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बीए सेमेस्टर-3 संस्कृत नाटक एवं व्याकरण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2652
आईएसबीएन :0

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5 पाठक हैं

बीए सेमेस्टर-3 संस्कृत नाटक एवं व्याकरण

प्रश्न- भास की नाट्य कला पर प्रकाश डालिए।

अथवा
भास की काव्य कला पर प्रकाश डालिये।
अथवा
भास के नाटकों पर प्रकाश डालिए।

उत्तर-

प्रसिद्ध नाटककार भास ने अपने नाटकों की रचना में एक शिल्प सा अपनाया है। उनकी नाट्य कला प्राचीन साहित्य का प्राण है। यह अद्भुत नाट्य-कला ही उन्हें नाटककारों के बीच में महानता का दर्शन कराती है। उनके सम्पूर्ण नाटकों की कला पर निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा प्रकाश डाला जा सकता है-

1- कथावस्तु - भास ने अपने नाटकों में विशेष प्रकार की तथा विविध प्रकार की कथावस्तु को अपनाया है। उन्होंने रामायण, महाभारत, इतिहास, पुराण तथा विविध लोक कथाओं का आश्रय लिया है। इन्हीं कथानकों से ही भास की नाट्य कला अत्यन्त रोचक बन गई है। भास ने कुल 13 नाटकों की रचना की है। इतने नाटक संस्कृत साहित्य का कोई भी कवि नहीं रच पाया है। यह भास की कथावस्तु की विविधता को ही बताता है।

2. पात्र - भास के नाट्य ग्रन्थों में पात्रों का सुन्दर समायोजन है। जहाँ 'प्रतिमानाटकम्' में राम, लक्ष्मण, सीता एवं भरत आदि का विशेष उल्लेख है। वहीं 'स्वप्नवासवदत्तम्' में उदयन, वासवदत्ता, पद्मावती एवं यौगन्धरायण आदि का विभिन्न प्रयोग किया गया है। अन्य पात्रों में अन्य नाटकों में अर्जुन, भीम, कर्ण, द्रौपदी, चारुदत्त एवं वसन्त के पात्र विविध ज्ञान उपलब्ध कराते हैं।

3. चरित्र चित्रण - महाकवि भास की सिद्धहस्तता का वास्तविक दर्शन चरित्र-चित्रणों में देखने को प्राप्त होता है। यौगन्धरायण, पद्मावती, उदयन, कर्ण, राम, लक्ष्मण, भरत आदि के चरित्र वास्तविक जीवन की नैतिकता का बोध कराते हैं। दानी कर्ण की उदारता दर्शनीय है -

शिक्षा क्षयं गच्छति कालपर्यतात् सुखद्धमूला निपतन्ति पादयाः।
जलं जलस्थान गतं च शुष्यति हुतंय दत्तं च तथैवतिपष्ति॥

अर्थात् समय व्यतीत होने पर शिक्षा का नाश हो जाता है, सुदृढ़ जड़ वाले वृक्ष गिर जाते हैं, जलाशय भी सूख जाता है परन्तु यज्ञफल एवं दान के फल सदैव साथ रहते हैं।

4- अभिनय - अभिनय के दृष्टिकोण से भास के नाटक उच्चस्तरीय हैं। उनके नाटकों के विषय रंगमंच की स्थिति के अनुकूल हैं। यही कारण है कि भास ने अनेक नाटक रचनाओं के स्थान पर एकांकी रचनायें की हैं।

5- भाषा-शैली - महाकवि भास की भाषा प्रसाद गुणयुक्त सरल, सरस एवं ज्ञानदायिनी है। उन्होंने अपने काव्यों में भावों का जो समायोजन किया है वह अन्यत्र अप्राप्य है।

उदाहरणार्थ -

इयं बाला नवोद् वाहा सत्यं श्रुत्वा व्यथां व्रजेत्।
कामंधीर स्व भावेयं स्थी स्वभावस्तु कातरः॥

