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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी प्रथम प्रश्नपत्र - हिन्दी काव्य का इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2677
आईएसबीएन :0

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हिन्दी काव्य का इतिहास

प्रश्न- सन्त काव्य परम्परा में कबीर के योगदान को स्पष्ट कीजिए।

अथवा
कबीर का समाज दर्शन भारतीय समाज में प्रचलित रूढ़ियों, पाखण्डों, शोषणों और अन्धविश्वासों के विरुद्ध संघर्ष में आज भी तीखा अस्त्र है। इस कथन की सोदाहरण व्याख्या कीजिए।
अथवा
सन्त साहित्य में कबीर के कृतित्व पर विचार कीजिए।

उत्तर -

सन्त कवि कबीर का सन्तकाव्य परम्परा में योगादन काव्य परम्परा में सभी कवि अपना-अपना महत्व रखते हैं किन्तु जो स्थान कबीर का है वह सर्वोपरि है। उन्होंने सन्तो के शिरोमणि बनकर हिन्दी कविता को नया मार्ग दिखाया, समाज को नई दिशा प्रदान की, धर्म को अन्धविश्वास और आडंबर से दूर किया, हिन्दू-मुस्लिम एकता का मार्ग प्रशस्त किया था तथा अपने क्रान्तिकारी, स्पष्टवादी, निर्भीक व्यक्तित्व से काव्य जीवन और समाज के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया। कबीर के जन्म के सम्बन्ध में अनेक मत है। हजारी प्रसाद द्विवेदी ने इनका जन्म संवत् 1456 ई. स्वीकार किया है। कुछ विद्वानों ने 1455 ई. को इनका जन्मदिन माना है। कबीर गृहस्थ थे, इनकी पत्नी का नाम लोई था। व्यक्तित्व से महात्मा परमसंतोषी, उदार हृदय, स्वतंत्र चेतना, सत्यवादी, अहिंसा के पुजारी, सुधारक और क्रान्तिकारी कबीर आज भी अपनी उपमा आप है।

डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी ने लिखा है कि, "कबीर सिर से पैर तक मस्त मौला, स्वभाव से फक्कड़ आदत से अख्खड़ भक्त के समान निरीह, दिल के साफ, दिमाग के दुरुस्त, भीतर से कोमल बाहर से कठोर, जन्म से अस्पृश्य और कर्म से वंदनीय थे। वे युगावतार की शक्ति और विश्वास लेकर पैदा हुए थे तथा युग प्रवृत्तक की दृढ़ता उनमें विद्यमान थी। इसलिए वे युग का प्रवर्तन कर सके। बीजक कबीर की प्रमाणिक कविता मानी जाती है। कुछ विद्वानों ने कबीर के ग्रन्थों की संख्या 57 से 61 तक मानी है। कबीर निराकारवादी थे और एकेश्वरवादी थे। नाम पंथियों के समान कबीर ने इन्द्रिय साधना, प्राण साधना और मनः साधना पर पर्याप्त बल दिया था। उनका सहज रूप की ओर झुकाव रामानन्द के प्रभाव के कारण था। कबीर ने अनन्य भाव से भक्ति की थी। उनमें कर्मकाण्ड के विधि-विधानों का और ब्राह्मचारों का न तो कोई विश्वास ही था न ही श्रद्धा। कबीर ने भक्ति मार्ग में बाधक कनक और कामिनी की आलोचना की। वे जात-पाँत और ऊँच-नीच के भेदभाव को नहीं मानते थे।' जाति-पाति पूछे नहि कोई, हरि को भजे सो हरि-होई" कहने वाले कबीर की भक्ति में प्रेमभावना भी विद्यमान थी। कबीर में जो प्रेम की मादकता मिलती है, उसे हम सूफियों की देन मान सकते हैं।

