बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य
प्रश्न- रेणु की 'तीसरी कसम' कहानी के विशेष अपने मन्तव्य प्रकट कीजिए।
अथवा
'तीसरी कसम' कहानी के सारांश पर प्रकाश डालिए।
उत्तर -
फणीश्वरनाथ रेणु 'तीसरी कसम' कहानी के लेखक हैं। इसमें उन्होंने बिहार प्रान्त के ग्रामीण जीवन को उभारने का सफल प्रयास किया है।
कहानी गाँव के हीरामन गाड़ी वाले के जीवन को लक्ष्य करके लिखी गई है। हीरामन एक बार एक नौटंकी में काम करने वाली नृत्यांगना हीराबाई को अपनी गाड़ी में अत्यधिक दूर ले जाता है। हीराबाई गाड़ी में अकेली ही यात्रा करती है। उसका स्वरूप उसकी भाषा सब कुछ हीरामन को अच्छे लगते है। वह हीराबाई की ओर आकर्षित एवं आसक्त हो जाता है। हीराबाई भी हीरामन के प्रति अपनी रुचि प्रस्तुत करती है। वह अन्य कम्पनी में नौकरी लग जाने के कारण वह गाँव छोड़कर चली जाती है। हीरामन की दुनिया सूनी हो जाती है। वह यह कहकर कलेजा थाम लेता है 'अजी हाँ मारे गए गुलफाम' 'तीसरी कसम' कहानी इस प्रकार है हीरामन प्रायः बीस साल से गाड़ी हांकता है। वह संम्भवतः सीमा के उस पार सोंरगराज नेपाल से तस्करी ढोता रहता है। यह करते हुए उसका दिल में थकान हो गया है।
एक सीमा के इस पार तराई में उसकी गाड़ी पकड़ी गई थी, जब वह बड़ी गद्दी के बड़े मुनीम जी को कपड़े की गाँठों के साथ ले जा रहा था। उस समय उसने अपने बैलों के साथ अन्धेरों में भागकर अपनी जान बचाई थी।
एक बार उसने सौ रुपये लेकर सर्कस कम्पनी के बाघ ढोये थे किन्तु आज हीरामन एक महिला को ले जा रहा था। नाम है हीराबाई। वह पहले मथुरा मोहन नौटंकी में काम करती थी। किन्तु उसको छोड़कर वह रीता नौटंकी में काम करने के लिए फारबिसगंज जा रही है। उसने चम्पा का इत्र अपने कपड़ों में लगा रखा है। चम्पा की सुगन्ध हीरामन को पागल बनाए दे रही है। हीरामन के मन में हलचल होती है। और वह हीराबाई से बातें करता है। हीराबाई एक चालाक नारी की भाँति उसको बढ़ावा देती रहती है। लेखक लिखता है कि हीराबाई ने परख लिया कि हीरामन सचमुच हीरा है। हीरा को वह घटना याद आ जाती है कि जब वह इसी प्रकार अपने भाभी को बन्द गाड़ी में लाया था। रास्ते में गाँव की बोली ठिठोलों उसके कल्पना लोक में भेज देती है। जब वह इसी प्रकार अपनी दूसरी दुल्हिन को लेकर आयेगा। उसकी पत्नी मर चुकी है। विवाह के थोड़े ही दिन बाद।
हीराबाई के प्रति हीरामन एक विचित्र लगाव पैदा हो जाता है। वह नहीं चाहता है अन्य कोई व्यक्ति हीराबाई का देखे अथवा हीराबाई से उसको बात करते समय उसको कोई देखे। कई गाड़ीवानों को आते-जाते देखकर वह टप्पर का पर्दा डाल देता। लेखक लिखता है कि 'हीरामन कजरी नदी के किनारे ठहर जाता है। वह हीराबाई को हाथ-मुँह धोने के लिए भेज देता है। हीराबाई के स्वंय लौटकर आ जाने के बाद वह स्वंय नदी पार जाता है।
नहा-धोकर वह पास के गाँव से दही-चूड़ा ले आता है। तब तक हीराबाई सो जाती है। हीरामन हीराबाई को जगाकर कहता है उठिए नींद तोड़िये दो मुटठी जलपान कर लीजिए। पूरी औपचारिकता के पश्चात् दोनों व्यक्ति जलपान करते हैं। हीराबाई गाड़ी में और हीरामन दरी बिछाकर एक पेड़ के नीचे सो जाते हैं दिन ढलने के समय दोनों एक साथ जगते हैं। हीरामन गाड़ी चला देता है। हीरामन प्रमुख सड़क छोड़कर कनकपुर वाली सड़क पर गाड़ी मोड़ देता है। यह सड़क भी फरबिसगंज जाती है।
