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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2680
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य

अध्याय - 5

मधुआ
 - जयशंकर प्रसाद

 

प्रश्न- कहानी कला के तत्वों के आधार पर प्रसाद की कहांनी मधुआ की समीक्षा कीजिए।

उत्तर -

कवि, नाटककार, उपन्यासकार और कहानीकार के रूप में जयशंकर प्रसाद हिन्दी साहित्य के अप्रतिम रचनाकार हैं। आंधी, छाया, इंद्रजाल और आकाशदीप के रूप में उनके चार संग्रह मिलते हैं, जिनमें प्रसाद जी की समग्र भावश्रवण कहानियाँ संकलित हैं। 'मधुआ' प्रसाद जी की प्रमुख कहानियों में है। कहानी कला की दृष्टि से इस कहानी की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं।

कथानक - प्रसाद की मधुआ कहानी समाज से तिरस्कृत एक निठल्ले शराबी की मार्मिक कहानी है जिसे दायत्व बोध होते ही एक अच्छा मनुष्य बनने में देर नहीं लगती। चरित्र प्रधान कहानी होने के कारण इस कहानी में मानवीय संवेदना को उभारा गया है। 'मधुआ' में एक ऐसे शराबी की कहानी वर्णित है, जो दुःखों से बचने के लिए शराब पीता है। बिना किसी काम काज के निठल्ला रहने वाला शराबी कहानियाँ सुनकर लोगों का मनोरंजन करता है और इनाम बख्शीश पाकर उससे शराब पी लेता है। पूरी कहानी इसी के केन्द्रीय चरित्र के दर्द-गिर्द घूमती है। कहानी ब्रिटिश सरकार के युग की है। ठाकुर समरपाल सिंह जमींदार हैं। लखनऊ में उनका लड़का पढ़ता है, जिससे मिलने वे कभी-कभी लखनऊ आ जाते हैं। यहीं उनकी भेंट शराबी से हुई शराबी झूठी सच्ची कहानियाँ सुनाकर उनका मनोरंजन करता है। ठाकुर उसे एक रुपया देते हैं। एक दिन ठंड में जब शराबी ठाकुर साहब को कहानी सुनाकर बाहर निकला तो उसे एक बालक के रोने की आवाज सुनाई पड़ी। एक कोठरी में जमींदार के यहाँ काम करने वाला बालक मार खाकर रो रहा था। शराबी उसे देखकर द्रवित हो गया और उसे अपने साथ अपनी झोपडी में लाया। वहाँ आने पर उसे बालक को खिलाने की चिंता हुयी। वह शराब पीना भूलकर उसके लिये खाना लाया। सुबह उठा तो उसे राम जी मिस्त्री मिला जो सान देने वाली उसकी मशीन बनाने के लिए ले गया था। उसने शराबी को उसकी मशीन दी और दूसरे दिन ही मशीन लेकर कमाई के लिए चल पड़ा। इस संक्षिप्त कहानी में कथा की अपेक्षा चरित्र की प्रधानता है। कहानीकार ने मात्र एक दिन की घटना को केन्द्र में रखकर मार्मिक कथा का विकास किया है। इस कहानी में शराबी की संवेदना को ही आधार बनाया गया है। अतः कथा तत्व सूक्ष्म है।

