पहिए का आविष्कार प्रौद्योगिकी है। इसलिए प्रो. सरन ने लिखा है, "किसी उद्देश्य अथवा उद्देश्यों की पूर्ति के लिए द्वितीय तथा उच्च श्रेणी की व्यवस्था को प्रौद्योगिकी कहा जाता है। इस तरह यदि किसी उद्देश्य की पूर्ति की मशीनें साधन हैं तो संक्षेप में इन मशीनों के निर्माण करने के ज्ञान को प्रौद्योगिकी करेंगे।" प्रौद्योगिकी को स्पष्ट करते हुए लेपियर ने लिखा है, "प्रौद्योगिकी से तात्पर्य उन सभी विधियों, ज्ञान की शाखाओं व कुशलताओं से है जिनके द्वारा मनुष्य भौतिक तथा जैवकीय तथ्यों को नियंत्रित करता है व प्रयोग में लाता है।"
मैकाइवर प्रौद्योगिकी को मूर्त, मापनीय तथा प्रदर्शनीय मानता है। इस तरह प्रौद्योगिकी आधुनिक समाज की ही विशेषता नहीं। यह तो हर समाज, हर काल में किसी न किसी रूप में मिली है। प्रौद्योगिकी की आधुनिक समय में जैसी तीव्रता से प्रगति हुई है वैसी इसके पहले कभी नहीं हुई। इसलिए आधुनिक युग को 'प्रौद्योगिकी का युग' माना जाता है। आधुनिक समय में प्रौद्योगिकी में चार कारक प्रमुख हैं जो समाज में व्यापक तीव्र परिवर्तनों के लिए उत्तरदायी हैं। वे हैं -
1. यंत्रीकरण
2. कृषि की नवीन प्रविधियां
3. संचार के उन्नत साधन
4. नवीन उत्पादन प्रणाली जो सामाजिक जीवन को प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं।
मैकाइवर तथा पेज ने प्रौद्योगिकी के प्रत्यक्ष प्रभाव के अन्तर्गत नवीन श्रम संगठन, कायों का 'विशेषीकरण, समय पालन, शीघ्र कार्य सम्पादन को तथा अप्रत्यक्ष प्रभाव के अन्तर्गत शहरों की संख्या वृद्धि, बेकारी, प्रतिद्वन्द्विता अपराध, जीवन स्तर की धारणा, समाज के नये वर्गों के निर्माण को सम्मिलित किया है।
1. प्रौद्योगिकी का सामाजिक जीवन पर प्रभाव
प्रौद्योगिकी सामाजिक जीवन को निम्नलिखित ढंग से प्रभावित करती है -
(i) सामुदायिक जीवन में ह्रास - आधुनिक प्रौद्योगिकी के फलस्वरूप विशाल नगरों का विकास होता है। उनकी जनसंख्या में वृद्धि ही नहीं होती वरन् जनसंख्या में भिन्नता व विशिष्टता भी बढ़ती है। यह स्थिति व्यक्तियों के घनिष्ठ संबंधों के अनुकूल नहीं होती। अतएव सामुदायिक जीवन में ह्रास होता है, एकता व दृढ़ता में कमी होती है।
(ii) व्यक्तिवादिता - प्रौद्योगिकी के फलस्वरूप व्यक्तिवादिता में वृद्धि होने लगती है। व्यक्ति की प्रतिष्ठा धन व उसके गुणों के आधार पर की जाती है अतएव व्यक्ति अपने सुख, स्वार्थ अर्थात् व्यक्तिवादी आदर्शों को प्रमुखता देता है।
(iii) मकानों की समस्या - आधुनिक प्रौद्योगिकी से औद्योगीकरण की प्रक्रिया तीव्र हुई है। विशाल कारखानों का निर्माण हुआ है जिससे बहुसंख्या में श्रमिक व कर्मचारी नगरों में रहने लगे हैं। इसी अनुपात में आवास व्यवस्था नहीं हो सकी अतएव रहने की समस्या व गंदी बस्तियों का विकास हुआ।
(iv) स्त्री-पुरुषों के अनुपात में भेद - नगरों में आवास व्यवस्था की समस्या उग्र होती जा रही है। पहले तो किराये पर मकान मिलना कठिन है और जो मिलता भी है उसका किराया इतना अधिक है कि श्रमिक की शक्ति व साधन के परे होता है। वह गाँव के परिवार छोड़कर नगर में अकेले रहता है। इससे वह पारिवारिक जीवन के स्वस्थ प्रभाव से वंचित होता है। पुरुषों की संख्या स्त्रियों से अधिक होने से नगरों में यौन अपराध, कुप्रवृत्तियाँ व दुराचरण बढ़ने लगता है।
(v) मनोरंजन का व्यापारीकरण - प्रौद्योगीकरण के कारण मनोरंजन के साधनों का व्यापारीकरण हो गया है। पहले के सस्ते, शिक्षाप्रद, सामूहिक मन बहलाव के साधन जैसे - भजन, कीर्तन, लोकगीत, लोकनृत्य की लोकप्रियता बहुत कम हो गई है। उनका स्थान सिनेमा, क्लबों आदि ने ले लिया है। इनका उद्देश्य स्वस्थ मनोरंजन न होकर लाभ कमाना होता है। इनमें नैतिक गुणों के क्षरण की चिन्ता नहीं वरन् पैसा कमाने की धुन प्रमुख है।
