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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी प्रथम प्रश्नपत्र - हिन्दी काव्य का इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2677
आईएसबीएन :0

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हिन्दी काव्य का इतिहास

अध्याय - 11

द्विवेदी युग

 

प्रश्न- द्विवेदी युग का परिचय देते हुए इस युग के हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में योगदान की समीक्षा कीजिए।

अथवा
द्विवेदी युग इति वृत्तात्मक भले हो किन्तु हिन्दी के लिए इसका योगदान कम नहीं है। विश्लेषण कीजिए।

उत्तर -

द्विवेदी युग (1900-1918 ई0) - भारतेन्दु युग के अवसान के उपरान्त हिन्दी साहित्य जगत में भाषा के संस्कार और परिष्कार की नितान्त आवश्यकता थी। साहित्य की जो बहु आयामी यात्रा भारतेन्दु युग से आरम्भ हुई थी। उसे व्यापक और सुसंस्कृत रूप में प्रस्तुत करने की नितान्त आवश्यकता थी। महामना द्विवेदी जी ने इस स्तुत्य कार्य को सरस्वती के सम्पादन के साथ करके नवयुग का प्रवर्तन किया।

कलावधि - सन् 1903 से लेकर 1916 तक का समय द्विवेदी युग बताते हुए डॉ. जयकिशन प्रसाद खण्डेलवाल ने हिन्दी कविता के इस काल को द्वितीय उत्थान के रूप में अभिहित किया है। जबकि डॉ. नगेन्द्र द्वारा सम्पादित हिन्दी साहित्य के इतिहास में द्विवेदी युग कलावधि सन् 1900 से 1918 ई. प्रतिपादित की गयी है।

महावीर प्रसाद द्विवेदी के नाम पर ही इस युग का नाम पड़ा। इन्हीं के सम्पादनकाल में जिन हिन्दी कवियों का उदय हुआ उनसे निश्चित रूप से हिन्दी कविता गौरवान्वित तथा महिमाशाली बनी।

द्विवेदी युग का परिवेश - द्विवेदी युग के उदय का अवलोकन राजनयिक आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक एवं साहित्यिक परिस्थितियों के आधार पर निम्नांकित रूप से किया जा सकता है

(1) राजनयिक परिवेश - द्वितीय युग के अभ्युदय काल में भारतीय जनता ब्रिटिश सरकार के दमन चक्र, क्रूरता, षड़यन्त्र एवं शोषण का शिकार हो रही थी, यद्यपि भारतेन्दु जी की राष्ट्रीय भावना ने स्वतंत्रता का बिगुल बजा दिया था, परन्तु द्विवेदी युग में राष्ट्रीय की यह धारा तुमुल घोषवती होकर व्यापक होने लगी। जिसका एकमात्र लक्ष्य अंग्रेजी की दासता से मुक्त होकर पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्ति की ओर अग्रसर होना था। द्विवेदी युग का उन्मेश ऐसे ही राजकीय चेतना के परिवेश में हुआ।

(2) आर्थिक परिवेश - राजनीतिक चेनता के साथ ही इस अवधि में धार्मिक चेतना भी विकसित हुई। अंग्रेजों की आर्थिक नीति भारत के लिए अहितकर थी। अंग्रेजी सरकार देश का कच्चा माल बाहर भेजती ती और वहाँ के बने माल का उपयोग भारत में करवाती थी। देश का धन निरन्तर बाहर जाने से भारत निर्धन हो गया। भारत के उद्योग-धन्धों के विकास की ओर सरकार ने ध्यान नहीं दिया। कुटीर उद्योग-धन्धों के नष्ट होने के एक के बाद एक पड़ने वाले दुर्भिक्षों ने देशवासियों की कमर तोड दी।

अत्याचार, क्रूर दमन चक्र एवं सर्वतोमुखी विफलता का प्रमुख कारण परतंत्रता थी, जो आर्थिक विकास में बाधक थी। जनता ने पूर्ण स्वाधीनता की मांग की। सौभाग्य से गोपालकृष्ण गोखले, बाल गंगाधर तिलक जैसे क्रान्तिकारी एवं कर्मठ नेताओं का अभ्युदय हुआ। जिन्होंने तिलक जैसे क्रान्तिकारी एवं कर्मठ नेताओं का अभ्युदय हुआ। जिन्होंने 'स्वराज्य' एवं स्वाधीनता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है जैसे नारों का उद्घोष करते हुए अंग्रेजी सरकार का सिंहासन डगमगा दिया। भारतेन्दु युगीन साहित्यकारों ने भारत दुर्दशा पर केवल दुःख ही प्रकट किया किन्तु द्विवेदी कालीन मनीषियों ने उदित होकर देश की दुर्दशा के चित्रण के साथ-साथ देशवासियों को स्वतंत्रता की प्रेरणा देकर आत्मोसर्ग एवं बलिदान का मार्ग भी दिखाया।

