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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2680
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य

व्याख्या भाग

प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (कफन)

(1)

अगर दोनों साधु होते, तो उन्हें सन्तोष और धैर्य के लिए संयम और नियम की बिल्कुल जरूरत न होती। यह तो इनकी प्रकृति थी। विचित्र जीवन था उनका ! घर में मिट्टी के दो चार बर्तनों के सिवा कोई सम्पत्ति नहीं। फटे चिथड़ों से अपनी नग्नता को ढाँके हुए जिए जाते थे। संसार की चिन्ताओं से मुक्त कर्जे से लदे हुए। गालियाँ भी खाते मगर कोई गम नहीं।

संदर्भ - प्रस्तुत गद्य पंक्तियाँ हिन्दी कहानी सम्राट मुशी प्रेमचन्द के द्वारा रचित कहानी - 'कफन' से उदधृत है।

प्रसंग - कहानी के प्रारम्भ में घीसू एवं माधव के चरित्र का यथार्थ एवं मार्मिक चित्रण लेखक ने किया है -

व्याख्या - घीसू और माधव दोनों बाप बेटे थे। वे निकम्मेपन एवं निर्धन थे। न कमाने की . चिन्ता थी न कर्ज की। गत वर्ष माधव का विवाह बुधिया से हुआ। अतः अब वे पहले से ज्यादा आलसी हो गए थे। बुधिया अमीर घरों में कार्य कर उनका पेट भरती थी। एक रात झोपड़ी में बुधिया प्रसव वेदना से कराह रही थी। परन्तु बाहर उन दोनों को कोई दुःख नहीं। लेखक कहता है कि जैसे किसी साधु को संतोष, धीरज, संयम व नियम धारण करने पड़ते हैं जैसे ही अगर ये दोनों सन्यासी होते तो उन्हें कोई परेशानी न होती। इन्हें कोई चिन्ता न थी। भूखे अर्धनग्न तथा बेपरवाह इनका जीवन था। यही उनकी प्रवृत्ति बन गई थी। घर के मिट्टी के दो चार बर्तन ही उनकी पूँजी थी। वे फटे-पुराने कपड़ों से अपना शरीर ढके हुए थे। बड़े कर्जदार परन्तु बेफिक्र थे। वे लोगों की गालियाँ भी खाते थे, पिटते भी थे परन्तु उन्हें कोई चिन्ता नहीं थी।

विशेष-
(i) प्रस्तुत पंक्तियों में घीसू तथा माधव की दीनता, बेफिक्री और निम्नता का यथार्थ चित्रण किया गया है।
(ii) तत्कालीन समाज की दरिद्र स्थिति पर प्रकाश डाला गया है।
(iii) 'अगर दोनों साधू.... न होते। में उत्प्रेक्षा अलंकार है।
(iv) वाक्य योजना संक्षिप्त एवं संतुलित है।

 

(2)

जिस समाज में रात-दिन मेहनत करने वालों की हालत उनकी हालत से कुछ बहुत कुछ अच्छी न थी और किसानों के मुकाबले में वे लोग, जो किसानों की दुर्बलताओं से लाभ उठाना जानते थे, कहीं ज्यादा सम्पन्न थे, वहाँ इस तरह की मनोवृत्ति का पैदा हो जाना कोई अचरज की बात न थी।

संदर्भ - प्रस्तुत गद्यांश हिन्दी कहानी के सुप्रसिद्ध कलाकार मुंशी प्रेमचन्द द्वारा विरचित कफन कहानी से उदधृत है।

प्रसंग - माधव की पत्नी प्रसव वेदना के कारण संसार से चल बसती है, तो भी घीसू को सन्तोष है तथा न स्वयं चिन्तित रहता है और न माधव को चिन्ता करने देता है। तब कहानीकार कहता है -