अर्थात् यह पद्मावती नवविवाहिता है और वासवदत्ता की सत्यता को सुनकर अथवा मेरे एवं वासवदत्ता के सच्चे प्रेम को सुनकर पीड़ा को प्राप्त होगी। भले ही वह धैर्यधारिणी है परन्तु स्त्री स्वभाव तो अधीर ही जाता है।

6- अलंकार - भास की कविता कामिनी विविध अलंकारों से सुसज्जित है। इनमें प्रमुख रूप से अनुप्रास, यमक, श्लेष, उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, अर्थान्तरन्यास एवं काव्यलिङ्ग हैं। अर्थान्तरन्यास एवं उपमा की संसृष्टियुक्त उदाहरण दर्शनीय है -

पूर्वंत्वयाऽप्यभिमतं गतमेवासीच्छ्लाहयं,
गमिष्यसि पुनः विजयेन भर्तुः।
कालक्रमेण जगतः परिवर्तमाना
चक्रार पक्तिरिव गच्छति भाग्य पडित :।

अर्थात् पहले आप स्वेच्छा से ऐसे ही जाती थी और पति के द्वारा विजय प्राप्त करने पर पुनः ऐसे ही जायेंगी। समय के प्रभाव से जगत ही परिवर्तनशील है। चक्र की पडित के सदृश मनुष्य की भाग्य पङ्कित भी ऊपर-नीचे होती है।

7- रस - महाकवि भास के नाटकों में प्रायः सभी रसों का प्रयोग हुआ है। प्रधान रूप से श्रृंगार, वीर एवं करुण का प्रयोग हुआ है। अद्भुत, रौद्र एवं शान्त आदि रस भी प्राप्त होते हैं। 'स्वप्नवासवदत्तम्' में विप्रलम्भ शृङ्गार दर्शनीय है।

इस प्रकार भास की नाट्यकला चतुर्दिक प्रकाश करने वाली दीपिका है। इससे प्रदीप्त ज्योति सहृदय के अन्तस्थल को इस प्रकार प्रकाशित करती है कि वह कृत्कृत्य हो जाता है। .

