बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी प्रथम प्रश्नपत्र - हिन्दी काव्य का इतिहास एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी प्रथम प्रश्नपत्र - हिन्दी काव्य का इतिहाससरल प्रश्नोत्तर समूह
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हिन्दी काव्य का इतिहास
प्रश्न- हिन्दी नवजागरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
हिन्दी नवजागरण का साहित्य के क्षेत्र में पड़ने वाला प्रभाव स्पष्ट कीजिए।
अथवा
साहित्य के क्षेत्र में हिन्दी नवजागरण के महत्त्व को रेखांकित कीजिए।
उत्तर -
हिन्दी नवजागरण - हिन्दी नवजागरण से अभिप्राय सन् 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद भारत के हिन्दी भाषी प्रदेशों में आए सामाजिक, राजनैतिक तथा सांस्कृतिक जागरण से है। हिन्दी नवजागरण की सर्वप्रथम विशेषता हिन्दी भाषिक जनता में स्वातंत्र्य - चेतना का जाग्रत होना था। इसका प्रथम चरण 1857 का विद्रोह था तो दूसरा चरण भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की राष्ट्रीय व सामाजिक चेतना रहा। इसके तीसरे चरण का प्रारम्भ महावीर प्रसाद द्विवेदी के साथ होता दिखाई देता है। भारतेन्दु के उदय के साथ हिन्दी में एक नए युग का सूत्रपात सभी ने स्वीकार किया परन्तु इस कालखण्ड को 'हिन्दी नवजागरण' की पदवी से डॉ. राम विलास शर्मा द्वारा विभूषित किया गया। डॉ. शर्मा द्वारा भारतेन्दु को हिन्दी की जातीय परम्परा के संस्थापक के रूप में स्वीकार किया गया है। हिन्दी नवजागरण से पूर्व बाँगला नव जागरण की विचारधारा से ग्रस्त बंकिमचन्द्र आदि लेखकों की दृष्टि क्षेत्र विशेष तक ही संकुचित रही है। किन्तु नवजागरण की चेतना अपने विकसित रूप में हिन्दी नवजागरण में ही सामने आती है। अभी तक साहित्यकारों की दृष्टि में दलित, मजदूर तथा किसान चेतना से संबंधित सामाजिक विषय ही केन्द्र में थे। पहली बार 'राष्ट्रीयता' को केन्द्र में लाने का श्रेय हिन्दी नवजागरण को ही जाता है। राम विलास शर्मा जी इस नवजागरण का प्रारम्भ 1857 की राजक्रांति के बाद से मानते हैं किन्तु इसे विकसित करने में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका भारतेन्दु द्वारा निभाई गई। भारतेन्दु एवं भारतेन्दु मंडल के सुधी साहित्यकारों द्वारा सम्पादित विभिन्न पत्र पत्रिकाओं का हिन्दी नवजागरण के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। भारतेन्दु द्वारा संपादित 'कवि वचन सुधा' (1868), 'हरिश्चंद्र मैगजीन' (1873) तथा 'बाला - बोधनी' (1874) आदि में देश के विकास में बाधक तत्वों की विवेचना के साथ समसामयिक समस्याओं पर सम्यक् विवेचन प्रस्तुत किया गया। भारतेन्दु का 1884 में देश के विकास हेतु दिया गया भाषण 'बलिया व्याख्यान' के नाम से प्रसिद्ध है। साथ ही नवयुवकों में देशभक्ति के लिए संवेदना उत्पन्न करने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया गया। नवजागरण की भावना से प्रेरित 