बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र चतुर्थ प्रश्नपत्र - परिवर्तन एवं विकास का समाजशास्त्र एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र चतुर्थ प्रश्नपत्र - परिवर्तन एवं विकास का समाजशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र चतुर्थ प्रश्नपत्र - परिवर्तन एवं विकास का समाजशास्त्र
प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में जनसंख्यात्मक कारक के महत्व की समीक्षा कीजिए।
उत्तर -
सामाजिक जीवन के विभिन्न पक्षों पर जनसंख्यात्मक कारकों के प्रभाव व महत्वं का अध्ययन प्राचीन काल से होता रहा है। सामाजिक परिवर्तन में जनसंख्या की भूमिका को निर्णायक मानने वालों में माल्थस, सैडलर व गिनी के सिद्धान्त उल्लेखनीय हैं। सामाजिक परिवर्तन में जनसंख्यात्मक कारकों का योगदान तो होता है किन्तु उन्हें एकमात्र कारण नहीं माना जा सकता। सामाजिक परिवर्तन एक जटिल तथ्य है। उसके लिए अनेक कारक उत्तरदायी हैं। केवल जनसंख्या के आधार पर उसे स्पष्ट करना उसकी एकांगी व अपर्याप्त व्याख्या है। हमें यह नहीं भूलना चाहिये कि जनसंख्या समाज को प्रभावित करती है किन्तु समाज भी उसे प्रभावित करता है। सामाजिक व्यवस्था से पृथक मानव जनसंख्या का अस्तित्व सम्भव नहीं है।
संक्षेप में समाज व जनसंख्या का निष्कर्ष सही और सार्थक है इसकी (जनसंख्या सम्प्रदाय) त्रुटियों और एक पक्षीय विचारों को यदि निकाल दें तो निश्चय ही सामाजिक घटनाओं को स्पष्ट करने में इस सम्प्रदाय का योगदान महत्वपूर्ण है।
सोरोकिन के अनुसार, "जनसंख्यात्मक कारक का अर्थ किसी समाज की जनसंख्या के आकार और घनत्व में वृद्धि अथवा ह्रास होना है।" उन्हीं के शब्दों में -
"By the demographic factor is meant the increase or decrease of the size and density of a population." - P. Sorokin
जनसंख्यात्मक कारक के दो पक्ष होते हैं-
(i) गुणात्मक (Qualitative)
(2) परिमाणात्मक (Quantative)।
सामाजिक परिवर्तन में जनसंख्या के परिमाणात्मक पक्ष के योगदान पर विचार किया जाता है अर्थात् जनसंख्या के आकार और विशेषताओं को।
जनसंख्या और सामाजिक परिवर्तन - जनसंख्या के आकार व घनत्व का घटना बढ़ना निम्नांकित दो कारकों पर निर्भर करता है -
(1) जन्मदर व मृत्युदर (Birth and Death rate) - जब जन्मदर मृत्युदर से अधिक होती है तो जनसंख्या में वृद्धि होती है। मृत्युदर में वृद्धि से जनसँख्या के आकार में कमी होती है। जनसंख्या वृद्धि से अनेक समस्यायें जन्म लेती हैं जैसे गरीबी, बीमारी, बेकारी, कार्यक्षमता में कमी होती 'है, जीवन स्तर गिरता है, संघर्षों में वृद्धि होती है, अपराध, अनैतिकता, भ्रष्टाचार बढ़ता है, विकास में बाधा पड़ती है। ये सामाजिक परिवर्तन लाती है। मृत्युदर बढ़ने से वृद्ध और अनुभवी लोगों की कमी की समस्या उत्पन्न होती है। सामाजिक परिवर्तन को प्रोत्साहन मिलता है, मृत्युदर में कमी से परिवर्तन की गति धीमी पड़ती है।
देशागमन तथा देशान्तरगमन (Immigration and emigration) - देशागमन से भी सामाजिक परिवर्तन होता है। विभाजन के समय भारत में पाकिस्तान से लाखों शरणार्थी देश में बस गये जिससे सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक जीवन में अनेक परिवर्तन हुये। जनसंख्या वृद्धि से अधिक प्रजातीय क्षेत्र में प्रभाव पड़ा है। मिश्रण से व्यवहार के नये ढंग पनपते हैं, मानसिक व शारीरिक विशेषतायें बदलने लगती हैं। इनसे लोगों की चिन्तन प्रणाली, नैतिकता, व्यवहार प्रतिमान प्रभावित होती हैं और सामाजिक परिवर्तन होता है।
इसके विपरीत देशान्तर गमन में लोग दूसरे देश चले जाते हैं तो हमारी जनसंख्या कम होती है। उत्पादन साधनों के पुनः गठन की समस्या जन्म लेती है प्रतिभा पलायन से देश को प्रतिभाओं से लाभ नहीं मिलता। अमरीका की प्रगति का रहस्य विभिन्न देशों की प्रतिभा का पलायन ही है। यही नहीं स्त्रियों का अनुपात बढ़ता है, परिवार में विघटन होता है। डासन व गेटिस के अनुसार "एक विशेष आर्थिक स्तर वाले लोगों के एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने की इच्छा के बिना सामाजिक परिवर्तन की कल्पना भी नहीं की जा सकती
अन्त में जनसंख्या के आकार में परिवर्तन पर टिप्पणी करते हुए सोरोकिन ने लिखा है "जनसंख्या के आकार में होने वाले परिवर्तन व्यक्तियों के चरित्र नैतिकता, न्यायप्रियता और मनोवृत्तियों में परिवर्तन उत्पन्न करता है।"
