बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य
अध्याय - 4
कफन - प्रेमचन्द
प्रश्न- प्रेमचन्द की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
अथवा
'कफन' कहानी की विशेषताएँ कहानी के तत्वों के आधार पर बताइए।
उत्तर -
हिन्दी कथा साहित्य में प्रेमचन्द भाव और कला दोनों ही दृष्टियों से बहुत महान पहली बार कथा के सच्चे तत्व उनके कथा साहित्य में अंकुरित और विकसित हुए हैं। वे निश ही हमारे प्रथम कलाकार हैं। उनकी कहानी कला के विवेचन से सर्वथा यह बात स्पष्ट हुई है।
कथानक - कथानक की दृष्टि से प्रेमचन्द का कथा साहित्य बड़ी व्यापकता लिए हुए है। ऐतिहासिक, सामाजिक, धार्मिक, राजनैतिक सभी क्षेत्रों से उन्होंने अपनी कहानियों के पात्र लिए हैं। सामाजिक कहानियों में प्रेमचन्द जी को विशेष रूप से सफलता मिली है। ऐसी कहानियों में उन्होंने समाज सुधार, ग्रामीण नागरिक और नारी जीवन के अनेक प्रकार की समस्याओं का चित्रण किया है। अछूतोद्वार, विधवा विवाह, देवी-देवता, भूत-प्रेत, अन्धविश्वास, घूसखोरी, राज कर्मचारियों के अत्याचार स्वदेश प्रेमियों का त्याग और बलिदान, जमींदारों की निरंकुशता, किसानों की दुर्दशा, वकीलों की कतर ब्योंत महाजनों की सूदखोरी, विमाता की निर्ममता, शिष्यों की गुरुभक्ति और उदण्डता आदि भारतीय जीवन की कोई ऐसी समस्या नहीं है जो उनकी कहानियों के विषय क्षेत्र में आधार न बनी हों।
चरित्र-चित्रण - प्रेमचन्द जी की कहानियों की विशेषता वस्तुतः मानव चरित्र की व्याख्या है। प्रेमचन्द के पहले का हिन्दी कहानी का साहित्य कहानी के इस मूल तत्व से सर्वथा अछूता था। प्रेमचन्द जी ने लिखा है "वर्तमान आख्यायिका मनोवैज्ञानिक विश्लेषण और जीवन के यथार्थ और स्वाभाविक चित्रण को अपनी ध्येय समझती है। उसमें कल्पना की मात्रा कम, अनुभूतियों की मात्रा अधिक होती है।" अपने इस दृष्टिकोण के आधार पर प्रेमचन्द जी ने मानव मन के गूढ़ रहस्यों का टटोला है, परखा है और बड़ी सच्चाई के साथ उन्हें व्यक्त किया है। अपने चारित्रिक विश्लेषण द्वारा प्रेमचन्द जी ने जो पात्र हमारे सामने रखे हैं, वे वास्तविक और स्वाभाविक है। उनमें जहाँ अच्छाइयाँ हैं वहाँ बुराइयाँ भी हैं। इसलिए पाठक के साथ उनका सहज तदात्मय हो जाता है। पाठकों का चुनाव भी प्रेमचन्द जी ने वास्तविक जीवन से किया है और सभी प्रकार के पात्रों को उन्होंने अपनी कहानी का विषय बनाया है। किसान, मजदूर, पूँजीपति, डॉक्टर, वकील, जमींदार, अध्यापक, विद्यार्थी, बालबुद्धि, युवक, नारी, विधवा, विमाता, शराबी, सन्त, महात्मा, भिखारी, चपरासी आदि प्रकार के पात्रों के रूप में उनकी कहानियों में मिलते हैं। इन सबका सबसे बड़ा ही यथार्थ और स्वाभाविक चित्रण उन्होंने किया है।
कथोपकथन - प्रेमचन्द जी के कहानियों के कथोपकथन भी बड़े स्वाभाविक और सजीव हैं। वे सर्वत्र पात्र, देशकाल, परिस्थिति, स्वभाव तथा रुचि के अनुकूल हैं। वह शिक्षित, अशिक्षित, राजा रंग, सेठ मजदूर सबके मुँह से मर्यादानुकूल उसी की भाषा में बातचीत कराते हैं। इसके साथ ही वे कथोपकथन की सुसम्बद्धता, उसकी श्रृंखला और नियन्त्रित स्वरूप का भी ध्यान रखते हैं।