(3) धार्मिक एवं सामाजिक परिवेश - जिस समय द्विवेदी युग का अभ्युदय हुआ उस समय आर्य समाज, ब्रह्म समाज थियोसोफिकल सोसाइटी तथा इंडियन नेशनल कांग्रेस की स्थापना के परिणाम स्वरूप भारतीय सभ्यता, संस्कृति धर्म और समाज के पुनरूत्थान की प्रक्रिया प्रारम्भ हो चुकी थी। लाला लाजपतराय, स्वामी श्रद्धानन्द, मदनमोहन मालवीय जैसे नेताओं और निस्वार्थ समाज सेवियों ने स्वाभिमान को जगाने तथा अपनी गौरव परम्पराओं के प्रति निष्ठावान बनाने का सफल प्रयास किया।

द्विवेदी युग के अभ्युदय के समय आर्य समाज एवं सनातन धर्म दोनों का द्वन्द्व चल रहा था। उस समाज में छूआछूत की भावना चरम सीमा पर थी। धर्मोपदेशकों के साथ लोकमान्य तिलक न्यायमूर्ति रानाडे के चाय पी लेने से समाज में तहलका मच गया और इन नेताओं को गोमूत्र के प्रासन से प्रायश्चित करना पड़ा। तभी राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जैसे क्रान्तिकारी ने समाज में व्याप्त छुआछूत की प्रथा का अन्त किया। फलतः उदरता और सहिष्णुता की भावनाएं समाज में परिव्याप्त हो उठी थी। ऐसे ही सुधारोन्मुख धार्मिक एवं सामाजिक परिवेश में द्विवेदी युग का अभ्युदय क्रान्तिकारी भावनाओं को पल्लवित एवं पुष्पित करते हुए राष्ट्र के अंचल में हुआ

(4) शैक्षणिक परिवेश - द्विवेदी युग के अभ्युदय के समय ब्रिटिश सरकार के शोषण से बौद्धिक वर्ग असन्तुष्ट था। अंग्रेजी सरकार ने भारतीयों को किसी सउद्देश्य से प्रेरित होकर अंग्रेजी की शिक्षा नहीं दी थी, अपितु उनका प्रमुख लक्ष्य था भारतवासियों का ऐसा वर्ग तैयार करना था जो शरीर से भारतीय होते हुए भी मन से अंग्रेजों का गुलाम हो और जिनकी मानसिकता हो -

हो भले सूरत हमारी इंडियन दिल हमारा मेड इन इंग्लैंड है।

लार्ड मैकाले ने ऐसी शिक्षा प्रणाली का सूत्रपात किया जिसेस भारत में ही अंग्रेजी पढ़े क्लर्क उलब्ध हो सके और उनके शासन संचालन में सहायक हो सकें। यही अंग्रेजी शिक्षा भारतीयों के हृदय में वैचारिक क्रान्ति उत्पन्न होने में सक्षम बनी। ऐसे वैचारिक क्रान्ति के उन्मेष में द्विवेदी युग का प्रादुर्भाव हुआ।

(5) साहित्यिक परिवेश - द्विवेदी युग का अभ्युदय जिस समय हुआ उस समय काव्य के क्षेत्र में शृंगार भगवद् भक्ति एवं देश भक्ति की धाराएँ प्रवाहित हो रही थी। 'भारतेन्दु काल' में कार्य के. क्षेत्र में ब्रजभाषा का एक छत्र साम्राज्य होने पर खड़ी बोली में भी काव्य रचना हुई। ऐसे ही परिवेश में जनता की आकांक्षाओं से परखी तथा दिशा निर्देशक आचार्य के रूप में पं. महावीर प्रसाद द्विवेदी का प्रादुर्भाव हुआ। फलतः विविध विषयों पर काव्य सृजन होने से खड़ी बोली का विकास हुआ।