(vi) मानसिक तनाव, चिन्ता व रोग - औद्योगीकरण से विशाल उद्योग-धंधे पनपे हैं। इनसे दुर्घटना, बेकारी, हानि, अनिश्चितता बढ़ी है। इससे मानसिक चिन्ता, तनाव व स्नायु रोगों में वृद्धि हुई है। प्रदूषण से जान-माल के लिए खतरे की घंटी बजी है।
(vii) अपराध, व्यभिचार, संघर्ष व प्रतिस्पर्धा - आधुनिक प्रौद्योगिकी के फलस्वरूप औद्योगीकरण व नवीनीकरण की प्रतिक्रिया तीव्र हुई है। सामाजिक नियंत्रण के परम्परागत साधन शिथिल हुए हैं। जिससे अपराध, व्यभिचार व संघर्ष में वृद्धि हुई है। व्यापार और वाणिज्य की प्रगति से प्रतिस्पर्धा बहुत बढ़ गई है।
2. पारिवारिक जीवन पर प्रभाव
प्रौद्योगिकी ने पारिवारिक जीवन को अनेक ढंगों से प्रभावित और परिवर्तित किया है -
(i) संयुक्त परिवार का विघटन - आधुनिक प्रौद्योगिकी ने व्यक्तिवाद को बढ़ावा दिया है। इससे सामूहिक जीवन को धक्का लगा है। इसलिए संयुक्त परिवार विघटित और अलोकप्रिय हो रहे हैं। उनका स्थान एकाकी परिवार ले रहे हैं। आवास की समस्या, महंगाई, गतिशीलता, नौकरी के नये-नये अवसर संयुक्त परिवार पर आघात कर रहे हैं।
(ii) स्त्रियों का नौकरी करना - आधुनिक प्रौद्योगिकी के फलस्वरूप स्त्रियों को बाहर भी नौकरी करने का अवसर मिला है। इसके अनेक परिणाम हुए हैं। स्त्रियाँ आर्थिक दृष्टि से आत्म-निर्भर हुई हैं। इससे पारिवारिक जीवन में समस्यायें उत्पन्न हुई हैं। तनाव उत्पन्न हुए हैं। विवाह विच्छेद व पारिवारिक जीवन के विघटन की समस्यायें बढी हैं।
(iii) परिवार के कार्यों में कमी - आधुनिक प्रौद्योगिकी के कारण परिवार के कार्यों में कमी हुई है। अनेक समितियों ने परिवार के कार्यों को करना शुरू किया है। होटल, कैण्टीन, लाण्ड्रियां, टेलरिंग- हाउस, बच्चों के लिए नर्सरी, किंडरगार्टेन व मनोरंजन केन्द्रों ने परिवार के अनेक कार्यों को करना शुरू कर दिया है। इससे परिवार के कार्यों में कमी आई है, महत्व कम हुआ है।
(iv) प्रेम, अन्तर्जातीय, विलम्ब विवाह व विवाह विच्छेद - आधुनिक प्रौद्योगिकी के कारण ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न हुई हैं जिनमें युवक व युवतियों को एक-दूसरे के निकट आने के अवसर मिले हैं। वे साथ-साथ स्कूल व कालेज में पढ़ते हैं। मिल-फैक्ट्री व दफ्तर में साथ-साथ काम करते हैं। सिनेमा, होटल में साथ-साथ मिलते हैं। इसमें प्रेम विवाह व अन्तर्जातीय विवाहों में वृद्धि होती है। विलम्ब विवाह को प्रोत्साहन मिलता है और विवाह विच्छेद की दर में वृद्धि होती है।
3. धार्मिक जीवन पर प्रभाव
(i) धर्म के प्रभाव का घटना - विज्ञान की प्रगति व उसके प्रचार से लोगों में धर्म की प्रचलित अनेक कुरीतियां व संस्कारों व अन्धविश्वासों का ज्ञान हुआ है जिससे धर्म में आस्था कम हुई है। धर्म के आधार पर किये जा रहे शोषण का विरोध बढ़ा है।
(ii) धार्मिक सहिष्णुता में वृद्धि - नगरों में विभिन्न धर्मावलम्बियों को साथ-साथ रहने, काम करने के अवसर मिले हैं। इससे अज्ञात के प्रति भय और आशंका का निवारण हुआ है कूपमण्डूकता कम हुई है, उदारता व सहनशीलता बढ़ी है।
(iii) धर्म निरपेक्षीकरण - आधुनिक प्रौद्योगिकी के कारण धर्म के व्यापक प्रभाव क्षेत्र में कमी हुई है। लोग यह सोचने लगे हैं कि हर बात, हर विषय में धर्म का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। धर्म निरपेक्षता को आधुनिकता व प्रगति का परिचायक माना जाता है।
4. राज्य पर प्रभाव