जनसंख्या का घनत्व व परिवर्तन (Density and Social Change) - जनसंख्या के घनत्व के बढ़ने से भी सामाजिक परिवर्तन होता है। नागरिक व ग्रामीण जीवन में भिन्नता घनत्व के कारण है। घनी बस्तियों के आबाद होने से अनेक परिवर्तन होते हैं। अधिक जनसंख्या से नये-नये आविष्कार व प्रगति सरल होती है। गहन कृषि व नई भूमि पर खेती को प्रोत्साहन मिलता है। भूमि पर दबाव बढ़ने से लोग नगरों में बस जाते हैं। घनत्व बढ़ने से विभिन्नता और गतिशीलता में वृद्धि होती है। स्वतंत्रता, समानता व न्याय के विचारों को प्रात्साहन मिलता है।
जनसंख्या सम्बन्धी संरचना व सामाजिक परिवर्तन (Composition of Population and Social Change) - जनसंख्या की संरचना में आयु, लिंग, वैवाहिक स्तर व स्त्रियों की स्थिति का महत्व है। ये सामाजिक परिवर्तन से घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित थे। यदि जनसंख्या में अधिक आयु के लोगों का बाहुल्य होता है तो अनुशासन, कठोर नियमों व परम्परा को महत्व मिलता है। नवीनता व जोखिम को प्रोत्साहन नहीं मिलता। इससे विकासगति धीमी पड़ती है। युवकों की संख्या में वृद्धि होने से स्थिति में आमूलचूल परिवर्तन होते हैं।
स्त्रियों पुरुषों का अनुपात बदलने से परिवर्तन होता है। पुरुषों की संख्या अधिक होने पर, समाज पुरुष प्रधान व उसके प्रभुत्व के अनुरूप होगा। स्त्रियों की संख्या अधिक होने से सामाजिक पद, आर्थिक सेवाओं व राजनैतिक प्रतिनिधित्व में उन्हें पुरुषों से कम महत्व नहीं मिलता। वे पुरुषों के सभी काम करती हैं और उनमें पुरुषोचित आदतें पनपती हैं। इससे सामाजिक सम्बन्ध प्रभावित व परिवर्तित होते हैं।
यदि किसी समाज में बहुपत्नी विवाह व बाल विवाह के स्थान पर एक विवाह और विलम्ब विवाह प्रचलित हो जाय तो स्त्रियों की स्थिति में बहुत परिवर्तन हो जाता है। स्त्रियाँ अधिक जागरूक, शोषण और पक्षपात के विरुद्ध संघर्ष कर समानता व स्वतंत्रता का दावा करने लगती हैं। विलम्ब विवाह के प्रचलन से भ्रष्टाचार और अनैतिकता का बोलबाला हो जाता है।
सामाजिक संगठन पर जनसंख्या का प्रभाव - सामाजिक संगठन के अन्तर्गत
(1) सामाजिक विभेदीकरण,
(2) सामाजिक स्तरीकरण व
(3) पारिवारिक संगठन पर विचार करेंगे।
जनसंख्या के आकार व घनत्व बढ़ने से सामाजिक विभेदीकरण व स्तरीकरण बढ़ता है। परिवार और विवाह के स्वरूप भी जनसंख्या से निर्धारित होते हैं।
इसी प्रकार युद्ध क्रान्ति, राजनैतिक व सामाजिक संस्थाओं को जनसंख्या प्रभावित व परिवर्तित करती है। समाज की प्रगति और विकास जनसंख्या से प्रभावित होते हैं तथा सामाजिक परिवर्तन लाते हैं।
मूल्यांकन -
(1) यह नहीं माना जा सकता कि सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक व सांस्कृतिक परिवर्तन जनसंख्या से प्रभावित होते हैं। इसी प्रकार जन्मदर, मृत्युदर, देशागमन व देशान्तरगमन से सामाजिक स्वरूप निर्धारित नहीं होते। हाबहाउस व गिन्सबर्ग ने सिद्धं किया है कि जनसंख्या के घनत्व में परिवर्तन के बिना विवाह के रूप, विश्वासों व व्यवहार प्रतिमानों में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुये हैं।
(2) सोरोकिन के अनुसार जनसंख्या के घनत्व और सामाजिक गतिशीलता के बीच एक सम्बन्ध अवश्य है लेकिन इसमें किसी प्रकार की घनिष्ठता नहीं।
(3) जनसंख्या के आधार पर सामाजिक व राजनैतिक परिवर्तन को स्पष्ट नहीं किया जा सकता। जनसंख्या के परिवर्तन के बिना तानाशाही और सामंतवाद का स्थान लोकतंत्रीय व साम्यवादी संस्थाओं ने लिया है। जनसंख्या वृद्धि से क्रान्ति होना भी आवश्यक नहीं।
संक्षेप में जनसंख्या सम्बन्धी सभी निष्कर्ष सही नहीं हैं लेकिन उनमें आंशिक सत्य अवश्य है।
