बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र तृतीय प्रश्नपत्र - सामाजिक स्तरीकरण एवं गतिशीलता एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र तृतीय प्रश्नपत्र - सामाजिक स्तरीकरण एवं गतिशीलतासरल प्रश्नोत्तर समूह
|
0 5 पाठक हैं |
एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र तृतीय प्रश्नपत्र - सामाजिक स्तरीकरण एवं गतिशीलता
प्रश्न- सीमान्तकारी महिलाओं के सशक्तीकरण हेतु किये जाने वाले प्रयासो का वर्णन कीजिये।
उत्तर -
सीमान्तकारी महिलाओं के सशक्तीकरण हेतु किये गये प्रयास
आज 21वीं सदी में भी संसार में विशेषकर भारत में सीमान्तकारी महिलाओं की स्थिति कुछ बहुत अच्छी नही है। देश के अनेक भागों में आज भी असमानता, शोषण उत्पीड़न बड़े पैमाने पर हो रहे हैं। इसलिए सम्पूर्ण देश में ऐसी सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक परिस्थितियों का निर्माण करने की आवश्यकता है जिनमें मानव अधिकारों के उपयोग और उनकी वैधानिक मान्यता स्वीकृत हो और उनकी सुरक्षा हो। इनके बिना मानव अधिकारों की सभी घोषणाएँ केवल कागजी होकर रह जायेगी। वे कभी भी साकार रूप धारण नहीं कर पाएंगी।
स्वतन्त्रता-प्राप्ति के पश्चात् अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति और समाज के अन्य कमजोर वर्गों की महिलाओं का सशक्तीकरण देश में व्याप्त सामुदायिक और क्षेत्रीय स्तर पर व्याप्त विषमताओं को दूर करने के लिए आवश्यक माना गया। भारत के संविधान में इन समूहों के विकास के लिए अनेक प्रावधान और कई वचनबद्धताएं व्यक्त की गई हैं। इन संवैधानिक वचनबद्धताओं को पूरा करने के लिए सरकार ने तीन तरफ़ा रणनीति अपनाई है-
(क) आर्थिक सशक्तीकरण
सामाजिक और आर्थिक रूप से अभावग्रस्त वर्गों के आर्थिक सशक्तीकरण के लिए रोजगार और आय पैदा करने वाले कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। इस सम्बन्ध में निम्न उच्चतम वित्तीय संगठन स्थापित किए गए हैं-
(1) कृषि और सम्बन्धित क्षेत्र में उत्पादक के रूप में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका के प्रयास किए जा रहे हैं कि उनके लिए प्रशिक्षण व विस्तार कार्यक्रमों के लाभ उनकी जनसंख्या के अनुपात में सुनिश्चित किए जाय।
(2) भारत में गरीबी रेखा के नीचे महिलाओं की संख्या अत्यधिक होने के कारण कई ऐसी योजनाएँ लागू की जा रही हैं जो विशेष रुप से उनकी आवश्यकताओं को पूरा करती हो।
(3) सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी और पूर्ण सहयोग प्राप्त करने के लिए कार्यस्थल का वातावरण उनके लिए सहायक होना चाहिए, इसके लिए वहाँ पर बाल देखरेख की सुविधा, क्रेच तथा वृद्ध और विकलांगों के लिए विशेष व्यवस्था होनी चाहिए।
(4) राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त और विकास निगम (एन० एस० के० एफ० डी० सी०), सफाई कर्मचारियों को आय सृजन करने के लिए वित्तीय सहायता देती है।
(5) अनुसूचित जाति विकास निगम (एस० सी० डी० सी०), रोजगार सम्बन्धी योजनाओं, कृषि और सम्बन्धित गतिविधियों, छोटी सिंचाई योजनाओं, छोटे उद्योगों, परिवहन, व्यापार आदि को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
(6) वृहत् सहायता प्रदान की जाय ताकि वे औद्योगिक क्षेत्र में विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी, खाद्य प्रसंस्करण, कृषि और वस्त्र उद्योग में सहभागी बन सके।
(7) अनुसूचित जनजाति विकास निगम (एस० सी० डी० सी०), एक दिशा निर्धारित करने वाली एजेन्सी के रूप में कार्य इन वर्गों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। ट्राइवल मार्केटिंग डेवलपमेंट फैडरेशन ऑफ इण्डिया लिमिटेड (ट्राइफेड), आदिवासियों द्वारा निर्मित वन्य उत्पादों और अतिरिक्त कृषि उत्पाद को बाजार प्रदान करता है।
(8) राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त विकास निगम (एन एस टी एफ डी सी ), इन वर्गों को प्रशिक्षण, लोन, बाजार समर्थन के द्वारा सहायता करता है।
(9) राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम (एन एस एफ डी सी), विभिन्न आय सृजन करने वाली गतिविधियों के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करता है।
(ख) सामाजिक सशक्तीकरण
शिक्षा अभावग्रस्त वर्गों के सशक्तीकरण का प्रमुख यन्त्र रही है इसलिए इन वर्गों में उत्थान के लिए शिक्षा को प्राथमिकता दी जाए इस दिशा में निम्न कदम महत्वपूर्ण हैं-