व्याख्या - उस समय समाज की स्थिति इतनी विषम और दुःखद थी कि जो मजदूर दिन रात जी तोड़ मेहनत करते थे उनकी दशा भी घीसू और माधों जैसी थी। अर्थात् वे भी अत्यनत निर्धन थे और कर्जदार थे। दूसरी ओर, किसान खेतों में दिन रात परिश्रम करते थे, परन्तु उनको भरपेट खाना नहीं मिल पाता था। इससे अच्छे तो वे लोग थे जो किसानों की मजदूरी का लाभ उठाते थे अर्थात् उन्हें किसी न किसी प्रकार धोखा देकर ठग लेते थे, वे किसानें से अधिक सुखी थे। यही कारण है कि कठिन परिश्रमी मजदूर और बहुत मेहनती किसान यदि दुःखी रहते हैं तो वहाँ यह भावना का पैदा हो जाना स्वाभाविक था कि परिश्रम करना निरर्थक है। यही कारण है कि घीसू और माधों ने यही सोच रखा था कि यदि परिश्रम करने पर भी कुछ नहीं मिलता तो परिश्रम क्यों करें। यदि समाज में अपमानित और प्रताड़ित होकर रहना है तो व्यर्थ परिश्रम करके क्यों रहें? अतः घीसू और माधव में तुच्छ प्रवृत्ति व भावना भर गई थी।

विशेष-
(i) इस गद्यांश में सामाजिक दुर्दशा का चित्रण किया गया है।
(ii) घीसू और माधव के चरित्र पर प्रकाश डाला गया है कि यदि वे हीन भावना से ग्रस्त थे तो स्वाभाविक ही था।
(iii) समाज मेहनत, हालत, किसान, मुकाबले, ज्यादा, अचरज आदि उर्दू शब्दावली प्रयुक्त है।

 

(3)

वहाँ के वातावरण में सरूर था, हवा में नशा कितने तो वहाँ आकर एक चुल्लू में मस्त हो जाते थे। शराब से ज्यादा यहाँ की हवा उन पर नशा करती थी। जीवन की बाधाएँ यहाँ खींच लाती थीं और कुछ देर के लिए यह भूल जाते थे कि वे जीते हैं या मरते हैं या न जीते हैं न मरते हैं।'

संदर्भ - प्रस्तुत गद्यांश हिन्दी कहानी के सुप्रसिद्ध कलाकार मुंशी प्रेमचन्द द्वारा विरचित: कफन कहानी से उदधृत है।

प्रसंग - कहानी के पात्र घीसू और माधव जब कफन के नाम पर पैसे एकत्रित करके शराब पीने के लिए मयखाने पहुँचे तब कहानीकार कहता है -

व्याख्या - शराबघर का वातावरण ही निराला था। वहाँ पर शराबी आते थे और शराब लेने या पीने से पूर्व ही वहाँ के परिवेश में डूब जाते हैं मानों वहाँ पर आने वाला प्रतयेक व्यक्ति अन्य शराबियों को देखकर प्रसन्न हो जाता है। कुछ तो ऐसे व्यक्ति भी इस शराबघर में आते थे कि थोड़ी सी शराब पीकर मस्त हो जाते थे। इतना नशा उन्हें शराब से नहीं हो था जितना वहाँ के वातावरण से होता था। वे भी दूसरे शराबियों के समान झूमने लगते थे। कहानीकार प्रेमचन्द की धारणा है कि शराबघर में प्रायः वे ही व्यक्ति आकर शराब पीते हैं जो जीवन के अनेक कष्टों या परेशानियों से घिरे हुए हैं और शराब पीकर वे ये सभी कष्ट या बाधाएँ भूल जाना चाहते हैं। इसी कारण जो भी यहाँ आता था वह अपने जीवन की बाधाओं से दुखी होकर आता था और यहाँ शराबी शराब में यहाँ इतने मस्त हो जाते हैं कि उन्हें इस बात का भी ज्ञान नहीं रहता कि वे मर रहे हैं या जीवित हैं अथवा उनकी दशा न तो मृत के समान रहती है और न जीवित के समान बल्कि जीवन और मृत्यु के मध्य में ही उनका जीवन दिखाई पड़ता है।

विशेष -

(i) इन पंक्तियों में शराबघर की दशा का चित्रण किया गया है, जहाँ माधव और घीसू जाते हैं।
(ii) शराबघर का यथार्थ चित्रण होने के कारण यहाँ चित्रात्मकता है।

 

(4)

