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एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र तृतीय प्रश्नपत्र - सामाजिक स्तरीकरण एवं गतिशीलता

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2683
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र तृतीय प्रश्नपत्र - सामाजिक स्तरीकरण एवं गतिशीलता

प्रश्न- भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों की स्थिति एवं समस्याओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

मुस्लिम अल्पसंख्यकों की स्थिति
(Position of Muslim Minority)

सन् 2011 की जनगणना से सम्बन्धित विभिन्न धार्मिक समुदायों का प्रतिशत अभी उपलब्ध नहीं है लेकिन गैर-सरकारी सूचनाओं के आधार पर मुस्लिम आबादी का प्रतिशत 16 से भी अधिक हो चुका है। हिन्दू धर्म से सम्बन्धित जनसंख्या लगभग 78 प्रतिशत है। तीसरा स्थान ईसाई समुदाय का है जिसका प्रतिशत 2.16 है। सिक्ख धर्म के अनुयायियों की संख्या भी ईसाइयों के लगभग बराबर है, जबकि बौद्ध, जैन और पारसी धर्म को मानने वाले लोगों का प्रतिशत काफी कम है। दूसरा तथ्य यह है कि सिक्ख, बौद्ध तथा जैन धर्म हिन्दू धर्म में होने वाले सुधारवादी आन्दोलनों का परिणाम होने के कारण संजातीय और सांस्कृतिक रूप से कभी हिन्दू धर्म से पूरी तरह अलग नहीं रहे। इसके विपरीत, मुस्लिम और ईसाई धर्म की संस्कृति हिन्दू धर्म से काफी भिन्न होने के कारण उन्होंने सदैव अपने लिए ऐसे अधिकारों की माँग की जिससे उनकी एक अलग सांस्कृतिक पहचान बनी रहे। भारत के सभी क्षेत्रों में मुस्लिम और ईसाई अल्पसंख्यकों की प्रस्थिति भी एक जैसी नहीं है। मुस्लिम जनसंख्या का सबसे अधिक प्रतिशत पश्चिमी बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, केरल तथा जम्मू और कश्मीर में है, जबकि ईसाई जनसंख्या का सबसे अधिक प्रतिशत नागालैण्ड, मेघालय और मणिपुर में है। पंजाब में सिक्ख धर्म के अनुयायियों की संख्या सबसे अधिक है। एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र होने के कारण भारत में अल्पसंख्यकों के साथ किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया गया। इसका सर्वोत्तम प्रमाण यह है कि देश के सर्वोच्च राष्ट्रपति के पद पर डॉ० जाकिर हुसैन, फखरुद्दीन अली अहमद तथा डॉ० ए०पी०जे० अब्दुल कलाम कार्य कर चुके हैं। श्री हिदायतुल्लाह और एच०एम० बेग सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं, जबकि एअर चीफ मार्शल के पद पर इदरिस हसन लतीफ कार्य कर चुके हैं। विभिन्न राज्यों के राज्यपाल तथा केन्द्र और राज्य सरकार में मंत्रियों के रूप में भी कार्य करने वाले मुस्लिम नेताओं की संख्या कम नहीं रहीं। स्पष्ट है कि भारत में धार्मिक आधार पर हिन्दू और मुस्लिम बहुसंख्यक तथा अल्पसंख्यक का सवाल हमेशा उठाया जाता रहा है लेकिन इनके बीच किसी तरह का ऐसा विभेद नहीं है जो दुनिया के दूसरे धार्मिक बहुसंख्यक और अल्पसंख्यकों के बीच देखने को मिलता है।

मुस्लिम अल्पसंख्यकों की समस्याएँ
(Problems of Muslim Minority)

संजातीय (ethnic) तथा धार्मिक रूप से मुस्लिम समुदाय भारत का सबसे महत्वपूर्ण अल्पसंख्यक वर्ग है। भारत में जैसे-जैसे मुस्लिम अल्पसंख्यकों को विभिन्न प्रकार के संरक्षण देने तथा उन्हें राष्ट्र की मुख्य धारा से जोड़ने के प्रयत्न किये गये, किसी न किसी कारण मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय में ऐसी समस्याएँ बढ़ती गयीं जिनका आधार वास्तविक होने की जगह राजनीतिक अधिक है। संक्षेप में, इन समस्याओं की प्रकृति को निम्नांकित रूप र्से समझा जा सकता है-