हीरामन को महुवा घटवारिन की कथा याद आ जाती है और उसका रसिक स्वरूप मुखर हो उठता है। कथा के सन्दर्भ में वह दो-तीन गीत भी गाता है। हीराबाई उन गीतों को समझती हैं और उनका रस लेती है। गीतों को गाते-गाते हीरामन भाव-विभोर हो जाता है। उसकी आँखों में आँसू हो आ जाते हैं। हीराबाई हीरामन के गाने द्वारा प्रभावित होती है। और उसका अपना गुरु एवं उस्ताद मान लेती हे। हीरामन हीराबाई के लिए कानपुर पहुँचकर चाय ले आता है। वहाँ से चलकर रात के पहले पहर में वे लोग फारबिसगंज पहुँच जाते हैं। फारबिसगंज तो हीरामन हेतु घर की तरह है। यहाँ उसके अन्य गाड़ीवान साथी मिल जाते हैं।
लाल मोहर, घुन्नीराम और पलटदास बगैरह हीराबाई सबके लिए कौतूहल एवं आकर्षक का विषय बन जाती है। साथ ही सब लोग हीरामन को लक्ष्य करके छींटाकसी भी करते हैं। हीराबाई हीरामन को किराये भाड़े के पचास रुपये दे देती है। हीरामन को यह अच्छा नहीं लगता है। हीराबाई उसको अपनी स्थिति का एहसास करा देती है। हीरामन को मानों कोई आसमान से जमीन पर गिरा देता हो। हीराबाई हीरामन को रीता कम्पनी में जाकर उससे भेंट करने के लिए कहती है। हीराबाई नौटंकी के अठन्नी वाले पाँच पैसे दे देती है। हीरामन अपने रुपयों वाली थैली हीराबाई को सौंप देता है। हीराबाई उसको संम्भालकर रख लेती है। नौटंकी प्रारम्भ होती है। हीराबाई पर लोग आवाजें कसते हैं। हीरामन के साथियों को विशेषकर पलटदास को यह बुरा लगता है। थोड़ी-सी कहा-सुनी के पश्चात् मार-पीट होने लगती है। पुलिस वाले अपना डण्डा फटकारते हैं। नौटंकी का मैनेजर बीच में पकड़कर पुलिस वालों का समझा देती है कि ये लोग हमारे आदमी हैं। मथुरा मोहन कम्पनी के आदमी दंगा कराने चाहते थे। वे लोग उन्हीं लोगों को ठीक कर रहे हैं।
यह बात लोगों की समझ में आता कि हीराबाई हीरामन व उसके साथियों को भी पास क्यों दिलवाये थे?
दस दिन तक नौटंकी चलती है। दस दिन और दस रात यों ही व्यतीत हो जाती हैं लहसनवाँ कम्पनी में नौकरी कर लेता है। हीराबाई की सेवा वह टहल करके वह अपने आप को वह धन्य समझता है। लेकिन हीराबाई को देखकर मन राजी करने का हर समय अवसर उपलब्ध रहता है।
मेला उखड़ता है और हीराबाई का जाने का समय आ जाता है। लालमोहर आकर हीरामन से कहता है कि हीराबाई स्टेशन जा रही है। वह तुमको ढूँढ रही हैं अपनी गाड़ी खोलकर हीरामन स्टेशन पहुँचता है। मैं जा रही हूँ गुरुजी' कहकर हीराबाई उसकी थैली उसको सौंप देती है। हीरामन को वह अन्दर बुलाकर कहती है 'मैं फिर लौटकर जा रही हूँ। मथुरा मोहन कम्पनी अपने देश की कम्पनी है। बनैकी मेला जाओगे ना'
वह हीरामन को अपने रुपये देकर कहती है "अपने लिए ऊनी चादर खरीद लेना।"
हीरामन रुपये अस्वीकार कर देता है।
रेल चल देती है। हीराबाई चली जाती है। हीरामन के लिए मानों सब कुछ सूना हो जाता है। उसको हीराबाई की एक-एक बात याद आती है।
वह सबको छोड़कर अपने गाँव की तरफ चल देता है। उसको अपनी भाभी की याद आती है। वह यही कहता है अजी हाँ गुलफाम मारे गए'
कहानी का घटना क्रम सर्वथा रोचक है। उसके प्रति पालक की उत्सुकता बराबर बनी रहती है। विशेष रूप यह है कि प्रत्येक घटना के साथ एक मनोवैज्ञानिक व्यक्तित्व जुड़ा रहता है। यही कारण है कि इतनी लम्बी कहानी पढ़ते हुए भी लेखक ऊब नहीं पाता है।
कहानी का नामकरण सदैव सार्थक है। हीराबाई को गाड़ी में बैठकर उसने सहज भाव से एक नई दुनिया की कल्पना कर ली थी। उसने जो सपना देखा था वह एक झटके में टूट जाता है। हीराबाई उसको केवल दया का पात्र समझती है। वह तीसरी कसम खाता है कि वह कम्पनी की औरत की वहनी कभी नहीं करेगा। दो कसमें वह एक अन्य घटना के सन्दर्भ में पहले ही खा चुका था। वह चोरबाजारी का माल कभी नहीं लादेगा तथा बांस की लदान किसी भाव नहीं करेगा चाहे कितनी भी मजदूरी क्यों न दे।
रेणु की कहानियों का परिवेश सर्वत्र यर्थाथपरक है। इसमें रेणु जी ने जिन मूल्यों को रेखांकित किया है। वे समारिगत है। रेणु जी निष्ठावादी कहानी लेखक हैं वे सदैव टूटते सम्बन्धों एवं सन्दर्भों के लिए चिन्तित रहते हैं। उनकी चिन्ता का एक कारण गाँवों के शहर की ओर भागने की युवकों की मनोवृत्ति भी रही है।