(i) राज्य के दायित्व में वृद्धि - प्रौद्योगिकी के कारण हमारा जीवन गतिशील हुआ है। अनेक महत्वपूर्ण सामाजिक व आर्थिक समस्याओं को जन्म मिला है जिससे राज्य के सुरक्षा व कल्याण विषयक कारकों में वृद्धि हुई है। कल्याणकारी राज्य की धारणा से राज्य के दायित्व बहुत बढ़ गये हैं।
(ii) राज्य द्वारा नियंत्रण - द्वैतीयक समूहों व संबंधों की वृद्धि से परम्परागत नियंत्रण के साधन जैसे प्रथा, परम्परा, लोकरीति, रूढ़ियां, संस्कार नियंत्रण में कमजोर पड़ रहे हैं। आत्म नियंत्रण के औपचारिक साधन, मुख्य रूप से कानून की महत्ता बढ़ी है। आज राज्य अनेक प्रकार के कानूनों का निर्माण कर सामाजिक जीवन को नियंत्रित करता है।
5. ग्रामीण समुदाय पर प्रभाव
(i) नगरीकरण का प्रभाव - पहले ग्राम व नगर में स्पष्ट अन्तर था। किन्तु आर्थिक प्रौद्योगिकी के कारण गाँव नगर से बहुत प्रभावित हो रहे हैं। गाँव नगर की सांस्कृतिक विशेषताओं को ग्रहण करते जा रहे हैं तथा नगर व ग्राम की दूरी कम होती जा रही है।
(ii) ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर प्रभाव - पहले ग्राम आर्थिक दृष्टि से आत्मनिर्भर थे। अनेक छोटे-छोटे उद्योग-धंधों से उनका आर्थिक जीवन समृद्ध था किन्तु विशाल कल-कारखाने से ग्रामीण लघु उद्योग धंधों को क्षति पहुँची है। नगरों पर उनकी निर्भरता बढ़ी है।
(iii) नये यंत्रों-उपकरणों के उपयोग में वृद्धि - ग्रामीण जीवन आधुनिक प्रौद्योगिकी से पहले सादा व सरल था। वैज्ञानिक प्रगति से वह अछूता था। किन्तु जब आधुनिक यंत्र व उपकरण गाँव में पहुँचने- लगे हैं। उनके प्रयोग में रुचि बढ़ी है। इससे पिछड़े व विघटित ग्रामीण अर्थ व्यवस्था में सुधार की सम्भावनायें बढ़ी हैं।
6. आर्थिक जीवन पर प्रभाव
(i) पूँजीवाद का विकास - प्रौद्योगिकी के विकास से बड़े-बड़े कल-कारखानों की स्थापना हुई। इससे उत्पादन कई गुना बढ़ा है। इसका लाभ पूँजीपतियों को मिला। श्रमिकों का शोषण हुआ। पूँजीवादी व्यवस्था विकसित हुई।
(ii) श्रम विभाजन व विशेषीकरण में वृद्धि - आधुनिक प्रौद्योगिकी के कारण श्रम विभाजन में वृद्धि हुई। विशेषीकरण आवश्यक हो गया। हर क्षेत्र में विशेषज्ञों की आवश्यकता बढ़ने लगी है।
(iii) जीवन का ऊँचा स्तर - बड़े पैमाने पर उत्पादन होने, उद्योग-धंधों के पनपने से व्यापार और वाणिज्य में प्रगति हुई। आज देश के अन्दर ही व्यापार सीमित नहीं वरन् विदेशों से भी व्यापार होने लगा है। सादा जीवन उच्च विचार का आदर्श धूमिल पड़ा है। आवश्यकतायें बढ़ी हैं जिसे जीवन स्तर में सुधार माना जाता है।
(iv) आर्थिक संकट और बेकारी - उत्पादन बड़े पैमाने पर होने से उसकी मात्रा मांग से अधिक बढ़ गई है। साथ ही उत्पादन के नये-नये यंत्र व उपकरणों का निर्माण होता रहता है जो प्रतिस्पर्धा व आर्थिक संकट को जन्म देते हैं। मशीनों के अधिकाधिक प्रयोग से अनेक श्रमिक बेकार हो गये हैं। प्रौद्योगिकी से संघर्ष, बीमारी व दुर्घटनाएं बढ़ी हैं। मंदी और महंगाई से अनेक देश कराह रहे हैं।
इस तरह प्रौद्योगिकी का प्रभाव सामाजिक जीवन पर अत्यधिक पड़ा है। लेपियर ने लिखा है, "हम इस बात को स्वीकार नहीं कर सकते कि सामाजिक व्यवस्था में प्रौद्योगिकी का एक महत्वपूर्ण स्थान होता है। आर्थिक, राजनैतिक और विचार संबंधी परिवर्तनों में ही नहीं बल्कि युद्ध व क्रांतियों तक में प्रौद्योगिकी एक महत्वपूर्ण आधार रही है। ग्रीन ने भी लिखा है कि, "प्रौद्योगिकी सामाजिक परिवर्तन में प्रभावशाली कारक है क्योंकि इससे सामाजिक मूल्य तथा व्यवहार आदर्श प्रभावित होते हैं।" इसी लेखक ने एक तथ्य की ओर हमारा ध्यान आकर्षित किया है। वह लिखता है "यद्यपि प्रौद्योगिकी ने सामाजिक परिवर्तन में ज्यामितीय दर से वृद्धि की है लेकिन फिर भी यह कारक अकेले ही सामाजिक परिवर्तन उत्पन्न नहीं करता "