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- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का अर्थ बताइये सामाजिक परिवर्तन की विशेषतायें बताते हुए सामाजिक परिवर्तन को प्रभावित करने वाले कारकों का विवरण दीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की विशेषतायें बताइए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की प्रमुख प्रक्रियायें बताइये तथा सामाजिक परिवर्तन के कारणों (कारकों) का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नियोजित सामाजिक परिवर्तन की विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में नियोजन के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन से आप क्या समझते है? सामाजिक परिर्वतन के स्वरूपों की व्याख्या स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक संरचना के विकास में सहायक तथा अवरोधक तत्त्वों को वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक संरचना के विकास में असहायक तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्र एवं परिरेखा के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का अर्थ बताइये? सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख कारकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के भौगोलिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जैवकीय कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के राजनैतिक तथा सेना सम्बन्धी कारक की विवेचना कीजिए।.
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में महापुरुषों की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्रौद्योगिकीय कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विचाराधारा सम्बन्धी कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के सांस्कृतिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के मनोवैज्ञानिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की परिभाषा बताते हुए इसकी विशेषताएं लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में सूचना प्रौद्योगिकी की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- निम्नलिखित पुस्तकों के लेखकों के नाम लिखिए - (अ) आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन (ब) समाज
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी एवं विकास के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सूचना तंत्र क्रान्ति के सामाजिक परिणामों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- रूपांतरण किसे कहते हैं?
- प्रश्न- सामाजिक नियोजन की अवधारणा को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विभिन्न परिप्रेक्ष्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रवर्जन व सामाजिक परिवर्तन पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास से आप क्या समझते हैं? सामाजिक उद्विकास के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक उद्विकास के कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक विकास से सम्बन्धित नीतियों का संचालन कैसे होता है?
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति को परिभाषित कीजिए। सामाजिक प्रगति और सामाजिक परिवर्तन में अन्तर कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति और सामाजिक परिवर्तन में अन्तर कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति में सहायक दशाओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के लिए जैव-तकनीकी कारण किस प्रकार उत्तरदायी है?
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति को परिभाषित कीजिए। सामाजिक प्रगति और सामाजिक परिवर्तन में अन्तर कीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन एवं सामाजिक प्रगति में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास एवं प्रगति में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास की अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- समाज में प्रगति के मापदण्डों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उद्विकास व प्रगति में अन्तर स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- "भारत में जनसंख्या वृद्धि ने सामाजिक आर्थिक विकास में बाधाएँ उपस्थित की हैं।" स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारक बताइये तथा आर्थिक कारकों के आधार पर मार्क्स के विचार प्रकट कीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन मे आर्थिक कारकों से सम्बन्धित अन्य कारणों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक कारकों पर मार्क्स के विचार प्रस्तुत कीजिए?
