बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र द्वितीय प्रश्नपत्र - भारतीय समाज के परिप्रेक्ष्य एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र द्वितीय प्रश्नपत्र - भारतीय समाज के परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र द्वितीय प्रश्नपत्र - भारतीय समाज के परिप्रेक्ष्य
प्रश्न- विवाह के बारे में लुई ड्यूमा के विचारों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर -
फ्रांसीसी मानवशास्त्री एवं समाजशास्त्री लुई ड्यूमा भारत विद्याशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य के प्रमुख समर्थक माने जाते हैं। ड्यूमा ने कई वर्षों तक ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य किया और सुप्रसिद्ध समाजशास्त्री मार्शल मॉस से बहुत प्रभावित हुए। ड्यूमा को भारत के समाजशास्त्र में बहुत रुचि थी। उन्होंने अपने विश्लेषण "कन्ट्ररीब्यूशनस टू इण्डियन सोशियोलॉजी" नामक पत्रिका में भारतीय सामाजिक व्यवस्था के कई पक्षों जैसे- धर्म, नातेदारी, विवाह आदि पर अनेक लेख व पुस्तकें लिखीं जिनमें प्रमुख निम्न प्रकार हैं-
1. Hterarchy and Marriage Alliance in South Indian Kinship- 1954;
2. Homo Hierar Chicus - 1970;
3. Religion, Politics and History in India : From Mandeville to Marix - 1970;
4. Essays on Individualism - 1986;
5. L'ideologie Allemande - 1994.
लुई ड्यूमा की होमोहाइरारकिक्स नामक पुस्तक एक सर्वश्रेष्ठ पुस्तक है। इसी पुस्तक के अध्याय-5 व 6 में विवाह के सन्दर्भ में विस्तृत विचार प्रस्तुत हैं जो इस प्रकार हैं -
(1) अन्तरर्विवाह एवं बहिर्विवाह के सन्दर्भ में विचार - अन्तरर्विवाह का प्रचलन प्राचीन युग से चला आ रहा है। कामसूत्र नामक ग्रन्थ में अन्तरर्विवाह का सन्दर्भ प्राप्त होता है। प्रारम्भ में रक्त की शुद्धता तथा धार्मिक क्रियाओं की पवित्रता के आधार पर जाति तथा उपजातियों का विभेद शुरू हो गया था। प्रत्येक जाति अपने सदस्यों को अपनी जाति व उपजाति के अन्दर विवाह करने की अनुमति देती है। वैदिक तथा उत्तर वैदिक काल में अन्तरर्विवाह का क्षेत्र बढ़ा क्योंकि उस काल में ब्राह्मण, क्षत्रिय व वैश्य द्विज माने जाते थे। कालान्तर में ब्राह्मण वर्ग में विभेद आया और प्रत्येक वर्ग एक-दूसरे से अलग होने लगे और अपने ही वर्ण में विवाह करना आरम्भ हुआ। समय-समय पर हुए आक्रमणों ने भी अन्तरर्विवाह की सीमा को संकीर्ण किया।
हिन्दू धर्मशास्त्र के अनुसार जो व्यक्ति अपने वर्ग में विवाह करता है उसे ही उचित संतान की प्राप्ति होती है।
बहिर्विवाह संगोत्र विवाह को मान्यता नहीं देता क्योंकि एक ही पूर्वज से उत्पन्न हुए व्यक्ति आपस में भाई-बहन होते हैं। मनुस्मृति में ऐसे विवाह को निषेध माना गया है। वशिष्ट धर्म सूत्र के अनुसार एक व्यक्ति माता के कुल से पाँच तथा पिता के कुल से सातवीं पीढ़ी में विवाह कर सकता है। हिन्दू विवाह अधिनियम भी माता की ओर से तीन और पिता की ओर से पाँच पीढ़ी तक होने वाले विवाह को सपिण्ड विवाह मानता है।
