बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी प्रथम प्रश्नपत्र - हिन्दी काव्य का इतिहास एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी प्रथम प्रश्नपत्र - हिन्दी काव्य का इतिहाससरल प्रश्नोत्तर समूह
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हिन्दी काव्य का इतिहास
प्रश्न- लोक गायक जगनिक पर प्रकाश डालिए।
उत्तर -
जगनिक हिन्दी साहित्य का एक विलक्षण कवि है। 'लीक छोड़ तीनहिं चले, शायर, सिंह, सपूत' के अनुरूप यह परंपरा का निर्वाह करते हुए भी परंपरा से हटकर तथा परंपरा से ऊपर है। हिन्दी साहित्य के इतिहास में काल-क्रम की दृष्टि से वह आदिकाल, जिसे वीरगाथा काल अथवा चारण काल भी कहते हैं, का कवि है। उस कालखंड के कवि राज्याश्रित रहकर प्राय: अपने आश्रयदाता की प्रशस्ति में काव्य-रचना करते थे। सम्राट पृथ्वीराज चौहान का राजकवि चंदबरदाई उसकी प्रशस्ति में पृथ्वीराज रासो लिखता है तो अन्य अनेक कवि भी उसी परंपरा में हैं किन्तु जगनिक उस वीरगाथा की प्रशस्ति-परंपरा का निर्वाह करने के साथ, परंपरा से हटकर अपने आश्रयदाता की प्रशस्ति में काव्य-रचना नहीं करता है; जबकि उसका आश्रयदाता यशस्वी चंदेल नरेश था जिसे 'महाराजाधिराज परम भट्टारक परमेश्वर परम माहेश्वर' की उपाधि प्राप्त थी तथा जिसकी प्रशंसा में लिखी गई अनेक कविताएँ हिन्दी तथा संस्कृत में, तत्कालीन अनेक शिलालेखों पर अंकित होकर इतिहास का अंग बन गई हैं। उसने उस युग के अपराजेय योद्धा' आल्हा' को चरित बनाकर महाकाव्य रचा था। वह आल्हा भी कोई क्षत्रिय वीर या राजकुमार नहीं, एक उपेक्षित जाति 'ओछी जाति बनाफर क्यार' का, सामान्य वर्ग का प्रतिनिधि था। उसने आल्हा के सहयोगी पात्रों में उसके छोटे भाई ऊदल, मलखान, माहिलपुत्र अभयी सांप्रदायिक सौहार्द के प्रतीक सैयद काका तथा प्रेरक महिला चरित्रों के रूप में मल्हना, फुलवा, बेला, कुसमा एवं गजमोतिन का चयन एवं सृजन कर उनकी प्रशंसा की तथा यह संकेत दिया कि श्रेष्ठ समाज के चयन एवं सृजन कर उनकी प्रशंसा की तथा यह संकेत दिया कि श्रेष्ठ समाज के निर्माण में सामान्यजनों तथा महिलाओं की भी महती भूमिका है। उन्हें उसी रूप में साहित्य में प्रतिष्ठित किया जाना अपेक्षित है। जगनिक की यह विशेषता उसे, अन्य राज्याश्रित कवियों की तुलना में, उच्च पद पर प्रतिष्ठित कर देती है जिसमें भूषण तथा लाल कवि भी उससे पीछे छूट जाते हैं। तब से आज तक वह सत्ता के गलियारों में भटकने वाले चारण- साहित्यकारों के लिए चुनौती भी देती है, प्रेरणास्रोत भी। शौर्य तथा शृंगार के इस अद्भुत लोकगायक जगनिक के आल्हा लोकमहाकाव्य की लोकप्रियता गाँवों और झोपड़ियों में रहने वाले निरक्षर-अनपढ़-सामान्यजन से लेकर देश-विदेश के साहित्य- पारखियों तक है। इसका साहित्य गाँवों की चौपालों