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- प्रश्न- गोदान में उल्लिखित समस्याओं का विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' के नामकरण के औचित्य पर विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- प्रेमचन्द का आदर्शोन्मुख यथार्थवाद क्या है? गोदान में उसका किस रूप में निर्वाह हुआ है?
- प्रश्न- 'मेहता प्रेमचन्द के आदर्शों के प्रतिनिधि हैं।' इस कथन की सार्थकता पर विचार कीजिए।
- प्रश्न- "गोदान और कृषक जीवन का जो चित्र अंकित है वह आज भी हमारी समाज-व्यवस्था की एक दारुण सच्चाई है।' प्रमाणित कीजिए।
- प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यास-साहित्य का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- उपन्यास के तत्वों की दृष्टि से 'गोदान' की संक्षिप्त समालोचना कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' महाकाव्यात्मक उपन्यास है। कथन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- गोदान उपन्यास में निहित प्रेमचन्द के उद्देश्य और सन्देश को प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- गोदान की औपन्यासिक विशिष्टताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यासों की संक्षेप में विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यासों की कथावस्तु का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' की भाषा-शैली के विषय में अपने संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी के यथार्थवादी उपन्यासों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' में प्रेमचन्द ने मेहनत और मुनाफे की दुनिया के बीच की गहराती खाई को बड़ी बारीकी से चित्रित किया है। प्रमाणित कीजिए।
- प्रश्न- क्या प्रेमचन्द आदर्शवादी उपन्यासकार थे? संक्षिप्त उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' के माध्यम से ग्रामीण कथा एवं शहरी कथा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- होरी की चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- धनिया यथार्थवादी पात्र है या आदर्शवादी? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यास 'गोदान' के निम्न गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल एक सफल आँचलिक उपन्यास है' इस उक्ति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- उपन्यास में समस्या चित्रण का महत्व बताते हुये 'मैला आँचल' की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- आजादी के फलस्वरूप गाँवों में आये आन्तरिक और परिवेशगत परिवर्तनों का 'मैला आँचल' उपन्यास में सूक्ष्म वर्णन हुआ है, सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल' की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणुजी ने 'मैला आँचल' उपन्यास में किन-किन समस्याओं का अंकन किया है और उनको कहाँ तक सफलता मिली है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- "परम्परागत रूप में आँचलिक उपन्यास में कोई नायक नहीं होता।' इस कथन के आधार पर मैला आँचल के नामक का निर्धारण कीजिए।
- प्रश्न- नामकरण की सार्थकता की दृष्टि से 'मैला आँचल' उपन्यास की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल' में ग्राम्य जीवन में चित्रित सामाजिक सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास को आँचलिक उपन्यास की कसौटी पर कसकर सिद्ध कीजिए कि क्या मैला आँचल एक आँचलिक उपन्यास है?