- प्रश्न- मिश्रित अर्थव्यवस्था से आप क्या समझते हैं? भारत के सन्दर्भ में समझाइए।
- प्रश्न- भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था के बारे समझाइये।
- प्रश्न- मिश्रित अर्थव्यवस्था का नये स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मिश्रित अर्थव्यवस्था की आलोचनात्मक समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- विकास के समाजशास्त्र को परिभाषित कीजिए तथा उसका विषय क्षेत्र एवं महत्व बताइये?
- प्रश्न- विकास के समाजशास्त्र का विषय क्षेत्र बताइये?
- प्रश्न- विकास के समाजशास्त्र के महत्व की विवेचना विकासशील समाजों के सन्दर्भ में कीजिए?
- प्रश्न- मिश्रित अर्थव्यवस्था की उपादेयता व सीमाओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मिश्रित अर्थव्यवस्था की सीमाएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- औद्योगीकरण के सामाजिक प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मिश्रित अर्थव्यवस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- समाज पर प्रौद्योगिकी का प्रभाव बताइए।
- प्रश्न- विकास के उपागम बताइए?
- प्रश्न- सामाजिक विकास के मार्ग में पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय समाज मे विकास की सतत् प्रक्रिया पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- विकास के प्रमुख संकेतकों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मानव विकास को परिभाषित करते हुए इसकी उपयोगिता स्पष्ट करो।
- प्रश्न- मानव विकास के अध्ययन के महत्व की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- मानव विकास को समझने में शिक्षा की भूमिका बताओ।
- प्रश्न- वृद्धि एवं विकास में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- सतत् विकास की संकल्पना को बताते हुये इसकी विशेषतायें लिखिये।
- प्रश्न- सतत् पोषणीय विकास का महत्व अथवा आवश्यकता स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- सतत् पोषणीय विकास के उद्देश्यों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- विकास से सम्बन्धित पर्यावरणीय समस्याओं को हल करने की विधियों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिये।
- प्रश्न- पर्यावरणीय सतत् पोषणता के कौन-कौन से पहलू हैं? समझाइये।
- प्रश्न- सतत् पोषणीय विकास की आवश्यकता / महत्व को स्पष्ट कीजिये। भारत जैसे विकासशील देश में इसके लिये कौन-कौन से उपाय किये जाने चाहिये?
- प्रश्न- "भारत में सतत् पोषणीय पर्यावरण की परम्परा" शीर्षक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- जीवन की गुणवत्ता क्या है? भारत में जीवन की गुणवत्ता को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- सतत् विकास क्या है?
- प्रश्न- जीवन की गुणवत्ता के आवश्यक तत्व कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- स्थायी विकास या सतत विकास के प्रमुख सिद्धान्त कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- सतत् विकास सूचकांक, 2017 क्या है?
- प्रश्न- सतत् पोषणीय विकास की आवश्यक शर्ते कौन-कौन सी हैं?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख सिद्धान्तों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- समरेखीय सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भौगोलिक निर्णायकवादी सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- उद्विकासीय समरैखिक सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक प्रसारवाद सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- चक्रीय सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- चक्रीय तथा रेखीय सिद्धान्तों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक निर्णायकवादी सिद्धान्त पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का सोरोकिन का सिद्धान्त एवं उसके प्रमुख आधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वेबर एवं टामस का सामाजिक परिवर्तन का सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- मार्क्स के सामाजिक परिवर्तन सम्बन्धी निर्णायकवादी सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए तथा वेब्लेन के सिद्धान्त से अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स व वेब्लेन के सामाजिक परिवर्तन सम्बन्धी विचारों की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त की समीक्षा कीजिये।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- अभिजात वर्ग के परिभ्रमण की अवधारणा क्या है?
- प्रश्न- विलफ्रेडे परेटो द्वारा सामाजिक परिवर्तन के चक्रीय सिद्धान्त की विवेचना कीजिए!