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- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का अर्थ बताइये सामाजिक परिवर्तन की विशेषतायें बताते हुए सामाजिक परिवर्तन को प्रभावित करने वाले कारकों का विवरण दीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की विशेषतायें बताइए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की प्रमुख प्रक्रियायें बताइये तथा सामाजिक परिवर्तन के कारणों (कारकों) का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नियोजित सामाजिक परिवर्तन की विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में नियोजन के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन से आप क्या समझते है? सामाजिक परिर्वतन के स्वरूपों की व्याख्या स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक संरचना के विकास में सहायक तथा अवरोधक तत्त्वों को वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक संरचना के विकास में असहायक तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्र एवं परिरेखा के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का अर्थ बताइये? सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख कारकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के भौगोलिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जैवकीय कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के राजनैतिक तथा सेना सम्बन्धी कारक की विवेचना कीजिए।.
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में महापुरुषों की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्रौद्योगिकीय कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विचाराधारा सम्बन्धी कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के सांस्कृतिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के मनोवैज्ञानिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की परिभाषा बताते हुए इसकी विशेषताएं लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में सूचना प्रौद्योगिकी की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- निम्नलिखित पुस्तकों के लेखकों के नाम लिखिए - (अ) आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन (ब) समाज
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी एवं विकास के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सूचना तंत्र क्रान्ति के सामाजिक परिणामों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- रूपांतरण किसे कहते हैं?
- प्रश्न- सामाजिक नियोजन की अवधारणा को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विभिन्न परिप्रेक्ष्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रवर्जन व सामाजिक परिवर्तन पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास से आप क्या समझते हैं? सामाजिक उद्विकास के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक उद्विकास के कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक विकास से सम्बन्धित नीतियों का संचालन कैसे होता है?
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति को परिभाषित कीजिए। सामाजिक प्रगति और सामाजिक परिवर्तन में अन्तर कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति और सामाजिक परिवर्तन में अन्तर कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति में सहायक दशाओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के लिए जैव-तकनीकी कारण किस प्रकार उत्तरदायी है?