(1) प्रारम्भिक शिक्षा के लिए कई प्रोत्साहन जैसे फीस माफी निःशुल्क पुस्तकें, मध्याह्न भोजन, छात्रवृत्ति दिए जाते हैं। कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय, नवोदय विद्यालय, राष्ट्रीय प्रतिभा खोज योजना आदि के द्वारा अनुसूचित जनजातियों को लाभान्वित करने का प्रयास किया गया है।
(2) विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए इन वर्गों के छात्रों को निःशुल्क कोचिंग दी जाती है या तैयारी कराई जाती है।
(3) मैटिक के पश्चात् उससे आगे की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए छात्रवृत्ति गरीब व कूड़ाकड़कर उठाने जैसे- निम्न श्रेणी के कार्यों में लगे वर्गों के बच्चों को शिक्षा देने के लिए दी जाती है। मैरिट योजना को बढ़ावा देने के लिए निदानात्मक कोचिंग दी जाती है। राजीव गांधी राष्ट्रीय छात्रवृत्ति अनुसूचित जाति के छात्रों को उच्च शिक्षा और अनुसंधान करने के उद्देश्य से दी जाती है।
(4) उच्च प्राथमिक स्तर के बाद सभी लड़के लड़कियों को हॉस्टल की सुविधा।
(5) इस दिशा में कुछ सुरक्षात्मक विधि निर्माण भी हुआ है। इस दिशा में नागरिक अधिकार सुरक्षा अधिनियम, 1955 अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति ( उत्पीड़न निषेध) अधिनियम, 1989 तथा अनुसूचित जनजाति तथा अन्य वनवासी (वन अधिकार मान्यता) अधिनियम, 2006 आदि महत्वपूर्ण हैं।
(6) स्वास्थ्य के प्रति सम्पूर्ण दृष्टिकोण जिसमें पोषण व स्वास्थ्य सेवाओं को शामिल कर जीवन के हर स्तर पर महिलाओं और लड़कियों की आवश्यकताओं पर विशेष ध्यान दिया जा सके।
(7) महिलाओं के विरुद्ध हर प्रकार की शारीरिक व मानसिक हिंसा के उन्मूलन को उच्च प्राथमिकता दी जा रही है, चाहे वह घरेलू अथवा सामाजिक स्तर पर हो या फि परम्पराओं और रीति-रिवाजों के कारण उपजी हिंसा हो।
(8) भारत का संविधान हर प्रकार के शोषण और सामाजिक अन्याय से सुरक्षा की गारण्टी देता है।
(9) महिलाओं में रोजगार, व्यवसायिक और तकनीकी हुनर का विकास करने के उद्देश्य से महिलाओं व बालिकाओं की शिक्षा तक पहुँच, शिक्षा के क्षेत्र में भेदभाव की समाप्ति, शिक्षा का सार्वभौमीकरण, निरक्षरता उन्मूलन तथा लैंगिक सम्वेदी शिक्षा प्रणाली की दिशा में कई प्रयास किए जा रहे हैं ताकि शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाकर अधिगम को जीवन पर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया बनाया जा सके।
(10) महिलाओं के लिए कुपोषण और बीमारियों जैसे खतरों का सामना करने के उददेश्य से जीवन के हर पड़ाव पर उनकी पोषण सम्बन्धी आवश्यकताओं को पूरा करने पर जोर दिया जा रहा है।
(ग) राजनीतिक सशक्तीकरण
भारत में स्वतन्त्रता - प्राप्ति के समय से ही महिलाएँ चुनाव लड़ने व मतदान करने के अधिकार का उपभोग कर रही हैं। उन्हें सरकार के हर स्तर पर निर्णय लेने की प्रक्रिया में भाग लेने का अधिकार प्राप्त है। 73वें और 74वें संविधान संशोधन (1993) इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। इसके द्वारा ग्रामीण और शहरी स्थानीय शासन में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण प्रदान कर राजनीतिक व्यवस्था व संरचना में उनकी भागीदारी को बढ़ा दिया है तथा राजनीतिक सत्ता तक उनको समान पहुँच प्रदान कर दी है। इससे सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा मिला है। महिलाओं के लिए लोकसभा तथा विधानसभाओं में सीटें आरक्षित करने सम्बन्धी विधेयक संसद् में विचाराधीन पड़ा है।
|
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण क्या है? सामाजिक स्तरीकरण की विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण की क्या आवश्यकता है? सामाजिक स्तरीकरण के प्रमुख आधारों को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण को निर्धारित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- सामाजिक विभेदीकरण किसे कहते हैं? सामाजिक स्तरीकरण और सामाजिक विभेदीकरण में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण से सम्बन्धित आधारभूत अवधारणाओं का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के सम्बन्ध में पदानुक्रम / सोपान की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- असमानता से क्या आशय है? मनुष्यों में असमानता क्यों पाई जाती है? इसके क्या कारण हैं?
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के स्वरूप का संक्षिप्त विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के अकार्य/दोषों का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
