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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी प्रथम प्रश्नपत्र - हिन्दी काव्य का इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2677
आईएसबीएन :0

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हिन्दी काव्य का इतिहास

प्रश्न- 'नयी कविता' की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

अथवा
'नई कविता' की विशेषताएँ बताइये।
अथवा
'नई कविता' की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।

उत्तर -

नयी कविता की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं -

(1) मानवतावाद - नयी कविता की मूल प्रेरणा मानव है। इसकी संवेदना मानवमात्र तक व्याप्त है। आज जब विश्व में शोषण की प्रवृत्ति का प्रधान्य है, वर्ग समाज का अभिशाप तीव्रता की ओर है। जनता की मुसीबत भेदन और चीत्कार से मदोन्मत्त राष्ट्र सौदेबाजी की ताक में ऐसे वर्ग संघर्ष एवं शोषण के युग में मानव के प्रति अपार सम्मान जागृत करना नयी कविता की प्रमुख प्रवृत्ति है। नयी कविता मानवता और कविता की अनेक तरंगें उठी। नूतन यथार्थ आत्माभिव्यक्ति तथा व्यक्ति की सही स्वतंत्र चेतनावाद का रूप ग्रहण कर लेती है।

नयी कविता में मानवमात्र के प्रति स्वस्थ दृष्टिकोण जगाता हुआ कवि कहता है -

"जीवन है कुछ इतना विराट इतना व्यापक
उसमें है सबके लिए जगह सबका महत्व

(2) नयी कविता में क्षणवाद - समाज का 'लघु मानव' को अपनी मापदण्ड बनाकर चलती है। युग चेतना की उपेक्षा अनुभूत यथार्थ को भी महत्व देती है तथा समय की इकाई क्षण को भी पूरी गरिमा से स्वीकार करती है। जीवन के प्रत्येक क्षण में कोई न कोई अनुभूति जागती है।

क्षण का बोध आधुनिक मानव के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व है। क्षण में जीने और क्षण के स्वीकार करने में ही उसका जीवन है।

क्षण की महत्ता के प्रति आज का कवि अत्यन्त सजग है -

'एक क्षणः क्षण में प्रवाहमान व्याप्त सम्पूर्णता।
इसमें कदापि बड़ा नहीं था महाम्भुविधि जो प्रिया था अगत्स्य ने।'

(3) नयी कविता में लघु मानव की प्रतिष्ठा - लघु मानव नयी कविता का एक शोध है। लघु मानव की सोचनीय अभिव्यक्ति पर व्यग्र होकर नयी कविता के प्रतिमान में लक्ष्मीकान्त वर्मा ने लघु मानव की लघुता को व्यापक महता के संदर्भों में संलग्न किया है। वे 'लघु मानव' के लघु परिवेश • और लघु सीमा को पुन्स्वत्वहीन और निष्क्रिय मानते हैं।

'लघु मानव' को परिभाषित करते हुए 'शिवदान सिंह चौहान ने कहा है कि "एक परिवेश गलित व्यक्तित्वहीन, अनैतिक, क्षुद्र, यथार्थवादी, चिड़चिड़ा, कुण्ठित, निराशाग्रस्त, सैक्स का पुजारी, खोखली हंसी और मिथ्या रोब का मुखौटा लगाए रहने वाला मानव मूल्यहीन प्राणी है। नयी कविता का साहित्यकार कुण्ठा - जन्य असमर्थता का आभास देता हुआ कहता है -

"अपनी कुण्ठाओं की
दीवारों में बन्दी, मैं घुटता हूँ।'

लघु मानव के स्वरूप की प्रतिष्ठा कवि के स्वरों में अवलोक्य है -

"और तब मेरी अपनी लघु स्थिति में
वह सब कुछ है जो ऋगु है, पावन है, मंगल है, शुभ है।
किन्तु वह भी है, गौरव है, गलित, विभत्स, कुरूप अपरूप है।'

(4) नयी कविता के आस्था के स्वर - आस्था नई कविता की आधारभूति है। नई कविता का साध्य नया मानव और मानव का यथार्थ जीवन है। अधर आशा लौ की भांति मानव को जीवित रखने की एकमात्र सम्बल है।

