बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र द्वितीय प्रश्नपत्र - भारतीय समाज के परिप्रेक्ष्य एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र द्वितीय प्रश्नपत्र - भारतीय समाज के परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र द्वितीय प्रश्नपत्र - भारतीय समाज के परिप्रेक्ष्य
प्रश्न- पवित्रता और अपवित्रता के बारे में लुई ड्यूमा के विचारों की चर्चा कीजिये।
उत्तर -
लुई ड्यूमा : पवित्रता और अपवित्रता सम्बन्धी विचार
फ्रांसीसी मानवशास्त्री एवं समाजशास्त्री लुई ड्यूमा भारत विद्या शास्त्रीय परिप्रेक्ष्य के प्रमुख समर्थक माने जाते हैं। आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में अध्यापन करने के उपरान्त उन्होंने भारत के समाजशास्त्र में विशेषतः जाति व्यवस्था एवं सामाजिक व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन लाने का प्रयास किया। लुई ड्यूमा को सबसे अधिक ख्याति 1970 में अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित होमोहाईराकिकस पुस्तक से ही प्राप्त हुई। यह पुस्तक पहले 1967 में फ्रांसीसी में प्रकाशित हुई थी। इसी पुस्तक का अंग्रेजी अनुवाद 'मार्क शेशेबरी' ने किया था। इस प्रुस्तक ने उन्हें अन्तर्राष्ट्रीय जगत में एक अग्रणी समाजशास्त्री के रूप में प्रतिष्ठित किया। यह पुस्तक 11 अध्यायों में विभाजित है। पुस्तक के द्वितीय अध्याय : पवित्र, एवं अपवित्र, जिसमें उन्होंने पवित्रता एवं अपवित्रता से जुड़े आधारभूत तथ्यों की विवेचना की है। ड्यूमा के अनुसार पवित्रता (शुद्धता) एवं अपवित्रता (अशुद्धता) की अवधारणाएँ विचारों पर आधारित हैं जो इस प्रकार हैं
1. अस्थायी अपवित्रता - इस प्रकार की अशुद्धता क्षणिक होती है तथा निर्धारित अवधि ा में समाप्त होकर पुनः शुद्ध हो जाती है जैसे - मासिक धर्म, प्रसव काल एवं मृत्यु से जुड़ी अशुद्धता। 2. स्थायी अपवित्रता - स्थायी अशुद्धता वह है जो परिवर्तनशील नहीं हैं जैसे - मृत्यु संस्कार को करने वाले डोम का पेशा, जीव के कल्याण के लिये कर्म-काण्ड करने वाला महापात्र (तर्पण)। चीक की व्यापार करने वाला कसाई। वास्तव में पवित्रता एवं अपवित्रता से जुड़े मूल्य एवं विचार विभिन्न जातियों में सामाजिक सहवास एवं खानपान के नियमों का भी निर्धारण करते हैं। उनका विचार है कि भारतीय समाज में जाति व्यवस्था पवित्र (ब्राह्मण) तथा अपवित्र (शूद्र) के दो विरोधी परन्तु परस्पर एक दूसरे पर निर्भरता सांस्कृतिक तत्वों से बनी हुई है।
3. वस्तुओं की पवित्रता और अपवित्रता - भारतीय धर्मशास्त्रों में वस्तुओं की पवित्रता और अपवित्रता के बारे में तारतम्य रूप में वर्णन है। ऋग्वेद के दसवे मंण्डल में जाति व्यवस्था का वर्णन है। मिट्टी के बर्तनों को पवित्र माना गया है परन्तु घृणित कार्य करने वाले यदि उसे (मिट्टी के पात्र को) छू लेंते हैं तो वह अपवित्र हो जाता है। दाल, चावल, (कच्चा भोजन) को यदि शूद्र जाति द्वारा पकाया जाये तो वह भी अछूत हो जाता है परन्तु यदि यही कृत्य उच्च जाति द्वारा किया जाता है। गाय से प्राप्त पदार्थों के सेवन से (दूध, दही, घी, गोबर, गौमूत्र) अशुद्ध वस्तु को शुद्ध बनाया जाता है।
4. पारिवारिक पवित्रता एवं अपवित्रता - उच्च कुल की कन्या से विवाह सम्पन्न होने की पवित्रता बनी रहती है बल्कि वहीं जब उच्च कुल का पुरुष निम्न कुल की कन्या से विवाह करता है तो परिवार की पवित्रता भंग हो जाती है। मनुस्मृति के अनुसार वर्णित विवाह से जुड़े रहने पर परिवार की पवित्रता बनी रहती है। यदि वर्जित वर्णित विवाह से रिश्ता जुड़ता है तो वह अपवित्र कहलाता है।
5. शारीरिक शुद्धता व अशुद्धता - धर्म ग्रन्थों के अनुसार शारीरिक शुद्धता, अशुद्धता, परिस्थितियों व स्थानों एवं कृत्यों के अनुसार कायम रहती है जैसे - नाई के द्वारा बाल कटाना व हजामत बनवाने के बाद व्यक्ति अशुद्ध रहता है, श्मशान घाट पर शवदाह का धुँआ पड़ जाने के बाद, सहवास करने के उपरान्त व्यक्ति में अशुद्धता आ जाती है। जब व्यक्ति जल स्नान (गंगाजल) कर लेता है तो वह शुद्ध हो जाता है। विभिन्न जन्तुओं को छूने (सुअर, मुर्गी, कुत्ता) मात्र से भी अशुद्धता आ जाती है और जब स्नान कृत्य को किया जाये तभी अशुद्धता दूर होती है।