- प्रश्न- वैश्विक स्तरीकरण से क्या आशय है?
- प्रश्न- सामाजिक विभेदीकरण की विशेषताओं को लिखिये।
- प्रश्न- जाति सोपान से क्या आशय है?
- प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता क्या है? उपयुक्त उदाहरण देते हुए सामाजिक गतिशीलता के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता के प्रमुख घटकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक वातावरण में परिवर्तन किन कारणों से आता है?
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण की खुली एवं बन्द व्यवस्था में गतिशीलता का वर्णन कीजिए तथा दोनों में अन्तर भी स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय समाज में सामाजिक गतिशीलता का विवेचन कीजिए तथा भारतीय समाज में गतिशीलता के निर्धारक भी बताइए।
- प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता का अर्थ लिखिये।
- प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता के पक्षों का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के संरचनात्मक प्रकार्यात्मक दृष्टिकोण का विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के मार्क्सवादी दृष्टिकोण का विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण पर मेक्स वेबर के दृष्टिकोण का विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण की विभिन्न अवधारणाओं का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
- प्रश्न- डेविस व मूर के सामाजिक स्तरीकरण के प्रकार्यवादी सिद्धान्त का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के प्रकार्य पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- डेविस-मूर के संरचनात्मक प्रकार्यात्मक सिद्धान्त का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
- प्रश्न- स्तरीकरण की प्राकार्यात्मक आवश्यकता का विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- डेविस-मूर के रचनात्मक प्रकार्यात्मक सिद्धान्त पर एक आलोचनात्मक टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- जाति की परिभाषा दीजिये तथा उसकी प्रमुख विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- भारत में जाति-व्यवस्था की उत्पत्ति के विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- जाति प्रथा के गुणों व दोषों का विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- जाति-व्यवस्था के स्थायित्व के लिये उत्तरदायी कारकों का विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- जाति व्यवस्था को दुर्बल करने वाली परिस्थितियाँ कौन-सी हैं?
- प्रश्न- भारतवर्ष में जाति प्रथा में वर्तमान परिवर्तनों का विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- जाति व्यवस्था में गतिशीलता सम्बन्धी विचारों का विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- वर्ग किसे कहते हैं? वर्ग की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण व्यवस्था के रूप में वर्ग की आवधारणा का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- अंग्रेजी उपनिवेशवाद और स्थानीय निवेश के परिणामस्वरूप भारतीय समाज में उत्पन्न होने वाले वर्गों का परिचय दीजिये।
- प्रश्न- जाति, वर्ग स्तरीकरण की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- 'शहरीं वर्ग और सामाजिक गतिशीलता पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- खेतिहर वर्ग की सामाजिक गतिशीलता पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- धर्म क्या है? धर्म की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- धर्म (धार्मिक संस्थाओं) के कार्यों एवं महत्व की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- धर्म की आधुनिक प्रवृत्तियों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- समाज एवं धर्म में होने वाले परिवर्तनों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण में धर्म की भूमिका को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- जाति और जनजाति में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- जाति और वर्ग में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- स्तरीकरण की व्यवस्था के रूप में जाति व्यवस्था को रेखांकित कीजिये।
- प्रश्न- आंद्रे बेत्तेई ने भारतीय समाज के जाति मॉडल की किन विशेषताओं का वर्णन किया है?
