बी काम - एम काम >> बीकाम सेमेस्टर-1 व्यावसायिक सम्प्रेषण बीकाम सेमेस्टर-1 व्यावसायिक सम्प्रेषणसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
0 5 पाठक हैं |
बीकाम सेमेस्टर-1 व्यावसायिक सम्प्रेषण
प्रश्न- सम्प्रेषण की प्रकृति बताइये।
अथवा
"सम्प्रेषण द्विमार्गीय प्रक्रिया है।' समझाइये।
उत्तर -
(Nature of Communication)
सम्प्रेषण की प्रकृति का वर्णन निम्नलिखित रूप में किया गया है -
1. व्यापक कार्य (Pervasive Function) : व्यवसाय के सभी क्षेत्रों में सम्प्रेषण आवश्यक होता है। जैसे-
(i) निदेशन,
(ii) नियोजन,
(iii) चयन, प्रशिक्षण व मूल्याँकन,
(iv) कार्य, उत्तरदायित्व व प्राधिकार के बारे में सूचना
(v) नियंत्रण।
सम्प्रेषण व्यवसाय के सभी प्रबन्धकीय कार्यों में महत्वपूर्ण है। यह सभी व्यवसाय क्षेत्रों के लिए आवश्यक है।
2. निरन्तर प्रक्रिया (Continuous Process) : संदेशों, विचारों व सम्मतियों का निरन्तर प्रसार उसी प्रकार से आवश्यक है, जिस प्रकार से मानव शरीर में रक्त का निरन्तर चलते रहना आवश्यक है।
3. द्वि-मार्गीय प्रक्रिया (Two-way Process) : यह दो व्यक्तियों के मध्य अर्थ के एक पुल के रूप है। यह बोलने, सुनने व समझने की विधिवत् व निरन्तर प्रक्रिया है। लुइस ए. एलन के अनुसार सम्प्रेषण उन समस्त बातों का योग है जिन्हें एक व्यक्ति उस समय करता है जबकि वह किसी अन्य व्यक्ति के मस्तिष्क में कुछ समझाना चाहता है। जार्ज आर. टैरी के अनुसार, "प्राप्तकर्ता के प्रत्युत्तर पर ध्यान दिये बिना साधारण रूप से बात करना या लिखना गलतफहमी को बढ़ाता है।" सम्प्रेषण तब तक पूर्ण नहीं होता जब तक कि प्राप्तकर्ता संदेश को नहीं समझता। द्विमार्गीय सम्प्रेषण प्रतिपुष्टि द्वारा सम्भव होता है। सम्प्रेषण में सम्प्रेषक संदेश को भेजता है तथा प्राप्तकर्ता का प्रत्युत्तर वापस प्राप्त होता है। द्विमार्गीय सम्प्रेषण अधिक सटीक होता है क्योंकि प्रतिपुष्टि प्रेषक को संचार को सुधारने की आज्ञा देती है। द्विमार्गीय प्रक्रिया में प्राप्तकर्ता का आत्मविश्वास अधिक होता है। द्विमार्गीय सम्प्रेषण से ध्रुवीकरण होने की संभावना रहती है।
4. आपसी समझदारी (Mutual Understanding ) : सम्प्रेषण के लिए आपसी समझ होनी चाहिए। यह सम्बन्धों को विकसित करने तथा इन्हें बनाये रखने में एक यंत्र की भाँति है।
5. सभी सम्प्रेषण का ढाँचागत होना (All Communication is Structured ) : सम्प्रेषण का प्रत्येक भाग संदेश- संरचना के प्रारूप का विश्लेषण करता है तथा व्यवसाय के लिए उपयोगी सूचना निकालता है।
6. बातचीत की भाँति (Conversational) : सभी सम्प्रेषण प्रकृति से बातचीत की तरह हैं। 'सूक्ष्म व स्थूल, सम्प्रेषण ढाँचे में दो स्तर होते हैं।
7. अन्य विशिष्टियाँ (Other Features ) : ये निम्नलिखित हैं-
(i) सम्प्रेषण हेतु समुचित माध्यम की आवश्यकता होती है।
(ii) यह मानसिक सक्षमता के सेतु की भाँति होता है।
(iii) सम्बन्ध विकसित करने में यंत्र की भाँति होता है।.
|