का श्रृंगार, गायकों का कंठहार तथा देशप्रेम जगाने वालों को वाणी का ओजस्वी उपहार है। चंदेलकालीन इतिहास-संस्कृति के विशेषज्ञ केशव चंद्र मिश्र उसे 'लोकाकाव्य का नेता' तथा 'हिंदी का आर्थर किंग' की संज्ञा से विभूषित करते हैं, कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय का विदुषी प्रोफेसर डॉ. कैरीन शोमर 'होमर' की श्रेणी में परिगणित करती हैं। उसकी लोकप्रियता से प्रभावित चार्ल्स इलियट उसे प्रथम बार लिपिबद्ध कराकर 'अमरत्व' दिलाते हैं तो स्थान-स्थान पर साहित्य के पथ-बिंदु ढूँढ़ने वाले अनेक अंग्रेज साहित्यकार तथा इतिहासकार यथा जार्ज ग्रियर्सन, विसेंट स्मिथ, वाटरफील्ड उसके काव्य को अंग्रेजी में अनूदित कर सुप्रसारित पत्रिकाओं के माध्यम से उसे विश्व-फलक पर प्रतिष्ठित करते हैं। फिलिप लुफांते (शिकागो विश्वविद्यालय) ने भी इस पर शोध कार्य करके उसे वैश्विक अध्येताओं की दृष्टि में उठाया। भारतीय विद्वान, विशेषकर हिंदी साहित्य के सभी इतिहास लेखक उसका यथेष्ट उल्लेख कर उस पर शोध कार्य करके उसे वैश्विक अध्येताओं की दृष्टि में उठाया। भारतीय विद्वान, विशेषकर हिंदी साहित्य के सभी इतिहास लेखक उसका यथेष्ट उल्लेख करते हैं। उस पर अनेक शोध कार्य भी हुए हैं।
आल्हा एक ऐसा महाकाव्य है जिसकी एक भी प्रामाणिक हस्तलिपि प्राप्त न होने पर भी जनता तथा गायकों के मध्य अति लोकप्रियता के कारण आठ सौ वर्षों की अधिक अवधि के लोककंठ तथा लोकमुख में जीवित है। उसका काव्य क्षेत्रीय सीमाओं को लाँघकर सार्वभौमिक हो गया है। भारतीय साहित्य में लोक-व्याप्ति की दृष्टि से 'तुलसी' के बाद 'जगनिक' का नाम लिया जा सकता है।
लोकमान्यताओं के अनुसार आल्हा काव्य के रचयिता जगनिक थे। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार, "ऐसा प्रसिद्ध है कि कालिंजर के राजा परमाल के यहाँ जगनिक नामक भाट थे जिन्होंने महोबा के दो देश प्रसिद्ध वीरों आल्हा तथा ऊदल के वीर चरित का वर्णन कर एक वीर गीतात्मक काव्य के रूप में लिखा था, जो इतना लोकप्रिय हुआ कि उसके वीरगीतों का प्रचार क्रमश: सारे उत्तरी भारत में, विशेषत: उन प्रदेशों में जो कन्नौज के साम्राज्यांतर्गत थे, हो गया। जगनिक के काव्य का आज कहीं पता नहीं है, पर उसके आधार पर प्रचलित गीत हिन्दी भाषी प्रांतों के गाँव-गाँव में सुनाई पड़ते हैं। ये गीत आल्हा के नाम से प्रसिद्ध हैं और बरसात में गाए जाते हैं। .... साहित्य के रूप में न रहने पर भी जनता के कंठ में जगनिक के संगीत की वीरदर्पपूर्ण प्रतिध्वनि अनेक बल खाती हुई अब तक चली आ रही है।"
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- प्रश्न- इतिहास क्या है? इतिहास की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य का आरम्भ आप कब से मानते हैं और क्यों?
