बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र तृतीय प्रश्नपत्र - सामाजिक स्तरीकरण एवं गतिशीलता एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र तृतीय प्रश्नपत्र - सामाजिक स्तरीकरण एवं गतिशीलतासरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र तृतीय प्रश्नपत्र - सामाजिक स्तरीकरण एवं गतिशीलता
प्रश्न- वर्ग किसे कहते हैं? वर्ग की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
उत्तर -
(Class)
वस्तुतः जन्म के अतिरिक्त किसी भी अन्य आधार पर समाज में समूहों के निर्माण को वर्ग कहते हैं। प्रत्येक समाज में अनेक वर्ग होते हैं। इन वर्गों के हित भी अलग-अलग होते हैं तथा इनमें असन्तुलन होने पर वर्ग संघर्ष उत्पन्न हो जाता है और कभी-कभी तो भयंकर क्रान्तियों की नौबत आ जाती है। प्रत्येक सामाजिक वर्ग की समाज में अपनी स्थिति होती है जिसके अनुसार उसको समाज में प्रतिष्ठा मिलती है। इस प्रकार वर्ग प्रतिष्ठा से प्रत्येक वर्ग के व्यक्ति को समाज में कुछ विशेष सुविधायें प्राप्त होती हैं। सामाजिक प्रतिष्ठा के अन्तर से भिन्न-भिन्न वर्गों में वर्ग-चेतना का अभ्युदय होता है।
सामाजिक वर्ग की परिभाषायें
ऑगबर्न और निमकॉफ- "सामाजिक वर्ग व्यक्तियों का एक ऐसा योग है जिसका समाज में निश्चित रूप से एक समान स्तर होता है।"
जिसबर्ट - " एक सामाजिक वर्ग व्यक्तियों का समूह अथवा एक विशेष श्रेणी है, जिसकी समाज में एक विशेष स्थिति होती है। यह विशेष स्थिति ही अन्य समूहों से उनके सम्बन्ध को निर्धारित करती है। "
लापियरे - " वर्ग सांस्कृतिक रूप से परिभाषित एक ऐसा समूह है जिसे सम्पूर्ण जनसंख्या में एक विशेष स्थान या स्तर प्राप्त होता है। "
मैकाइवर - "एक सामाजिक वर्ग समुदाय का एक ऐसा भाग है जो सामाजिक स्तर के आधार पर अन्य व्यक्तियों से पृथक् किया जा सकता है।"
जिन्सबर्ग - "एक सामाजिक वर्ग ऐसे व्यक्तियों का समूह है जो व्यवसाय, धन, शिक्षा, जीवनयापन की विधियों, विचारों, भावनाओं, मनोवृत्तियों और व्यवहारों में एक-दूसरे के समान होते हैं अथवा इनमें से कुछ आधारों पर एक-दूसरे से अनुभव करते हुये अपने को एक समूह का सदस्य समझते हैं। "
ओल्सन - "सामाजिक वर्गों का निर्माण उन व्यक्तियों के द्वारा होता है जिन्हें लगभग समान मात्रा में शक्ति, सुविधायें और सम्मान मिला होता है। "
उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि सामाजिक वर्ग ऐसे व्यक्तियों का समूह है जिनकी सामाजिक स्थिति समान होती है।
सामाजिक वर्ग की विशेषतायें
(1) स्थिति समूहों का उतार-चढ़ाव - प्रत्येक समाज में वर्गों की एक श्रेणी होती है जिसमें सबसे ऊपर उच्चतम वर्ग और उससे नीचे क्रम से निम्नतर और निम्नतम वर्ग आते हैं। सामाजिक वर्ग पाये जाने वाले समाजों का ढाँचा एक पिरामिड की भाँति होता है जिसमें सबसे नीचे के भाग में निम्नतम सामाजिक वर्ग के सदस्यों की संख्या सबसे अधिक होती है तथा सबसे उच्च वर्ग के सदस्यों की संख्या सबसे कम होती है। यहाँ यह याद रखना भी उल्लेखनीय है कि जिस समाज में एक से अधिक वर्ग होंगे, सामाजिक वर्ग वहीं पाये जायेंगे क्योंकि जब तक दूसरे वर्ग नहीं होंगे, तब तक अलग-अलग स्थिति वाले समूह का भी निर्माण नहीं हो सकता। यदि समाज में एक ही वर्ग है तब उसे हम वर्गहीन समाज की ही संज्ञा देंगे।
(2) समान स्थिति - एक वर्ग के लोगों की सामाजिक स्थिति समान होती है। जैसे यदि शिक्षा को आधार मानें तो शिक्षितों एवं अशिक्षितों की सामाजिक प्रतिष्ठा एवं स्थिति भिन्न-भिन्न होगी। लेकिन किसी एक ही आधार पर सामाजिक स्थिति का निर्धारण नहीं होता, उसमें अन्य तत्व जैसे जाति की सदस्यता, व्यवसाय की प्रतिष्ठा आदि तत्व भी महत्वपूर्ण होते हैं।
(3) ऊँच-नीच की भावना - एक वर्ग के सदस्य दूसरे वर्ग के सदस्यों के प्रति या तो श्रेष्ठता का भाव रखते हैं या फिर हीनता का। इस भाव को वे प्रदर्शित भी करते हैं। धनी वर्ग के सदस्य निर्धन वर्ग के सदस्यों से अपने को श्रेष्ठ मानते हैं। इसी प्रकार निर्धन वर्ग के सदस्यों में धनी वर्ग को देखते हुये हीनता का भाव बना रहता है।