पी.वी. काणे का मत है कि तीसरी शताब्दी से प्रवर विवाह पर निषेध आरम्भ हुआ। नवीं शताब्दी के बाद प्रवर विवाह को अक्षम अपराध माना जाता था। वर्तमान में प्रवर विवाह पर निषेध का महत्व प्रायः समाप्त हो गया है। 'हिन्दू-विवाह निर्योग्यता निवारण अधिनियम' तथा 'हिन्दू विवाह अधिनियम' ने गोत्र तथा प्रवर सम्बन्धी बाधाएँ दूर कर दी हैं; पर परम्परागत व रूढ़िवादी विचारों के समर्थकों के मध्य प्रवर विवाह पर निषेध अब भी प्रचलित है।
(2) अन्तरजातीय विवाह के सन्दर्भ में विचार - लुई ड्यूमा अन्तरजातीय विवाह में विश्वास रखते थे। अन्तरजातीय विवाह से समाज की मनोदशा में परिवर्तन आयेगा और अनेक बुराइयों के समन में सहयोग की स्थिति प्रबल होगी। अन्तरजातीय विवाह से रूढ़िवादी व्यवस्था निर्मूलीकृत होगी और विशेष अधिनियम से इस व्यवस्था को मजबूती प्राप्त हुई है।
लुई ड्यूमा महोदय ने बड़ी बारीकी के साथ सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने के लिए सतत् प्रयास किये।
(3) खान-पान सम्बन्धी आयामों पर विचार - लुई ड्यूमा विवाह के अवसरों पर खान-पान सम्बन्धी नियमों पर अभिव्यक्ति देते हैं। विवाह के अवसरों पर सकल समाज को भोजन -व्यवस्था के माध्यम से जोड़ा है। छुआछूत जैसी बुराई को भोजन के माध्यम से देखा जा सकता है। विवाह संधि का नाम हैं, विच्छेद का नहीं। भोजन की पवित्रता, मानसिकता को एकात्म करने में विवाह अहम् भूमिका अदा करता है।
(4) संस्तरण एवं सहवास सम्बन्धी विचार - लुई ड्यूमा महोदय वैवाहिक संस्तरण एवं सहवास सम्बन्धी विचारों को अपनी पुस्तक में अभिव्यक्ति देते हैं। विवाहोपरान्त अनेक परिवार नवस्थानीय, द्विस्थानीय परिवेशों पर विश्वास करते हैं। नातेदारी व्यवस्था के अन्तर्गत अनेक दम्पत्ति अपना जीवन व्यतीत करते हैं। अनुलोम-प्रतिलोम विवाहों के नियमों के आधार पर संस्तरणों का स्वरूप देखने को मिलता है। संयुक्त व्यवस्था जैसे-जैसे कमजोर होती जा रही है वैसे-वैसे परिवार और विवाह के स्वरूप में परिवर्तन आता जा रहा है। आज एकाकी परिवार की संख्या पृथकता के कारण बढ़ती जा रही है
निष्कर्ष - जीवन के सम्पूर्ण व्यवस्थापन के सन्दर्भ में लुई ड्यूमा महोदय ने अपने विचारों को अभिव्यक्ति दी है। ड्यूमा जी का यह मत था कि भारत में जितनी समाजशास्त्रीय व्यवस्था सुदृढ़ होगी उतनी ही समाजशास्त्रीय क्रियाएँ स्वस्थ होंगी। विवाह जीवन की पूर्णता का साधन माना जाता है। भारतीय समाज एवं संस्थाओं का अध्ययन करने वाले समाजशास्त्रियों में लुई ड्यूमा का स्थान प्रमुख है।
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- प्रश्न- लूई ड्यूमाँ और जी. एस. घुरिये द्वारा प्रतिपादित भारत विद्या आधारित परिप्रेक्ष्य के बीच अन्तर कीजिये।
- प्रश्न- भारत में धार्मिक एकीकरण को समझाइये। भारत में संयुक्त सांस्कृतिक वैधता परिलक्षित करने वाले चार लक्षण बताइये?
- प्रश्न- भारत में संयुक्त सांस्कृतिक वैधता परिलक्षित करने वाले लक्षण बताइये।
- प्रश्न- भारतीय संस्कृति के उन पहलुओं की विवेचना कीजिये जो इसमें अभिसरण. एवं एकीकरण लाने में सहायक हैं? प्राचीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये? मध्यकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये? आधुनिक भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये? समकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये?