द्वितीय सप्तक के कवियों में आस्था और विश्वास के स्वर तीव्रता से झंकृत होते हैं। आधुनिक बिखराव और अनास्था पर विजय होने के स्वर देखिए -

"मनुज चल सके इसलिए तो अंधकार में सूर्य चल रहा।
जहाँ गया मनु- पुत्र नदी ने जल पहुँचाया।
रत्न भरा धरा ने मानव को शत शत हीरों से लादा।
मनुज चला तो सृष्टि चली, अन्यथा पूर्व थी प्रकृति मात्र '

आस्था और विश्वास के स्वर प्रस्तुत उदाहरण में भी -

" कल्पने निराशिनी, मगर सुनो नवीन स्वर
सुनो सुनो नवीन स्वर, विशाल वक्ष ठोंक कर
हैं दृष्टव्यसुदूर भूमि में तुम्हें जवान कवि पुकारता, लौट बन्धन तोड़कर
बेड़ियां झंझोड़कर, नवीन राष्ट्र की नवीन कल्पना संवारता ॥'

(5) अनुभूति की सच्चाई या संवेदना की कविता - नई कविता जीवन के भोगे हुए प्रत्येक गहरे क्षण को आन्तरिकता के साथ ग्रहण करना चाहती है। क्षणों की अनुभूतियों को प्रस्तुत करने वाली कविताएँ लघु होने पर भी प्रभावकारी व्यंजना करने में सक्षम हैं। नये कवि की अनुभूति की सच्चाई और गहराई में उसकी महान शक्ति निहित है। नये कवि को आज का मानव गुण-दोषों, पाप-पुण्यों एवं राग-द्वेषों के साथ स्वीकार्य है।

"मैं जिन्दगी का मुसाफिर हूँ, उस बेलोस जिन्दगी का
जो अपनी लाश की
पसलियों पर पांव रखकर उहाके मारती है
और फिर दौड़कर
अपने ही अजात शिशु के कपोलों को चूम लेती है।

(6) शिल्प विधान - नये भाव बोधों एवं नूतन शिल्प प्रयोगों के योग से निर्मित नयी कविता अपरिचित और नयी प्रतीत होती है। उसकी नवीनता का आत्म-साक्षात्कार उपलब्ध है।

लक्ष्मीकान्त वर्मा के शब्दों में, “आत्म-साक्षात्कार के कारण नयी कविता शिल्पगत रूढ़ियों और प्रयोगों की अपेक्षा वस्तुगत अनुभूति की कुंठारहित अभिव्यक्ति है। उसके भाव लोक के आयाम काफी फैल गये हैं। विषय वैविध्य ने जो अनुभूति के असंख्य द्वार खोले हैं, शिल्प के क्षेत्र में जो नई उपलब्धियाँ हैं उसे तो स्वीकार करना ही होगा।' नूतन प्रयोग माध्यमों से पुराने शिल्प बन्धनों को तोड़ती हुई नयी कविता अपने तथ्य नये-नये ढंग से व्यक्त करती रही है। नन्द दुलारे बाजपेयी ने नयी कविता में शिल्प पक्ष के सभी अंकों का अभूतपूर्व विकास देखकर प्रयोग शिल्पी काव्य कहा है।

(7) नवीनता और परम्परा के प्रति आग्रह - नयी कविता नवीनता की प्रवृत्ति को लेकर अग्रसर हुई है। नयी कविता परम्परा और नैतिकता के राजमार्ग से हटकर स्वनिर्मित पथ पर चलने में संकल्पबद्ध है। नयी कविता का जन्म ही धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र में होने के कारण नयी पीढी के समन्वित क्रान्तिकारी भावों को समाहित किये हुए है। नई कविता का कवि अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए सजग है। नये कवि के लिए परम्पराएँ सदा से त्याज्य रही हैं। नयी कविता परम्परा के इस राय को स्वीकार करती है किन्तु नवीन युग के परिवेश से कदम मिलाकर जो मूल्य नहीं चल पाते उसके प्रति आक्रोश भी नये साहित्य में अभिव्यक्त होता है। पुरानी नैतिकता को ढोते ढोते कवि कितना टूट चुका है उसी के शब्दों में -

"मैं अधकुचला सिद्धार्थ हूँ, जिसने करी न कभी कोई यशोधरा
जिसका दिव्य स्वप्न,अमिताभ होने के पूर्व ही
नाली में जा गिरा।'