इस प्रकार हिन्दी कविता को श्रृंगारिकता से राष्ट्रीय जड़ता से प्रगति तथा रूढ़ि से स्वच्छन्दता के द्वार पर खड़ा करने वाले बीसवीं शताब्दी के प्रथम दो दर्शकों का सर्वाधिक माध्यम है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- इतिहास क्या है? इतिहास की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  2. प्रश्न- हिन्दी साहित्य का आरम्भ आप कब से मानते हैं और क्यों?
  3. प्रश्न- इतिहास दर्शन और साहित्येतिहास का संक्षेप में विश्लेषण कीजिए।
  4. प्रश्न- साहित्य के इतिहास के महत्व की समीक्षा कीजिए।
  5. प्रश्न- साहित्य के इतिहास के महत्व पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  6. प्रश्न- साहित्य के इतिहास के सामान्य सिद्धान्त का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  7. प्रश्न- साहित्य के इतिहास दर्शन पर भारतीय एवं पाश्चात्य दृष्टिकोण का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा का विश्लेषण कीजिए।
  9. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा का संक्षेप में परिचय देते हुए आचार्य शुक्ल के इतिहास लेखन में योगदान की समीक्षा कीजिए।
  10. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन के आधार पर एक विस्तृत निबन्ध लिखिए।
  11. प्रश्न- इतिहास लेखन की समस्याओं के परिप्रेक्ष्य में हिन्दी साहित्य इतिहास लेखन की समस्या का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- हिन्दी साहित्य इतिहास लेखन की पद्धतियों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  13. प्रश्न- सर जार्ज ग्रियर्सन के साहित्य के इतिहास लेखन पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
  14. प्रश्न- नागरी प्रचारिणी सभा काशी द्वारा 16 खंडों में प्रकाशित हिन्दी साहित्य के वृहत इतिहास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  15. प्रश्न- हिन्दी भाषा और साहित्य के प्रारम्भिक तिथि की समस्या पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  16. प्रश्न- साहित्यकारों के चयन एवं उनके जीवन वृत्त की समस्या का इतिहास लेखन पर पड़ने वाले प्रभाव का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- हिन्दी साहित्येतिहास काल विभाजन एवं नामकरण की समस्या का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास का काल विभाजन आप किस आधार पर करेंगे? आचार्य शुक्ल ने हिन्दी साहित्य के इतिहास का जो विभाजन किया है क्या आप उससे सहमत हैं? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
  19. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास में काल सीमा सम्बन्धी मतभेदों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- काल विभाजन की उपयोगिता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  21. प्रश्न- काल विभाजन की प्रचलित पद्धतियों को संक्षेप में लिखिए।
  22. प्रश्न- रासो काव्य परम्परा में पृथ्वीराज रासो का स्थान निर्धारित कीजिए।
  23. प्रश्न- रासो शब्द की व्युत्पत्ति बताते हुए रासो काव्य परम्परा की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए - (1) परमाल रासो (3) बीसलदेव रासो (2) खुमान रासो (4) पृथ्वीराज रासो
  25. प्रश्न- रासो ग्रन्थ की प्रामाणिकता पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  26. प्रश्न- विद्यापति भक्त कवि है या शृंगारी? पक्ष अथवा विपक्ष में तर्क दीजिए।
  27. प्रश्न- "विद्यापति हिन्दी परम्परा के कवि है, किसी अन्य भाषा के नहीं।' इस कथन की पुष्टि करते हुए उनकी काव्य भाषा का विश्लेषण कीजिए।
  28. प्रश्न- विद्यापति का जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  29. प्रश्न- लोक गायक जगनिक पर प्रकाश डालिए।
  30. प्रश्न- अमीर खुसरो के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
  31. प्रश्न- अमीर खुसरो की कविताओं में व्यक्त राष्ट्र-प्रेम की भावना लोक तत्व और काव्य सौष्ठव पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- चंदबरदायी का जीवन परिचय लिखिए।
  33. प्रश्न- अमीर खुसरो का संक्षित परिचय देते हुए उनके काव्य की विशेषताओं एवं पहेलियों का उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
  34. प्रश्न- अमीर खुसरो सूफी संत थे। इस आधार पर उनके व्यक्तित्व के विषय में आप क्या जानते हैं?
  35. प्रश्न- अमीर खुसरो के काल में भाषा का क्या स्वरूप था?
  36. प्रश्न- विद्यापति की भक्ति भावना का विवेचन कीजिए।
