बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य
प्रश्न- कहानी के तत्त्वों के आधार पर 'उसने कहा था' कहानी की समीक्षा कीजिए।
अथवा
स्पष्ट कीजिए कि उसने कहा था कहानी एक कालजयी कहानी है।
अथवा
'उसने कहा था' कथोपकथन की दृष्टि से बड़ी कलात्मक कहानी है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी रचित कहानी 'उसने कहा था' एक लोकप्रिय कहानी है जिसमें लहनासिंह को सच्चे प्रेमी के रूप में दिखाया गया है तथा उसमें एक सच्चे प्रेमी के आदर्श रूप को प्रकट किया है। वह प्रेम के अखण्ड विश्वास पर प्राणों को उत्सर्ग कर देता है। विश्व कहानी साहित्य में भी यह अनूठी कहानी है। भारतीय एवं पाश्चात्य आलोचकों ने कहानी के जिन मूल्यों को निर्धारित किया है उन पर भी यह कहानी खरी उतरती है। कहानी के मूल तत्त्वों के आधार पर इस कहानी का मूल्यांकन इस प्रकार किया जा सकता है।
(1) कथानक इस कहानी का कथानक पच्चीस वर्षों के समय तक फैला है। पूर्व दीप्ति पद्धति में लहनासिंह की मृत्यु से पूर्व युद्ध में जाने से पहले उस दृश्य को दिखाया गया है जिसमें सूबेदारनी आँचल पसारती है। यह दृश्य कहानी को और भी मार्मिक बना देता है। अंत में वजीरासिंह की गोद को ही भाई कीरतसिंह की गोद समझना सिपाही की इस प्रबल आकांक्षा से परिचित कराता है कि उसके प्राण अपनों के बीच की निकलें। घाव का वह निकलना, स्मृति को पीछे लौटकर अतीत में ले चलना, वर्तमान में वजीरासिंह से बार-बार पानी माँगना, घाव के वह निकलने से छाई मूर्छा और चाचा-भतीजे द्वारा स्वयं के लगाए गए आम के बूटे के नीचे प्राण त्यागना आदि कहानी को अविस्मरणीय त्रासद अंत प्रदान करते हैं।
(2) चरित्र-चित्रण - लहनासिंह और सूबेदारनी दोनों के चरित्र इतने यथार्थ, स्वाभाविक और प्रबल हैं कि बचपन में ही नहीं उम्र के एक दौर बीते जाने पर भी उन्हें अपने प्रेम पर विश्वास है। सूबेदारनी को पच्चीस वर्षों पश्चात् भी प्रीति पर अखण्ड विश्वास है। इसी कारण वह लहनासिंह से कहती है कि जिस तरह तुमने मेरे प्राणों की रक्षा की थी वैसे ही मेरे पुत्र की रक्षा करना। लहनासिंह भी प्राणों का बलिदान कर अपना प्रण निभाता है। अन्य सभी चरित्र भी लहनासिंह के चरित्र के विकास में सहायक होते हैं।
(3) संवाद-योजना - इस कहानी में जो भी थोड़े-बहुत संवाद हैं वह कथा का विकास करने में सहायक होते हैं। बालक और बालिका के मध्य का यह संवाद अत्यंत स्वाभाविक और प्रभावशाली है।
"तेरे घर कहाँ है।
"मगरे में - और तेरे?"
"मांझे में - यहाँ कहाँ रहती हो?"
"अतरसिंह की बैठक में, वे मेरे मामा हैं।'
लपटन साहब के साथ लहनासिंह के संवाद भी सहज और प्रसंगानुरूप हैं।
"क्यों साहब, हम लोग हिन्दुस्तान कब जाएंगे?"
"लड़ाई खत्म होने पर क्यों, क्या यह देश पसंद नहीं?"
"नहीं साहब, शिकार के वे मजे यहाँ कहाँ?"