देशकाल वातावरण योजना - प्रेमचन्द जी ने अपनी कहानियों में परिस्थितियों एवं वातावरण का चित्रण बड़े कौशल से किया है। उसके सभी वर्णन सजीव ओर कथानक के विकास में सहायक हुए हैं। घटनाओं के वर्णन में, घटनाओं की पृष्ठभूमि के चित्रण में, पात्रों के चरित्र को प्रस्तुत करने में, सचमुच प्रेमचन्द जी सिद्ध- हस्त हैं। उनका वर्णन इतना सजीव होता है कि कथा का रूप बिल्कुल जीते जागते चित्र के समान हमारे सामने खिंच जाता है। पात्र हमारे सामने ही बोल रहे हों कहीं-कहीं तो यह वर्णन प्रेमचन्द की कहानियों का दो बन गया है। इससे कहानियों में आवश्यक विस्तार हो गया है।
उद्देश्य - प्रेमचन्द जी का सभी कथा साहित्य सोद्देश्य है। वह मनोरंजन के लिए नहीं लिखा गया। वह किसी न किसी निश्चित सोदेश्य का प्रतिपादन करता हुआ चला है। प्रेमचन्द जी का अपना जीवन दर्शन है, अपनी विचारधारा है, इसी ने उनके कथा साहित्य के घटनाक्रम को जन्म दिया है और पात्र की सृष्टि की है। सोद्देश्य के रूप में प्रेमचन्द जी की कहानियों का मूलाधार परिस्थितियों के बीच मानव चरित्र की कमजोरी को दिखाकर उनका परिष्कार करना है : इसी रूप में प्रेमचन्द आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कलाकार हैं। यथार्थ रूप में प्रेमचन्द जी का साहित्य समाज के घिनौने रूप को हमारे सामने रखता है, आदर्शवाद का ऐसा सुन्दर समन्वय ही प्रेमचन्द जी के कथा साहित्य की सबसे बड़ी विशेषता है।
हिन्दी कथा साहित्य में स्थान - हिन्दी कथा साहित्य के इतिहास पर दृष्टि डालने से यह बात सर्वथा स्पष्ट है कि प्रेमचन्द जी आधुनिक हिन्दी कथा साहित्य के जन्मदाता हैं उनका कथा साहित्य इतना विशाल और व्यापक है कि उसमें पूरा एक युग समा गया है एक तरह से वे अपने में स्वयं एक कहानी युग थे जिसमें हिन्दी कहानी के सच्चे तत्व अंकुरित हुए और उनसे भारतीय साहित्य में सुगन्धि आई बंगला कहानी साहित्य में टैगोर की भाँति उन्होंने हिन्दी कहानी को प्रेरणा दी और उनके भाव क्षेत्र को अधिक से अधिक सम्पन्न बताया। आज से लगभग 57 वर्ष पूर्व मन्नत द्विवेदी गजपुरी ने प्रेमचन्द के विषय में लिखा था-
"आपकी कहानियाँ हिन्दी संसार में अनूठी चीज हैं। हिन्दी पत्र-पत्रिकाएँ आपकी गल्पों के लिए लालायित रहती हैं। कुछ लोगों का विचार है आपकी गल्पें साहित्य मार्तन्द रवीन्द बाबू की रचना से टक्कर लेती हैं। ऐसे विद्वान और प्रसिद्ध लेखक के विषय में विशेष लिखना अनावश्यक और अनुचित होगा।"
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- प्रश्न- गोदान में उल्लिखित समस्याओं का विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' के नामकरण के औचित्य पर विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- प्रेमचन्द का आदर्शोन्मुख यथार्थवाद क्या है? गोदान में उसका किस रूप में निर्वाह हुआ है?