भारतीय संरचना के दो विरोधी तत्व ब्राह्मण और शूद्र भारतीय जाति व्यवस्था के प्राण हैं। ड्यूमा के अनुसार ब्राह्मण तथा अस्पृश्य एक-दूसरे के पूरक हैं तथा सम्पूर्ण रचना के लिये ये दोनों ही तत्व आवश्यक हैं। चाहे इन दोनों में असमानता ही क्यों न हो। ड्यूमा के अनुसार सामाजिक सहवास, खान-पान एवं पेयजल आदि पर नियन्त्रण एवं निषेध के आधार पर धार्मिक श्रेष्ठता एवं अधीनता का प्रादुर्भाव होता है जो कालान्तर में आर्थिक सम्बन्धों में उच्चता एवं निम्नता का श्रेणीक्रम निर्धारित करती है।
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- प्रश्न- लूई ड्यूमाँ और जी. एस. घुरिये द्वारा प्रतिपादित भारत विद्या आधारित परिप्रेक्ष्य के बीच अन्तर कीजिये।
- प्रश्न- भारत में धार्मिक एकीकरण को समझाइये। भारत में संयुक्त सांस्कृतिक वैधता परिलक्षित करने वाले चार लक्षण बताइये?
- प्रश्न- भारत में संयुक्त सांस्कृतिक वैधता परिलक्षित करने वाले लक्षण बताइये।
- प्रश्न- भारतीय संस्कृति के उन पहलुओं की विवेचना कीजिये जो इसमें अभिसरण. एवं एकीकरण लाने में सहायक हैं? प्राचीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये? मध्यकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये? आधुनिक भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये? समकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये?
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- मध्यकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- आधुनिक भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- समकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- भारतीय समाज के बाँधने वाले सम्पर्क सूत्र एवं तन्त्र की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- परम्परागत भारतीय समाज के विशिष्ट लक्षण एवं संरूपण क्या हैं?
- प्रश्न- विवाह के बारे में लुई ड्यूमा के विचारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- पवित्रता और अपवित्रता के बारे में लुई ड्यूमा के विचारों की चर्चा कीजिये।
- प्रश्न- शास्त्रीय दृष्टिकोण का महत्व स्पष्ट कीजिये? क्षेत्राधारित दृष्टिकोण का क्या महत्व है? शास्त्रीय एवं क्षेत्राधारित दृष्टिकोणों में अन्तर्सम्बन्धों की विवेचना कीजिये?
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- प्रश्न- इण्डोलॉजी से आप क्या समझते हैं? विस्तार से वर्णन कीजिए।.
- प्रश्न- भारतीय विद्या अभिगम की सीमाएँ क्या हैं?
- प्रश्न- प्रतीकात्मक स्वरूपों के समाजशास्त्र की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- ग्रामीण-नगरीय सातव्य की अवधारणा की संक्षेप में विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- विद्या अभिगमन से क्या अभिप्राय है?
- प्रश्न- सामाजिक प्रकार्य से आप क्या समझते हैं? सामाजिक प्रकार्य की प्रमुख 'विशेषतायें बतलाइये? प्रकार्यवाद की उपयोगिता का वर्णन कीजिये?
- प्रश्न- सामाजिक प्रकार्य की प्रमुख विशेषतायें बताइये?
- प्रश्न- प्रकार्यवाद की उपयोगिता का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- प्रकार्यवाद से आप क्या समझते हैं? प्रकार्यवाद की प्रमुख सीमाओं का उल्लेख कीजिये?
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- प्रश्न- दुर्खीम की प्रकार्यवाद की अवधारणा को स्पष्ट कीजिये? दुर्खीम के अनुसार, प्रकार्य की क्या विशेषतायें हैं, बताइये? मर्टन की प्रकार्यवाद की अवधारणा को समझाइये? प्रकार्य एवं अकार्य में भेदों की विवेचना कीजिये?
- प्रश्न- दुर्खीम के अनुसार, प्रकार्य की क्या विशेषतायें हैं, बताइये?
- प्रश्न- प्रकार्य एवं अकार्य में भेदों की विवेचना कीजिये?
- प्रश्न- "संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक परिप्रेक्ष्य" को एम. एन. श्रीनिवास के योगदान को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- डॉ. एस.सी. दुबे के अनुसार ग्रामीण अध्ययनों में महत्व को दर्शाइए?
- प्रश्न- आधुनिकीकरण के सम्बन्ध में एस सी दुबे के विचारों को व्यक्त कीजिए?