पात्र और चरित्र चित्रण - 'मधुआ' कहानी का प्रमुख पात्र शराबी है। उसके चरित्र को ही लेखक ने केन्द्र में रखा है। शेष पात्र उसके चरित्र को आगे बढ़ाने में सहयोग मात्र देते हैं। इस कहानी की विशेषता यह है कि उस शराबी का नाम तक देना लेखक ने उचित नहीं समझा। शराब में रम जाने के कारण वह समाज के लिए अनाम हो गया था। शराब उसकी दिनचर्या है और जब शराब नहीं पाता तो मुंह दिखाने में भी संकोच करता है। वह शराब भी गम कम करने के लिए पीता है। उसका कथन है- मौज बहार की एकघड़ी, एक लम्बे दुःखपूर्ण जीवन से अच्छी है। वह जानता है कि शराब बुरी चीज है पर छोड़ नहीं पाता। वह शराबी इतना संवेदनशील है कि एक अपरिचित बालक के रुदन से द्रवित हो जाता है। उसे छुड़ाकर घर लाता है। दुःखी बालक की जिम्मेदारी का अनुभव इतना उत्कट है कि वह शराब भी नहीं पाता। वह कर्मठ बनाने का संकल्प लेकर सान धरने की मशीन ले आता है। इस प्रकार उसे जीने का सहारा मिल जाता है। एक अपरिचित के प्रति उसकी यह संवेदना उसकी मार्मिक भावना का परिचयक है। शराबी के चरित्र की एक प्रमुख विशेषता यह है कि वह ऊपर से बालक को झिड़कते हुए भी उसके प्रति सकरुण बना रहता है। वह सोचता है "इस छोटे से पाजी ने मेरे जीवन के लिए कौन-सा इन्द्रजाल रचने का बीड़ा उठाया है। तब क्या करूँ। कोई काम करूँ। कैसे दोनों का पेट चलेगा।' इस प्रकार 'मधुआ' एक चरित्र प्रधान कहानी है। जिसमें कहानीकार ने एक शराबी के अन्तस्तल में छिपी संवेदना का मनोवैज्ञानिक धरातल पर चित्रित करते हुए उसके अन्तर्द्वन्द्व का मार्मिक चित्रण किया है।

कथोपकथन 'मधुआ' कहानी चरित्र प्रधान कहानी है। चरित्र चित्रण में संवाद योजना का बहुत महत्व होता है। अतः मधुआ में संवाद योजना अधिक मिलती है। संवाद योजना के साथ मनोवैज्ञानिकता होने के कारण स्वगत कथन भी आए हैं। इस प्रकार संवाद योजना और स्वगत कथन की दृष्टि से कहानी महत्वपूर्ण है। संवाद छोटे-छोटे रोचक और मनोवृत्ति को उद्घाटित करने वाले हैं। यथा-

ठाकुर ने हँसते हुए कहा "तो, आज पिओगे ना'

"झूठ कैसे कहूँ। आज तो जितना मिलेगा, सब पिऊँगा। सात दिन चने चबैने पर बिताए हैं। किसलिए" कहीं-कहीं संवाद बहुत छोटे-छोटे वार्तालापपरक हैं -

शराबी ने पूछा " तू किसे उठायेगा।"

"जिसे कहो।"

"अच्छा तेरा बाप, जो मुझे पकड़े तो।'

"कोई नहीं पकडेगा, चलो भी। मेरे बाप कभी के मर गये।'

स्वगत कथन - अन्तर्द्वन्द्व के चित्रण में स्वगत कथन का विशेष महत्व होता है। 'मधुआ ' कहानी में शराबी का अन्तर्द्वन्द्व इन शब्दों में प्रकट हुआ है। आह ! कहाँ बताऊँ इसे कि चला जाय। कह दूँ कि भाड़ में जा, किन्तु आज तक वह दुःख की भट्टी में जलता ही तो रहा है।' इस प्रकार संवाद योजना की दृष्टि से कहानी पूर्णरूपेण सफल है।

देशकाल वातावरण - 'शराबी' कहानी दासता के युग की अकर्मण्यता की कहानी है। जमींदार जब अपने मनोविनोद के लिए आम आदमी को मनोरंजन का साधन मानते थे। शराब किन्हीं गमों में डूबा ऐसा ही अकर्मण्य है, जो अपना जीवन केवल शराब तक सीमित करता है। उस युग में जमींदारों के शोषण का चित्र भी कहानी में मिलता है, बालक मधुआ इसका प्रतीक है। चरित्र प्रधान कहानी होने के कारण यद्यपि कहानीकार ने देशकाल का वर्णन अधिक नहीं किया है। परन्तु जो उल्लेख मिलते हैं उससे ब्रिटिश दासता के युग में सामान्य जनता के शोषण की तस्वीर साफ उभरती है। इसके साथ ही यह भी कि उच्च वर्ग में संवेदना नाम मात्र को नहीं थी।

भाषा-शैली - 'मधुआ' कहानी एक सामान्य शराबी की जीवन गाथा है। अतः लेखक ने भाषा सरल और पात्रानुकूल ग्रहण की है। इसके बावजूद कवि होने के कारण प्रसाद ने जहाँ अवसर मिला है, काव्यमय, भावप्रवण भाषा का प्रयोग अवश्य किया है यथा- "किसने ऐसे सुकुमार फूलो को कष्ट देने के लिए निर्दयता की सृष्टि की? आह री नियति।" इसी प्रकार शराबी की भाषा में भी स्वाभाविकता है - " ले पाती ! अब यहाँ लौटूंगा नहीं तू ही इस कोठरी में रहा'