- प्रश्न- जनसांख्यिकी विज्ञान की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सॉरोकिन के सांस्कृतिक सिद्धान्त पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऑगबर्न के सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चेतनात्मक (इन्द्रियपरक) एवं भावात्मक (विचारात्मक) संस्कृतियों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्राकृतिक कारकों का वर्णन कीजिए। सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों व प्रणिशास्त्रीय कारकों का वर्णन कीजिए।।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राणिशास्त्रीय कारक और सामाजिक परिवर्तन की व्याख्या कीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में जनसंख्यात्मक कारक के महत्व की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में प्रौद्योगिकीय कारकों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- समाज पर प्रौद्योगिकी का प्रभाव बताइए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में प्रौद्योगिक कारकों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में सूचना प्रौद्योगिकी की क्या भूमिका है? व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी एवं विकास के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मीडिया से आप क्या समझते हैं? सूचना प्रौद्योगिकी की सामाजिक परिवर्तन में क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जनसंचार के प्रमुख माध्यम बताइये।
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी की सामाजिक परिवर्तन में भूमिका बताइये।
- प्रश्न- जनांकिकीय कारक से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रौद्योगिकी क्या है?
- प्रश्न- प्रौद्योगिकी के विकास पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- प्रौद्योगिकी के कारकों को बताइये एवं सामाजिक जीवन में उनके प्रभाव पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सन्देशवहन के साधनों के विकास का सामाजिक जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- मार्क्स तथा वेब्लन के सिद्धान्तों की तुलना कीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के 'प्रौद्योगिकीय कारक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मीडिया से आप क्या समझते है?
- प्रश्न- जनसंचार के प्रमुख माध्यम बताइये।
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी क्या है?
- प्रश्न- विकास के समाजशास्त्र को परिभाषित कीजिए तथा उसका विषय क्षेत्र एवं महत्व बताइये?
- प्रश्न- विकास के समाजशास्त्र का विषय क्षेत्र बताइये?
- प्रश्न- विकास के समाजशास्त्र के महत्व की विवेचना विकासशील समाजों के सन्दर्भ में कीजिए?
- प्रश्न- विश्व प्रणाली सिद्धान्त क्या है?
- प्रश्न- केन्द्र परिधि के सिद्धान्त पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकास के उपागम बताइए?
- प्रश्न- सामाजिक विकास के मार्ग में पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय समाज में विकास की सतत् प्रक्रिया पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- विकास के प्रमुख संकेतकों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आर्थिक व सामाजिक विकास में योजना की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक तथा आर्थिक नियोजन में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- भारत में योजना आयोग की स्थापना एवं कार्यों की व्याख्या कीजिए?
- प्रश्न- भारत में पंचवर्षीय योजनाओं की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिये तथा भारत की पंचवर्षीय योजनाओं का मूल्यांकन कीजिए?
- प्रश्न- पंचवर्षीय योजनाओं का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में पर्यावरणीय समस्याएँ एवं नियोजन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पर्यावरणीय प्रदूषण दूर करने के लिए नियोजित नीति क्या है?
- प्रश्न- विकास में गैर-सरकारी संगठनों की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गैर सरकारी संगठनों से आप क्या समझते है? विकास में इनकी उभरती भूमिका की चर्चा कीजिये।
- प्रश्न- भारत में योजना प्रक्रिया की संक्षिप्त विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक विकास के मार्ग में पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की भूमिका का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- पंचवर्षीय योजनाओं से आप क्या समझते हैं। पंचवर्षीय योजनाओं का समाजशास्त्रीय मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- पूँजीवाद पर मार्क्स के विचारों का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
- प्रश्न- लोकतंत्र को परिभाषित करते हुए लोकतंत्र के विभिन्न प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- लोकतंत्र के विभिन्न सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में लोकतंत्र को बताते हुये इसकी प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अधिनायकवाद को परिभाषित करते हुए इसकी विशेषताओं का विस्तृत उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीय नियोजन को परिभाषित करते हुए, भारत में क्षेत्रीय नियोजन के अनुभव की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- नीति एवं परियोजना नियोजन पर एक टिप्पणी लिखिये।.
- प्रश्न- विकास के क्षेत्र में सरकारी संगठनों की अन्य भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- गैर-सरकारी संगठन (N.G.O.) क्या है?
- प्रश्न- लोकतंत्र के गुण एवं दोषों की संक्षिप्त में विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सोवियत संघ के इतिहासकारों द्वारा अधिनायकवाद पर विचार पर एक संक्षिप्त टिप्पणी प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- शीतयुद्ध से आप क्या समझते हैं?