(4) वातावरण - वातावरण की दृष्टि से भी यह एक सफल कहानी है। अमृतसर की गलियों का चित्र तो यथार्थ ही है, युद्ध क्षेत्र के वर्णन में भी वह सफल रहा है। घर-बार से दूर रह रहे सिखों द्वारा शृंगारी लोकगीत गाना, खंदों के कीचड़ में बिस्कुटों के खाली टिनों पर सिपाहियों को सोना, ठंड से बचने के उपाय, खंदकों का पहरा, खंदक पर होने वाला हमला, हमले का ढंग, इन सबका बहुत सूक्ष्म वर्णन किया गया है।
(5) भाषा-शैली - भाषा-शैली की दृष्टि से भी 'उसने कहा था' अत्यंत महत्त्वपूर्ण कहानी है जिस समय यह कहानी प्रकाश में आई तब तक प्रेमचन्द और प्रसाद ने कहानी को इतना विकसित नहीं किया था। उस समय इतने समृद्ध और परिपक्व गद्य का प्रयोग देखकर आश्चर्य होता है। डॉ. नगेन्द्र जैसे प्रसिद्ध समीक्षक भी इस कहानी को अपने समय से 35-36 वर्ष आगे की कहानी स्वीकार करते हैं। कहीं लोग भाषा के रंग में रंगी भाषा, यथा कहानी के प्रारम्भ में अमृतसर के भीड़ भरे बाजार में बम्बूकाट वालों की बोली - बानी, कहीं संस्कृत की तत्सम शब्दावली से परिपूर्ण भाषा का प्रयोग, जीवन्त संवादों, चाँद निकलने और वायु चलने का दृश्य, जीवंत संवादों की रचना आदि सिद्ध करते हैं कि गुलेरी जी की भाषा पर असाधारण अधिकार था। (6) उद्देश्य इस कहानी का उद्देश्य किशोर प्रीति का ऐसा उदात्त और त्यागमय रूप प्रस्तुत करना है जो युग-प्रेरक है। बारह वर्ष का लड़का लहना और आठ वर्ष की लड़की के बीच प्रेम की कल्पना ही नहीं की जा सकती। वह बालपन की सहज प्रीती है, इस प्रीति पर इतना अडिग विश्वास है कि पच्चीस वर्ष बाद मिलने पर भी सूबेदारनी लहना से प्राण-प्रण से पुत्र को बचाने की भीख माँगती है। उस विश्वास का रक्षक लहना भी धन्य है कि अपने प्राणों को संकट में डालकर भी उसने कहा था के वचन को पूरा करता है। अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण यह कालजयी रचना कहलाती है।
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- प्रश्न- गोदान में उल्लिखित समस्याओं का विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' के नामकरण के औचित्य पर विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- प्रेमचन्द का आदर्शोन्मुख यथार्थवाद क्या है? गोदान में उसका किस रूप में निर्वाह हुआ है?
- प्रश्न- 'मेहता प्रेमचन्द के आदर्शों के प्रतिनिधि हैं।' इस कथन की सार्थकता पर विचार कीजिए।
- प्रश्न- "गोदान और कृषक जीवन का जो चित्र अंकित है वह आज भी हमारी समाज-व्यवस्था की एक दारुण सच्चाई है।' प्रमाणित कीजिए।
- प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यास-साहित्य का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- उपन्यास के तत्वों की दृष्टि से 'गोदान' की संक्षिप्त समालोचना कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' महाकाव्यात्मक उपन्यास है। कथन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- गोदान उपन्यास में निहित प्रेमचन्द के उद्देश्य और सन्देश को प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- गोदान की औपन्यासिक विशिष्टताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यासों की संक्षेप में विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यासों की कथावस्तु का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' की भाषा-शैली के विषय में अपने संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी के यथार्थवादी उपन्यासों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' में प्रेमचन्द ने मेहनत और मुनाफे की दुनिया के बीच की गहराती खाई को बड़ी बारीकी से चित्रित किया है। प्रमाणित कीजिए।
- प्रश्न- क्या प्रेमचन्द आदर्शवादी उपन्यासकार थे? संक्षिप्त उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' के माध्यम से ग्रामीण कथा एवं शहरी कथा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- होरी की चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- धनिया यथार्थवादी पात्र है या आदर्शवादी? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यास 'गोदान' के निम्न गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल एक सफल आँचलिक उपन्यास है' इस उक्ति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- उपन्यास में समस्या चित्रण का महत्व बताते हुये 'मैला आँचल' की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- आजादी के फलस्वरूप गाँवों में आये आन्तरिक और परिवेशगत परिवर्तनों का 'मैला आँचल' उपन्यास में सूक्ष्म वर्णन हुआ है, सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल' की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणुजी ने 'मैला आँचल' उपन्यास में किन-किन समस्याओं का अंकन किया है और उनको कहाँ तक सफलता मिली है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- "परम्परागत रूप में आँचलिक उपन्यास में कोई नायक नहीं होता।' इस कथन के आधार पर मैला आँचल के नामक का निर्धारण कीजिए।
- प्रश्न- नामकरण की सार्थकता की दृष्टि से 'मैला आँचल' उपन्यास की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल' में ग्राम्य जीवन में चित्रित सामाजिक सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास को आँचलिक उपन्यास की कसौटी पर कसकर सिद्ध कीजिए कि क्या मैला आँचल एक आँचलिक उपन्यास है?
