बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 संस्कृत नाटक एवं व्याकरण बीए सेमेस्टर-3 संस्कृत नाटक एवं व्याकरणसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 संस्कृत नाटक एवं व्याकरण
प्रश्न- नाटकों की उत्पत्ति एवं विकास क्रम पर टिप्पणी लिखिये।
उत्तर -
नाटकों के विकास का क्रम एक निश्चित समय की घटना नहीं है अपितु यह समय-समय पर परिवर्तित होती हुई इस क्रम को प्राप्त हुई है। संस्कृत नाटकों का इतिहास अत्यन्त प्राचीन है। इन नाटकों का विकास निम्नलिखित बिन्दुओं से समझा जा सकता है -
1- दैवी उत्पत्ति सिद्धान्त - एक समय देवता लोग मिलकर ब्रह्मा जी के पास गये और उनसे निवेदन किया कि वे एक ऐसे वेद की रचना करें जिससे वेद ज्ञान से प्रतिबन्धित शूद्र एवं स्त्रीजन भी अपना मनोरंजन कर सकें। देवों की इस प्रार्थना से ब्रह्मा जी ने ऋग्वेद से पाठ्य, यजुर्वेद से अभिनय, सामवेद से गायन तथा अथर्ववेद से रसं लेकर 'नाट्यवेद' नामक पंचम वेद की रचना की। तत्पश्चात् ब्रह्मा जी ने अभिनय कला भरतमुनि को दी, अतः सर्वप्रथम भरत ने ही इसका प्रयोग किया। नटराज शिव ने ताण्डव एवं पार्वती जी ने लास्य नृत्य किया। पृथ्वी पर इन्द्रध्वज महोत्सव के समय इसका सर्वप्रथम प्रयोग हुआ। नाट्यशास्त्र के सम्बन्ध में भारतीय मनीषियों की यह ही विचारधारा है।
2. वीरपूजा सिद्धान्त - पाश्चात्य विद्वान डॉ0 रिजवे के अनुसार नाटकों की उत्पत्ति दिवङ्गतों एवं वीर पुरुषों के प्रति आदर दिखाने के लिए हुई है। रामलीला एवं कृष्णलीला आदि इसी सिद्धान्त को बताते हैं। डॉ0 रिजवे के इस मत को कोई भी विद्वान स्वीकार नहीं करता है।
3- प्रकृति परिवर्तन सिद्धान्त - प्रसिद्ध विद्वान डॉ0 कीथ के अनुसार प्रकृति परिवर्तन से नाटक की उत्पत्ति हुई। प्राकृतिक परिवर्तन को मूर्त रूप देने की इच्छा से अभिनय किया गया होगा। इसका मूर्त रूप 'कंस वध' नामक नाटक में पाया जाता है किन्तु यह मत भी प्रामाणिक या मान्य नहीं है।
4- पुत्तलिका नृत्य सिद्धान्त - जर्मन विद्वान डॉ0 पिशेल के अनुसार संस्कृत नाटकों की उत्पत्ति पुत्तलिकाओं के नृत्य तथा अभिनय से हुई। उनके अनुसार संस्कृत नाटकों में सूत्रधार एवं स्थापक जैसे शब्दों का व्यवहार होता है जो पुत्तलिका नृत्य से सम्बन्धित है। महाभारत, रामायण, बाल रामायण, कथा सरित्सागर आदि में पुत्तलिका, दारुमयी आदि शब्द भी मिलते हैं। इसी से सम्बद्ध कर इन्होंने नाटकों की उत्पत्ति मानी है। पर यह मत भी मान्य नहीं है।
5- छाया नाटक सिद्धान्त - पाश्चात्य विद्वान डॉ0 लूडर्स एवं कोनो का विचार है कि रूपकों की उत्पत्ति एवं विकास छाया नाटक से हुआ। वे महाभाष्य का एक उद्धरण देते हुए कहते हैं कि महाभाष्य में 'शौभिक' छाया नाटकों की छाया मूर्तियों के व्याख्याकार थे परन्तु संस्कृत नाटकों में 'दूताङ्गद' नामक छाया नाटक अधिक प्राचीन नहीं है, अतः यह मत भी असंगत है।
6- मे पोल नृत्य सिद्धान्त - कतिपय विद्वानों का मत है कि जिस प्रकार पाश्चात्य देशों में वसन्त की शोभा का अवलोकन कर एक लम्बा बाँस गाड़कर उसके चारों ओर उछलते-कूदते और लोग नाचते- गाते हैं उसी प्रकार भारत का 'इन्द्रध्वज' नामक महोत्सव है। इसी से धीरे-धीरे संस्कृत नाटकों की उत्पत्ति हुई परन्तु पाश्चात्य एवं भारतीय महोत्सवों में उनकी कला में अन्तर है, अतः यह मत भी अमान्य है।
7- संवाद सूक्त सिद्धान्त - ऋग्वेद में यम यमी, सरमा-पणि, विश्वामिलनरी, पुरुरवा, उर्वशी आदि अनेक संवाद सूक्त हैं। अतः विद्वानों के मतानुसार स्वाँग रचाकर इन्हें अभिनय के योग्य बनाया गया और धीरे-धीरे इनसे नाटकों का विकास हुआ। इन संवाद सूक्तों के साथ सम्भवतः अभिनय एवं नृत्य की भी प्रथा रही होगी।
वस्तुतः यूनानी प्रभाव के अतिरिक्त सभी प्रभाव संस्कृत नाटकों की उत्पत्ति एवं विकास में आंशिक रूप से सहायक रहे हैं।