सूक्तियों का प्रयोग - "मौज बाहर की एक घड़ी एक लम्बे दुःखपूर्ण जीवन से अच्छी है प्रस्तुत कहानी की शैली संवादात्मक है। सहज, प्रभावपूर्ण, वार्तालाप शैली में लिखी गयी कहानियों में मुहावरों का प्रयोग भाषा को प्रभविष्णु बनाने में सक्षम है।

उद्देश्य - 'मधुआ' कहानी में एक दुर्व्यसन से घिरे, समाज द्वारा उपेक्षित, जीविकाविहीन, ऐसे शराबी की कहानी है, जो हर प्रकार से निराश्रित होने पर भी मानवीय संवेदना से युक्त है। यह संवेदना उन लोगों पर प्रहार करती है, जो लोगों की मजबूरियों से मनोरंजन करके उनकी सहायता का ढोंग करते हैं। एक ओर ठाकुर शराबी को एक रुपया देते हैं तो उससे भी मनोरंजन की कीमत के रूप में, दूसरी ओर समाज से बहिष्कृत शराबी है, जो शराब के लिए किसी तरह मिले रुपये को एक अपरिचित बालक के आँसू पोंछने का सही ढंग से लालन-पालन कर सकें। इस प्रकार 'मधुआ' कहानी मानवीय संवेदना की मनोवैज्ञानिक कहानी है।