"हाँ बेटा, बैकुंठ में जायेगी। किसी को सताया नहीं, किसी को दबाया नहीं। मरते- मरते हमारी जिन्दगी की सबसे बड़ी लालसा पूरी कर गयी। वह न बैकुण्ठ में जाएगी तो क्या ये मोटे-मोटे लोग जायेंगे जो गरीबों को दोनों हाथों से लूटते हैं और अपने पाप को धोने के लिए गंगा में नहाते हैं और मन्दिरों में जल चढ़ाते हैं।'

सन्दर्भ - प्रस्तुत गद्यांश कहानी सम्राट मुंशी प्रेमचन्द द्वारा विरचित कहानी कफन से किया गया है।

प्रसंग - पिता घीसू अपने पुत्र माधव को विश्वास दिलाता है कि तुम्हारी पत्नी मरने के पश्चात् अवश्य बैकुण्ठ जाएगी तथा कहता है -

व्याख्या - घीसू माधव को समझाता है कि उसकी पत्नी ने अपने समस्त जीवन में तो किसी को दुःख दिया है, न किसी का शोषण किया तथा किसी के साथ कोई भी अन्याय नहीं किया। अतः कोई भी पाप नहीं किया, फिर मरने पर उसके कफन की राशि से हम अपने जीवन की सबसे बड़ी इच्छा पूरी कर रहे हैं अर्थात् पहली बार हमने जी भर भोजन किया है और शराब पी है। यह कितना बड़ा पुण्य कार्य वह करके गया है। अतः वह बहुत पुण्यशालिनी थी जिसके कारण वह बैकुण्ठ लोक में अवश्य जाऐगी। यदि वह बैकुण्ठ लोक में नहीं गयी तो क्यों ये मोटे- मोटे सेठ बैकुण्ठ में जाएँगे जो निर्धनों को खूब लूटते हैं। हर तरह से उनका शोषण करते हैं झूठ बोलते है, बेईमानी करते हैं और अपने पापों को धोने के लिए पुण्यार्थ गंगा में स्नान करते हैं। मन्दिरों में जल चढ़ाते हैं और दान आदि करने का दिखावा करते हैं परन्तु बुधिया ने जीवन भर कोई पाप नहीं किया बल्कि पुण्य ही किए हैं, अतः वह अवश्य बैकुण्ठ में जाएगी।

विशेष-
(i) प्रेमचन्द ने शीर्षकों के प्रति आक्रोश व शोषित के प्रति सहानुभूति व्यक्त की है।
(ii) क्या वे मोटे-मोटे ... जाएँगे। में वक्रोक्ति अलंकार है।
(iii) 'दोनों हाथों से लुटाना', 'अपने आपको धोना सुन्दर मुहावरों का प्रयोग किया गया है।
(iv) तद्भव शब्दों का प्रयोग प्रचुर मात्रा में किया गया है।

 

(5)

"दोनों एक-दूसरे की मन की बात ताड़ रहे थे। बाजार में इधर-उधर घूमते रहे कभी इस काजग की दुकान पर गये कभी उसकी दुकान पर तरह-तरह के कपड़ा, रेशमी और सूती देखे, मगर कुछ जँचा नहीं। यहाँ तक शाम हो गई। तब दोनों न जाने किस दैवी प्रेरणा से एक मधुशाला के सामने आ पहुँचे और जैसे किसी निश्चित अवस्था से अन्दर चले गये। यहाँ जरा देर तक दोनों असमंजस्य में खड़े रहे। फिर घीसू ने गद्दी के सामने जाकर कहा 'शाहूजी' एक वोतल हमें भी देना।