  37. प्रश्न- हिन्दी साहित्य की भक्तिकालीन परिस्थितियों की विवेचना कीजिए।
  38. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन के उदय के कारणों की समीक्षा कीजिए।
  39. प्रश्न- भक्तिकाल को हिन्दी साहित्य का स्वर्णयुग क्यों कहते हैं? सकारण उत्तर दीजिए।
  40. प्रश्न- सन्त काव्य परम्परा में कबीर के योगदान को स्पष्ट कीजिए।
  41. प्रश्न- मध्यकालीन हिन्दी सन्त काव्य परम्परा का उल्लेख करते हुए प्रमुख सन्तों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  42. प्रश्न- हिन्दी में सूफी प्रेमाख्यानक परम्परा का उल्लेख करते हुए उसमें मलिक मुहम्मद जायसी के पद्मावत का स्थान निरूपित कीजिए।
  43. प्रश्न- कबीर के रहस्यवाद की समीक्षात्मक आलोचना कीजिए।
  44. प्रश्न- महाकवि सूरदास के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की समीक्षा कीजिए।
  45. प्रश्न- भक्तिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ या विशेषताएँ बताइये।
  46. प्रश्न- भक्तिकाल में उच्चकोटि के काव्य रचना पर प्रकाश डालिए।
  47. प्रश्न- 'भक्तिकाल स्वर्णयुग है।' इस कथन की मीमांसा कीजिए।
  48. प्रश्न- जायसी की रचनाओं का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  49. प्रश्न- सूफी काव्य का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  50. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए -
  51. प्रश्न- तुलसीदास कृत रामचरितमानस पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  52. प्रश्न- गोस्वामी तुलसीदास के जीवन चरित्र एवं रचनाओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- प्रमुख निर्गुण संत कवि और उनके अवदान विवेचना कीजिए।
  54. प्रश्न- कबीर सच्चे माने में समाज सुधारक थे। स्पष्ट कीजिए।
  55. प्रश्न- सगुण भक्ति धारा से आप क्या समझते हैं? उसकी दो प्रमुख शाखाओं की पारस्परिक समानताओं-असमानताओं की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
  56. प्रश्न- रामभक्ति शाखा तथा कृष्णभक्ति शाखा का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
  57. प्रश्न- हिन्दी की निर्गुण और सगुण काव्यधाराओं की सामान्य विशेषताओं का परिचय देते हुए हिन्दी के भक्ति साहित्य के महत्व पर प्रकाश डालिए।
  58. प्रश्न- निर्गुण भक्तिकाव्य परम्परा में ज्ञानाश्रयी शाखा के कवियों के काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
  59. प्रश्न- कबीर की भाषा 'पंचमेल खिचड़ी' है। सउदाहरण स्पष्ट कीजिए।
  60. प्रश्न- निर्गुण भक्ति शाखा एवं सगुण भक्ति काव्य का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
  61. प्रश्न- रीतिकालीन ऐतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनैतिक पृष्ठभूमि की समीक्षा कीजिए।
  62. प्रश्न- रीतिकालीन कवियों के आचार्यत्व पर एक समीक्षात्मक निबन्ध लिखिए।
  63. प्रश्न- रीतिकालीन प्रमुख प्रवृत्तियों की विवेचना कीजिए तथा तत्कालीन परिस्थितियों से उनका सामंजस्य स्थापित कीजिए।
  64. प्रश्न- रीति से अभिप्राय स्पष्ट करते हुए रीतिकाल के नामकरण पर विचार कीजिए।
  65. प्रश्न- रीतिकालीन हिन्दी कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों या विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  66. प्रश्न- रीतिकालीन रीतिमुक्त काव्यधारा के प्रमुख कवियों का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार दीजिए कि प्रत्येक कवि का वैशिष्ट्य उद्घाटित हो जाये।
  67. प्रश्न- आचार्य केशवदास का संक्षिप्त जीवन परिचय देते हुए उनकी काव्यगत विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  68. प्रश्न- रीतिबद्ध काव्यधारा और रीतिमुक्त काव्यधारा में भेद स्पष्ट कीजिए।
  69. प्रश्न- रीतिकाल की सामान्य विशेषताएँ बताइये।
  70. प्रश्न- रीतिमुक्त कवियों की विशेषताएँ बताइये।
  71. प्रश्न- रीतिकाल के नामकरण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  72. प्रश्न- रीतिकालीन साहित्य के स्रोत को संक्षेप में बताइये।
  73. प्रश्न- रीतिकालीन साहित्यिक ग्रन्थों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  74. प्रश्न- रीतिकाल की सांस्कृतिक परिस्थितियों पर प्रकाश डालिए।
  75. प्रश्न- बिहारी के साहित्यिक व्यक्तित्व की संक्षेप मे विवेचना कीजिए।
  76. प्रश्न- रीतिकालीन आचार्य कुलपति मिश्र के साहित्यिक जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  77. प्रश्न- रीतिकालीन कवि बोधा के कवित्व पर प्रकाश डालिए।