- प्रश्न- बंद संस्तरण व्यवस्था से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- खुली संस्तरण व्यवस्था से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- धर्म की आधुनिक किन्हीं तीन प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- "धर्म सामाजिक संगठन का आधार है।" इस कथन का संक्षेप में उत्तर दीजिये।
- प्रश्न- क्या धर्म सामाजिक एकता में सहायक है? अपना तर्क दीजिये।
- प्रश्न- 'धर्म सामाजिक नियन्त्रण का प्रभावशाली साधन है। इस सन्दर्भ में अपना उत्तर दीजिये।
- प्रश्न- वर्तमान में धार्मिक जीवन (धर्म) में होने वाले परिवर्तन लिखिये।
- प्रश्न- जेण्डर शब्द की अवधारणा को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- जेण्डर संवेदनशीलता से क्या आशय हैं?
- प्रश्न- जेण्डर संवेदशीलता का समाज में क्या भूमिका है?
- प्रश्न- जेण्डर समाजीकरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- समाजीकरण और जेण्डर स्तरीकरण पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- समाज में लैंगिक भेदभाव के कारण बताइये।
- प्रश्न- लैंगिक असमता का अर्थ एवं प्रकारों का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- परिवार में लैंगिक भेदभाव पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- परिवार में जेण्डर के समाजीकरण का विस्तृत वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- लैंगिक समानता के विकास में परिवार की भूमिका का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- पितृसत्ता और महिलाओं के दमन की स्थिति का विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- लैंगिक श्रम विभाजन के हाशियाकरण के विभिन्न पहलुओं की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- महिला सशक्तीकरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पितृसत्तात्मक के आनुभविकता और व्यावहारिक पक्ष का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- जाति व्यवस्था और ब्राह्मणवादी पितृसत्ता से क्या आशय है?
- प्रश्न- पुरुष प्रधानता की हानिकारकं स्थिति का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- आधुनिक भारतीय समाज में स्त्रियों की स्थिति में क्या परिवर्तन आया है?
- प्रश्न- महिलाओं की कार्यात्मक महत्ता का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक क्षेत्र में लैंगिक विषमता का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- आर्थिक क्षेत्र में लैंगिक विषमता की स्थिति स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- अनुसूचित जाति से क्या आशय है? उनमें सामाजिक गतिशीलता तथा सामाजिक न्याय का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- जनजाति का अर्थ एवं परिभाषाएँ लिखिए तथा जनजाति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय जनजातियों की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अनुसूचित जातियों एवं पिछड़े वर्गों की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जनजातियों में महिलाओं की प्रस्थिति में परिवर्तन के लिये उत्तरदायी कारणों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- सीमान्तकारी महिलाओं के सशक्तीकरण हेतु किये जाने वाले प्रयासो का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- अल्पसंख्यक कौन हैं? अल्पसंख्यकों की समस्याओं का वर्णन कीजिए एवं उनका समाधान बताइये।
- प्रश्न- भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों की स्थिति एवं समस्याओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- धार्मिक अल्पसंख्यक समूहों से क्या आशय है?
- प्रश्न- सीमान्तिकरण अथवा हाशियाकरण से क्या आशय है?
- प्रश्न- सीमान्तकारी समूह की विशेषताएँ लिखिये।
- प्रश्न- आदिवासियों के हाशियाकरण पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- जनजाति से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- भारत के सन्दर्भ में अल्पसंख्यक शब्द की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- अस्पृश्य जातियों की प्रमुख निर्योग्यताएँ बताइये।
- प्रश्न- अस्पृश्यता निवारण व अनुसूचित जातियों के भेद को मिटाने के लिये क्या प्रयास किये गये हैं?
- प्रश्न- मुस्लिम अल्पसंख्यक की समस्यायें लिखिये।