व्याख्या - घीसू और माधव दोनों शहर में कपड़ा खरीदते फिर रहे थे, जिसका उपयोग माधव की पत्नी के कफन हेतु होना था, पर उनकी धूर्त प्रवृत्ति उन पर हावी हो जाती है। उस चंदे के पैसों से भी मौज मस्ती करना चाहते हैं और यह बात दोनों के मन में घुमड़ रही थी। साथ ही वे एक-दूसरे की लालसा को पहचान भी लेते थे क्योंकि दोनों ही जानते थे कि इस समय दूसरे व्यक्ति के मन में क्या होना चाहिए। वे कफन की तलाश में घूम रहे थे बाजार में इधर उधर घूम रहे थे। उन्होंने हर प्रकार के वस्त्र खरीदना टालना चाहते थे। धीरे-धीरे शाम हो चली। उस समय दोनों ही शराब की दुकान पर खिंचे चले गये मानों उन्हें कोई रस्से से बाँधकर खींचकर ले गया हो या ईश्वर ने ही वहाँ उपस्थित हो जाने की प्रेरणा दी हो। उन्हें भीतर जाना ही था मानों यह कार्य पहले ही निश्चित कर लिया गया था उनके मन का देवता जगा मूर्ख यह चन्दे से एकत्रित करे कफन के पैसे है इन पर भी तेरी गिद्ध दृष्टि, भला लोग क्या कहेंगे पर तुरन्त उसके भीतर का शैतान भड़क उठा चल देखा जायेगा। इस प्रकार के वहाँ कुछ छण अनिर्णय की स्थिति में खड़े रहे पर अब अधिक देर यह सब सहना कठिन था अतः दुकानदार की गद्दी के समीप जाकर घीसू ने कहा शाहू जी एक बोतल हमको भी दीजिए।

(6)

'अब तो सबको किफायत सूझती है। शादी-ब्याह में खर्च मत करो, क्रिया-कर्म में मत खर्च करो। पूछो, गरीबों का माल बटोर-बटोर कर कहाँ रखोगे, बटोरने में तो कमी नहीं है। हाँ, खर्च में किफायत सूझती है।"

संदर्भ - प्रस्तुत गद्यांश प्रेमचन्द द्वारा लिखित 'कफन' कहानी से लिया गया है।

प्रसंग - प्रस्तुत अवतरण में शादी-ब्याह एवं क्रिया-कर्म की बात कही गयी है।

व्याख्या - माधव कहता है कि अब तो सब को बचत ही बचत समझ में आती है। शादी-विवाह में खर्च न करो, मनुष्य के मरने के बाद जो क्रिया-कर्म होता है उसमें पैसा मत खर्च करो, गरीब लोगों का माल इकट्ठा करके किस स्थान पर रखोगे। धन तो बटोरने में कमी नहीं होती है। खर्च में बचत करनी चाहिए।