महत्वपूर्ण स्थलों की व्याख्या

(1) सरकार ! बूढ़ी से सूने हुए वे नवाबी के सोने के दिन, अमीरों की रंग रेलियाँ, दुखियों की दर्द भरी आहें, रंग महलों में घुल-मिलकर मरने वाली बेगमें अपने-आप सिर में चक्कर काटती रहती हैं। मै। उनकी पीड़ा से रोने लगता हूँ। अमीर कंगाल हो जाते हैं। बड़े बड़ों का घमंड चूर होकर धूल में मिल जाता है। तब भी दुनिया बड़र पागल है। मैं उसके पागलपन को भुलाने के लिए शराब पीने लगता हूँ। सरकार ! नहीं तो यह बुरी बला कौन अपने गले लगाता।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- गोदान में उल्लिखित समस्याओं का विवेचना कीजिए।
  2. प्रश्न- 'गोदान' के नामकरण के औचित्य पर विचार प्रकट कीजिए।
  3. प्रश्न- प्रेमचन्द का आदर्शोन्मुख यथार्थवाद क्या है? गोदान में उसका किस रूप में निर्वाह हुआ है?
  4. प्रश्न- 'मेहता प्रेमचन्द के आदर्शों के प्रतिनिधि हैं।' इस कथन की सार्थकता पर विचार कीजिए।
  5. प्रश्न- "गोदान और कृषक जीवन का जो चित्र अंकित है वह आज भी हमारी समाज-व्यवस्था की एक दारुण सच्चाई है।' प्रमाणित कीजिए।
  6. प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यास-साहित्य का विवेचन कीजिए।
  7. प्रश्न- उपन्यास के तत्वों की दृष्टि से 'गोदान' की संक्षिप्त समालोचना कीजिए।
  8. प्रश्न- 'गोदान' महाकाव्यात्मक उपन्यास है। कथन की समीक्षा कीजिए।
  9. प्रश्न- गोदान उपन्यास में निहित प्रेमचन्द के उद्देश्य और सन्देश को प्रकट कीजिए।
  10. प्रश्न- गोदान की औपन्यासिक विशिष्टताओं पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यासों की संक्षेप में विशेषताएँ बताइये।
  12. प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यासों की कथावस्तु का विश्लेषण कीजिए।
  13. प्रश्न- 'गोदान' की भाषा-शैली के विषय में अपने संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
  14. प्रश्न- हिन्दी के यथार्थवादी उपन्यासों का विवेचन कीजिए।
  15. प्रश्न- 'गोदान' में प्रेमचन्द ने मेहनत और मुनाफे की दुनिया के बीच की गहराती खाई को बड़ी बारीकी से चित्रित किया है। प्रमाणित कीजिए।
  16. प्रश्न- क्या प्रेमचन्द आदर्शवादी उपन्यासकार थे? संक्षिप्त उत्तर दीजिए।
  17. प्रश्न- 'गोदान' के माध्यम से ग्रामीण कथा एवं शहरी कथा पर प्रकाश डालिए।
  18. प्रश्न- होरी की चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  19. प्रश्न- धनिया यथार्थवादी पात्र है या आदर्शवादी? स्पष्ट कीजिए।
  20. प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यास 'गोदान' के निम्न गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
  21. प्रश्न- 'मैला आँचल एक सफल आँचलिक उपन्यास है' इस उक्ति पर प्रकाश डालिए।
  22. प्रश्न- उपन्यास में समस्या चित्रण का महत्व बताते हुये 'मैला आँचल' की समीक्षा कीजिए।
  23. प्रश्न- आजादी के फलस्वरूप गाँवों में आये आन्तरिक और परिवेशगत परिवर्तनों का 'मैला आँचल' उपन्यास में सूक्ष्म वर्णन हुआ है, सिद्ध कीजिए।
  24. प्रश्न- 'मैला आँचल' की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  25. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणुजी ने 'मैला आँचल' उपन्यास में किन-किन समस्याओं का अंकन किया है और उनको कहाँ तक सफलता मिली है? स्पष्ट कीजिए।
  26. प्रश्न- "परम्परागत रूप में आँचलिक उपन्यास में कोई नायक नहीं होता।' इस कथन के आधार पर मैला आँचल के नामक का निर्धारण कीजिए।
  27. प्रश्न- नामकरण की सार्थकता की दृष्टि से 'मैला आँचल' उपन्यास की समीक्षा कीजिए।
  28. प्रश्न- 'मैला आँचल' में ग्राम्य जीवन में चित्रित सामाजिक सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास को आँचलिक उपन्यास की कसौटी पर कसकर सिद्ध कीजिए कि क्या मैला आँचल एक आँचलिक उपन्यास है?
  30. प्रश्न- मैला आँचल में वर्णित पर्व-त्योहारों का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- मैला आँचल की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।
  32. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास के कथा विकास में प्रयुक्त वर्णनात्मक पद्धति पर प्रकाश डालिए।
  33. प्रश्न- कथावस्तु के गुणों की दृष्टि से मैला आँचल उपन्यास की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  34. प्रश्न- 'मैला आँचल' उपन्यास का नायक डॉ. प्रशांत है या मेरीगंज का आँचल? स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास की संवाद योजना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  36. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मैला आँचल)
  37. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी 'उसने कहा था' का सारांश लिखिए।
  39. प्रश्न- कहानी के तत्त्वों के आधार पर 'उसने कहा था' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  40. प्रश्न- प्रेम और त्याग के आदर्श के रूप में 'उसने कहा था' कहानी के नायक लहनासिंह की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- सूबेदारनी की चारित्रिक विशेषताओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  42. प्रश्न- अमृतसर के बम्बूकार्ट वालों की बातों और अन्य शहरों के इक्के वालों की बातों में लेखक ने क्या अन्तर बताया है?
  43. प्रश्न- मरते समय लहनासिंह को कौन सी बात याद आई?
  44. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विवेचना कीजिए।