(8) नयी कविता में आत्म मुक्ति - नयी कविता में कवि का दर्शन आत्म-मुक्ति का है। ये मुक्ति लालसा जीवन का लक्षण है। नयी कविता अपने को छोटे-बड़े, देशी-विदेशी साहित्य एवं सामूहिक गुटबन्दी से बचाती हुई स्वयं के मुक्ति दर्शन में निमग्न है। डॉ. नगेन्द्र के अनुसार, "साहित्य अपने शुद्ध रूप में अहग का विसर्जन है।"

(9) प्रखर बौद्धिकता - नयी कविता का व्यक्ति बौद्धिक चेतना का हामी है। नया कवि अपने प्रबुद्ध व्यक्तित्व को समाज में वैशिष्टय न दिला पाने के कारण वह अत्यधिक कटु बन जाता है। सामाजिक विसंगतियाँ उसके चेतन व्यक्तित्व को इतना जागृत बना देती हैं कि वह अपने स्वाभिमान की रक्षा करते हुए जीना चाहता है। नयी कविता के सभी कवियों में बौद्धिकता के प्रति रुझान दृष्टिगत होता है।

(10) विषय और विधान की सूक्ष्मता - सौन्दर्य बोध के नये धरातल पर खड़े प्राचीन औ रूढ़िगत मूल्यों के बहिष्कारक नये कवियों ने अनुद्घाटित संवेदनों, अन्तर्दशाओं और विषयों को अपनी कविता में प्रमुखता दी है। नये विषयों की खोज, नूतनता, नये कवियों को देश-विदेश से, स्रोतों से आकर्षक विषयों, नयी व्याख्याओं और नयी उत्प्रेक्षाओं की ओर प्रेरित किया। फिर क्या थ विदेशी लोककथाएं एवं अंतर्राष्ट्रीय राजनीति की चहल-पहल भी कविता का अंग और विषय बनी!

विषय की दृष्टि से भी नयी कविता का नयापन है। नया कवि किस प्रकार यन्त्र चालित वर्तन व्यवस्था से निराश, खिन्न और विद्रूप हो रहे एक लिपिक का चित्रण करता है अव क्या है -

"भूल से मैं सिर छोड़ आया हूँ दफ्तर में
हाथ बस में ही टंगे रह गये
आंखें जरूर फाइलों में ही उलझ गईं।
मुंह टेलीफोन से ही चिपटा सटा होगा और
पैर हो न हो क्यू में रह गये हैं 
तभी तो मैं आज घर आया हूँ विदेह।'

(11) नयी कविता में व्यंग्यात्मकता - नया कवि स्वातन्त्र्य युग के समाज का एक सर्वाधिक प्रबुद्ध प्राणी है। सामाजिक वेदना और उसके यथार्थ को अनुभूति के स्तर पर जितनी सजीवता से भोगता, पिसता, छूटता और टूटता है। उतनी ही अधिक उसकी वाणी व्यंग्यपूर्ण बनती जा रही है। सामाजिक वैषम्य एवं रूढ़िवादी प्रवृत्तियों पर भी कवि ने तीखे व्यंग्य किये हैं। 'हितोपदेश : चार पात्र' में आधुनिक आडम्बरी सभ्यता पर प्रहार है। उदाहरणस्वरूप -

"अजीब यह बस्ती है, हर रस्सी यहाँ सांप हो जाती है
और हर सांप एक उलझी रस्सी-सा, मुरदा, महज मुरदा हो जाता है।'

सरकारी अफसरों पर कवि ने कितना करारा व्यंग्य किया है उसका कुछ अंश दृष्टव्य है -

"तुम गरीब पैदा हुए थे, बड़ी मुश्किल से पढ़ा-लिखा पांच साल पहले का तुम्हारा गिड़गिड़ाता चेहरा मुझे आज भी याद है।"