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- मध्यकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- आधुनिक भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- समकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- भारतीय समाज के बाँधने वाले सम्पर्क सूत्र एवं तन्त्र की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- परम्परागत भारतीय समाज के विशिष्ट लक्षण एवं संरूपण क्या हैं?
- प्रश्न- विवाह के बारे में लुई ड्यूमा के विचारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- पवित्रता और अपवित्रता के बारे में लुई ड्यूमा के विचारों की चर्चा कीजिये।
- प्रश्न- शास्त्रीय दृष्टिकोण का महत्व स्पष्ट कीजिये? क्षेत्राधारित दृष्टिकोण का क्या महत्व है? शास्त्रीय एवं क्षेत्राधारित दृष्टिकोणों में अन्तर्सम्बन्धों की विवेचना कीजिये?
- प्रश्न- शास्त्रीय एवं क्षेत्राधारित दृष्टिकोणों में अन्तर्सम्बन्धों की विवेचना कीजिये?
- प्रश्न- इण्डोलॉजी से आप क्या समझते हैं? विस्तार से वर्णन कीजिए।.
- प्रश्न- भारतीय विद्या अभिगम की सीमाएँ क्या हैं?
- प्रश्न- प्रतीकात्मक स्वरूपों के समाजशास्त्र की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- ग्रामीण-नगरीय सातव्य की अवधारणा की संक्षेप में विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- विद्या अभिगमन से क्या अभिप्राय है?
- प्रश्न- सामाजिक प्रकार्य से आप क्या समझते हैं? सामाजिक प्रकार्य की प्रमुख 'विशेषतायें बतलाइये? प्रकार्यवाद की उपयोगिता का वर्णन कीजिये?
- प्रश्न- सामाजिक प्रकार्य की प्रमुख विशेषतायें बताइये?
- प्रश्न- प्रकार्यवाद की उपयोगिता का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- प्रकार्यवाद से आप क्या समझते हैं? प्रकार्यवाद की प्रमुख सीमाओं का उल्लेख कीजिये?
- प्रश्न- प्रकार्यवाद की प्रमुख सीमाओं का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- दुर्खीम की प्रकार्यवाद की अवधारणा को स्पष्ट कीजिये? दुर्खीम के अनुसार, प्रकार्य की क्या विशेषतायें हैं, बताइये? मर्टन की प्रकार्यवाद की अवधारणा को समझाइये? प्रकार्य एवं अकार्य में भेदों की विवेचना कीजिये?
- प्रश्न- दुर्खीम के अनुसार, प्रकार्य की क्या विशेषतायें हैं, बताइये?
- प्रश्न- प्रकार्य एवं अकार्य में भेदों की विवेचना कीजिये?
- प्रश्न- "संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक परिप्रेक्ष्य" को एम. एन. श्रीनिवास के योगदान को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- डॉ. एस.सी. दुबे के अनुसार ग्रामीण अध्ययनों में महत्व को दर्शाइए?
- प्रश्न- आधुनिकीकरण के सम्बन्ध में एस सी दुबे के विचारों को व्यक्त कीजिए?
- प्रश्न- डॉ. एस. सी. दुबे के ग्रामीण अध्ययन की मुख्य विशेषताओं की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- एस.सी. दुबे का जीवन चित्रण प्रस्तुत कीजिये व उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- डॉ. एस. सी. दुबे के अनुसार वृहत परम्पराओं का अर्थ स्पष्ट कीजिए?
- प्रश्न- डॉ. एस. सी. दुबे द्वारा रचित परम्पराओं की आलोचनात्मक दृष्टिकोण व्यक्त कीजिए?
- प्रश्न- एस. सी. दुबे के शामीर पेट गाँव का परिचय दीजिए?