- प्रश्न- 'मेहता प्रेमचन्द के आदर्शों के प्रतिनिधि हैं।' इस कथन की सार्थकता पर विचार कीजिए।
- प्रश्न- "गोदान और कृषक जीवन का जो चित्र अंकित है वह आज भी हमारी समाज-व्यवस्था की एक दारुण सच्चाई है।' प्रमाणित कीजिए।
- प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यास-साहित्य का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- उपन्यास के तत्वों की दृष्टि से 'गोदान' की संक्षिप्त समालोचना कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' महाकाव्यात्मक उपन्यास है। कथन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- गोदान उपन्यास में निहित प्रेमचन्द के उद्देश्य और सन्देश को प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- गोदान की औपन्यासिक विशिष्टताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यासों की संक्षेप में विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यासों की कथावस्तु का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' की भाषा-शैली के विषय में अपने संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी के यथार्थवादी उपन्यासों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' में प्रेमचन्द ने मेहनत और मुनाफे की दुनिया के बीच की गहराती खाई को बड़ी बारीकी से चित्रित किया है। प्रमाणित कीजिए।
- प्रश्न- क्या प्रेमचन्द आदर्शवादी उपन्यासकार थे? संक्षिप्त उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' के माध्यम से ग्रामीण कथा एवं शहरी कथा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- होरी की चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- धनिया यथार्थवादी पात्र है या आदर्शवादी? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यास 'गोदान' के निम्न गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल एक सफल आँचलिक उपन्यास है' इस उक्ति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- उपन्यास में समस्या चित्रण का महत्व बताते हुये 'मैला आँचल' की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- आजादी के फलस्वरूप गाँवों में आये आन्तरिक और परिवेशगत परिवर्तनों का 'मैला आँचल' उपन्यास में सूक्ष्म वर्णन हुआ है, सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल' की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणुजी ने 'मैला आँचल' उपन्यास में किन-किन समस्याओं का अंकन किया है और उनको कहाँ तक सफलता मिली है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- "परम्परागत रूप में आँचलिक उपन्यास में कोई नायक नहीं होता।' इस कथन के आधार पर मैला आँचल के नामक का निर्धारण कीजिए।
- प्रश्न- नामकरण की सार्थकता की दृष्टि से 'मैला आँचल' उपन्यास की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल' में ग्राम्य जीवन में चित्रित सामाजिक सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास को आँचलिक उपन्यास की कसौटी पर कसकर सिद्ध कीजिए कि क्या मैला आँचल एक आँचलिक उपन्यास है?
- प्रश्न- मैला आँचल में वर्णित पर्व-त्योहारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मैला आँचल की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास के कथा विकास में प्रयुक्त वर्णनात्मक पद्धति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कथावस्तु के गुणों की दृष्टि से मैला आँचल उपन्यास की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल' उपन्यास का नायक डॉ. प्रशांत है या मेरीगंज का आँचल? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास की संवाद योजना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मैला आँचल)
- प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी 'उसने कहा था' का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- कहानी के तत्त्वों के आधार पर 'उसने कहा था' कहानी की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- प्रेम और त्याग के आदर्श के रूप में 'उसने कहा था' कहानी के नायक लहनासिंह की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सूबेदारनी की चारित्रिक विशेषताओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमृतसर के बम्बूकार्ट वालों की बातों और अन्य शहरों के इक्के वालों की बातों में लेखक ने क्या अन्तर बताया है?
- प्रश्न- मरते समय लहनासिंह को कौन सी बात याद आई?