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- प्रश्न- भास का काल निर्धारण कीजिये।
- प्रश्न- भास की नाट्य कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भास की नाट्य कृतियों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- अश्वघोष के जीवन परिचय का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अश्वघोष के व्यक्तित्व एवं शास्त्रीय ज्ञान की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- महाकवि अश्वघोष की कृतियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- महाकवि अश्वघोष के काव्य की काव्यगत विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- महाकवि भवभूति का परिचय लिखिए।
- प्रश्न- महाकवि भवभूति की नाट्य कला की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- "कारुण्यं भवभूतिरेव तनुते" इस कथन की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- महाकवि भट्ट नारायण का परिचय देकर वेणी संहार नाटक की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- भट्टनारायण की नाट्यशास्त्रीय समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- भट्टनारायण की शैली पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- महाकवि विशाखदत्त के जीवन काल की विस्तृत समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- महाकवि भास के नाटकों के नाम बताइए।
- प्रश्न- भास को अग्नि का मित्र क्यों कहते हैं?
- प्रश्न- 'भासो हास:' इस कथन का क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- भास संस्कृत में प्रथम एकांकी नाटक लेखक हैं?
- प्रश्न- क्या भास ने 'पताका-स्थानक' का सुन्दर प्रयोग किया है?
- प्रश्न- भास के द्वारा रचित नाटकों में, रचनाकार के रूप में क्या मतभेद है?
- प्रश्न- महाकवि अश्वघोष के चित्रण में पुण्य का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- अश्वघोष की अलंकार योजना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अश्वघोष के स्थितिकाल की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अश्वघोष महावैयाकरण थे - उनके काव्य के आधार पर सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- 'अश्वघोष की रचनाओं में काव्य और दर्शन का समन्वय है' इस कथन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'कारुण्यं भवभूतिरेव तनुते' इस कथन का क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- भवभूति की रचनाओं के नाम बताइए।
- प्रश्न- भवभूति का सबसे प्रिय छन्द कौन-सा है?
- प्रश्न- उत्तररामचरित के रचयिता का नाम भवभूति क्यों पड़ा?
- प्रश्न- 'उत्तरेरामचरिते भवभूतिर्विशिष्यते' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
- प्रश्न- महाकवि भवभूति के प्रकृति-चित्रण पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वेणीसंहार नाटक के रचयिता कौन हैं?
- प्रश्न- भट्टनारायण कृत वेणीसंहार नाटक का प्रमुख रस कौन-सा है?
- प्रश्न- क्या अभिनय की दृष्टि से वेणीसंहार सफल नाटक है?
- प्रश्न- भट्टनारायण की जाति एवं पाण्डित्य पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भट्टनारायण एवं वेणीसंहार का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- महाकवि विशाखदत्त का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'मुद्राराक्षस' नाटक का रचयिता कौन है?
- प्रश्न- विखाखदत्त के नाटक का नाम 'मुद्राराक्षस' क्यों पड़ा?
- प्रश्न- 'मुद्राराक्षस' नाटक का नायक कौन है?
- प्रश्न- 'मुद्राराक्षस' नाटकीय विधान की दृष्टि से सफल है या नहीं?
- प्रश्न- मुद्राराक्षस में कुल कितने अंक हैं?