विशेष - भाषा सरल तथा सहज है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- गोदान में उल्लिखित समस्याओं का विवेचना कीजिए।
  2. प्रश्न- 'गोदान' के नामकरण के औचित्य पर विचार प्रकट कीजिए।
  3. प्रश्न- प्रेमचन्द का आदर्शोन्मुख यथार्थवाद क्या है? गोदान में उसका किस रूप में निर्वाह हुआ है?
  4. प्रश्न- 'मेहता प्रेमचन्द के आदर्शों के प्रतिनिधि हैं।' इस कथन की सार्थकता पर विचार कीजिए।
  5. प्रश्न- "गोदान और कृषक जीवन का जो चित्र अंकित है वह आज भी हमारी समाज-व्यवस्था की एक दारुण सच्चाई है।' प्रमाणित कीजिए।
  6. प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यास-साहित्य का विवेचन कीजिए।
  7. प्रश्न- उपन्यास के तत्वों की दृष्टि से 'गोदान' की संक्षिप्त समालोचना कीजिए।
  8. प्रश्न- 'गोदान' महाकाव्यात्मक उपन्यास है। कथन की समीक्षा कीजिए।
  9. प्रश्न- गोदान उपन्यास में निहित प्रेमचन्द के उद्देश्य और सन्देश को प्रकट कीजिए।
  10. प्रश्न- गोदान की औपन्यासिक विशिष्टताओं पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यासों की संक्षेप में विशेषताएँ बताइये।
  12. प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यासों की कथावस्तु का विश्लेषण कीजिए।
  13. प्रश्न- 'गोदान' की भाषा-शैली के विषय में अपने संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
  14. प्रश्न- हिन्दी के यथार्थवादी उपन्यासों का विवेचन कीजिए।
  15. प्रश्न- 'गोदान' में प्रेमचन्द ने मेहनत और मुनाफे की दुनिया के बीच की गहराती खाई को बड़ी बारीकी से चित्रित किया है। प्रमाणित कीजिए।
  16. प्रश्न- क्या प्रेमचन्द आदर्शवादी उपन्यासकार थे? संक्षिप्त उत्तर दीजिए।
  17. प्रश्न- 'गोदान' के माध्यम से ग्रामीण कथा एवं शहरी कथा पर प्रकाश डालिए।
  18. प्रश्न- होरी की चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  19. प्रश्न- धनिया यथार्थवादी पात्र है या आदर्शवादी? स्पष्ट कीजिए।
  20. प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यास 'गोदान' के निम्न गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
  21. प्रश्न- 'मैला आँचल एक सफल आँचलिक उपन्यास है' इस उक्ति पर प्रकाश डालिए।
  22. प्रश्न- उपन्यास में समस्या चित्रण का महत्व बताते हुये 'मैला आँचल' की समीक्षा कीजिए।
  23. प्रश्न- आजादी के फलस्वरूप गाँवों में आये आन्तरिक और परिवेशगत परिवर्तनों का 'मैला आँचल' उपन्यास में सूक्ष्म वर्णन हुआ है, सिद्ध कीजिए।
  24. प्रश्न- 'मैला आँचल' की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  25. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणुजी ने 'मैला आँचल' उपन्यास में किन-किन समस्याओं का अंकन किया है और उनको कहाँ तक सफलता मिली है? स्पष्ट कीजिए।
  26. प्रश्न- "परम्परागत रूप में आँचलिक उपन्यास में कोई नायक नहीं होता।' इस कथन के आधार पर मैला आँचल के नामक का निर्धारण कीजिए।
  27. प्रश्न- नामकरण की सार्थकता की दृष्टि से 'मैला आँचल' उपन्यास की समीक्षा कीजिए।
  28. प्रश्न- 'मैला आँचल' में ग्राम्य जीवन में चित्रित सामाजिक सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास को आँचलिक उपन्यास की कसौटी पर कसकर सिद्ध कीजिए कि क्या मैला आँचल एक आँचलिक उपन्यास है?
  30. प्रश्न- मैला आँचल में वर्णित पर्व-त्योहारों का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- मैला आँचल की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।
  32. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास के कथा विकास में प्रयुक्त वर्णनात्मक पद्धति पर प्रकाश डालिए।
  33. प्रश्न- कथावस्तु के गुणों की दृष्टि से मैला आँचल उपन्यास की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  34. प्रश्न- 'मैला आँचल' उपन्यास का नायक डॉ. प्रशांत है या मेरीगंज का आँचल? स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास की संवाद योजना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  36. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मैला आँचल)
  37. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी 'उसने कहा था' का सारांश लिखिए।
  39. प्रश्न- कहानी के तत्त्वों के आधार पर 'उसने कहा था' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  40. प्रश्न- प्रेम और त्याग के आदर्श के रूप में 'उसने कहा था' कहानी के नायक लहनासिंह की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- सूबेदारनी की चारित्रिक विशेषताओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  42. प्रश्न- अमृतसर के बम्बूकार्ट वालों की बातों और अन्य शहरों के इक्के वालों की बातों में लेखक ने क्या अन्तर बताया है?
  43. प्रश्न- मरते समय लहनासिंह को कौन सी बात याद आई?
  44. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विवेचना कीजिए।
  45. प्रश्न- 'उसने कहा था' नामक कहानी के आधार पर लहना सिंह का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  46. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (उसने कहा था)
  47. प्रश्न- प्रेमचन्द की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- कफन कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  49. प्रश्न- कफन कहानी के उद्देश्य की विश्लेषणात्मक विवेचना कीजिए।