मध्यकाल में क्रान्ति पुरुष कबीर हिन्दी साहित्य में पहले रहस्यवादी कवि माने जाते हैं। उनका रहस्यवाद भावात्मक की उपेक्षा साधनात्मक अधिक था। इसका यह अर्थ नहीं है कि उनका काव्य भाव शून्य था अथवा नीरस था। उनकी साखियों में, पदों में और रमैनियों में अनेक ऐसे उदाहरण मौजूद हैं जो इन्हें भावुक और सरस कवि सिद्ध करते हैं। निश्चय ही कबीर के प्रणयात्मक चित्रों में शृंगार का स्वरूप चाहे लौकिक हो अथवा अलौकिक उसमें एक अनुपम रस है। कबीर के काव्य का सामाजिक पक्ष भी उल्लेखनीय है। यद्यपि वे भक्त थे, किन्तु फिर भी सुधारक और युग नेता के रूप भी भुलाया नहीं जा सकता है। कबीर ने सामाजिक अन्धविश्वासों को दूर किया। समाज में नई चेतना जगाई, भक्ति का मार्ग दिखाया तथा सांस्कृतिक एकता और विश्व मानवता का मार्ग प्रशस्त किया। जाति-भेद, वर्ण-भेद तथा ऊंच-नीच के भेद को दूर करने वाले कबीर सम्पूर्ण देश में एक मानव धर्म की स्थापना करना चाहते थे। वे धार्मिक आन्दोलनों को समझते हुए भी जनवादी चेतना के कवि है। डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी ने ठीक लिखा है कि "कबीर ऐसे ही मिलन बिन्दु पर खड़े थे जहाँ से एक ओर निर्गुण हिन्दुत्व निकल जाता है और दूसरी ओर मुसलमानत्व, जहाँ से एक ओर ज्ञान निकल जाता है और दूसरी ओर अशिक्षा, जहाँ पर एक ओर भक्ति मार्ग निकल जाता है और दूसरी ओर योग-मार्ग, जहाँ से एक ओर निर्गुण भावना निकल जाती है और दूसरी ओर सगुण साधना उसी प्रशस्त चौराहे पर खड़े थे। वे दोनों ओर देख सकते थे और परार विरुद्ध दिशा में गये हुए भागों के दोष गुण उन्हें स्पष्ट दिखाई दे रहे थे।"

कबीरदास ने एक साथ ही हिन्दुओं और मुसमलानों को फटकारा है। दोनों की क आलोचना की है। उन्होंने वर्णाश्रम व्यवस्था पर व्यंग्य किया है तथा लिखा है कि तुम किस प्रकार के. ब्राह्मण हो और किस प्रकार के शूद्र हो। तुम हमारे अन्दर किस प्रकार घृणित रक्त हो और किस प्रकार पवित्र दूध हो, समझ में नहीं आता है। डॉ. शिवदान सिंह चौहान के शब्दों में कह स हैं कि "कबीरदास ने मानव मात्र की समानता को सिद्धान्त के रूप में प्रचारित किया और ईश्वर क.. धर्मोपासना के लिए समान अधिकार की मांग की। विराट जन आन्दोलन के सबसे प्रमुख और कृटीनेता के रूप में कबीर ने अपने मुख से जो कहा उसमें हमें उस युग का पूरा चित्र पेलता ह और भविष्य के लिए जीवन संदेश भी। कबीर की यह मान्यता थी कि व्यक्ति समाज की एक इकाई है, निश्चय ही सच्चे मार्ग प्रदर्शन का श्रेय कबीर को प्राप्त है। यद्यपि कबीर के उपदेश धार्मिक सुधार तक ही सीमित थे तो भी भारतीय नवयुग के समाज सुधारकों में कबीर का स्थान प्रमुख है, क्योंकि भारतीय धर्म के अन्तर्गत दर्शन, नैतिक आचरण एवं कर्मकाण्ड तीनों को मिलाकर कबीर ने एक विशाल मानवीय मार्ग तैयार किया था।