'बालकृष्णभट्ट जी द्वारा साहित्य को जनता से जोड़ते हुए कहा गया 'साहित्य जन समूह के हृदय का विकास है। भारतेन्दु द्वारा गद्य के क्षेत्र में हिन्दी का प्रयोग किया जाना तथा नई सुधरी हुई हिन्दी का उदय हिन्दी नवजागरण का ही परिणाम बनकर सामने आया। भारतेन्दु लोक भाषा के समर्थक थे वे टकसाली अर्थात् गढ़ी हुई भाषा का विरोध करते थे। वे भाषा के सहज, प्रवाहमय व विनोदपूर्ण रूप के प्रचारक थे। नवजागरण के सन्दर्भ में छापेखाने और पत्र-पत्रिकाओं की भूमिका भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण सिद्ध हुई। 1803 में देवनागरी के अंकों की ढलाई के साथ खुले प्रेस ने हिन्दी छपाई का कार्य सुलभ कर दिया। पत्र-पत्रिकाओं व समाचार पत्रों के प्रकाशन के साथ नवजागरण की चेतना न केवल हिन्दी प्रदेशों वरन् सम्पूर्ण भारत को प्रभावित करने लगी। 1826 में हिन्दी जागरणको सुदृढ़ आधार मिल गया। इस प्रकार हिन्दी नवजागरण के सूत्राधार भारतेन्दु के समक्ष पूरे भारत में राष्ट्रीय चेतना के संवहन का प्रश्न था न कि क्षेत्र विशेष के।
नवजागरण की चेतना का ही प्रभाव था कि स्त्रियों द्वारा भी रचना करने का प्रयास हुआ। नवजागरण के पश्चात् प्रमुख महिला रचनाकारों में पंडिता रमाबाई, बंगमहिला (राजेन्द्र बाला घोष), साध्वी सती प्राण अबला, प्रियंवदा देवी आदि थीं। 1875 में आर्य समाज की स्थापना भी हिन्दी नवजागरण से ही प्रेरित थी। प्रतापनारायण मिश्र राजा लक्ष्मण सिंह, शिव प्रसाद सितारे हिन्द, सदल मिश्र आदि के द्वारा भी हिन्दी नवजागरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निर्भाई गई। इस तरह जनता में राष्ट्रीयता, भाईचारा, स्वांच्य चेतना की भावना को उत्पन्न करने का श्रेय हिन्दी नवजागरण को ही जाता है। भारतेन्दु युगीन हिन्दी नवजागरण का द्वितीय सोपान द्विवेदी युग को माना जाता है। भाव, भाषा, विविध विषयों द्वारा द्विवेदी युगीन साहित्य जनता में परिष्कृत रूचि वे वैचारिक प्रखरता को बढ़ाने का कार्य करता है। इस युग के कवि भारत को विकास की दशा में आगे बढ़ाने का प्रयास करते दिखाई देते हैं। द्विवेदी युगीन कवि अतीत के आदर्श व उज्जवल चरित्रांकन तथा स्त्री विषयक नई विचारधारा को आगे बढ़ाते हैं। द्विवेदी युग से आगे बढ़ते हुए यह चेतना छायावादी युग को भी अनुप्राणित करती है। इन कवियों द्वारा व्यक्ति से समाज तथा समाज से राष्ट्र तक पहुँचने का मार्ग प्रशस्त किया गया। छायावादी कविता भी राष्ट्रीयता के स्वर को मुखरित करते हुए अपने अन्तर के दुर्गुणों से भी मुक्ति पाने का संदेश देती है। इस प्रकार मैथिलीशरण गुत, हरिऔध, रामनरेश त्रिपाठी, प्रसाद, निराला जैसे अनेक कवि नवीन चेतना के हस्तांतरण में योग देकर हिन्दी नवजागरण के महत्त्वपूर्ण कवि बनकर उभरते हैं।
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- प्रश्न- इतिहास क्या है? इतिहास की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य का आरम्भ आप कब से मानते हैं और क्यों?