नई कविता का व्यंग्य एक विशिष्ट उपलब्धि के रूप में स्वीकार किया गया है।

(12) प्रतीक बिम्ब - कवियों की वाणी जब अपने मनोभावों को स्वरूप देने में असमर्थ हो जाती है तब प्रतीकों का स्फुरण होता है। नयी कविता में प्रतीक विचार हिन्दी कविता की नवीनतम उपलब्धि है। नयी कविता में जहां नये प्रतीकों का निर्माण हुआ है। वहाँ परम्परागत रूढ़ प्रतीकों का सृजन भी हुआ है। नयी कविता के साहित्य में प्रतीकों के भेद - प्राकृतिक प्रतीक, सांस्कृतिक प्रतीक, धार्मिक प्रतीक, ऐतिहासिक प्रतीक, साहित्यिक प्रतीक आदि सभी प्रकार के प्रतीकों को आधार बनाया है। प्राकृतिक प्रतीक का सौन्दर्य प्रस्तुत उदाहरण में दृष्टव्य है -

'अर्चना के धूप-सी गोद में लहरा गई।"

(13) बिम्ब विधान - नयी कविता में स्पर्शजन्य अनुभूति की संवेदनीयता चलते फिरते स्पर्शों के बिम्ब में ध्वनित है। एक उदाहरण दृष्टव्य है -

"लिपटा रजाई में
मोटे तकिये में धर कविता की काफी
ठंडक से अकड़ी उंगलियों से कलम पकड़
मैंने इस जीवन को गली-गली नापी।"

अनुभूति से बिम्ब का निकट सम्बन्ध होने के कारण कर बिम्ब, अनुभव बिम्ब, विचार बिम्ब, इन्द्रिय बिम्ब, मानस बिम्ब आदि सभी प्रकार के बिम्बों का चित्रण नई कविता में किया गया है।

निष्कर्ष रूप में हम कह सकते हैं कि नई कविता को भाषा - संक्रान्ति के सबसे कठिन दौर से गुजरना पड़ रहा है। नये कवियों के सामने सरलता और अर्थ है। गत दुरूहता दो धाराएँ हैं। कवियों ने सादगी और जन-भाषा को अपनी रचनाओं में प्रयोग किया है जैसे -

"भूल जाओ
कभी तुम सुन्दर थी।
इन फटे पपड़ाये अधरों पर कभी रस
छलक छलक पड़ता था।'

नयी कविता 'क्षणजीवी' लघु मानवों की कविता है। इसलिए उसकी शैली में वर्णन, विवेचन और उद्बोधन शैलियों का अभाव है। नयी कविता की शैली भावाभिव्यञ्जन और व्यंग्यात्मक है। नये कवियों ने मुक्तक छन्दों का प्रयोग किया है। मुक्तकों के कुछ नये रूप प्रकाश में आये हैं। इन्हें हम जापानी भाषा के हाइक छन्दों में लिखी गई हाइक कविता कह सकते हैं।

नयी कविता ने बदलते हुए युग बोध के अनुरूप भाषा और शिल्प के क्षेत्र में नयी खोज की है परम्परा प्राप्त नये शब्दों में नया अर्थ भरा है एवं जीवन-बोध एवं सौन्दर्य-बोध से सम्बन्धित मुहावरों को स्थान दिया गया है -

"यह झकाझक रात
चाँदनी उजली कि सुई में पिरों लो ताग
हो रही ताजी सफेदी नये चूने से
पुत रहे घर द्वार।'