निष्कर्ष - कबीर मूलतः सन्त धारक, समन्वयचेता, क्रान्तिकारी और स्पष्ट वक्ता तो थे ही, कवि भी थे। यह ठीक है कि उनका काव्य कलात्मक नहीं है, किन्तु यह भी ठीक है उन्होंने जो कुछ भी लिखा है वह अनुभव के आधार पर तथा प्रत्यक्ष बोध के आधार पर लिखा है। उनकी भाषा सरल, आकर्षक और बोलचाल की है। उनकी शैली में आक्रोश, क्रोध, विनयशीलता और सरसता सभी मिला हुआ है। आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने ठीक ही लिखा है कि, "हिन्दी साहित्य के 1000 वर्षों के इतिहास में कबीर जैसा व्यक्तित्व लेकर कोई लेखक उत्पन्न नहीं हुआ।' निश्चय ही कबीर का योगदान सन्त काव्य में सर्वोपरि है और यह न केवल सामाजिक है, अपितु धार्मिक, दार्शनिक साहित्यिक और मानवीय भी है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- इतिहास क्या है? इतिहास की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  2. प्रश्न- हिन्दी साहित्य का आरम्भ आप कब से मानते हैं और क्यों?
  3. प्रश्न- इतिहास दर्शन और साहित्येतिहास का संक्षेप में विश्लेषण कीजिए।
  4. प्रश्न- साहित्य के इतिहास के महत्व की समीक्षा कीजिए।
  5. प्रश्न- साहित्य के इतिहास के महत्व पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  6. प्रश्न- साहित्य के इतिहास के सामान्य सिद्धान्त का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  7. प्रश्न- साहित्य के इतिहास दर्शन पर भारतीय एवं पाश्चात्य दृष्टिकोण का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा का विश्लेषण कीजिए।
  9. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा का संक्षेप में परिचय देते हुए आचार्य शुक्ल के इतिहास लेखन में योगदान की समीक्षा कीजिए।
  10. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन के आधार पर एक विस्तृत निबन्ध लिखिए।
  11. प्रश्न- इतिहास लेखन की समस्याओं के परिप्रेक्ष्य में हिन्दी साहित्य इतिहास लेखन की समस्या का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- हिन्दी साहित्य इतिहास लेखन की पद्धतियों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  13. प्रश्न- सर जार्ज ग्रियर्सन के साहित्य के इतिहास लेखन पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
  14. प्रश्न- नागरी प्रचारिणी सभा काशी द्वारा 16 खंडों में प्रकाशित हिन्दी साहित्य के वृहत इतिहास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  15. प्रश्न- हिन्दी भाषा और साहित्य के प्रारम्भिक तिथि की समस्या पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  16. प्रश्न- साहित्यकारों के चयन एवं उनके जीवन वृत्त की समस्या का इतिहास लेखन पर पड़ने वाले प्रभाव का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- हिन्दी साहित्येतिहास काल विभाजन एवं नामकरण की समस्या का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास का काल विभाजन आप किस आधार पर करेंगे? आचार्य शुक्ल ने हिन्दी साहित्य के इतिहास का जो विभाजन किया है क्या आप उससे सहमत हैं? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
  19. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास में काल सीमा सम्बन्धी मतभेदों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- काल विभाजन की उपयोगिता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  21. प्रश्न- काल विभाजन की प्रचलित पद्धतियों को संक्षेप में लिखिए।
  22. प्रश्न- रासो काव्य परम्परा में पृथ्वीराज रासो का स्थान निर्धारित कीजिए।
  23. प्रश्न- रासो शब्द की व्युत्पत्ति बताते हुए रासो काव्य परम्परा की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए - (1) परमाल रासो (3) बीसलदेव रासो (2) खुमान रासो (4) पृथ्वीराज रासो
  25. प्रश्न- रासो ग्रन्थ की प्रामाणिकता पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  26. प्रश्न- विद्यापति भक्त कवि है या शृंगारी? पक्ष अथवा विपक्ष में तर्क दीजिए।
  27. प्रश्न- "विद्यापति हिन्दी परम्परा के कवि है, किसी अन्य भाषा के नहीं।' इस कथन की पुष्टि करते हुए उनकी काव्य भाषा का विश्लेषण कीजिए।
  28. प्रश्न- विद्यापति का जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  29. प्रश्न- लोक गायक जगनिक पर प्रकाश डालिए।
  30. प्रश्न- अमीर खुसरो के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
  31. प्रश्न- अमीर खुसरो की कविताओं में व्यक्त राष्ट्र-प्रेम की भावना लोक तत्व और काव्य सौष्ठव पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- चंदबरदायी का जीवन परिचय लिखिए।