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- भास का काल निर्धारण कीजिये।
  2. प्रश्न- भास की नाट्य कला पर प्रकाश डालिए।
  3. प्रश्न- भास की नाट्य कृतियों का उल्लेख कीजिये।
  4. प्रश्न- अश्वघोष के जीवन परिचय का वर्णन कीजिए।
  5. प्रश्न- अश्वघोष के व्यक्तित्व एवं शास्त्रीय ज्ञान की विवेचना कीजिए।
  6. प्रश्न- महाकवि अश्वघोष की कृतियों का उल्लेख कीजिए।
  7. प्रश्न- महाकवि अश्वघोष के काव्य की काव्यगत विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- महाकवि भवभूति का परिचय लिखिए।
  9. प्रश्न- महाकवि भवभूति की नाट्य कला की समीक्षा कीजिए।
  10. प्रश्न- "कारुण्यं भवभूतिरेव तनुते" इस कथन की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  11. प्रश्न- महाकवि भट्ट नारायण का परिचय देकर वेणी संहार नाटक की समीक्षा कीजिए।
  12. प्रश्न- भट्टनारायण की नाट्यशास्त्रीय समीक्षा कीजिए।
  13. प्रश्न- भट्टनारायण की शैली पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  14. प्रश्न- महाकवि विशाखदत्त के जीवन काल की विस्तृत समीक्षा कीजिए।
  15. प्रश्न- महाकवि भास के नाटकों के नाम बताइए।
  16. प्रश्न- भास को अग्नि का मित्र क्यों कहते हैं?
  17. प्रश्न- 'भासो हास:' इस कथन का क्या तात्पर्य है?
  18. प्रश्न- भास संस्कृत में प्रथम एकांकी नाटक लेखक हैं?
  19. प्रश्न- क्या भास ने 'पताका-स्थानक' का सुन्दर प्रयोग किया है?
  20. प्रश्न- भास के द्वारा रचित नाटकों में, रचनाकार के रूप में क्या मतभेद है?
  21. प्रश्न- महाकवि अश्वघोष के चित्रण में पुण्य का निरूपण कीजिए।
  22. प्रश्न- अश्वघोष की अलंकार योजना पर प्रकाश डालिए।
  23. प्रश्न- अश्वघोष के स्थितिकाल की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- अश्वघोष महावैयाकरण थे - उनके काव्य के आधार पर सिद्ध कीजिए।
  25. प्रश्न- 'अश्वघोष की रचनाओं में काव्य और दर्शन का समन्वय है' इस कथन की समीक्षा कीजिए।
  26. प्रश्न- 'कारुण्यं भवभूतिरेव तनुते' इस कथन का क्या तात्पर्य है?
  27. प्रश्न- भवभूति की रचनाओं के नाम बताइए।
  28. प्रश्न- भवभूति का सबसे प्रिय छन्द कौन-सा है?
  29. प्रश्न- उत्तररामचरित के रचयिता का नाम भवभूति क्यों पड़ा?
  30. प्रश्न- 'उत्तरेरामचरिते भवभूतिर्विशिष्यते' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  31. प्रश्न- महाकवि भवभूति के प्रकृति-चित्रण पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- वेणीसंहार नाटक के रचयिता कौन हैं?
  33. प्रश्न- भट्टनारायण कृत वेणीसंहार नाटक का प्रमुख रस कौन-सा है?
  34. प्रश्न- क्या अभिनय की दृष्टि से वेणीसंहार सफल नाटक है?
  35. प्रश्न- भट्टनारायण की जाति एवं पाण्डित्य पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- भट्टनारायण एवं वेणीसंहार का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  37. प्रश्न- महाकवि विशाखदत्त का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  38. प्रश्न- 'मुद्राराक्षस' नाटक का रचयिता कौन है?
  39. प्रश्न- विखाखदत्त के नाटक का नाम 'मुद्राराक्षस' क्यों पड़ा?
  40. प्रश्न- 'मुद्राराक्षस' नाटक का नायक कौन है?
  41. प्रश्न- 'मुद्राराक्षस' नाटकीय विधान की दृष्टि से सफल है या नहीं?
  42. प्रश्न- मुद्राराक्षस में कुल कितने अंक हैं?
  43. प्रश्न- निम्नलिखित पद्यों का सप्रसंग हिन्दी अनुवाद कीजिए तथा टिप्पणी लिखिए -
  44. प्रश्न- निम्नलिखित श्लोकों की सप्रसंग - संस्कृत व्याख्या कीजिए -
  45. प्रश्न- निम्नलिखित सूक्तियों की व्याख्या कीजिए।
  46. प्रश्न- "वैदर्भी कालिदास की रसपेशलता का प्राण है।' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  47. प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् के नाम का स्पष्टीकरण करते हुए उसकी सार्थकता सिद्ध कीजिए।
  48. प्रश्न- 'उपमा कालिदासस्य की सर्थकता सिद्ध कीजिए।
  49. प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् को लक्ष्यकर महाकवि कालिदास की शैली का निरूपण कीजिए।
  50. प्रश्न- महाकवि कालिदास के स्थितिकाल पर प्रकाश डालिए।
  51. प्रश्न- 'अभिज्ञानशाकुन्तलम्' नाटक के नाम की व्युत्पत्ति बतलाइये।
  52. प्रश्न- 'वैदर्भी रीति सन्दर्भे कालिदासो विशिष्यते। इस कथन की दृष्टि से कालिदास के रचना वैशिष्टय पर प्रकाश डालिए।