  50. प्रश्न- 'कफन' कहानी के आधार पर घीसू का चरित्र चित्रण कीजिए।
  51. प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं, इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
  52. प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं। इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
  53. प्रश्न- घीसू और माधव की प्रवृत्ति के बारे में लिखिए।
  54. प्रश्न- घीसू ने जमींदार साहब के घर जाकर क्या कहा?
  55. प्रश्न- बुधिया के जीवन के मार्मिक पक्ष को उद्घाटित कीजिए।
  56. प्रश्न- कफन लेने के बजाय घीसू और माधव ने उन पाँच रुपयों का क्या किया?
  57. प्रश्न- शराब के नशे में चूर घीसू और माधव बुधिया के बैकुण्ठ जाने के बारे में क्या कहते हैं?
  58. प्रश्न- आलू खाते समय घीसू और माधव की आँखों से आँसू क्यों निकल आये?
  59. प्रश्न- 'कफन' की बुधिया किसकी पत्नी है?
  60. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (कफन)
  61. प्रश्न- कहानी कला के तत्वों के आधार पर प्रसाद की कहांनी मधुआ की समीक्षा कीजिए।
  62. प्रश्न- 'मधुआ' कहानी के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  63. प्रश्न- 'मधुआ' कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
  64. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मधुआ)
  65. प्रश्न- अमरकांत की कहानी कला एवं विशेषता पर प्रकाश डालिए।
  66. प्रश्न- अमरकान्त का जीवन परिचय संक्षेप में लिखिये।
  67. प्रश्न- अमरकान्त जी के कहानी संग्रह तथा उपन्यास एवं बाल साहित्य का नाम बताइये।
  68. प्रश्न- अमरकान्त का समकालीन हिन्दी कहानी पर क्या प्रभाव पडा?
  69. प्रश्न- 'अमरकान्त निम्न मध्यमवर्गीय जीवन के चितेरे हैं। सिद्ध कीजिए।
  70. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (जिन्दगी और जोंक)
  71. प्रश्न- मन्नू भण्डारी की कहानी कला पर समीक्षात्मक विचार प्रस्तुत कीजिए।
  72. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से मन्नू भण्डारी रचित कहानी 'यही सच है' का मूल्यांकन कीजिए।
  73. प्रश्न- 'यही सच है' कहानी के उद्देश्य और नामकरण पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  74. प्रश्न- 'यही सच है' कहानी की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
  75. प्रश्न- कुबरा मौलबी दुलारी को कहाँ ले जाना चाहता था?
  76. प्रश्न- 'निशीथ' किस कहानी का पात्र है?
  77. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (यही सच है)
  78. प्रश्न- कहानी के तत्वों के आधार पर चीफ की दावत कहानी की समीक्षा प्रस्तुत कीजिये।
  79. प्रश्न- 'चीफ की दावत' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- चीफ की दावत की केन्द्रीय समस्या क्या है?
  81. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (चीफ की दावत)
  82. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी कला की समीक्षा कीजिए।
  83. प्रश्न- रेणु की 'तीसरी कसम' कहानी के विशेष अपने मन्तव्य प्रकट कीजिए।
  84. प्रश्न- हीरामन के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
  85. प्रश्न- हीराबाई का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  86. प्रश्न- 'तीसरी कसम' कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
  87. प्रश्न- 'तीसरी कसम उर्फ मारे गये गुलफाम कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु का संक्षिप्त जीवन-परिचय लिखिए।
  89. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु जी के रचनाओं का वर्णन कीजिए।
  90. प्रश्न- क्या फणीश्वरनाथ रेणु की कहानियों का मूल स्वर मानवतावाद है? वर्णन कीजिए।
  91. प्रश्न- हीराबाई को हीरामन का कौन-सा गीत सबसे अच्छा लगता है?
  92. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (तीसरी कसम)
  93. प्रश्न- 'परिन्दे' कहानी संग्रह और निर्मल वर्मा का परिचय देते हुए, 'परिन्दे' कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  94. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से 'परिन्दे' कहानी की समीक्षा अपने शब्दों में लिखिए।
  95. प्रश्न- निर्मल वर्मा के व्यक्तित्व और उनके साहित्य एवं भाषा-शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  96. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (परिन्दे)
  97. प्रश्न- ऊषा प्रियंवदा के कृतित्व का सामान्य परिचय देते हुए कथा-साहित्य में उनके योगदान की विवेचना कीजिए।
  98. प्रश्न- कहानी कला के तत्त्वों के आधार पर ऊषा प्रियंवदा की 'वापसी' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  99. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (वापसी)
  100. प्रश्न- कहानीकार ज्ञान रंजन की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  101. प्रश्न- कहानी 'पिता' पारिवारिक समस्या प्रधान कहानी है। स्पष्ट कीजिए।
  102. प्रश्न- कहानी 'पिता' में लेखक वातावरण की सृष्टि कैसे करता है?
  103. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (पिता)

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