(1) असुरक्षा की भावना - स्वतन्त्रता के बाद से ही मुस्लिम समुदाय में यह भावना जोर पकड़ती गयी कि देश के लोकतांत्रिक ढाँचे में संख्या शक्ति का सबसे अधिक महत्व होता है लेकिन हिन्दुओं की तुलना में मुसलमानों की कुल संख्या बहुत कम होने के कारण वे नागरिक और राजनीतिक अधिकारों से वंचित होते जायेंगे। इसी कारण उन्होंने अनुसूचित जातियों और जनजातियों की तरह अपने लिए भी पृथक् निर्वाचन मण्डलों की माँग करनी आरम्भ कर दी। भारत के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप में यह माँग अव्यावहारिक होने के कारण इसे स्वीकार नहीं किया जा सका।

(2) शैक्षणिक समस्याएँ - मुसलमानों की एक प्रमुख समस्या भारत के दूसरे सभी धार्मिक समुदायों की तुलना में शैक्षणिक पिछड़ापन है। यह सच है कि देश के संविधान के अनुसार सभी समुदायों को शिक्षा ग्रहण करने के व्यावहारिक अधिकार मिले हुए हैं, लेकिन मुस्लिम समुदाय की परम्पराएँ स्वयं आधुनिक शिक्षा के पक्ष में नहीं है। शिक्षा की कमी के कारण राजकीय नौकरियों में जब उनका सहभाग कम रह जाता है तो उनमें असन्तोष बढ़ने लगता है।

(3) आर्थिक पिछड़ापन – किसी न किसी रूप में यह समस्या शैक्षणिक पिछड़ेपन से ही सम्बन्धित है। उद्योग और व्यापार में आगे बढ़ने के लिए जिस शैक्षणिक कुशलता की जरूरत होती है, मुस्लिम समुदाय में उसकी काफी कमी होने के कारण मुस्लिम जनसंख्या का बहुत छोटा भाग ही सम्पन्न है। ऐसा अनुमान है कि मुस्लिम जनसंख्या का 85 प्रतिशत से भी अधिक भाग खेतिहर अथवा कामगार है तथा अधिकांश परिवारों में बच्चों को बहुत कम आयु से ही आजीविका कमाने के लिए बाध्य होना पड़ता है। मुस्लिम समुदाय इसी कारण अपने लिए कुछ विशेष आर्थिक सुविधाओं की माँग करता रहा है।

(4) सांस्कृतिक पृथकता की समस्या - मुस्लिम समुदाय की एक मुख्य समस्या उनका एक पृथक् सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन है। देश के अन्य समुदायों के लिए जहाँ समान नागरिक संहिता लागू है, वहीं मुसलमानों को उन्हीं के धार्मिक प्रतिनिधियों द्वारा यह निर्देश दिया जाता है कि वे अपने सामाजिक नियमों (शरियत ) तथा मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार व्यवहार करें। मुसलमानों के विकास के लिए सरकार ने अनेक बार उनके समुदाय में प्रचलित विवाह, तलाक और स्त्रियों की प्रस्थिति से सम्बन्धित विषयों में उपयोगी परिवर्तन लाने का प्रयत्न किया लेकिन स्वयं मुसलमानों ने इसे अपने जीवन में हस्तक्षेप मानते हुए इसे अस्वीकार कर दिया। सामाजिक जीवन जब धार्मिक कट्टरता के अधीन हो जाता है तो स्वाभाविक रूप से उसमें विघटन के तत्व पैदा होने लगते हैं।

(5) साम्प्रदायिक तनाव - इस समस्या का सम्बन्ध अपनी एक अलग पहचान बनाये रखने के उन्माद और असुरक्षा की ग्रन्थि से सम्बन्धित है। हमारे देश में स्वतन्त्रता से पहले और बाद में साम्प्रदायिक दंगे उन क्षेत्रों में सबसे अधिक हुए जिनमें दूसरे क्षेत्रों की तुलना में मुस्लिम जनसंख्या अधिक है। इन तनावों का कोई ठोस कारण न होने के बाद भी साधारणतया इनका उद्देश्य अपनी शक्ति का प्रदर्शन करना होता है। मुसलमानों का शिक्षित वर्ग स्वयं ऐसे तनावों का विरोधी है लेकिन सामान्य लोग इसे बहुसंख्यक समुदाय द्वारा जनित मानते हैं।

