बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य
व्याख्या भाग
प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (यही सच है)
(1)
जैसे ही जीवन को दूसरा आधार मिल जाता है, उस सबको भूलने में एक दिन भी नहीं लगता। फिर तो वह सब ऐसी बेवकूफी लगती है, जिस पर बैठकर घंटों हँसने की तबीयत होती है। तब एकाएक ही इस बात का एहसास होता है कि ये सारे आँसू, ये सारी आहें उस प्रेमी के लिए नहीं थे, वरन् जीवन की उस रिक्तता और शून्यता के लिए थे, जिसने जीवन को नीरस बनाकर बोझिल कर दिया था।
सन्दर्भ - प्रस्तुत गद्यांश मन्नू भण्डारी द्वारा लिखित 'यही सच है' से अवतरित है।
प्रसंग - इस अवतरण में दीपा के मन में अवस्थित भावों की अभिव्यक्ति मिली है। दीपा यह विचार करती है कि आदमी को उद्देश्य और चढ़ाव की दशा में बहुत ही सोच समझकर आचरण करना चाहिए।
व्याख्या - दीपा करीब दो ढाई वर्ष पहले निशीथ से प्रेम करती थी। दोनों कानपुर में ही रहते थे। कलकत्ता में निशीथ को नौकरी मिल गई। वह कानपुर से कलकत्ता चला गया और दीपा का प्रेम चरचरा कर हट गया। उसके मन में कई बार आत्महत्या तक की भी बात उठी परन्तु स्थिरता कायम न हो सकी थी। बीच में दीपा की भेंट संजय से हो जाती है दोनों में लगाव की दिशा और दशा बढ़ती जाती है। दोनों एक-दूसरे से प्यार करने लगते है और दशा अब दीपा के प्यार ने निशीथ को मानों घृणा करना प्रारम्भ कर दिया है और प्यार करना शुरू कर दिया संजय से। दीपा विचार करती है कि सत्रह - अठारह साल की उम्र में किया गया प्रेम मात्र उद्ग होता है तब ऐसा अनुभव होता है कि हमारी सारी वेदना, दर्द, दुख उस प्रेमी के लिए नहीं था, वह सब तो उसके चले जाने से हृदय में जो रिक्तता आयी थी उसके लिए था। अन्यथा आधार मिलते ही ये उसे भूल कैसे जाते।
विशेष -
(i) दीपा के प्रेम के प्रति अनुभूति को अभिव्यक्ति मिली है।
(ii) सत्रह - अठारह वर्ष के प्रेम को मात्र उद्वेग माना गया है।
(2)
आज लग रहा है आज लग रहा है, तुम्हारे प्रति मेरे मन में जो भी भावना है, वह प्यार की नहीं, केवल कृतज्ञता की है। तुमने मुझे उस समय सहारा दिया था, जब अपने पिता और निशीथ को खोकर मैं चूर-चूर हो चुकी थी। सारा संसार मुझे वीरान नजर आने लगा था, उस समय तुमने अपने स्नेहिल स्पर्श से मुझे जिला दिया। मेरा मुरझाया मरा मन हरा हो उठा, मैं कृतकृत्य हो उठी, और समझने लगी कि मैं तुमसे प्यार करती हूँ। पर प्यार की बेसुध घड़ियाँ वे विभारे क्षण, तन्मयता के वे पल, जहाँ शब्द चुक जाते हैं, हमारे जीवन में कभी नहीं आये। तुम्हीं बताओ, आये कभी? तुम्हारे असंख्य आलिंगनों और चुम्बनों के बीच भी, एक क्षण के लिए भी तो मैंने कभी तन-मन की सुध बिसरा देने वाली पुलक या मादकता का अनुभव नहीं किया।
सन्दर्भ - पूर्ववत्।