  33. प्रश्न- अमीर खुसरो का संक्षित परिचय देते हुए उनके काव्य की विशेषताओं एवं पहेलियों का उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
  34. प्रश्न- अमीर खुसरो सूफी संत थे। इस आधार पर उनके व्यक्तित्व के विषय में आप क्या जानते हैं?
  35. प्रश्न- अमीर खुसरो के काल में भाषा का क्या स्वरूप था?
  36. प्रश्न- विद्यापति की भक्ति भावना का विवेचन कीजिए।
  37. प्रश्न- हिन्दी साहित्य की भक्तिकालीन परिस्थितियों की विवेचना कीजिए।
  38. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन के उदय के कारणों की समीक्षा कीजिए।
  39. प्रश्न- भक्तिकाल को हिन्दी साहित्य का स्वर्णयुग क्यों कहते हैं? सकारण उत्तर दीजिए।
  40. प्रश्न- सन्त काव्य परम्परा में कबीर के योगदान को स्पष्ट कीजिए।
  41. प्रश्न- मध्यकालीन हिन्दी सन्त काव्य परम्परा का उल्लेख करते हुए प्रमुख सन्तों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  42. प्रश्न- हिन्दी में सूफी प्रेमाख्यानक परम्परा का उल्लेख करते हुए उसमें मलिक मुहम्मद जायसी के पद्मावत का स्थान निरूपित कीजिए।
  43. प्रश्न- कबीर के रहस्यवाद की समीक्षात्मक आलोचना कीजिए।
  44. प्रश्न- महाकवि सूरदास के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की समीक्षा कीजिए।
  45. प्रश्न- भक्तिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ या विशेषताएँ बताइये।
  46. प्रश्न- भक्तिकाल में उच्चकोटि के काव्य रचना पर प्रकाश डालिए।
  47. प्रश्न- 'भक्तिकाल स्वर्णयुग है।' इस कथन की मीमांसा कीजिए।
  48. प्रश्न- जायसी की रचनाओं का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  49. प्रश्न- सूफी काव्य का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  50. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए -
  51. प्रश्न- तुलसीदास कृत रामचरितमानस पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  52. प्रश्न- गोस्वामी तुलसीदास के जीवन चरित्र एवं रचनाओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- प्रमुख निर्गुण संत कवि और उनके अवदान विवेचना कीजिए।
  54. प्रश्न- कबीर सच्चे माने में समाज सुधारक थे। स्पष्ट कीजिए।
  55. प्रश्न- सगुण भक्ति धारा से आप क्या समझते हैं? उसकी दो प्रमुख शाखाओं की पारस्परिक समानताओं-असमानताओं की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
  56. प्रश्न- रामभक्ति शाखा तथा कृष्णभक्ति शाखा का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
  57. प्रश्न- हिन्दी की निर्गुण और सगुण काव्यधाराओं की सामान्य विशेषताओं का परिचय देते हुए हिन्दी के भक्ति साहित्य के महत्व पर प्रकाश डालिए।
  58. प्रश्न- निर्गुण भक्तिकाव्य परम्परा में ज्ञानाश्रयी शाखा के कवियों के काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
  59. प्रश्न- कबीर की भाषा 'पंचमेल खिचड़ी' है। सउदाहरण स्पष्ट कीजिए।
  60. प्रश्न- निर्गुण भक्ति शाखा एवं सगुण भक्ति काव्य का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
  61. प्रश्न- रीतिकालीन ऐतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनैतिक पृष्ठभूमि की समीक्षा कीजिए।
  62. प्रश्न- रीतिकालीन कवियों के आचार्यत्व पर एक समीक्षात्मक निबन्ध लिखिए।
  63. प्रश्न- रीतिकालीन प्रमुख प्रवृत्तियों की विवेचना कीजिए तथा तत्कालीन परिस्थितियों से उनका सामंजस्य स्थापित कीजिए।
  64. प्रश्न- रीति से अभिप्राय स्पष्ट करते हुए रीतिकाल के नामकरण पर विचार कीजिए।
  65. प्रश्न- रीतिकालीन हिन्दी कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों या विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  66. प्रश्न- रीतिकालीन रीतिमुक्त काव्यधारा के प्रमुख कवियों का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार दीजिए कि प्रत्येक कवि का वैशिष्ट्य उद्घाटित हो जाये।
  67. प्रश्न- आचार्य केशवदास का संक्षिप्त जीवन परिचय देते हुए उनकी काव्यगत विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  68. प्रश्न- रीतिबद्ध काव्यधारा और रीतिमुक्त काव्यधारा में भेद स्पष्ट कीजिए।
  69. प्रश्न- रीतिकाल की सामान्य विशेषताएँ बताइये।
  70. प्रश्न- रीतिमुक्त कवियों की विशेषताएँ बताइये।
  71. प्रश्न- रीतिकाल के नामकरण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  72. प्रश्न- रीतिकालीन साहित्य के स्रोत को संक्षेप में बताइये।
  73. प्रश्न- रीतिकालीन साहित्यिक ग्रन्थों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  74. प्रश्न- रीतिकाल की सांस्कृतिक परिस्थितियों पर प्रकाश डालिए।
  75. प्रश्न- बिहारी के साहित्यिक व्यक्तित्व की संक्षेप मे विवेचना कीजिए।