  78. प्रश्न- रीतिकालीन कवि मतिराम के साहित्यिक जीवन पर प्रकाश डालिए।
  79. प्रश्न- सन्त कवि रज्जब पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- आधुनिककाल की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, सन् 1857 ई. की राजक्रान्ति और पुनर्जागरण की व्याख्या कीजिए।
  81. प्रश्न- हिन्दी नवजागरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  82. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के आधुनिककाल का प्रारम्भ कहाँ से माना जाये और क्यों?
  83. प्रश्न- आधुनिक काल के नामकरण पर प्रकाश डालिए।
  84. प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों की सोदाहरण विवेचना कीजिए।
  85. प्रश्न- भारतेन्दु युगीन काव्य की भावगत एवं कलागत सौन्दर्य का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- भारतेन्दु युग की समय सीमा एवं प्रमुख साहित्यकारों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  87. प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन काव्य की राजभक्ति पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन काव्य का संक्षेप में मूल्यांकन कीजिए।
  89. प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन गद्यसाहित्य का संक्षेप में मूल्यांकान कीजिए।
  90. प्रश्न- भारतेन्दु युग की विशेषताएँ बताइये।
  91. प्रश्न- द्विवेदी युग का परिचय देते हुए इस युग के हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में योगदान की समीक्षा कीजिए।
  92. प्रश्न- द्विवेदी युगीन काव्य की विशेषताओं का सोदाहरण मूल्यांकन कीजिए।
  93. प्रश्न- द्विवेदी युगीन हिन्दी कविता की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
  94. प्रश्न- द्विवेदी युग की छः प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
  95. प्रश्न- द्विवेदीयुगीन भाषा व कलात्मकता पर प्रकाश डालिए।
  96. प्रश्न- छायावाद का अर्थ और स्वरूप परिभाषित कीजिए तथा बताइये कि इसका उद्भव किस परिवेश में हुआ?
  97. प्रश्न- छायावाद के प्रमुख कवि और उनके काव्यों पर प्रकाश डालिए।
  98. प्रश्न- छायावादी काव्य की मूलभूत विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
  99. प्रश्न- छायावादी रहस्यवादी काव्यधारा का संक्षिप्त उल्लेख करते हुए छायावाद के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
  100. प्रश्न- छायावादी युगीन काव्य में राष्ट्रीय काव्यधारा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  101. प्रश्न- 'कवि 'कुछ ऐसी तान सुनाओ, जिससे उथल-पुथल मच जायें। स्वच्छन्दतावाद या रोमांटिसिज्म किसे कहते हैं?
  102. प्रश्न- छायावाद के रहस्यानुभूति पर प्रकाश डालिए।
  103. प्रश्न- छायावादी काव्य में अभिव्यक्त नारी सौन्दर्य एवं प्रेम चित्रण पर टिप्पणी कीजिए।
  104. प्रश्न- छायावाद की काव्यगत विशेषताएँ बताइये।
  105. प्रश्न- छायावादी काव्यधारा का क्यों पतन हुआ?
  106. प्रश्न- प्रगतिवाद के अर्थ एवं स्वरूप को स्पष्ट करते हुए प्रगतिवाद के राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक तथा साहित्यिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  107. प्रश्न- प्रगतिवादी काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियों का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- प्रयोगवाद के नामकरण एवं स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए इसके उद्भव के कारणों का विश्लेषण कीजिए।
  109. प्रश्न- प्रयोगवाद की परिभाषा देते हुए उसकी साहित्यिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  110. प्रश्न- 'नयी कविता' की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  111. प्रश्न- समसामयिक कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों का समीक्षात्मक परिचय दीजिए।
  112. प्रश्न- प्रगतिवाद का परिचय दीजिए।
  113. प्रश्न- प्रगतिवाद की पाँच सामान्य विशेषताएँ लिखिए।
  114. प्रश्न- प्रयोगवाद का क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए।
  115. प्रश्न- प्रयोगवाद और नई कविता क्या है?
  116. प्रश्न- 'नई कविता' से क्या तात्पर्य है?
  117. प्रश्न- प्रयोगवाद और नयी कविता के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
  118. प्रश्न- समकालीन हिन्दी कविता तथा उनके कवियों के नाम लिखिए।
  119. प्रश्न- समकालीन कविता का संक्षिप्त परिचय दीजिए।

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