- प्रश्न- मैला आँचल में वर्णित पर्व-त्योहारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मैला आँचल की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास के कथा विकास में प्रयुक्त वर्णनात्मक पद्धति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कथावस्तु के गुणों की दृष्टि से मैला आँचल उपन्यास की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल' उपन्यास का नायक डॉ. प्रशांत है या मेरीगंज का आँचल? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास की संवाद योजना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मैला आँचल)
- प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी 'उसने कहा था' का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- कहानी के तत्त्वों के आधार पर 'उसने कहा था' कहानी की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- प्रेम और त्याग के आदर्श के रूप में 'उसने कहा था' कहानी के नायक लहनासिंह की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सूबेदारनी की चारित्रिक विशेषताओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमृतसर के बम्बूकार्ट वालों की बातों और अन्य शहरों के इक्के वालों की बातों में लेखक ने क्या अन्तर बताया है?
- प्रश्न- मरते समय लहनासिंह को कौन सी बात याद आई?
- प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'उसने कहा था' नामक कहानी के आधार पर लहना सिंह का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (उसने कहा था)
- प्रश्न- प्रेमचन्द की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कफन कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- कफन कहानी के उद्देश्य की विश्लेषणात्मक विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'कफन' कहानी के आधार पर घीसू का चरित्र चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं, इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं। इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- घीसू और माधव की प्रवृत्ति के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- घीसू ने जमींदार साहब के घर जाकर क्या कहा?
- प्रश्न- बुधिया के जीवन के मार्मिक पक्ष को उद्घाटित कीजिए।
- प्रश्न- कफन लेने के बजाय घीसू और माधव ने उन पाँच रुपयों का क्या किया?
- प्रश्न- शराब के नशे में चूर घीसू और माधव बुधिया के बैकुण्ठ जाने के बारे में क्या कहते हैं?
- प्रश्न- आलू खाते समय घीसू और माधव की आँखों से आँसू क्यों निकल आये?
- प्रश्न- 'कफन' की बुधिया किसकी पत्नी है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (कफन)
- प्रश्न- कहानी कला के तत्वों के आधार पर प्रसाद की कहांनी मधुआ की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'मधुआ' कहानी के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'मधुआ' कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मधुआ)
- प्रश्न- अमरकांत की कहानी कला एवं विशेषता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमरकान्त का जीवन परिचय संक्षेप में लिखिये।
- प्रश्न- अमरकान्त जी के कहानी संग्रह तथा उपन्यास एवं बाल साहित्य का नाम बताइये।
- प्रश्न- अमरकान्त का समकालीन हिन्दी कहानी पर क्या प्रभाव पडा?
- प्रश्न- 'अमरकान्त निम्न मध्यमवर्गीय जीवन के चितेरे हैं। सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (जिन्दगी और जोंक)
- प्रश्न- मन्नू भण्डारी की कहानी कला पर समीक्षात्मक विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से मन्नू भण्डारी रचित कहानी 'यही सच है' का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- 'यही सच है' कहानी के उद्देश्य और नामकरण पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'यही सच है' कहानी की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- कुबरा मौलबी दुलारी को कहाँ ले जाना चाहता था?
- प्रश्न- 'निशीथ' किस कहानी का पात्र है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (यही सच है)
- प्रश्न- कहानी के तत्वों के आधार पर चीफ की दावत कहानी की समीक्षा प्रस्तुत कीजिये।
- प्रश्न- 'चीफ की दावत' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चीफ की दावत की केन्द्रीय समस्या क्या है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (चीफ की दावत)
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी कला की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- रेणु की 'तीसरी कसम' कहानी के विशेष अपने मन्तव्य प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- हीरामन के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हीराबाई का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'तीसरी कसम' कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'तीसरी कसम उर्फ मारे गये गुलफाम कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु का संक्षिप्त जीवन-परिचय लिखिए।
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु जी के रचनाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्या फणीश्वरनाथ रेणु की कहानियों का मूल स्वर मानवतावाद है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हीराबाई को हीरामन का कौन-सा गीत सबसे अच्छा लगता है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (तीसरी कसम)
- प्रश्न- 'परिन्दे' कहानी संग्रह और निर्मल वर्मा का परिचय देते हुए, 'परिन्दे' कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से 'परिन्दे' कहानी की समीक्षा अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- निर्मल वर्मा के व्यक्तित्व और उनके साहित्य एवं भाषा-शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (परिन्दे)
- प्रश्न- ऊषा प्रियंवदा के कृतित्व का सामान्य परिचय देते हुए कथा-साहित्य में उनके योगदान की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कहानी कला के तत्त्वों के आधार पर ऊषा प्रियंवदा की 'वापसी' कहानी की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (वापसी)
- प्रश्न- कहानीकार ज्ञान रंजन की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कहानी 'पिता' पारिवारिक समस्या प्रधान कहानी है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कहानी 'पिता' में लेखक वातावरण की सृष्टि कैसे करता है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (पिता)