- प्रश्न- मैला आँचल में वर्णित पर्व-त्योहारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मैला आँचल की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास के कथा विकास में प्रयुक्त वर्णनात्मक पद्धति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कथावस्तु के गुणों की दृष्टि से मैला आँचल उपन्यास की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल' उपन्यास का नायक डॉ. प्रशांत है या मेरीगंज का आँचल? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास की संवाद योजना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मैला आँचल)
- प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी 'उसने कहा था' का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- कहानी के तत्त्वों के आधार पर 'उसने कहा था' कहानी की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- प्रेम और त्याग के आदर्श के रूप में 'उसने कहा था' कहानी के नायक लहनासिंह की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सूबेदारनी की चारित्रिक विशेषताओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमृतसर के बम्बूकार्ट वालों की बातों और अन्य शहरों के इक्के वालों की बातों में लेखक ने क्या अन्तर बताया है?
- प्रश्न- मरते समय लहनासिंह को कौन सी बात याद आई?
- प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'उसने कहा था' नामक कहानी के आधार पर लहना सिंह का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (उसने कहा था)
- प्रश्न- प्रेमचन्द की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कफन कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- कफन कहानी के उद्देश्य की विश्लेषणात्मक विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'कफन' कहानी के आधार पर घीसू का चरित्र चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं, इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं। इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- घीसू और माधव की प्रवृत्ति के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- घीसू ने जमींदार साहब के घर जाकर क्या कहा?
- प्रश्न- बुधिया के जीवन के मार्मिक पक्ष को उद्घाटित कीजिए।
- प्रश्न- कफन लेने के बजाय घीसू और माधव ने उन पाँच रुपयों का क्या किया?
- प्रश्न- शराब के नशे में चूर घीसू और माधव बुधिया के बैकुण्ठ जाने के बारे में क्या कहते हैं?
- प्रश्न- आलू खाते समय घीसू और माधव की आँखों से आँसू क्यों निकल आये?
- प्रश्न- 'कफन' की बुधिया किसकी पत्नी है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (कफन)
- प्रश्न- कहानी कला के तत्वों के आधार पर प्रसाद की कहांनी मधुआ की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'मधुआ' कहानी के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'मधुआ' कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मधुआ)
- प्रश्न- अमरकांत की कहानी कला एवं विशेषता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमरकान्त का जीवन परिचय संक्षेप में लिखिये।
- प्रश्न- अमरकान्त जी के कहानी संग्रह तथा उपन्यास एवं बाल साहित्य का नाम बताइये।
- प्रश्न- अमरकान्त का समकालीन हिन्दी कहानी पर क्या प्रभाव पडा?
- प्रश्न- 'अमरकान्त निम्न मध्यमवर्गीय जीवन के चितेरे हैं। सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (जिन्दगी और जोंक)
- प्रश्न- मन्नू भण्डारी की कहानी कला पर समीक्षात्मक विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से मन्नू भण्डारी रचित कहानी 'यही सच है' का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- 'यही सच है' कहानी के उद्देश्य और नामकरण पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'यही सच है' कहानी की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- कुबरा मौलबी दुलारी को कहाँ ले जाना चाहता था?
- प्रश्न- 'निशीथ' किस कहानी का पात्र है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (यही सच है)
- प्रश्न- कहानी के तत्वों के आधार पर चीफ की दावत कहानी की समीक्षा प्रस्तुत कीजिये।
- प्रश्न- 'चीफ की दावत' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चीफ की दावत की केन्द्रीय समस्या क्या है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (चीफ की दावत)
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी कला की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- रेणु की 'तीसरी कसम' कहानी के विशेष अपने मन्तव्य प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- हीरामन के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हीराबाई का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'तीसरी कसम' कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'तीसरी कसम उर्फ मारे गये गुलफाम कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु का संक्षिप्त जीवन-परिचय लिखिए।
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु जी के रचनाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्या फणीश्वरनाथ रेणु की कहानियों का मूल स्वर मानवतावाद है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हीराबाई को हीरामन का कौन-सा गीत सबसे अच्छा लगता है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (तीसरी कसम)
- प्रश्न- 'परिन्दे' कहानी संग्रह और निर्मल वर्मा का परिचय देते हुए, 'परिन्दे' कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से 'परिन्दे' कहानी की समीक्षा अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- निर्मल वर्मा के व्यक्तित्व और उनके साहित्य एवं भाषा-शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (परिन्दे)
- प्रश्न- ऊषा प्रियंवदा के कृतित्व का सामान्य परिचय देते हुए कथा-साहित्य में उनके योगदान की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कहानी कला के तत्त्वों के आधार पर ऊषा प्रियंवदा की 'वापसी' कहानी की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (वापसी)
- प्रश्न- कहानीकार ज्ञान रंजन की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कहानी 'पिता' पारिवारिक समस्या प्रधान कहानी है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कहानी 'पिता' में लेखक वातावरण की सृष्टि कैसे करता है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (पिता)