- प्रश्न- इतिहास दर्शन और साहित्येतिहास का संक्षेप में विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- साहित्य के इतिहास के महत्व की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- साहित्य के इतिहास के महत्व पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- साहित्य के इतिहास के सामान्य सिद्धान्त का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- साहित्य के इतिहास दर्शन पर भारतीय एवं पाश्चात्य दृष्टिकोण का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा का संक्षेप में परिचय देते हुए आचार्य शुक्ल के इतिहास लेखन में योगदान की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन के आधार पर एक विस्तृत निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- इतिहास लेखन की समस्याओं के परिप्रेक्ष्य में हिन्दी साहित्य इतिहास लेखन की समस्या का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य इतिहास लेखन की पद्धतियों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सर जार्ज ग्रियर्सन के साहित्य के इतिहास लेखन पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- नागरी प्रचारिणी सभा काशी द्वारा 16 खंडों में प्रकाशित हिन्दी साहित्य के वृहत इतिहास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- हिन्दी भाषा और साहित्य के प्रारम्भिक तिथि की समस्या पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- साहित्यकारों के चयन एवं उनके जीवन वृत्त की समस्या का इतिहास लेखन पर पड़ने वाले प्रभाव का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्येतिहास काल विभाजन एवं नामकरण की समस्या का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास का काल विभाजन आप किस आधार पर करेंगे? आचार्य शुक्ल ने हिन्दी साहित्य के इतिहास का जो विभाजन किया है क्या आप उससे सहमत हैं? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास में काल सीमा सम्बन्धी मतभेदों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- काल विभाजन की उपयोगिता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- काल विभाजन की प्रचलित पद्धतियों को संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- रासो काव्य परम्परा में पृथ्वीराज रासो का स्थान निर्धारित कीजिए।
- प्रश्न- रासो शब्द की व्युत्पत्ति बताते हुए रासो काव्य परम्परा की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए - (1) परमाल रासो (3) बीसलदेव रासो (2) खुमान रासो (4) पृथ्वीराज रासो
- प्रश्न- रासो ग्रन्थ की प्रामाणिकता पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्यापति भक्त कवि है या शृंगारी? पक्ष अथवा विपक्ष में तर्क दीजिए।
- प्रश्न- "विद्यापति हिन्दी परम्परा के कवि है, किसी अन्य भाषा के नहीं।' इस कथन की पुष्टि करते हुए उनकी काव्य भाषा का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति का जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लोक गायक जगनिक पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो की कविताओं में व्यक्त राष्ट्र-प्रेम की भावना लोक तत्व और काव्य सौष्ठव पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चंदबरदायी का जीवन परिचय लिखिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो का संक्षित परिचय देते हुए उनके काव्य की विशेषताओं एवं पहेलियों का उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो सूफी संत थे। इस आधार पर उनके व्यक्तित्व के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- अमीर खुसरो के काल में भाषा का क्या स्वरूप था?
- प्रश्न- विद्यापति की भक्ति भावना का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य की भक्तिकालीन परिस्थितियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भक्ति आन्दोलन के उदय के कारणों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- भक्तिकाल को हिन्दी साहित्य का स्वर्णयुग क्यों कहते हैं? सकारण उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- सन्त काव्य परम्परा में कबीर के योगदान को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मध्यकालीन हिन्दी सन्त काव्य परम्परा का उल्लेख करते हुए प्रमुख सन्तों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी में सूफी प्रेमाख्यानक परम्परा का उल्लेख करते हुए उसमें मलिक मुहम्मद जायसी के पद्मावत का स्थान निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- कबीर के रहस्यवाद की समीक्षात्मक आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- महाकवि सूरदास के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- भक्तिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ या विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भक्तिकाल में उच्चकोटि के काव्य रचना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'भक्तिकाल स्वर्णयुग है।' इस कथन की मीमांसा कीजिए।
- प्रश्न- जायसी की रचनाओं का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सूफी काव्य का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए -
- प्रश्न- तुलसीदास कृत रामचरितमानस पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- गोस्वामी तुलसीदास के जीवन चरित्र एवं रचनाओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रमुख निर्गुण संत कवि और उनके अवदान विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कबीर सच्चे माने में समाज सुधारक थे। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सगुण भक्ति धारा से आप क्या समझते हैं? उसकी दो प्रमुख शाखाओं की पारस्परिक समानताओं-असमानताओं की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- रामभक्ति शाखा तथा कृष्णभक्ति शाखा का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी की निर्गुण और सगुण काव्यधाराओं की सामान्य विशेषताओं का परिचय देते हुए हिन्दी के भक्ति साहित्य के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निर्गुण भक्तिकाव्य परम्परा में ज्ञानाश्रयी शाखा के कवियों के काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कबीर की भाषा 'पंचमेल खिचड़ी' है। सउदाहरण स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निर्गुण भक्ति शाखा एवं सगुण भक्ति काव्य का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- रीतिकालीन ऐतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनैतिक पृष्ठभूमि की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- रीतिकालीन कवियों के आचार्यत्व पर एक समीक्षात्मक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- रीतिकालीन प्रमुख प्रवृत्तियों की विवेचना कीजिए तथा तत्कालीन परिस्थितियों से उनका सामंजस्य स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- रीति से अभिप्राय स्पष्ट करते हुए रीतिकाल के नामकरण पर विचार कीजिए।