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति को परिभाषित कीजिए। सामाजिक प्रगति और सामाजिक परिवर्तन में अन्तर कीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन एवं सामाजिक प्रगति में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास एवं प्रगति में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास की अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- समाज में प्रगति के मापदण्डों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उद्विकास व प्रगति में अन्तर स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- "भारत में जनसंख्या वृद्धि ने सामाजिक आर्थिक विकास में बाधाएँ उपस्थित की हैं।" स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारक बताइये तथा आर्थिक कारकों के आधार पर मार्क्स के विचार प्रकट कीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन मे आर्थिक कारकों से सम्बन्धित अन्य कारणों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक कारकों पर मार्क्स के विचार प्रस्तुत कीजिए?
- प्रश्न- मिश्रित अर्थव्यवस्था से आप क्या समझते हैं? भारत के सन्दर्भ में समझाइए।
- प्रश्न- भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था के बारे समझाइये।
- प्रश्न- मिश्रित अर्थव्यवस्था का नये स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मिश्रित अर्थव्यवस्था की आलोचनात्मक समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- विकास के समाजशास्त्र को परिभाषित कीजिए तथा उसका विषय क्षेत्र एवं महत्व बताइये?
- प्रश्न- विकास के समाजशास्त्र का विषय क्षेत्र बताइये?
- प्रश्न- विकास के समाजशास्त्र के महत्व की विवेचना विकासशील समाजों के सन्दर्भ में कीजिए?
- प्रश्न- मिश्रित अर्थव्यवस्था की उपादेयता व सीमाओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मिश्रित अर्थव्यवस्था की सीमाएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- औद्योगीकरण के सामाजिक प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मिश्रित अर्थव्यवस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- समाज पर प्रौद्योगिकी का प्रभाव बताइए।
- प्रश्न- विकास के उपागम बताइए?
- प्रश्न- सामाजिक विकास के मार्ग में पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय समाज मे विकास की सतत् प्रक्रिया पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- विकास के प्रमुख संकेतकों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मानव विकास को परिभाषित करते हुए इसकी उपयोगिता स्पष्ट करो।
- प्रश्न- मानव विकास के अध्ययन के महत्व की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- मानव विकास को समझने में शिक्षा की भूमिका बताओ।
- प्रश्न- वृद्धि एवं विकास में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- सतत् विकास की संकल्पना को बताते हुये इसकी विशेषतायें लिखिये।
- प्रश्न- सतत् पोषणीय विकास का महत्व अथवा आवश्यकता स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- सतत् पोषणीय विकास के उद्देश्यों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- विकास से सम्बन्धित पर्यावरणीय समस्याओं को हल करने की विधियों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिये।
- प्रश्न- पर्यावरणीय सतत् पोषणता के कौन-कौन से पहलू हैं? समझाइये।
- प्रश्न- सतत् पोषणीय विकास की आवश्यकता / महत्व को स्पष्ट कीजिये। भारत जैसे विकासशील देश में इसके लिये कौन-कौन से उपाय किये जाने चाहिये?
- प्रश्न- "भारत में सतत् पोषणीय पर्यावरण की परम्परा" शीर्षक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- जीवन की गुणवत्ता क्या है? भारत में जीवन की गुणवत्ता को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- सतत् विकास क्या है?
- प्रश्न- जीवन की गुणवत्ता के आवश्यक तत्व कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- स्थायी विकास या सतत विकास के प्रमुख सिद्धान्त कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- सतत् विकास सूचकांक, 2017 क्या है?
- प्रश्न- सतत् पोषणीय विकास की आवश्यक शर्ते कौन-कौन सी हैं?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख सिद्धान्तों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- समरेखीय सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भौगोलिक निर्णायकवादी सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- उद्विकासीय समरैखिक सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक प्रसारवाद सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- चक्रीय सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- चक्रीय तथा रेखीय सिद्धान्तों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक निर्णायकवादी सिद्धान्त पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का सोरोकिन का सिद्धान्त एवं उसके प्रमुख आधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वेबर एवं टामस का सामाजिक परिवर्तन का सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- मार्क्स के सामाजिक परिवर्तन सम्बन्धी निर्णायकवादी सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए तथा वेब्लेन के सिद्धान्त से अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स व वेब्लेन के सामाजिक परिवर्तन सम्बन्धी विचारों की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त की समीक्षा कीजिये।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- अभिजात वर्ग के परिभ्रमण की अवधारणा क्या है?
- प्रश्न- विलफ्रेडे परेटो द्वारा सामाजिक परिवर्तन के चक्रीय सिद्धान्त की विवेचना कीजिए!