इस प्रकार कविता में भाषा को उसके विशिष्ट संदर्भों में एक नया रूप, नया जीवन प्रदान करने का सफल प्रयास हो रहा है, जिसके कारण भाषा की शक्ति, गहनता और आन्तरिकता का विस्तार हो रहा है। भाषा का स्वरूप निखर रहा है। भविष्य की कविता के लिए यह शुभ संकेत है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- इतिहास क्या है? इतिहास की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  2. प्रश्न- हिन्दी साहित्य का आरम्भ आप कब से मानते हैं और क्यों?
  3. प्रश्न- इतिहास दर्शन और साहित्येतिहास का संक्षेप में विश्लेषण कीजिए।
  4. प्रश्न- साहित्य के इतिहास के महत्व की समीक्षा कीजिए।
  5. प्रश्न- साहित्य के इतिहास के महत्व पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  6. प्रश्न- साहित्य के इतिहास के सामान्य सिद्धान्त का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  7. प्रश्न- साहित्य के इतिहास दर्शन पर भारतीय एवं पाश्चात्य दृष्टिकोण का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा का विश्लेषण कीजिए।
  9. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा का संक्षेप में परिचय देते हुए आचार्य शुक्ल के इतिहास लेखन में योगदान की समीक्षा कीजिए।
  10. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन के आधार पर एक विस्तृत निबन्ध लिखिए।
  11. प्रश्न- इतिहास लेखन की समस्याओं के परिप्रेक्ष्य में हिन्दी साहित्य इतिहास लेखन की समस्या का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- हिन्दी साहित्य इतिहास लेखन की पद्धतियों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  13. प्रश्न- सर जार्ज ग्रियर्सन के साहित्य के इतिहास लेखन पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
  14. प्रश्न- नागरी प्रचारिणी सभा काशी द्वारा 16 खंडों में प्रकाशित हिन्दी साहित्य के वृहत इतिहास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  15. प्रश्न- हिन्दी भाषा और साहित्य के प्रारम्भिक तिथि की समस्या पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  16. प्रश्न- साहित्यकारों के चयन एवं उनके जीवन वृत्त की समस्या का इतिहास लेखन पर पड़ने वाले प्रभाव का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- हिन्दी साहित्येतिहास काल विभाजन एवं नामकरण की समस्या का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास का काल विभाजन आप किस आधार पर करेंगे? आचार्य शुक्ल ने हिन्दी साहित्य के इतिहास का जो विभाजन किया है क्या आप उससे सहमत हैं? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
  19. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास में काल सीमा सम्बन्धी मतभेदों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- काल विभाजन की उपयोगिता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  21. प्रश्न- काल विभाजन की प्रचलित पद्धतियों को संक्षेप में लिखिए।
  22. प्रश्न- रासो काव्य परम्परा में पृथ्वीराज रासो का स्थान निर्धारित कीजिए।
  23. प्रश्न- रासो शब्द की व्युत्पत्ति बताते हुए रासो काव्य परम्परा की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए - (1) परमाल रासो (3) बीसलदेव रासो (2) खुमान रासो (4) पृथ्वीराज रासो
  25. प्रश्न- रासो ग्रन्थ की प्रामाणिकता पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  26. प्रश्न- विद्यापति भक्त कवि है या शृंगारी? पक्ष अथवा विपक्ष में तर्क दीजिए।
  27. प्रश्न- "विद्यापति हिन्दी परम्परा के कवि है, किसी अन्य भाषा के नहीं।' इस कथन की पुष्टि करते हुए उनकी काव्य भाषा का विश्लेषण कीजिए।
  28. प्रश्न- विद्यापति का जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  29. प्रश्न- लोक गायक जगनिक पर प्रकाश डालिए।
  30. प्रश्न- अमीर खुसरो के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
  31. प्रश्न- अमीर खुसरो की कविताओं में व्यक्त राष्ट्र-प्रेम की भावना लोक तत्व और काव्य सौष्ठव पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- चंदबरदायी का जीवन परिचय लिखिए।
  33. प्रश्न- अमीर खुसरो का संक्षित परिचय देते हुए उनके काव्य की विशेषताओं एवं पहेलियों का उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
  34. प्रश्न- अमीर खुसरो सूफी संत थे। इस आधार पर उनके व्यक्तित्व के विषय में आप क्या जानते हैं?
  35. प्रश्न- अमीर खुसरो के काल में भाषा का क्या स्वरूप था?