- प्रश्न- डॉ. एस. सी. दुबे के ग्रामीण अध्ययन की मुख्य विशेषताओं की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- एस.सी. दुबे का जीवन चित्रण प्रस्तुत कीजिये व उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- डॉ. एस. सी. दुबे के अनुसार वृहत परम्पराओं का अर्थ स्पष्ट कीजिए?
- प्रश्न- डॉ. एस. सी. दुबे द्वारा रचित परम्पराओं की आलोचनात्मक दृष्टिकोण व्यक्त कीजिए?
- प्रश्न- एस. सी. दुबे के शामीर पेट गाँव का परिचय दीजिए?
- प्रश्न- संरचनात्मक प्रकार्यात्मक विश्लेषण का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बृजराज चौहान (बी. आर. चौहान) के विषय में आप क्या जानते हैं? संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- एम. एन श्रीनिवास के जीवन चित्रण को प्रस्तुत कीजिये।
- प्रश्न- बी.आर.चौहान की पुस्तक का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- "राणावतों की सादणी" ग्राम का परिचय दीजिये।
- प्रश्न- बृज राज चौहान का जीवन परिचय, योगदान ओर कृतियों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- मार्क्स के 'वर्ग संघर्ष' के सिद्धान्त की व्याख्या कीजिये? संघर्ष के समाजशास्त्र को मार्क्स ने क्या योगदान दिया?
- प्रश्न- संघर्ष के समाजशास्त्र को मार्क्स ने क्या योगदान दिया?
- प्रश्न- मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद' से आप क्या समझते हैं? मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये?
- प्रश्न- मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद' की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये?
- प्रश्न- ए. आर. देसाई का मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- ए. आर. देसाई का मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य में क्या योगदान है?
- प्रश्न- ए. आर. देसाई द्वारा वर्णित राष्ट्रीय आन्दोलन का मार्क्सवादी स्वरूप स्पष्ट करें।
- प्रश्न- डी. पी. मुकर्जी का मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य क्या है?
- प्रश्न- द्वन्द्वात्मक परिप्रेक्ष्य क्या है?
- प्रश्न- मुकर्जी ने परम्पराओं का विरोध क्यों किया?
- प्रश्न- परम्पराओं में कौन-कौन से निहित तत्त्व है?
- प्रश्न- परम्पराओं में परस्पर संघर्ष क्यों होता हैं?
- प्रश्न- भारतीय संस्कृति में ऐतिहासिक सांस्कृतिक समन्वय कैसे हुआ?
- प्रश्न- मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य की प्रमुख मान्यताएँ क्या है?
- प्रश्न- मार्क्स और हीगल के द्वन्द्ववाद की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- राधाकमल मुकर्जी का मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य क्या है?
- प्रश्न- मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य की प्रमुख मान्यताएँ क्या हैं?
- प्रश्न- रामकृष्ण मुखर्जी के विषय में संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- सभ्यता से आप क्या समझते हैं? एन.के. बोस तथा सुरजीत सिन्हा का भारतीय समाज परिप्रेक्ष्य में सभ्यता का वर्णन करें।
- प्रश्न- सुरजीत सिन्हा का जीवन चित्रण एवं प्रमुख कृतियाँ बताइये।
- प्रश्न- एन. के. बोस का जीवन चित्रण एवं प्रमुख कृत्तियाँ बताइये।
- प्रश्न- सभ्यतावादी परिप्रेक्ष्य में एन०के० बोस के विचारों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- सभ्यता की प्रमुख विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- डेविड हार्डीमैन का आधीनस्थ या दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय समाज को समझने में बी आर अम्बेडकर के "सबआल्टर्न" परिप्रेक्ष्य की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- दलितोत्थान हेतु डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा किये गये धार्मिक कार्यों का विवरण प्रस्तुत कीजिये।
- प्रश्न- दलितोत्थान हेतु डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा किए गए शैक्षिक कार्यों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिये।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए : (1) दलितों की आर्थिक स्थिति (2) दलितों की राजनैतिक स्थिति (3) दलितों की संवैधानिक स्थिति।
- प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर का जीवन परिचय दीजिये।
- प्रश्न- डॉ. अम्बेडर की दलितोद्धार के प्रति यथार्थवाद दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- डेविड हार्डीमैन का आधीनस्थ या दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य के वैचारिक स्वरूप एवं पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हार्डीमैन द्वारा दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य के माध्यम से अध्ययन किए गए देवी आन्दोलन का स्वरूप स्पष्ट करें।
- प्रश्न- हार्डीमैन द्वारा दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य से अपने अध्ययन का विषय बनाये गए देवी 'आन्दोलन के परिणामों पर प्रकाश डालें।
- प्रश्न- डेविड हार्डीमैन के दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य के योगदान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
- प्रश्न- अम्बेडकर के सामाजिक चिन्तन के मुख्य विषय को समझाइये।
- प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर के सामाजिक कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर के विचारों एवं कार्यों का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।