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बीकाम सेमेस्टर-1 व्यावसायिक सम्प्रेषण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2669
आईएसबीएन :0

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बीकाम सेमेस्टर-1 व्यावसायिक सम्प्रेषण

अध्याय - 14

मौखिक प्रस्तुतीकरण : महत्त्व, योजना,
पावरप्वाइन्ट प्रस्तुतीकरण तथा दृष्टि सहायक यन्त्र

(Oral Presentation : Importance, Plan,
Powerpoint resentation and Visual Aids)

 

प्रश्न- प्रस्तुतीकरण के उद्देश्य व आवश्यकताओं को समझाइए।

अथवा
मौखिक प्रस्तुति क्या है?
अथवा
सार्वजनिक प्रस्तुति से आप क्या समझते हैं?
अथवा
प्रभावी प्रस्तुतीकरण कला कौशल का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

प्रस्तुतीकरण
(Presentation)

प्रस्तुतीकरण एक अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थिति होती है। किसी श्रोता के समक्ष प्रस्तुत होना एक कला है जिसे अत्यधिक सावधानी व गम्भीर प्रयास से सीखा जा सकता है। इस संदर्भ में डेल कार्नीज का नाम अत्यधिक प्रसिद्ध है।

उद्योग, व्यापार एवं वाणिज्य जगत में सार्वजनिक प्रस्तुतीकरण को सार्वजनिक मौखिक अभिव्यक्ति या सार्वजनिक वाकशक्ति के रूप में प्रयोग किया गया है।

दर्शकों, श्रोताओं या सहयोगियों के मध्य प्रभावशाली प्रस्तुतीकरण को महत्वपूर्ण सम्प्रेषण दायित्व माना जाता है जो कि निरन्तर प्रयास तथा तैयारी से सीखा जाता है। सार्वजनिक प्रस्तुतीकरण केवल व्यक्तिगत प्रयत्न नहीं है वरन् समूह का सामूहिक प्रदर्शन होता है। प्रभावी सार्वजनिक प्रस्तुति जहाँ एक ओर वक्ता की वाक्पटुता पर निर्भर है वहीं दूसरी ओर पर्याप्त श्रव्य, संसाधनों तथा सामूहिक कार्य पर निर्भर करता है।

बहुत से अवसरों पर प्रस्तुत होना पड़ता है, जैसे-

1. संगोष्ठी में सहयोग करना;
2. व्यवसाय में भिन्नता लाना;
3. नये उत्पाद या नयी सेवा को शुरू करना;
4. नये प्रशिक्षण या सत्र को प्रारम्भ करना;
5. नयी व्यावसायिक योजना हेतु:
6. व्यावसायिक गतिविधियों के बदलाव की जानकारी देना;
7. नयी व्यावसायिक रूपरेखा की व्याख्या करना;
8. विपणन या विक्रय लक्ष्यों के प्रस्ताव करना;
9. व्यवसाय का विविधीकरण करना।

मौखिक प्रस्तुतीकरण में विवेक, न्यायसंगतता, तर्कसंगति के विद्यमान होने से सम्प्रेषण सशक्त हो जाता है। वाक्पटुता व्यक्ति में विद्यमान विशिष्ट कौशल होता है। बोलने का ढंग व्यक्ति की पारिवारिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक स्थिति को स्पष्ट करता है। मौखिक प्रस्तुतीकरण में सुधार लाने हेतु निरन्तर अभ्यास एवं प्रदर्शन की आवश्यकता होती है। मौखिक प्रस्तुतीकरण में गुणात्मकता का विशेष महत्व होता है।

विशेषताएँ (Characteristics) - ये निम्नलिखित हैं-

1. मौखिक प्रस्तुतीकरण श्रोताओं के समाने संदेश का औपचारिक संरचित एवं व्यवस्थित प्रस्तुतीकरण होता है।
2. यह सम्प्रेषण का एक रूप है।
3. मौखिक प्रस्तुतीकरण भागीदारीपूर्ण द्विमार्गी सम्प्रेषण प्रक्रिया होती है।
4. मौखिक प्रस्तुतीकरण में दृश्य-श्रव्य सामग्री सहायक होती है।
5. मौखिक प्रस्तुतीकरण प्रयोजनपूर्ण, अन्तर्क्रियात्मक एवं श्रोता-अभिमुखी होता है।
6. मौखिक प्रस्तुतीकरण किसी संदेश को श्रोताओं के समक्ष इस तरह प्रस्तुत करता है जिससे कि इनकी समझ में वाँछनीय बदलाव हो।

मौखिक प्रस्तुतीकरण सापेक्षिक रूप से औपचारिक बातचीत का एक प्रकार होता हैं जिसके लिए तैयारी तथा कुछ मात्रा में लेखन करने की आवश्यकता होती है। सामान्य रूप से मौखिक प्रस्तुतीकरण एक भाषण अथवा मौखिक प्रदर्शन होता है।

उद्देश्य (Objectives) - मौखिक प्रस्तुतीकरण बोलने वाले की वाक्पटुता पर आधारित होता है। सामान्य रूप से इसके निम्नलिखित उददेश्य होते हैं-