  53. अध्याय - 3 अभिज्ञानशाकुन्तलम (अंक 3 से 4) अनुवाद तथा टिप्पणी
  54. प्रश्न- निम्नलिखित श्लोकों की सप्रसंग - संस्कृत व्याख्या कीजिए -
  55. प्रश्न- निम्नलिखित सूक्तियों की व्याख्या कीजिए -
  56. प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम्' नाटक के प्रधान नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  57. प्रश्न- शकुन्तला के चरित्र-चित्रण में महाकवि ने अपनी कल्पना शक्ति का सदुपयोग किया है
  58. प्रश्न- प्रियम्वदा और अनसूया के चरित्र की तुलनात्मक समीक्षा कीजिए।
  59. प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् में चित्रित विदूषक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  60. प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् की मूलकथा वस्तु के स्रोत पर प्रकाश डालते हुए उसमें कवि के द्वारा किये गये परिवर्तनों की समीक्षा कीजिए।
  61. प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् के प्रधान रस की सोदाहरण मीमांसा कीजिए।
  62. प्रश्न- महाकवि कालिदास के प्रकृति चित्रण की समीक्षा शाकुन्तलम् के आलोक में कीजिए।
  63. प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् के चतुर्थ अंक की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  64. प्रश्न- शकुन्तला के सौन्दर्य का निरूपण कीजिए।
  65. प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् का कथासार लिखिए।
  66. प्रश्न- 'काव्येषु नाटकं रम्यं तत्र रम्या शकुन्तला' इस उक्ति के अनुसार 'अभिज्ञानशाकुन्तलम्' की रम्यता पर सोदाहरण प्रकाश डालिए।
  67. अध्याय - 4 स्वप्नवासवदत्तम् (प्रथम अंक) अनुवाद एवं व्याख्या भाग
  68. प्रश्न- भाषा का काल निर्धारण कीजिये।
  69. प्रश्न- नाटक किसे कहते हैं? विस्तारपूर्वक बताइये।
  70. प्रश्न- नाटकों की उत्पत्ति एवं विकास क्रम पर टिप्पणी लिखिये।
  71. प्रश्न- भास की नाट्य कला पर प्रकाश डालिए।
  72. प्रश्न- 'स्वप्नवासवदत्तम्' नाटक की साहित्यिक समीक्षा कीजिए।
  73. प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् के आधार पर भास की भाषा शैली का वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् के अनुसार प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  75. प्रश्न- महाराज उद्यन का चरित्र चित्रण कीजिए।
  76. प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् नाटक की नायिका कौन है?
  77. प्रश्न- राजा उदयन किस कोटि के नायक हैं?
  78. प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् के आधार पर पद्मावती की चारित्रिक विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  79. प्रश्न- भास की नाट्य कृतियों का उल्लेख कीजिये।
  80. प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् के प्रथम अंक का सार संक्षेप में लिखिए।
  81. प्रश्न- यौगन्धरायण का वासवदत्ता को उदयन से छिपाने का क्या कारण था? स्पष्ट कीजिए।
  82. प्रश्न- 'काले-काले छिद्यन्ते रुह्यते च' उक्ति की समीक्षा कीजिए।
  83. प्रश्न- "दुःख न्यासस्य रक्षणम्" का क्या तात्पर्य है?
  84. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए : -
  85. प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिये (रूपसिद्धि सामान्य परिचय अजन्तप्रकरण) -
  86. प्रश्न- निम्नलिखित पदों की रूपसिद्धि कीजिये।
  87. प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए (अजन्तप्रकरण - स्त्रीलिङ्ग - रमा, सर्वा, मति। नपुंसकलिङ्ग - ज्ञान, वारि।)
  88. प्रश्न- निम्नलिखित पदों की रूपसिद्धि कीजिए।
  89. प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए (हलन्त प्रकरण (लघुसिद्धान्तकौमुदी) - I - पुल्लिंग इदम् राजन्, तद्, अस्मद्, युष्मद्, किम् )।
  90. प्रश्न- निम्नलिखित रूपों की सिद्धि कीजिए -
  91. प्रश्न- निम्नलिखित पदों की रूपसिद्धि कीजिए।
  92. प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए (हलन्तप्रकरण (लघुसिद्धान्तकौमुदी) - II - स्त्रीलिंग - किम्, अप्, इदम्) ।
  93. प्रश्न- निम्नलिखित पदों की रूप सिद्धि कीजिए - (पहले किम् की रूपमाला रखें)

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