  36. प्रश्न- विद्यापति की भक्ति भावना का विवेचन कीजिए।
  37. प्रश्न- हिन्दी साहित्य की भक्तिकालीन परिस्थितियों की विवेचना कीजिए।
  38. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन के उदय के कारणों की समीक्षा कीजिए।
  39. प्रश्न- भक्तिकाल को हिन्दी साहित्य का स्वर्णयुग क्यों कहते हैं? सकारण उत्तर दीजिए।
  40. प्रश्न- सन्त काव्य परम्परा में कबीर के योगदान को स्पष्ट कीजिए।
  41. प्रश्न- मध्यकालीन हिन्दी सन्त काव्य परम्परा का उल्लेख करते हुए प्रमुख सन्तों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  42. प्रश्न- हिन्दी में सूफी प्रेमाख्यानक परम्परा का उल्लेख करते हुए उसमें मलिक मुहम्मद जायसी के पद्मावत का स्थान निरूपित कीजिए।
  43. प्रश्न- कबीर के रहस्यवाद की समीक्षात्मक आलोचना कीजिए।
  44. प्रश्न- महाकवि सूरदास के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की समीक्षा कीजिए।
  45. प्रश्न- भक्तिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ या विशेषताएँ बताइये।
  46. प्रश्न- भक्तिकाल में उच्चकोटि के काव्य रचना पर प्रकाश डालिए।
  47. प्रश्न- 'भक्तिकाल स्वर्णयुग है।' इस कथन की मीमांसा कीजिए।
  48. प्रश्न- जायसी की रचनाओं का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  49. प्रश्न- सूफी काव्य का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  50. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए -
  51. प्रश्न- तुलसीदास कृत रामचरितमानस पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  52. प्रश्न- गोस्वामी तुलसीदास के जीवन चरित्र एवं रचनाओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- प्रमुख निर्गुण संत कवि और उनके अवदान विवेचना कीजिए।
  54. प्रश्न- कबीर सच्चे माने में समाज सुधारक थे। स्पष्ट कीजिए।
  55. प्रश्न- सगुण भक्ति धारा से आप क्या समझते हैं? उसकी दो प्रमुख शाखाओं की पारस्परिक समानताओं-असमानताओं की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
  56. प्रश्न- रामभक्ति शाखा तथा कृष्णभक्ति शाखा का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
  57. प्रश्न- हिन्दी की निर्गुण और सगुण काव्यधाराओं की सामान्य विशेषताओं का परिचय देते हुए हिन्दी के भक्ति साहित्य के महत्व पर प्रकाश डालिए।
  58. प्रश्न- निर्गुण भक्तिकाव्य परम्परा में ज्ञानाश्रयी शाखा के कवियों के काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
  59. प्रश्न- कबीर की भाषा 'पंचमेल खिचड़ी' है। सउदाहरण स्पष्ट कीजिए।
  60. प्रश्न- निर्गुण भक्ति शाखा एवं सगुण भक्ति काव्य का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
  61. प्रश्न- रीतिकालीन ऐतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनैतिक पृष्ठभूमि की समीक्षा कीजिए।
  62. प्रश्न- रीतिकालीन कवियों के आचार्यत्व पर एक समीक्षात्मक निबन्ध लिखिए।
  63. प्रश्न- रीतिकालीन प्रमुख प्रवृत्तियों की विवेचना कीजिए तथा तत्कालीन परिस्थितियों से उनका सामंजस्य स्थापित कीजिए।
  64. प्रश्न- रीति से अभिप्राय स्पष्ट करते हुए रीतिकाल के नामकरण पर विचार कीजिए।
  65. प्रश्न- रीतिकालीन हिन्दी कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों या विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  66. प्रश्न- रीतिकालीन रीतिमुक्त काव्यधारा के प्रमुख कवियों का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार दीजिए कि प्रत्येक कवि का वैशिष्ट्य उद्घाटित हो जाये।
  67. प्रश्न- आचार्य केशवदास का संक्षिप्त जीवन परिचय देते हुए उनकी काव्यगत विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  68. प्रश्न- रीतिबद्ध काव्यधारा और रीतिमुक्त काव्यधारा में भेद स्पष्ट कीजिए।
  69. प्रश्न- रीतिकाल की सामान्य विशेषताएँ बताइये।
  70. प्रश्न- रीतिमुक्त कवियों की विशेषताएँ बताइये।
  71. प्रश्न- रीतिकाल के नामकरण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  72. प्रश्न- रीतिकालीन साहित्य के स्रोत को संक्षेप में बताइये।
  73. प्रश्न- रीतिकालीन साहित्यिक ग्रन्थों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  74. प्रश्न- रीतिकाल की सांस्कृतिक परिस्थितियों पर प्रकाश डालिए।
  75. प्रश्न- बिहारी के साहित्यिक व्यक्तित्व की संक्षेप मे विवेचना कीजिए।
  76. प्रश्न- रीतिकालीन आचार्य कुलपति मिश्र के साहित्यिक जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  77. प्रश्न- रीतिकालीन कवि बोधा के कवित्व पर प्रकाश डालिए।