1. मौखिक प्रस्तुतीकरण का उद्देश्य फर्म के उत्पादों, शोधों, उन्नयन, उपभोक्ता हित की सूचना प्रदान करना होता है।
2. प्रस्तुतीकरण द्वारा श्रोता एवं दर्शक वर्ग को अपने विचारों, संदेशों तथा अभिव्यक्ति द्वारा प्रभावित किया जाता है। इसका उद्देश्य ग्राहकों को संस्था के प्रति सकारात्मक रूप से विचार करने के प्रति दबाव डालना होता
3. मौखिक प्रस्तुतीकरण के आधार पर श्रोता एवं दर्शक विश्लेषण एवं निर्वचन करके निष्कर्ष निकाल सकते हैं।
4. मौखिक प्रस्तुतीकरण द्वारा संस्था के कर्मचारियों को आवश्यक निर्देश एवं मार्गदर्शन दिया जा सकता है।
5. मौखिक प्रस्तुतीकरण संस्था के नये कर्मचारियों को संस्था की कार्यपद्धति की जानकारी देने में सहायक होता है।

अडेयर के शब्दों में, “प्रस्तुतीकरण दो बहुपयोगी बड़े प्रतीकों अर्थात् दृश्य-श्रव्य उपकरणों का प्रयोग तथा सामूहिक गतिविधि का औपचारिक अथवा निर्धारित अवसर पर प्रयोग है।

सफल प्रस्तुतीकरण हेतु उठाये जाने वाले कदम
(Steps to be taken for Successful Presentation)

1. उचित क्षेत्र तथा उद्देश्य के बारे में स्पष्ट होना - वह व्यक्ति जो प्रस्तुतीकरण का प्रस्ताव कर रहा हो उसे अवसर के बारे में स्पष्ट हो जाना चाहिए। उसे शुभारम्भ के अवसर, समय की पर्याप्तता तथा विचार के बारे में पूर्ण जानकारी होनी चाहिए।

2. श्रोताओं का विश्लेषण करना - यह निर्धारित किया जाना चाहिए कि किसके सामने प्रस्तुत होना है। श्रोताओं का आकार विचार में रखा जाना चाहिए। श्रोताओं की आयु, लिंग, योग्यता, अनुभव व राष्ट्रीयता का निर्धारण कर लिया जाना चाहिए ताकि उचित शब्द, हाव-भाव, स्वर व विवरण की आवश्यकता को भी निर्धारित किया जा सके। प्रस्तुतीकरण के दौरान श्रोता- विश्लेषण जारी रखना चाहिए। श्रोता की प्रतिक्रिया का निर्धारण करना चाहिए।

निम्नांकित बातें श्रोता विश्लेषण में सहायक होती हैं-

1. श्रोताओं की मुस्कराहट:-
2. श्रोताओं का शान्त रहना;
3. श्रोताओं की कानाफूसी या होठों की हलचल आदि।

3. स्थान का विचार - प्रस्तुतीकरण की घटना स्थान पर विचार करना चाहिए। इसमें हाल का आकार, बैठने की व्यवस्था, तापमान, प्रकाश व्यवस्था, सहायक उपकरण आदि आते हैं।

4. प्रस्तुतीकरण का नियोजन :

प्रारम्भ में :
(i) परिचयात्मक टीका-टिप्पणी;
(ii) प्रस्तुतीकरण की आवश्यकता;
(iii) रूपरेखा बनाना।
मध्य में :
(i) मुख्य ढाँचे का संक्षिप्त रूप;
(ii) बिन्दुओं का निर्धारण करना;
(iii) प्रत्येक बिन्दु का निर्धारण करना;
(iv) समय की प्राथमिकताओं का निर्धारण करना।
अन्त में :
(i) सारांश तैयार करना:
(ii) बिन्दुओं का संदर्भ;
(iii) अन्तिम टिप्पणी।

5. प्रस्तुतीकरण की विधियाँ :

1. पढ़ना;
2. याद दिलाते हुए प्रस्तुत होना;
3. तात्कालिक प्रस्तुतीकरण

6. प्रस्तुतीकरण का अभ्यास करना : यह प्रस्तुतीकरण का व्यक्तिगत अभ्यास सत्र होता है।

7. निजी पक्षों पर विचार करना :

(i) विश्वास;
(ii) शारीरिक भाषा में सुधार;
(iii) विषय में पूर्णता।

8. अचेतनता से बचना : यह निम्न उपायों से सम्भव है.

(i) भाषण में अभ्यास को दोहराना;
(ii) दृश्य उपकरणों पर ध्यान देकर सुधार करना;
(iii) आराम से सांस लेना;
(iv) आराम हेतु समय देना;
(v) धीरे-धीरे बातें करना;
(vi) धीरे-धीरे आराम से हलचल करना।

9. दृश्य यन्त्रों का प्रयोग : दृश्य यन्त्र को निम्न रूप से स्थापित किया जाना चाहिए।

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दृश्य यन्त्रों में प्रयोग करने हेतु मार्गदर्शिकाएँ: ये निम्नलिखित हैं

1. विधिवत् दिखाई पड़ना चाहिए।
2. प्रस्तुतीकरण के योग्य होना चाहिए।
3. इसे उचित दूरी पर स्थापित करना चाहिए।
4. केवल आवश्यक सूचना हेतु प्रयोग करना चाहिए।
5. दृश्य-यन्त्रों पर पर्याप्त बल देना चाहिए।
6. यह मानना चाहिए कि एक चित्र हजारों शब्दों के बराबर महत्व रखता है।

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