(6) भाषा की समस्या - भारत की जनसंख्या में मुस्लिम जनसंख्या का प्रतिशत आज लगभग 16 है लेकिन जनगणना रिपोर्ट के अनुसार जनसंख्या का केवल 5.13 प्रतिशत ही उर्दू भाषा को अपनी मातृ भाषा मानता है। इसका तात्पर्य है कि अधिकांश मुसलमान बंगाली, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम अथवा कश्मीरी भाषाओं से सम्बन्धित हैं। जिन राज्यों में मुस्लिम आबादी काफी है, उनमें समय-समय पर उर्दू को दूसरी राजभाषा का दर्जा देने की माँग की जाती रही है। यद्यपि अभी तक केवल उत्तर प्रदेश में ही यह माँग स्वीकार की गयी है। उर्दू को प्रोत्साहन देने के लिए उत्तर भारत के अनेक राज्यों में मुस्लिम मदरसे स्थापित किये गये लेकिन इनमें दी जाने वाली शिक्षा को सन्देह की निगाह से देखने के कारण एक नया विवाद पैदा हो गया।

भारत में मुस्लिम समुदाय को वे सभी सुविधाएँ और अधिकार प्राप्त हैं जो बहुसंख्यकों को मिले हुए है। स्पष्ट है कि मुस्लिम समुदायों की समस्याओं का सम्बन्ध अल्पसंख्यक वर्ग होने से नहीं है बल्कि इसका कारण उन्हीं की अपनी एक विशेष सामाजिक और धार्मिक संरचना है। मुसलमानों में जैसे-जैसे शिक्षा का प्रभाव बढ़ेगा, उनकी इन मनोवैज्ञानिक- समस्याओं का समाधान स्वयं ही होता जायेगा।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण क्या है? सामाजिक स्तरीकरण की विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
  2. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण की क्या आवश्यकता है? सामाजिक स्तरीकरण के प्रमुख आधारों को स्पष्ट कीजिये।
  3. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण को निर्धारित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
  4. प्रश्न- सामाजिक विभेदीकरण किसे कहते हैं? सामाजिक स्तरीकरण और सामाजिक विभेदीकरण में अन्तर बताइये।
  5. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण से सम्बन्धित आधारभूत अवधारणाओं का विवेचन कीजिए।
  6. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के सम्बन्ध में पदानुक्रम / सोपान की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  7. प्रश्न- असमानता से क्या आशय है? मनुष्यों में असमानता क्यों पाई जाती है? इसके क्या कारण हैं?
  8. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के स्वरूप का संक्षिप्त विवेचन कीजिये।
  9. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के अकार्य/दोषों का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
  10. प्रश्न- वैश्विक स्तरीकरण से क्या आशय है?
  11. प्रश्न- सामाजिक विभेदीकरण की विशेषताओं को लिखिये।
  12. प्रश्न- जाति सोपान से क्या आशय है?
  13. प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता क्या है? उपयुक्त उदाहरण देते हुए सामाजिक गतिशीलता के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता के प्रमुख घटकों का वर्णन कीजिए।
  15. प्रश्न- सामाजिक वातावरण में परिवर्तन किन कारणों से आता है?
  16. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण की खुली एवं बन्द व्यवस्था में गतिशीलता का वर्णन कीजिए तथा दोनों में अन्तर भी स्पष्ट कीजिए।
  17. प्रश्न- भारतीय समाज में सामाजिक गतिशीलता का विवेचन कीजिए तथा भारतीय समाज में गतिशीलता के निर्धारक भी बताइए।
  18. प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता का अर्थ लिखिये।
  19. प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता के पक्षों का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