  76. प्रश्न- रीतिकालीन आचार्य कुलपति मिश्र के साहित्यिक जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  77. प्रश्न- रीतिकालीन कवि बोधा के कवित्व पर प्रकाश डालिए।
  78. प्रश्न- रीतिकालीन कवि मतिराम के साहित्यिक जीवन पर प्रकाश डालिए।
  79. प्रश्न- सन्त कवि रज्जब पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- आधुनिककाल की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, सन् 1857 ई. की राजक्रान्ति और पुनर्जागरण की व्याख्या कीजिए।
  81. प्रश्न- हिन्दी नवजागरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  82. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के आधुनिककाल का प्रारम्भ कहाँ से माना जाये और क्यों?
  83. प्रश्न- आधुनिक काल के नामकरण पर प्रकाश डालिए।
  84. प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों की सोदाहरण विवेचना कीजिए।
  85. प्रश्न- भारतेन्दु युगीन काव्य की भावगत एवं कलागत सौन्दर्य का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- भारतेन्दु युग की समय सीमा एवं प्रमुख साहित्यकारों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  87. प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन काव्य की राजभक्ति पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन काव्य का संक्षेप में मूल्यांकन कीजिए।
  89. प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन गद्यसाहित्य का संक्षेप में मूल्यांकान कीजिए।
  90. प्रश्न- भारतेन्दु युग की विशेषताएँ बताइये।
  91. प्रश्न- द्विवेदी युग का परिचय देते हुए इस युग के हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में योगदान की समीक्षा कीजिए।
  92. प्रश्न- द्विवेदी युगीन काव्य की विशेषताओं का सोदाहरण मूल्यांकन कीजिए।
  93. प्रश्न- द्विवेदी युगीन हिन्दी कविता की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
  94. प्रश्न- द्विवेदी युग की छः प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
  95. प्रश्न- द्विवेदीयुगीन भाषा व कलात्मकता पर प्रकाश डालिए।
  96. प्रश्न- छायावाद का अर्थ और स्वरूप परिभाषित कीजिए तथा बताइये कि इसका उद्भव किस परिवेश में हुआ?
  97. प्रश्न- छायावाद के प्रमुख कवि और उनके काव्यों पर प्रकाश डालिए।
  98. प्रश्न- छायावादी काव्य की मूलभूत विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
  99. प्रश्न- छायावादी रहस्यवादी काव्यधारा का संक्षिप्त उल्लेख करते हुए छायावाद के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
  100. प्रश्न- छायावादी युगीन काव्य में राष्ट्रीय काव्यधारा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  101. प्रश्न- 'कवि 'कुछ ऐसी तान सुनाओ, जिससे उथल-पुथल मच जायें। स्वच्छन्दतावाद या रोमांटिसिज्म किसे कहते हैं?
  102. प्रश्न- छायावाद के रहस्यानुभूति पर प्रकाश डालिए।
  103. प्रश्न- छायावादी काव्य में अभिव्यक्त नारी सौन्दर्य एवं प्रेम चित्रण पर टिप्पणी कीजिए।
  104. प्रश्न- छायावाद की काव्यगत विशेषताएँ बताइये।
  105. प्रश्न- छायावादी काव्यधारा का क्यों पतन हुआ?
  106. प्रश्न- प्रगतिवाद के अर्थ एवं स्वरूप को स्पष्ट करते हुए प्रगतिवाद के राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक तथा साहित्यिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  107. प्रश्न- प्रगतिवादी काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियों का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- प्रयोगवाद के नामकरण एवं स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए इसके उद्भव के कारणों का विश्लेषण कीजिए।
  109. प्रश्न- प्रयोगवाद की परिभाषा देते हुए उसकी साहित्यिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  110. प्रश्न- 'नयी कविता' की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  111. प्रश्न- समसामयिक कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों का समीक्षात्मक परिचय दीजिए।
  112. प्रश्न- प्रगतिवाद का परिचय दीजिए।
  113. प्रश्न- प्रगतिवाद की पाँच सामान्य विशेषताएँ लिखिए।
  114. प्रश्न- प्रयोगवाद का क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए।
  115. प्रश्न- प्रयोगवाद और नई कविता क्या है?
  116. प्रश्न- 'नई कविता' से क्या तात्पर्य है?
  117. प्रश्न- प्रयोगवाद और नयी कविता के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
  118. प्रश्न- समकालीन हिन्दी कविता तथा उनके कवियों के नाम लिखिए।
  119. प्रश्न- समकालीन कविता का संक्षिप्त परिचय दीजिए।

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