(4) वर्ग - चेतना - देखा जाता है कि प्रत्येक वर्ग के लोगों में अपने वर्ग के प्रति एक अपनत्व व आत्मीयता की भावना पाई जाती है। अपने वर्ग की सामाजिक स्थिति के प्रति चेतना वर्ग का प्रमुख आधार है। अक्सर यह वर्ग चेतना वर्ग को एक सुदृढ़ संगठन का रूप दे देती है। यह वर्ग-संगठन अपने विशेषाधिकारों तथा सुख-सुविधाओं आदि को सुरक्षित रखते हैं।
(5) वर्ग अन्तर्विवाह - प्रायः एक वर्ग के सदस्य अपने ही वर्ग में शादी-ब्याह करते हैं। निम्न वर्ग का व्यक्ति तो उच्च वर्ग में विवाह करने हेतु उत्सुक रहता है, किन्तु उच्च वर्ग के लोग निम्न वर्ग में विवाह करने में संकोच करते हैं।
(6) मुक्त सदस्यता - जहाँ जाति एक बन्द व्यवस्था है, वहाँ वर्ग एक मुक्त व्यवस्था है। परिस्थिति अनुरूप होने पर व्यक्ति अपना वर्ग परिवर्तित भी कर सकता है। इसी गतिशीलता के कारण वर्ग को मुक्त व्यवस्था कहा जाता है। कोई भी निम्न वर्ग का व्यक्ति अपनी योग्यता, श्रम तथा गुणों के आधार पर भविष्य में उच्च वर्ग का व्यक्ति बन सकता है। एक सामान्य श्रमिक अपने श्रम, अपनी योग्यता व अपनी लगन से उस फैक्ट्री का निर्देशक तत्व बन सकता है।
(7) अर्जित सदस्यता - वर्ग की सदस्यता का जन्म से कोई सम्बन्ध नहीं होता। यह सदस्यता तो व्यक्ति अपनी योग्यता एवं कुशलता द्वारा अर्जित करता है। एक निम्न वर्ग का व्यक्ति प्रयत्न करने पर उच्च वर्ग का सदस्य बन सकता है। उसी प्रकार एक उच्च वर्ग का सदस्य अपनी अयोग्यता के फलस्वरूप निम्न वर्ग का सदस्य बन जाता है।
(8) सीमित सामाजिक सम्बन्ध - एक सामाजिक वर्ग के सदस्य अपने ही वर्ग के सदस्यों से सम्बन्ध रखते हैं तथा वे अन्य वर्गों से एक निश्चित सामाजिक दूरी बनाये रखते हैं। केवल उच्च वर्ग निम्न वर्ग से दूरी का सम्बन्ध नहीं रखता वरन् निम्न वर्ग भी उच्च वर्ग से सामाजिक दूरी बनाये रखता है। प्रत्येक वर्ग के सदस्य अपने ही वर्ग में से संगी-साथी व जीवन साथी आदि का चुनाव करते हैं।
(9) उपवर्ग - प्रत्येक सामाजिक वर्ग में अनेक उपवर्ग होते हैं क्योंकि एक वर्ग के लोगों की आय में भी अन्तर होता है। उदाहरणार्थ, अध्यापक वर्ग में हमें अनेक उपवर्ग दिखाई देते हैं, जैसे महाविद्यालयों के अध्यापकों का उपवर्ग तथा विद्यालय के अध्यापकों का उपवर्ग।
(10) कम स्थिर - वर्ग व्यवस्था एक अस्थिर धारणा है क्योंकि शिक्षा, व्यवसाय, धन एवं शक्ति आदि वर्ग के जो आधार हैं, वे सब परिवर्तनशील हैं। आज जो अशिक्षित हैं, कल महान् विद्वान हो सकता है, आज जो निर्धन है, कल धनी हो सकता है। इस प्रकार वर्ग व्यवस्था के आधार क्योंकि स्वयं ही अस्थिर हैं, इसलिये वर्ग का कम स्थिर होना भी स्वाभाविक हैं।
( 11 ) रहन-सहन का निश्चित स्तर - प्रत्येक वर्ग के रहन-सहन का स्तर निश्चित होता है। यह स्तर समाज में एक स्थायी रूप ले लेता है जिसके फलस्वरूप उस वर्ग के प्रत्येक सदस्य को रहन-सहन का वैसा ही स्तर बनाये रखना पड़ता है। उदाहरणार्थ, उच्च वर्ग के लोग मोटर या कार रखना, रेलगाड़ी की प्रथम श्रेणी में यात्रा करना आवश्यक समझते हैं।
(12) वर्ग परिस्थिति - वर्ग परिस्थिति का उल्लेख वेबर ने किया है। एक वर्ग के अधिकार में सम्पत्ति का होना या न होना एक विशिष्ट परिस्थिति को उत्पन्न करता है जिसमें कि वर्ग निवास करता है। उदाहरणार्थ, जिस वर्ग के सदस्यों के पास सम्पत्ति है, उसे अधिक धन कमाने, अधिक वस्तुओं को खरीदने, एक उच्च जीवन स्तर को बनाये रखने आदि के अवसर प्राप्त होंगे। ये अवसर सम्मिलित रूप से एक परिस्थिति को उत्पन्न करेंगे जिसमें कि उस वर्ग के सदस्यों को निवास करना होगा। यही वर्ग परिस्थिति है। एक वर्ग बहुत कुछ या प्रायः एक-सी ही वर्ग-परिस्थिति में निवास करता है।
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- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के प्रकार्य पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
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