- प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'उसने कहा था' नामक कहानी के आधार पर लहना सिंह का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (उसने कहा था)
- प्रश्न- प्रेमचन्द की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कफन कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- कफन कहानी के उद्देश्य की विश्लेषणात्मक विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'कफन' कहानी के आधार पर घीसू का चरित्र चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं, इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं। इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- घीसू और माधव की प्रवृत्ति के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- घीसू ने जमींदार साहब के घर जाकर क्या कहा?
- प्रश्न- बुधिया के जीवन के मार्मिक पक्ष को उद्घाटित कीजिए।
- प्रश्न- कफन लेने के बजाय घीसू और माधव ने उन पाँच रुपयों का क्या किया?
- प्रश्न- शराब के नशे में चूर घीसू और माधव बुधिया के बैकुण्ठ जाने के बारे में क्या कहते हैं?
- प्रश्न- आलू खाते समय घीसू और माधव की आँखों से आँसू क्यों निकल आये?
- प्रश्न- 'कफन' की बुधिया किसकी पत्नी है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (कफन)
- प्रश्न- कहानी कला के तत्वों के आधार पर प्रसाद की कहांनी मधुआ की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'मधुआ' कहानी के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'मधुआ' कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मधुआ)
- प्रश्न- अमरकांत की कहानी कला एवं विशेषता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमरकान्त का जीवन परिचय संक्षेप में लिखिये।
- प्रश्न- अमरकान्त जी के कहानी संग्रह तथा उपन्यास एवं बाल साहित्य का नाम बताइये।
- प्रश्न- अमरकान्त का समकालीन हिन्दी कहानी पर क्या प्रभाव पडा?
- प्रश्न- 'अमरकान्त निम्न मध्यमवर्गीय जीवन के चितेरे हैं। सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (जिन्दगी और जोंक)
- प्रश्न- मन्नू भण्डारी की कहानी कला पर समीक्षात्मक विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से मन्नू भण्डारी रचित कहानी 'यही सच है' का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- 'यही सच है' कहानी के उद्देश्य और नामकरण पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'यही सच है' कहानी की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- कुबरा मौलबी दुलारी को कहाँ ले जाना चाहता था?
- प्रश्न- 'निशीथ' किस कहानी का पात्र है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (यही सच है)
- प्रश्न- कहानी के तत्वों के आधार पर चीफ की दावत कहानी की समीक्षा प्रस्तुत कीजिये।
- प्रश्न- 'चीफ की दावत' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चीफ की दावत की केन्द्रीय समस्या क्या है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (चीफ की दावत)
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी कला की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- रेणु की 'तीसरी कसम' कहानी के विशेष अपने मन्तव्य प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- हीरामन के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हीराबाई का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'तीसरी कसम' कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'तीसरी कसम उर्फ मारे गये गुलफाम कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु का संक्षिप्त जीवन-परिचय लिखिए।
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु जी के रचनाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्या फणीश्वरनाथ रेणु की कहानियों का मूल स्वर मानवतावाद है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हीराबाई को हीरामन का कौन-सा गीत सबसे अच्छा लगता है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (तीसरी कसम)
- प्रश्न- 'परिन्दे' कहानी संग्रह और निर्मल वर्मा का परिचय देते हुए, 'परिन्दे' कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से 'परिन्दे' कहानी की समीक्षा अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- निर्मल वर्मा के व्यक्तित्व और उनके साहित्य एवं भाषा-शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (परिन्दे)
- प्रश्न- ऊषा प्रियंवदा के कृतित्व का सामान्य परिचय देते हुए कथा-साहित्य में उनके योगदान की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कहानी कला के तत्त्वों के आधार पर ऊषा प्रियंवदा की 'वापसी' कहानी की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (वापसी)
- प्रश्न- कहानीकार ज्ञान रंजन की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कहानी 'पिता' पारिवारिक समस्या प्रधान कहानी है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कहानी 'पिता' में लेखक वातावरण की सृष्टि कैसे करता है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (पिता)