- प्रश्न- निम्नलिखित पद्यों का सप्रसंग हिन्दी अनुवाद कीजिए तथा टिप्पणी लिखिए -
- प्रश्न- निम्नलिखित श्लोकों की सप्रसंग - संस्कृत व्याख्या कीजिए -
- प्रश्न- निम्नलिखित सूक्तियों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "वैदर्भी कालिदास की रसपेशलता का प्राण है।' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
- प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् के नाम का स्पष्टीकरण करते हुए उसकी सार्थकता सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- 'उपमा कालिदासस्य की सर्थकता सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् को लक्ष्यकर महाकवि कालिदास की शैली का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- महाकवि कालिदास के स्थितिकाल पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'अभिज्ञानशाकुन्तलम्' नाटक के नाम की व्युत्पत्ति बतलाइये।
- प्रश्न- 'वैदर्भी रीति सन्दर्भे कालिदासो विशिष्यते। इस कथन की दृष्टि से कालिदास के रचना वैशिष्टय पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 3 अभिज्ञानशाकुन्तलम (अंक 3 से 4) अनुवाद तथा टिप्पणी
- प्रश्न- निम्नलिखित श्लोकों की सप्रसंग - संस्कृत व्याख्या कीजिए -
- प्रश्न- निम्नलिखित सूक्तियों की व्याख्या कीजिए -
- प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम्' नाटक के प्रधान नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- शकुन्तला के चरित्र-चित्रण में महाकवि ने अपनी कल्पना शक्ति का सदुपयोग किया है
- प्रश्न- प्रियम्वदा और अनसूया के चरित्र की तुलनात्मक समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् में चित्रित विदूषक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् की मूलकथा वस्तु के स्रोत पर प्रकाश डालते हुए उसमें कवि के द्वारा किये गये परिवर्तनों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् के प्रधान रस की सोदाहरण मीमांसा कीजिए।
- प्रश्न- महाकवि कालिदास के प्रकृति चित्रण की समीक्षा शाकुन्तलम् के आलोक में कीजिए।
- प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् के चतुर्थ अंक की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शकुन्तला के सौन्दर्य का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् का कथासार लिखिए।
- प्रश्न- 'काव्येषु नाटकं रम्यं तत्र रम्या शकुन्तला' इस उक्ति के अनुसार 'अभिज्ञानशाकुन्तलम्' की रम्यता पर सोदाहरण प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 4 स्वप्नवासवदत्तम् (प्रथम अंक) अनुवाद एवं व्याख्या भाग
- प्रश्न- भाषा का काल निर्धारण कीजिये।
- प्रश्न- नाटक किसे कहते हैं? विस्तारपूर्वक बताइये।
- प्रश्न- नाटकों की उत्पत्ति एवं विकास क्रम पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- भास की नाट्य कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'स्वप्नवासवदत्तम्' नाटक की साहित्यिक समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् के आधार पर भास की भाषा शैली का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् के अनुसार प्रकृति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- महाराज उद्यन का चरित्र चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् नाटक की नायिका कौन है?
- प्रश्न- राजा उदयन किस कोटि के नायक हैं?
- प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् के आधार पर पद्मावती की चारित्रिक विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भास की नाट्य कृतियों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् के प्रथम अंक का सार संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- यौगन्धरायण का वासवदत्ता को उदयन से छिपाने का क्या कारण था? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'काले-काले छिद्यन्ते रुह्यते च' उक्ति की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- "दुःख न्यासस्य रक्षणम्" का क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए : -
- प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिये (रूपसिद्धि सामान्य परिचय अजन्तप्रकरण) -
- प्रश्न- निम्नलिखित पदों की रूपसिद्धि कीजिये।
- प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए (अजन्तप्रकरण - स्त्रीलिङ्ग - रमा, सर्वा, मति। नपुंसकलिङ्ग - ज्ञान, वारि।)
- प्रश्न- निम्नलिखित पदों की रूपसिद्धि कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए (हलन्त प्रकरण (लघुसिद्धान्तकौमुदी) - I - पुल्लिंग इदम् राजन्, तद्, अस्मद्, युष्मद्, किम् )।
- प्रश्न- निम्नलिखित रूपों की सिद्धि कीजिए -
- प्रश्न- निम्नलिखित पदों की रूपसिद्धि कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए (हलन्तप्रकरण (लघुसिद्धान्तकौमुदी) - II - स्त्रीलिंग - किम्, अप्, इदम्) ।
- प्रश्न- निम्नलिखित पदों की रूप सिद्धि कीजिए - (पहले किम् की रूपमाला रखें)