- प्रश्न- संरचनात्मक प्रकार्यात्मक विश्लेषण का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बृजराज चौहान (बी. आर. चौहान) के विषय में आप क्या जानते हैं? संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- एम. एन श्रीनिवास के जीवन चित्रण को प्रस्तुत कीजिये।
- प्रश्न- बी.आर.चौहान की पुस्तक का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- "राणावतों की सादणी" ग्राम का परिचय दीजिये।
- प्रश्न- बृज राज चौहान का जीवन परिचय, योगदान ओर कृतियों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- मार्क्स के 'वर्ग संघर्ष' के सिद्धान्त की व्याख्या कीजिये? संघर्ष के समाजशास्त्र को मार्क्स ने क्या योगदान दिया?
- प्रश्न- संघर्ष के समाजशास्त्र को मार्क्स ने क्या योगदान दिया?
- प्रश्न- मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद' से आप क्या समझते हैं? मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये?
- प्रश्न- मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद' की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये?
- प्रश्न- ए. आर. देसाई का मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- ए. आर. देसाई का मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य में क्या योगदान है?
- प्रश्न- ए. आर. देसाई द्वारा वर्णित राष्ट्रीय आन्दोलन का मार्क्सवादी स्वरूप स्पष्ट करें।
- प्रश्न- डी. पी. मुकर्जी का मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य क्या है?
- प्रश्न- द्वन्द्वात्मक परिप्रेक्ष्य क्या है?
- प्रश्न- मुकर्जी ने परम्पराओं का विरोध क्यों किया?
- प्रश्न- परम्पराओं में कौन-कौन से निहित तत्त्व है?
- प्रश्न- परम्पराओं में परस्पर संघर्ष क्यों होता हैं?
- प्रश्न- भारतीय संस्कृति में ऐतिहासिक सांस्कृतिक समन्वय कैसे हुआ?
- प्रश्न- मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य की प्रमुख मान्यताएँ क्या है?
- प्रश्न- मार्क्स और हीगल के द्वन्द्ववाद की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- राधाकमल मुकर्जी का मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य क्या है?
- प्रश्न- मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य की प्रमुख मान्यताएँ क्या हैं?
- प्रश्न- रामकृष्ण मुखर्जी के विषय में संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- सभ्यता से आप क्या समझते हैं? एन.के. बोस तथा सुरजीत सिन्हा का भारतीय समाज परिप्रेक्ष्य में सभ्यता का वर्णन करें।
- प्रश्न- सुरजीत सिन्हा का जीवन चित्रण एवं प्रमुख कृतियाँ बताइये।
- प्रश्न- एन. के. बोस का जीवन चित्रण एवं प्रमुख कृत्तियाँ बताइये।
- प्रश्न- सभ्यतावादी परिप्रेक्ष्य में एन०के० बोस के विचारों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- सभ्यता की प्रमुख विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- डेविड हार्डीमैन का आधीनस्थ या दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय समाज को समझने में बी आर अम्बेडकर के "सबआल्टर्न" परिप्रेक्ष्य की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- दलितोत्थान हेतु डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा किये गये धार्मिक कार्यों का विवरण प्रस्तुत कीजिये।
- प्रश्न- दलितोत्थान हेतु डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा किए गए शैक्षिक कार्यों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिये।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए : (1) दलितों की आर्थिक स्थिति (2) दलितों की राजनैतिक स्थिति (3) दलितों की संवैधानिक स्थिति।
- प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर का जीवन परिचय दीजिये।
- प्रश्न- डॉ. अम्बेडर की दलितोद्धार के प्रति यथार्थवाद दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- डेविड हार्डीमैन का आधीनस्थ या दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य के वैचारिक स्वरूप एवं पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हार्डीमैन द्वारा दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य के माध्यम से अध्ययन किए गए देवी आन्दोलन का स्वरूप स्पष्ट करें।
- प्रश्न- हार्डीमैन द्वारा दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य से अपने अध्ययन का विषय बनाये गए देवी 'आन्दोलन के परिणामों पर प्रकाश डालें।
- प्रश्न- डेविड हार्डीमैन के दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य के योगदान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
- प्रश्न- अम्बेडकर के सामाजिक चिन्तन के मुख्य विषय को समझाइये।
- प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर के सामाजिक कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर के विचारों एवं कार्यों का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।