  20. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के संरचनात्मक प्रकार्यात्मक दृष्टिकोण का विवेचन कीजिये।
  21. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के मार्क्सवादी दृष्टिकोण का विवेचन कीजिये।
  22. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण पर मेक्स वेबर के दृष्टिकोण का विवेचन कीजिये।
  23. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण की विभिन्न अवधारणाओं का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
  24. प्रश्न- डेविस व मूर के सामाजिक स्तरीकरण के प्रकार्यवादी सिद्धान्त का वर्णन कीजिये।
  25. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के प्रकार्य पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  26. प्रश्न- डेविस-मूर के संरचनात्मक प्रकार्यात्मक सिद्धान्त का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
  27. प्रश्न- स्तरीकरण की प्राकार्यात्मक आवश्यकता का विवेचन कीजिये।
  28. प्रश्न- डेविस-मूर के रचनात्मक प्रकार्यात्मक सिद्धान्त पर एक आलोचनात्मक टिप्पणी लिखिये।
  29. प्रश्न- जाति की परिभाषा दीजिये तथा उसकी प्रमुख विशेषतायें बताइये।
  30. प्रश्न- भारत में जाति-व्यवस्था की उत्पत्ति के विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  31. प्रश्न- जाति प्रथा के गुणों व दोषों का विवेचन कीजिये।
  32. प्रश्न- जाति-व्यवस्था के स्थायित्व के लिये उत्तरदायी कारकों का विवेचन कीजिये।
  33. प्रश्न- जाति व्यवस्था को दुर्बल करने वाली परिस्थितियाँ कौन-सी हैं?
  34. प्रश्न- भारतवर्ष में जाति प्रथा में वर्तमान परिवर्तनों का विवेचन कीजिये।
  35. प्रश्न- जाति व्यवस्था में गतिशीलता सम्बन्धी विचारों का विवेचन कीजिये।
  36. प्रश्न- वर्ग किसे कहते हैं? वर्ग की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
  37. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण व्यवस्था के रूप में वर्ग की आवधारणा का वर्णन कीजिये।
  38. प्रश्न- अंग्रेजी उपनिवेशवाद और स्थानीय निवेश के परिणामस्वरूप भारतीय समाज में उत्पन्न होने वाले वर्गों का परिचय दीजिये।
  39. प्रश्न- जाति, वर्ग स्तरीकरण की व्याख्या कीजिये।
  40. प्रश्न- 'शहरीं वर्ग और सामाजिक गतिशीलता पर टिप्पणी लिखिये।
  41. प्रश्न- खेतिहर वर्ग की सामाजिक गतिशीलता पर प्रकाश डालिये।
  42. प्रश्न- धर्म क्या है? धर्म की विशेषतायें बताइये।
  43. प्रश्न- धर्म (धार्मिक संस्थाओं) के कार्यों एवं महत्व की विवेचना कीजिये।
  44. प्रश्न- धर्म की आधुनिक प्रवृत्तियों की विवेचना कीजिये।
  45. प्रश्न- समाज एवं धर्म में होने वाले परिवर्तनों का उल्लेख कीजिये।
  46. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण में धर्म की भूमिका को स्पष्ट कीजिये।
  47. प्रश्न- जाति और जनजाति में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  48. प्रश्न- जाति और वर्ग में अन्तर बताइये।
  49. प्रश्न- स्तरीकरण की व्यवस्था के रूप में जाति व्यवस्था को रेखांकित कीजिये।
  50. प्रश्न- आंद्रे बेत्तेई ने भारतीय समाज के जाति मॉडल की किन विशेषताओं का वर्णन किया है?
  51. प्रश्न- बंद संस्तरण व्यवस्था से आप क्या समझते हैं?
  52. प्रश्न- खुली संस्तरण व्यवस्था से आप क्या समझते हैं?
  53. प्रश्न- धर्म की आधुनिक किन्हीं तीन प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिये।
  54. प्रश्न- "धर्म सामाजिक संगठन का आधार है।" इस कथन का संक्षेप में उत्तर दीजिये।
  55. प्रश्न- क्या धर्म सामाजिक एकता में सहायक है? अपना तर्क दीजिये।