  45. प्रश्न- 'उसने कहा था' नामक कहानी के आधार पर लहना सिंह का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  46. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (उसने कहा था)
  47. प्रश्न- प्रेमचन्द की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- कफन कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  49. प्रश्न- कफन कहानी के उद्देश्य की विश्लेषणात्मक विवेचना कीजिए।
  50. प्रश्न- 'कफन' कहानी के आधार पर घीसू का चरित्र चित्रण कीजिए।
  51. प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं, इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
  52. प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं। इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
  53. प्रश्न- घीसू और माधव की प्रवृत्ति के बारे में लिखिए।
  54. प्रश्न- घीसू ने जमींदार साहब के घर जाकर क्या कहा?
  55. प्रश्न- बुधिया के जीवन के मार्मिक पक्ष को उद्घाटित कीजिए।
  56. प्रश्न- कफन लेने के बजाय घीसू और माधव ने उन पाँच रुपयों का क्या किया?
  57. प्रश्न- शराब के नशे में चूर घीसू और माधव बुधिया के बैकुण्ठ जाने के बारे में क्या कहते हैं?
  58. प्रश्न- आलू खाते समय घीसू और माधव की आँखों से आँसू क्यों निकल आये?
  59. प्रश्न- 'कफन' की बुधिया किसकी पत्नी है?
  60. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (कफन)
  61. प्रश्न- कहानी कला के तत्वों के आधार पर प्रसाद की कहांनी मधुआ की समीक्षा कीजिए।
  62. प्रश्न- 'मधुआ' कहानी के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  63. प्रश्न- 'मधुआ' कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
  64. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मधुआ)
  65. प्रश्न- अमरकांत की कहानी कला एवं विशेषता पर प्रकाश डालिए।
  66. प्रश्न- अमरकान्त का जीवन परिचय संक्षेप में लिखिये।
  67. प्रश्न- अमरकान्त जी के कहानी संग्रह तथा उपन्यास एवं बाल साहित्य का नाम बताइये।
  68. प्रश्न- अमरकान्त का समकालीन हिन्दी कहानी पर क्या प्रभाव पडा?
  69. प्रश्न- 'अमरकान्त निम्न मध्यमवर्गीय जीवन के चितेरे हैं। सिद्ध कीजिए।
  70. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (जिन्दगी और जोंक)
  71. प्रश्न- मन्नू भण्डारी की कहानी कला पर समीक्षात्मक विचार प्रस्तुत कीजिए।
  72. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से मन्नू भण्डारी रचित कहानी 'यही सच है' का मूल्यांकन कीजिए।
  73. प्रश्न- 'यही सच है' कहानी के उद्देश्य और नामकरण पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  74. प्रश्न- 'यही सच है' कहानी की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
  75. प्रश्न- कुबरा मौलबी दुलारी को कहाँ ले जाना चाहता था?
  76. प्रश्न- 'निशीथ' किस कहानी का पात्र है?
  77. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (यही सच है)
  78. प्रश्न- कहानी के तत्वों के आधार पर चीफ की दावत कहानी की समीक्षा प्रस्तुत कीजिये।
  79. प्रश्न- 'चीफ की दावत' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- चीफ की दावत की केन्द्रीय समस्या क्या है?
  81. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (चीफ की दावत)
  82. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी कला की समीक्षा कीजिए।
  83. प्रश्न- रेणु की 'तीसरी कसम' कहानी के विशेष अपने मन्तव्य प्रकट कीजिए।
  84. प्रश्न- हीरामन के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
  85. प्रश्न- हीराबाई का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  86. प्रश्न- 'तीसरी कसम' कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
  87. प्रश्न- 'तीसरी कसम उर्फ मारे गये गुलफाम कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु का संक्षिप्त जीवन-परिचय लिखिए।
  89. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु जी के रचनाओं का वर्णन कीजिए।
  90. प्रश्न- क्या फणीश्वरनाथ रेणु की कहानियों का मूल स्वर मानवतावाद है? वर्णन कीजिए।
  91. प्रश्न- हीराबाई को हीरामन का कौन-सा गीत सबसे अच्छा लगता है?
  92. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (तीसरी कसम)
  93. प्रश्न- 'परिन्दे' कहानी संग्रह और निर्मल वर्मा का परिचय देते हुए, 'परिन्दे' कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  94. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से 'परिन्दे' कहानी की समीक्षा अपने शब्दों में लिखिए।
  95. प्रश्न- निर्मल वर्मा के व्यक्तित्व और उनके साहित्य एवं भाषा-शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  96. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (परिन्दे)
  97. प्रश्न- ऊषा प्रियंवदा के कृतित्व का सामान्य परिचय देते हुए कथा-साहित्य में उनके योगदान की विवेचना कीजिए।
  98. प्रश्न- कहानी कला के तत्त्वों के आधार पर ऊषा प्रियंवदा की 'वापसी' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  99. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (वापसी)
  100. प्रश्न- कहानीकार ज्ञान रंजन की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  101. प्रश्न- कहानी 'पिता' पारिवारिक समस्या प्रधान कहानी है। स्पष्ट कीजिए।
  102. प्रश्न- कहानी 'पिता' में लेखक वातावरण की सृष्टि कैसे करता है?
  103. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (पिता)

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