- प्रश्न- इतिहास दर्शन और साहित्येतिहास का संक्षेप में विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- साहित्य के इतिहास के महत्व की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- साहित्य के इतिहास के महत्व पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- साहित्य के इतिहास के सामान्य सिद्धान्त का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- साहित्य के इतिहास दर्शन पर भारतीय एवं पाश्चात्य दृष्टिकोण का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा का संक्षेप में परिचय देते हुए आचार्य शुक्ल के इतिहास लेखन में योगदान की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन के आधार पर एक विस्तृत निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- इतिहास लेखन की समस्याओं के परिप्रेक्ष्य में हिन्दी साहित्य इतिहास लेखन की समस्या का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य इतिहास लेखन की पद्धतियों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सर जार्ज ग्रियर्सन के साहित्य के इतिहास लेखन पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- नागरी प्रचारिणी सभा काशी द्वारा 16 खंडों में प्रकाशित हिन्दी साहित्य के वृहत इतिहास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- हिन्दी भाषा और साहित्य के प्रारम्भिक तिथि की समस्या पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- साहित्यकारों के चयन एवं उनके जीवन वृत्त की समस्या का इतिहास लेखन पर पड़ने वाले प्रभाव का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्येतिहास काल विभाजन एवं नामकरण की समस्या का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास का काल विभाजन आप किस आधार पर करेंगे? आचार्य शुक्ल ने हिन्दी साहित्य के इतिहास का जो विभाजन किया है क्या आप उससे सहमत हैं? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास में काल सीमा सम्बन्धी मतभेदों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- काल विभाजन की उपयोगिता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- काल विभाजन की प्रचलित पद्धतियों को संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- रासो काव्य परम्परा में पृथ्वीराज रासो का स्थान निर्धारित कीजिए।
- प्रश्न- रासो शब्द की व्युत्पत्ति बताते हुए रासो काव्य परम्परा की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए - (1) परमाल रासो (3) बीसलदेव रासो (2) खुमान रासो (4) पृथ्वीराज रासो
- प्रश्न- रासो ग्रन्थ की प्रामाणिकता पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्यापति भक्त कवि है या शृंगारी? पक्ष अथवा विपक्ष में तर्क दीजिए।
- प्रश्न- "विद्यापति हिन्दी परम्परा के कवि है, किसी अन्य भाषा के नहीं।' इस कथन की पुष्टि करते हुए उनकी काव्य भाषा का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति का जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लोक गायक जगनिक पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो की कविताओं में व्यक्त राष्ट्र-प्रेम की भावना लोक तत्व और काव्य सौष्ठव पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चंदबरदायी का जीवन परिचय लिखिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो का संक्षित परिचय देते हुए उनके काव्य की विशेषताओं एवं पहेलियों का उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो सूफी संत थे। इस आधार पर उनके व्यक्तित्व के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- अमीर खुसरो के काल में भाषा का क्या स्वरूप था?
- प्रश्न- विद्यापति की भक्ति भावना का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य की भक्तिकालीन परिस्थितियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भक्ति आन्दोलन के उदय के कारणों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- भक्तिकाल को हिन्दी साहित्य का स्वर्णयुग क्यों कहते हैं? सकारण उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- सन्त काव्य परम्परा में कबीर के योगदान को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मध्यकालीन हिन्दी सन्त काव्य परम्परा का उल्लेख करते हुए प्रमुख सन्तों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी में सूफी प्रेमाख्यानक परम्परा का उल्लेख करते हुए उसमें मलिक मुहम्मद जायसी के पद्मावत का स्थान निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- कबीर के रहस्यवाद की समीक्षात्मक आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- महाकवि सूरदास के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- भक्तिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ या विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भक्तिकाल में उच्चकोटि के काव्य रचना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'भक्तिकाल स्वर्णयुग है।' इस कथन की मीमांसा कीजिए।
- प्रश्न- जायसी की रचनाओं का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सूफी काव्य का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए -
- प्रश्न- तुलसीदास कृत रामचरितमानस पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- गोस्वामी तुलसीदास के जीवन चरित्र एवं रचनाओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रमुख निर्गुण संत कवि और उनके अवदान विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कबीर सच्चे माने में समाज सुधारक थे। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सगुण भक्ति धारा से आप क्या समझते हैं? उसकी दो प्रमुख शाखाओं की पारस्परिक समानताओं-असमानताओं की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- रामभक्ति शाखा तथा कृष्णभक्ति शाखा का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी की निर्गुण और सगुण काव्यधाराओं की सामान्य विशेषताओं का परिचय देते हुए हिन्दी के भक्ति साहित्य के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निर्गुण भक्तिकाव्य परम्परा में ज्ञानाश्रयी शाखा के कवियों के काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कबीर की भाषा 'पंचमेल खिचड़ी' है। सउदाहरण स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निर्गुण भक्ति शाखा एवं सगुण भक्ति काव्य का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- रीतिकालीन ऐतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनैतिक पृष्ठभूमि की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- रीतिकालीन कवियों के आचार्यत्व पर एक समीक्षात्मक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- रीतिकालीन प्रमुख प्रवृत्तियों की विवेचना कीजिए तथा तत्कालीन परिस्थितियों से उनका सामंजस्य स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- रीति से अभिप्राय स्पष्ट करते हुए रीतिकाल के नामकरण पर विचार कीजिए।