प्रसंग - दीपा कलकत्ता इन्टरव्यू देने गई थी। एक दिन दीपा इरा के साथ काफी हाऊस में काफी पी रही थी कि निशीथ से उसकी मुलाकात हुई। इन्टरव्यू में उसने बड़ी मदद की। भागदौड़ की और उसे आश्वासन मिल गया कि दीपा की नियुक्ति हो जायेगी। वह लौट कर आ रही थी और ट्रेन में बैठी बैठी विचार कर रही थी
व्याख्या - निशीथ से मिलकर दीपा के मन में मानों उसके प्रति किसी अज्ञात संवेदना में दुबका प्रेम उभर आया था वह एक बार संजय को सोचती। उसका प्रेम के समक्ष एक छल सा लगता, भ्रम लगता, उसका महत्व कम हो गया था। ट्रेन में लेटे-लेटे दीपा संजय के बारे में ही विचार कर रही थी कि संजय के साथ मेरे मन मन में जो भाव था, शायद वह प्यार नहीं था। केवल कृतज्ञतामात्र थी। वह मात्र इसलिए कि निशीथ के कलकत्ता जाने के पश्चात् वह एक दम टूट चुकी थी, उसका दिल एकदम टूट चुका था। परन्तु उसके टूटे हुए इन भावों को पूरी तरह से आश्रय दिया था संजय के प्यार ने, जिससे दीपा के मन में एक बार फिर जीने की लालसा बढ़ गयी थी। यह वह समय था जब दीपा का प्रेम टूटा था और यही वह समय भी था जब दीपा के ऊपर से उसके पिता का भी साया उठ गया था। ऐसी परिस्थिति में उसे उसके कोमल भावों और उसकी निश्छल प्रेमवृत्ति को सहारा देकर मानों संजय ने उसके ऊपर उपकार किया था ऐसी परिस्थिति में ऐसा लगता था कि दीपा संजय को और संजय दीपा को प्यार करते हैं। एक बार दीपा उद्विग्न की भाँति मानों संजय से बात करती हुई पूछ रही है कि तुमने यह सब महसूस किया। अपने अनुभवों के लिए वह कहती है कि तुम्हारे साथ प्रेम की प्रक्रिया के दौरान मैंने तो तन मन की सुध विसरा देने वाली मादकता का अनुभव शायद कभी नहीं किया।
विशेष -
(i) प्रेम की ऊहापोह दशा का चित्रण है।
(ii) प्रेम में स्थायित्व की दशा का होना अनिवार्य होता है जो यहाँ नहीं दिखाई पड़ता है।
(3)
संबंध तोड़ने से पहले एक बार तो उसने मुझे बताया होता कि आखिर मैंने कौन-सा अपराध कर डाला था, जिसके कारण उसने मुझे इतना कठोर दंड दे डाला? सारी दुनिया की भर्त्सना, तिरस्कार, परिहास और दया का विष मुझे पीना पड़ा।
सन्दर्भ - पूर्ववत्।
प्रसंग - इस गद्यांश में लेखिका कहती है कि संजय को कैसे समझाऊँ कि निशीथ ने मेरा अपमान किया है।
व्याख्या - लेखिका कहती है कि सम्बन्ध को तोड़ने से पहले एक बार मुझे बताया होता कि मुझे वह कौन सा कारण था जिस कारण से ऐसा दण्ड मुझे मिला है उस अपराध को बता दीजिए। इस सम्पूर्ण संसार से मुझे भर्त्सना, तिरस्कार, परिहास और दया के विष को पीना पड़ा है। कहने का तात्पर्य यह है कि मै इस जगत में लोगों द्वारा मै अपमानित और तिरस्कृत की गयी।
विशेष - इस पंक्ति में प्रेम के प्रति अनुभूति की अभिव्यक्ति की गयी है।
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- प्रश्न- गोदान में उल्लिखित समस्याओं का विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' के नामकरण के औचित्य पर विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- प्रेमचन्द का आदर्शोन्मुख यथार्थवाद क्या है? गोदान में उसका किस रूप में निर्वाह हुआ है?