  56. प्रश्न- 'धर्म सामाजिक नियन्त्रण का प्रभावशाली साधन है। इस सन्दर्भ में अपना उत्तर दीजिये।
  57. प्रश्न- वर्तमान में धार्मिक जीवन (धर्म) में होने वाले परिवर्तन लिखिये।
  58. प्रश्न- जेण्डर शब्द की अवधारणा को स्पष्ट कीजिये।
  59. प्रश्न- जेण्डर संवेदनशीलता से क्या आशय हैं?
  60. प्रश्न- जेण्डर संवेदशीलता का समाज में क्या भूमिका है?
  61. प्रश्न- जेण्डर समाजीकरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  62. प्रश्न- समाजीकरण और जेण्डर स्तरीकरण पर टिप्पणी लिखिए।
  63. प्रश्न- समाज में लैंगिक भेदभाव के कारण बताइये।
  64. प्रश्न- लैंगिक असमता का अर्थ एवं प्रकारों का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  65. प्रश्न- परिवार में लैंगिक भेदभाव पर प्रकाश डालिए।
  66. प्रश्न- परिवार में जेण्डर के समाजीकरण का विस्तृत वर्णन कीजिये।
  67. प्रश्न- लैंगिक समानता के विकास में परिवार की भूमिका का वर्णन कीजिये।
  68. प्रश्न- पितृसत्ता और महिलाओं के दमन की स्थिति का विवेचन कीजिये।
  69. प्रश्न- लैंगिक श्रम विभाजन के हाशियाकरण के विभिन्न पहलुओं की चर्चा कीजिए।
  70. प्रश्न- महिला सशक्तीकरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  71. प्रश्न- पितृसत्तात्मक के आनुभविकता और व्यावहारिक पक्ष का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  72. प्रश्न- जाति व्यवस्था और ब्राह्मणवादी पितृसत्ता से क्या आशय है?
  73. प्रश्न- पुरुष प्रधानता की हानिकारकं स्थिति का वर्णन कीजिये।
  74. प्रश्न- आधुनिक भारतीय समाज में स्त्रियों की स्थिति में क्या परिवर्तन आया है?
  75. प्रश्न- महिलाओं की कार्यात्मक महत्ता का वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- सामाजिक क्षेत्र में लैंगिक विषमता का वर्णन कीजिये।
  77. प्रश्न- आर्थिक क्षेत्र में लैंगिक विषमता की स्थिति स्पष्ट कीजिये।
  78. प्रश्न- अनुसूचित जाति से क्या आशय है? उनमें सामाजिक गतिशीलता तथा सामाजिक न्याय का वर्णन कीजिये।
  79. प्रश्न- जनजाति का अर्थ एवं परिभाषाएँ लिखिए तथा जनजाति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- भारतीय जनजातियों की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- अनुसूचित जातियों एवं पिछड़े वर्गों की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
  82. प्रश्न- जनजातियों में महिलाओं की प्रस्थिति में परिवर्तन के लिये उत्तरदायी कारणों का वर्णन कीजिये।
  83. प्रश्न- सीमान्तकारी महिलाओं के सशक्तीकरण हेतु किये जाने वाले प्रयासो का वर्णन कीजिये।
  84. प्रश्न- अल्पसंख्यक कौन हैं? अल्पसंख्यकों की समस्याओं का वर्णन कीजिए एवं उनका समाधान बताइये।
  85. प्रश्न- भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों की स्थिति एवं समस्याओं का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- धार्मिक अल्पसंख्यक समूहों से क्या आशय है?
  87. प्रश्न- सीमान्तिकरण अथवा हाशियाकरण से क्या आशय है?
  88. प्रश्न- सीमान्तकारी समूह की विशेषताएँ लिखिये।
  89. प्रश्न- आदिवासियों के हाशियाकरण पर टिप्पणी लिखिए।
  90. प्रश्न- जनजाति से क्या तात्पर्य है?
  91. प्रश्न- भारत के सन्दर्भ में अल्पसंख्यक शब्द की व्याख्या कीजिये।
  92. प्रश्न- अस्पृश्य जातियों की प्रमुख निर्योग्यताएँ बताइये।
  93. प्रश्न- अस्पृश्यता निवारण व अनुसूचित जातियों के भेद को मिटाने के लिये क्या प्रयास किये गये हैं?
  94. प्रश्न- मुस्लिम अल्पसंख्यक की समस्यायें लिखिये।

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