- प्रश्न- रीतिकालीन हिन्दी कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों या विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- रीतिकालीन रीतिमुक्त काव्यधारा के प्रमुख कवियों का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार दीजिए कि प्रत्येक कवि का वैशिष्ट्य उद्घाटित हो जाये।
- प्रश्न- आचार्य केशवदास का संक्षिप्त जीवन परिचय देते हुए उनकी काव्यगत विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- रीतिबद्ध काव्यधारा और रीतिमुक्त काव्यधारा में भेद स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- रीतिकाल की सामान्य विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- रीतिमुक्त कवियों की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- रीतिकाल के नामकरण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- रीतिकालीन साहित्य के स्रोत को संक्षेप में बताइये।
- प्रश्न- रीतिकालीन साहित्यिक ग्रन्थों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- रीतिकाल की सांस्कृतिक परिस्थितियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बिहारी के साहित्यिक व्यक्तित्व की संक्षेप मे विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- रीतिकालीन आचार्य कुलपति मिश्र के साहित्यिक जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- रीतिकालीन कवि बोधा के कवित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- रीतिकालीन कवि मतिराम के साहित्यिक जीवन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सन्त कवि रज्जब पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- आधुनिककाल की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, सन् 1857 ई. की राजक्रान्ति और पुनर्जागरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी नवजागरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के आधुनिककाल का प्रारम्भ कहाँ से माना जाये और क्यों?
- प्रश्न- आधुनिक काल के नामकरण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों की सोदाहरण विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु युगीन काव्य की भावगत एवं कलागत सौन्दर्य का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु युग की समय सीमा एवं प्रमुख साहित्यकारों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन काव्य की राजभक्ति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन काव्य का संक्षेप में मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन गद्यसाहित्य का संक्षेप में मूल्यांकान कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु युग की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- द्विवेदी युग का परिचय देते हुए इस युग के हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में योगदान की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- द्विवेदी युगीन काव्य की विशेषताओं का सोदाहरण मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- द्विवेदी युगीन हिन्दी कविता की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- द्विवेदी युग की छः प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- द्विवेदीयुगीन भाषा व कलात्मकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- छायावाद का अर्थ और स्वरूप परिभाषित कीजिए तथा बताइये कि इसका उद्भव किस परिवेश में हुआ?
- प्रश्न- छायावाद के प्रमुख कवि और उनके काव्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- छायावादी काव्य की मूलभूत विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- छायावादी रहस्यवादी काव्यधारा का संक्षिप्त उल्लेख करते हुए छायावाद के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- छायावादी युगीन काव्य में राष्ट्रीय काव्यधारा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'कवि 'कुछ ऐसी तान सुनाओ, जिससे उथल-पुथल मच जायें। स्वच्छन्दतावाद या रोमांटिसिज्म किसे कहते हैं?
- प्रश्न- छायावाद के रहस्यानुभूति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- छायावादी काव्य में अभिव्यक्त नारी सौन्दर्य एवं प्रेम चित्रण पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- छायावाद की काव्यगत विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- छायावादी काव्यधारा का क्यों पतन हुआ?
- प्रश्न- प्रगतिवाद के अर्थ एवं स्वरूप को स्पष्ट करते हुए प्रगतिवाद के राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक तथा साहित्यिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रगतिवादी काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोगवाद के नामकरण एवं स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए इसके उद्भव के कारणों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोगवाद की परिभाषा देते हुए उसकी साहित्यिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'नयी कविता' की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समसामयिक कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों का समीक्षात्मक परिचय दीजिए।
- प्रश्न- प्रगतिवाद का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- प्रगतिवाद की पाँच सामान्य विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- प्रयोगवाद का क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोगवाद और नई कविता क्या है?
- प्रश्न- 'नई कविता' से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- प्रयोगवाद और नयी कविता के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- समकालीन हिन्दी कविता तथा उनके कवियों के नाम लिखिए।
- प्रश्न- समकालीन कविता का संक्षिप्त परिचय दीजिए।