  78. प्रश्न- रीतिकालीन कवि मतिराम के साहित्यिक जीवन पर प्रकाश डालिए।
  79. प्रश्न- सन्त कवि रज्जब पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- आधुनिककाल की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, सन् 1857 ई. की राजक्रान्ति और पुनर्जागरण की व्याख्या कीजिए।
  81. प्रश्न- हिन्दी नवजागरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  82. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के आधुनिककाल का प्रारम्भ कहाँ से माना जाये और क्यों?
  83. प्रश्न- आधुनिक काल के नामकरण पर प्रकाश डालिए।
  84. प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों की सोदाहरण विवेचना कीजिए।
  85. प्रश्न- भारतेन्दु युगीन काव्य की भावगत एवं कलागत सौन्दर्य का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- भारतेन्दु युग की समय सीमा एवं प्रमुख साहित्यकारों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  87. प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन काव्य की राजभक्ति पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन काव्य का संक्षेप में मूल्यांकन कीजिए।
  89. प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन गद्यसाहित्य का संक्षेप में मूल्यांकान कीजिए।
  90. प्रश्न- भारतेन्दु युग की विशेषताएँ बताइये।
  91. प्रश्न- द्विवेदी युग का परिचय देते हुए इस युग के हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में योगदान की समीक्षा कीजिए।
  92. प्रश्न- द्विवेदी युगीन काव्य की विशेषताओं का सोदाहरण मूल्यांकन कीजिए।
  93. प्रश्न- द्विवेदी युगीन हिन्दी कविता की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
  94. प्रश्न- द्विवेदी युग की छः प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
  95. प्रश्न- द्विवेदीयुगीन भाषा व कलात्मकता पर प्रकाश डालिए।
  96. प्रश्न- छायावाद का अर्थ और स्वरूप परिभाषित कीजिए तथा बताइये कि इसका उद्भव किस परिवेश में हुआ?
  97. प्रश्न- छायावाद के प्रमुख कवि और उनके काव्यों पर प्रकाश डालिए।
  98. प्रश्न- छायावादी काव्य की मूलभूत विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
  99. प्रश्न- छायावादी रहस्यवादी काव्यधारा का संक्षिप्त उल्लेख करते हुए छायावाद के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
  100. प्रश्न- छायावादी युगीन काव्य में राष्ट्रीय काव्यधारा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  101. प्रश्न- 'कवि 'कुछ ऐसी तान सुनाओ, जिससे उथल-पुथल मच जायें। स्वच्छन्दतावाद या रोमांटिसिज्म किसे कहते हैं?
  102. प्रश्न- छायावाद के रहस्यानुभूति पर प्रकाश डालिए।
  103. प्रश्न- छायावादी काव्य में अभिव्यक्त नारी सौन्दर्य एवं प्रेम चित्रण पर टिप्पणी कीजिए।
  104. प्रश्न- छायावाद की काव्यगत विशेषताएँ बताइये।
  105. प्रश्न- छायावादी काव्यधारा का क्यों पतन हुआ?
  106. प्रश्न- प्रगतिवाद के अर्थ एवं स्वरूप को स्पष्ट करते हुए प्रगतिवाद के राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक तथा साहित्यिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  107. प्रश्न- प्रगतिवादी काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियों का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- प्रयोगवाद के नामकरण एवं स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए इसके उद्भव के कारणों का विश्लेषण कीजिए।
  109. प्रश्न- प्रयोगवाद की परिभाषा देते हुए उसकी साहित्यिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  110. प्रश्न- 'नयी कविता' की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  111. प्रश्न- समसामयिक कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों का समीक्षात्मक परिचय दीजिए।
  112. प्रश्न- प्रगतिवाद का परिचय दीजिए।
  113. प्रश्न- प्रगतिवाद की पाँच सामान्य विशेषताएँ लिखिए।
  114. प्रश्न- प्रयोगवाद का क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए।
  115. प्रश्न- प्रयोगवाद और नई कविता क्या है?
  116. प्रश्न- 'नई कविता' से क्या तात्पर्य है?
  117. प्रश्न- प्रयोगवाद और नयी कविता के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
  118. प्रश्न- समकालीन हिन्दी कविता तथा उनके कवियों के नाम लिखिए।
  119. प्रश्न- समकालीन कविता का संक्षिप्त परिचय दीजिए।

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