- प्रश्न- जनसांख्यिकी विज्ञान की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सॉरोकिन के सांस्कृतिक सिद्धान्त पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऑगबर्न के सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चेतनात्मक (इन्द्रियपरक) एवं भावात्मक (विचारात्मक) संस्कृतियों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्राकृतिक कारकों का वर्णन कीजिए। सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों व प्रणिशास्त्रीय कारकों का वर्णन कीजिए।।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राणिशास्त्रीय कारक और सामाजिक परिवर्तन की व्याख्या कीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में जनसंख्यात्मक कारक के महत्व की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में प्रौद्योगिकीय कारकों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- समाज पर प्रौद्योगिकी का प्रभाव बताइए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में प्रौद्योगिक कारकों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में सूचना प्रौद्योगिकी की क्या भूमिका है? व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी एवं विकास के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मीडिया से आप क्या समझते हैं? सूचना प्रौद्योगिकी की सामाजिक परिवर्तन में क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जनसंचार के प्रमुख माध्यम बताइये।
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी की सामाजिक परिवर्तन में भूमिका बताइये।
- प्रश्न- जनांकिकीय कारक से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रौद्योगिकी क्या है?
- प्रश्न- प्रौद्योगिकी के विकास पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- प्रौद्योगिकी के कारकों को बताइये एवं सामाजिक जीवन में उनके प्रभाव पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सन्देशवहन के साधनों के विकास का सामाजिक जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- मार्क्स तथा वेब्लन के सिद्धान्तों की तुलना कीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के 'प्रौद्योगिकीय कारक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मीडिया से आप क्या समझते है?
- प्रश्न- जनसंचार के प्रमुख माध्यम बताइये।
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी क्या है?
- प्रश्न- विकास के समाजशास्त्र को परिभाषित कीजिए तथा उसका विषय क्षेत्र एवं महत्व बताइये?
- प्रश्न- विकास के समाजशास्त्र का विषय क्षेत्र बताइये?
- प्रश्न- विकास के समाजशास्त्र के महत्व की विवेचना विकासशील समाजों के सन्दर्भ में कीजिए?
- प्रश्न- विश्व प्रणाली सिद्धान्त क्या है?
- प्रश्न- केन्द्र परिधि के सिद्धान्त पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकास के उपागम बताइए?
- प्रश्न- सामाजिक विकास के मार्ग में पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय समाज में विकास की सतत् प्रक्रिया पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- विकास के प्रमुख संकेतकों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आर्थिक व सामाजिक विकास में योजना की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक तथा आर्थिक नियोजन में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- भारत में योजना आयोग की स्थापना एवं कार्यों की व्याख्या कीजिए?
- प्रश्न- भारत में पंचवर्षीय योजनाओं की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिये तथा भारत की पंचवर्षीय योजनाओं का मूल्यांकन कीजिए?
- प्रश्न- पंचवर्षीय योजनाओं का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में पर्यावरणीय समस्याएँ एवं नियोजन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पर्यावरणीय प्रदूषण दूर करने के लिए नियोजित नीति क्या है?
- प्रश्न- विकास में गैर-सरकारी संगठनों की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गैर सरकारी संगठनों से आप क्या समझते है? विकास में इनकी उभरती भूमिका की चर्चा कीजिये।
- प्रश्न- भारत में योजना प्रक्रिया की संक्षिप्त विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक विकास के मार्ग में पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की भूमिका का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- पंचवर्षीय योजनाओं से आप क्या समझते हैं। पंचवर्षीय योजनाओं का समाजशास्त्रीय मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- पूँजीवाद पर मार्क्स के विचारों का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
- प्रश्न- लोकतंत्र को परिभाषित करते हुए लोकतंत्र के विभिन्न प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- लोकतंत्र के विभिन्न सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में लोकतंत्र को बताते हुये इसकी प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अधिनायकवाद को परिभाषित करते हुए इसकी विशेषताओं का विस्तृत उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीय नियोजन को परिभाषित करते हुए, भारत में क्षेत्रीय नियोजन के अनुभव की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- नीति एवं परियोजना नियोजन पर एक टिप्पणी लिखिये।.
- प्रश्न- विकास के क्षेत्र में सरकारी संगठनों की अन्य भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- गैर-सरकारी संगठन (N.G.O.) क्या है?
- प्रश्न- लोकतंत्र के गुण एवं दोषों की संक्षिप्त में विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सोवियत संघ के इतिहासकारों द्वारा अधिनायकवाद पर विचार पर एक संक्षिप्त टिप्पणी प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- शीतयुद्ध से आप क्या समझते हैं?