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बीकाम सेमेस्टर-1 व्यावसायिक सम्प्रेषण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2669
आईएसबीएन :0

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बीकाम सेमेस्टर-1 व्यावसायिक सम्प्रेषण

प्रश्न- प्रस्तुतीकरण के प्रकारों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर -

प्रस्तुतीकरण के प्रकार
(Kinds of Presentation )

प्रस्तुतीकरण निम्नलिखित प्रकार का हो सकता है -

1. पढ़कर प्रस्तुति (Reading Presentation ) - जब वक्ता द्वारा अपने विचारों तथा सन्देशों को व्यावस्थित रूप में लेने के बाद पढ़ा जाय तो यह पढ़कर प्रस्तुतीकरण होता है। इस प्रकार के प्रस्तुतीकरण में लेखन शुद्धता एवं क्रमबद्धता बनी रहती है। वक्ता को पढ़ते समय उच्चारण तथा व्याकरण का ध्यान रखना चाहिए। महत्वपूर्ण ठहरावों, शोध-पत्रों महत्वपूर्ण सूचनाओं, कार्यसूची, पारित या पारित किये जाने वाले प्रस्ताव, तकनीकी ज्ञान, मार्गदर्शक सिद्धान्तों आदि की प्रस्तुति बहुधा लिखित रूप में पढ़कर की जाती है।

2. स्मृति आधारित प्रस्तुति (Memorised Presentation) - इस प्रकार का प्रस्तुतीकरण तीव्र स्मरण क्षमता वाले वक्ता कर सकते हैं। सम्पूर्ण प्रस्तुति को वक्ता प्रारम्भ में व्यवस्थित रूप से लिख लेता है एवं उसे याद कर लेता है तथा उसकी प्रस्तुति करता है। यदि किसी कारण से उसका क्रम टूट जाता है या प्रस्तुति सम्बन्धी कोई महत्वपूर्ण बिन्दु ध्यान में नहीं आता तो प्रस्तुति अर्थहीन हो जाती है। इस प्रकार से प्रस्तुतीकरण करने वाला महत्वपूर्ण विचारों को याद करने के साथ-साथ उन्हें बिन्दुवार नोट कर लेता है तथा सार्थक प्रस्तुति करने में सफल भी होता है। विचारगोष्ठियाँ तथा सेमिनार में अधिकांशतया वक्ता इसी प्रकार प्रस्तुतीकरण करते हैं।

3. तात्कालिक प्रस्तुतीकरण (Extempore Presentation) - इस प्रकार के प्रस्तुतीकरण में वक्ता के ज्ञान, अनुभव व वाक्पटुता की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसमें वक्ता दृष्टिकोण एवं चिन्तन द्वारा अपनी प्रस्तुति की कच्ची रूपरेखा लिख लेता है तथा प्रस्तुतीकरण के समय उसके मस्तिष्क में विचारों का आगमन स्वाभाविक रूप से होता है जिसमें से वह प्रस्तुति योग्य विचारों का चयन कर लेता है। यह मानसिक क्रिया तथा प्रस्तुति समानान्तर प्रक्रिया होती है। यदि किसी अवरोध के कारण प्रस्तुति का क्रम टूटता है तो वह कच्ची रूपरेखा को देख सकता है। तात्कालिक प्रस्तुति से वक्ता विचारों, दृष्टिकोणों तथा कल्पनाओं का स्वाभाविक रूप से प्रस्तुतीकरण करता है। इस प्रकार के प्रस्तुतीकरण में मानसिक विचारों तथा प्रस्तुति से सामंजस्य स्थापित किया जाता है।

 

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