- प्रश्न- रीतिकालीन हिन्दी कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों या विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- रीतिकालीन रीतिमुक्त काव्यधारा के प्रमुख कवियों का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार दीजिए कि प्रत्येक कवि का वैशिष्ट्य उद्घाटित हो जाये।
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- प्रश्न- रीतिबद्ध काव्यधारा और रीतिमुक्त काव्यधारा में भेद स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- रीतिकाल की सामान्य विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- रीतिमुक्त कवियों की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- रीतिकाल के नामकरण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
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- प्रश्न- रीतिकालीन साहित्यिक ग्रन्थों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- रीतिकाल की सांस्कृतिक परिस्थितियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बिहारी के साहित्यिक व्यक्तित्व की संक्षेप मे विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- रीतिकालीन आचार्य कुलपति मिश्र के साहित्यिक जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
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- प्रश्न- रीतिकालीन कवि मतिराम के साहित्यिक जीवन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सन्त कवि रज्जब पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- आधुनिककाल की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, सन् 1857 ई. की राजक्रान्ति और पुनर्जागरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी नवजागरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के आधुनिककाल का प्रारम्भ कहाँ से माना जाये और क्यों?
- प्रश्न- आधुनिक काल के नामकरण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों की सोदाहरण विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु युगीन काव्य की भावगत एवं कलागत सौन्दर्य का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु युग की समय सीमा एवं प्रमुख साहित्यकारों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन काव्य की राजभक्ति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन काव्य का संक्षेप में मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन गद्यसाहित्य का संक्षेप में मूल्यांकान कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु युग की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- द्विवेदी युग का परिचय देते हुए इस युग के हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में योगदान की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- द्विवेदी युगीन काव्य की विशेषताओं का सोदाहरण मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- द्विवेदी युगीन हिन्दी कविता की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- द्विवेदी युग की छः प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- द्विवेदीयुगीन भाषा व कलात्मकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- छायावाद का अर्थ और स्वरूप परिभाषित कीजिए तथा बताइये कि इसका उद्भव किस परिवेश में हुआ?
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- प्रश्न- छायावादी काव्य की मूलभूत विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- छायावादी रहस्यवादी काव्यधारा का संक्षिप्त उल्लेख करते हुए छायावाद के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- छायावादी युगीन काव्य में राष्ट्रीय काव्यधारा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'कवि 'कुछ ऐसी तान सुनाओ, जिससे उथल-पुथल मच जायें। स्वच्छन्दतावाद या रोमांटिसिज्म किसे कहते हैं?
- प्रश्न- छायावाद के रहस्यानुभूति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- छायावादी काव्य में अभिव्यक्त नारी सौन्दर्य एवं प्रेम चित्रण पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- छायावाद की काव्यगत विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- छायावादी काव्यधारा का क्यों पतन हुआ?
- प्रश्न- प्रगतिवाद के अर्थ एवं स्वरूप को स्पष्ट करते हुए प्रगतिवाद के राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक तथा साहित्यिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रगतिवादी काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोगवाद के नामकरण एवं स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए इसके उद्भव के कारणों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोगवाद की परिभाषा देते हुए उसकी साहित्यिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'नयी कविता' की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समसामयिक कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों का समीक्षात्मक परिचय दीजिए।
- प्रश्न- प्रगतिवाद का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- प्रगतिवाद की पाँच सामान्य विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- प्रयोगवाद का क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोगवाद और नई कविता क्या है?
- प्रश्न- 'नई कविता' से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- प्रयोगवाद और नयी कविता के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- समकालीन हिन्दी कविता तथा उनके कवियों के नाम लिखिए।
- प्रश्न- समकालीन कविता का संक्षिप्त परिचय दीजिए।