- प्रश्न- 'मेहता प्रेमचन्द के आदर्शों के प्रतिनिधि हैं।' इस कथन की सार्थकता पर विचार कीजिए।
- प्रश्न- "गोदान और कृषक जीवन का जो चित्र अंकित है वह आज भी हमारी समाज-व्यवस्था की एक दारुण सच्चाई है।' प्रमाणित कीजिए।
- प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यास-साहित्य का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- उपन्यास के तत्वों की दृष्टि से 'गोदान' की संक्षिप्त समालोचना कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' महाकाव्यात्मक उपन्यास है। कथन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- गोदान उपन्यास में निहित प्रेमचन्द के उद्देश्य और सन्देश को प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- गोदान की औपन्यासिक विशिष्टताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यासों की संक्षेप में विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यासों की कथावस्तु का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' की भाषा-शैली के विषय में अपने संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी के यथार्थवादी उपन्यासों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' में प्रेमचन्द ने मेहनत और मुनाफे की दुनिया के बीच की गहराती खाई को बड़ी बारीकी से चित्रित किया है। प्रमाणित कीजिए।
- प्रश्न- क्या प्रेमचन्द आदर्शवादी उपन्यासकार थे? संक्षिप्त उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' के माध्यम से ग्रामीण कथा एवं शहरी कथा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- होरी की चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- धनिया यथार्थवादी पात्र है या आदर्शवादी? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यास 'गोदान' के निम्न गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल एक सफल आँचलिक उपन्यास है' इस उक्ति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- उपन्यास में समस्या चित्रण का महत्व बताते हुये 'मैला आँचल' की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- आजादी के फलस्वरूप गाँवों में आये आन्तरिक और परिवेशगत परिवर्तनों का 'मैला आँचल' उपन्यास में सूक्ष्म वर्णन हुआ है, सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल' की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणुजी ने 'मैला आँचल' उपन्यास में किन-किन समस्याओं का अंकन किया है और उनको कहाँ तक सफलता मिली है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- "परम्परागत रूप में आँचलिक उपन्यास में कोई नायक नहीं होता।' इस कथन के आधार पर मैला आँचल के नामक का निर्धारण कीजिए।
- प्रश्न- नामकरण की सार्थकता की दृष्टि से 'मैला आँचल' उपन्यास की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल' में ग्राम्य जीवन में चित्रित सामाजिक सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास को आँचलिक उपन्यास की कसौटी पर कसकर सिद्ध कीजिए कि क्या मैला आँचल एक आँचलिक उपन्यास है?
- प्रश्न- मैला आँचल में वर्णित पर्व-त्योहारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मैला आँचल की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास के कथा विकास में प्रयुक्त वर्णनात्मक पद्धति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कथावस्तु के गुणों की दृष्टि से मैला आँचल उपन्यास की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल' उपन्यास का नायक डॉ. प्रशांत है या मेरीगंज का आँचल? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास की संवाद योजना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मैला आँचल)
- प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी 'उसने कहा था' का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- कहानी के तत्त्वों के आधार पर 'उसने कहा था' कहानी की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- प्रेम और त्याग के आदर्श के रूप में 'उसने कहा था' कहानी के नायक लहनासिंह की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सूबेदारनी की चारित्रिक विशेषताओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमृतसर के बम्बूकार्ट वालों की बातों और अन्य शहरों के इक्के वालों की बातों में लेखक ने क्या अन्तर बताया है?
- प्रश्न- मरते समय लहनासिंह को कौन सी बात याद आई?
- प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'उसने कहा था' नामक कहानी के आधार पर लहना सिंह का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (उसने कहा था)
- प्रश्न- प्रेमचन्द की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कफन कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- कफन कहानी के उद्देश्य की विश्लेषणात्मक विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'कफन' कहानी के आधार पर घीसू का चरित्र चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं, इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
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- प्रश्न- घीसू और माधव की प्रवृत्ति के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- घीसू ने जमींदार साहब के घर जाकर क्या कहा?
- प्रश्न- बुधिया के जीवन के मार्मिक पक्ष को उद्घाटित कीजिए।
- प्रश्न- कफन लेने के बजाय घीसू और माधव ने उन पाँच रुपयों का क्या किया?
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- प्रश्न- आलू खाते समय घीसू और माधव की आँखों से आँसू क्यों निकल आये?
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- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (कफन)
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- प्रश्न- 'मधुआ' कहानी के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'मधुआ' कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मधुआ)
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- प्रश्न- अमरकान्त जी के कहानी संग्रह तथा उपन्यास एवं बाल साहित्य का नाम बताइये।
- प्रश्न- अमरकान्त का समकालीन हिन्दी कहानी पर क्या प्रभाव पडा?
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- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी कला की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- रेणु की 'तीसरी कसम' कहानी के विशेष अपने मन्तव्य प्रकट कीजिए।
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- प्रश्न- हीराबाई का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'तीसरी कसम' कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- 'परिन्दे' कहानी संग्रह और निर्मल वर्मा का परिचय देते हुए, 'परिन्दे' कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से 'परिन्दे' कहानी की समीक्षा अपने शब्दों में लिखिए।
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- प्रश्न- कहानी कला के तत्त्वों के आधार पर ऊषा प्रियंवदा की 'वापसी' कहानी की समीक्षा कीजिए।
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- प्रश्न- कहानी 'पिता' पारिवारिक समस्या प्रधान कहानी है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कहानी 'पिता' में लेखक वातावरण की सृष्टि कैसे करता है?
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