बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 समाजशास्त्र बीए सेमेस्टर-3 समाजशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 समाजशास्त्र
प्रश्न- माल्थस के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
माल्थस का सिद्धान्त
(Theory of Malthus)
टी आर माल्थस ने (1766-1834) द्वारा प्रस्तुत जनसंख्या का सिद्धान्त यद्यपि जनसंख्या की तीव्र वृद्धि तथा इसके फलस्वरूप प्रकृति द्वारा लगाये जाने वाले नैसर्गिक प्रतिबन्धों की विवेचना से सम्बन्धित है। लेकिन माल्थस ने अपने सिद्धान्त को जिस रूप में स्पष्ट किया, उससे सामाजिक परिवर्तन पर जैविकीय कारकों का प्रभाव भी स्पष्ट होता है। यह पहले बताया जा चुका है कि जन्मदर एवं मृत्युदर के दो मुख्य जैविकीय कारक है जो जनसंख्या के आकार एवं जनसंख्या सम्बन्धी विशेषताओं को प्रभावित करके समाज में परिवर्तन की दशा पैदा करते हैं। 18वीं शताब्दी के अन्तिम समय में यूरोप के अनेक समाजों में ऐसी प्राकृतिक एवं सामाजिक समस्यायें उत्पन्न हो गयी थीं जिनके कारणों की खोज करना आवश्यक समझा जाने लगा था। माल्थस वह पहले विचारक थे जिन्होने सन् 1998 में अपनी पुस्तक जनसंख्या के सिद्धान्त पर निबन्ध में जैविकीय आधार पर जनसंख्या वृद्धि के कारणों, इसके परिणामों एवं नैसर्गिक प्रतिबन्धों का विस्तार से उल्लेख करके एक नयी विचारधारा को जन्म दिया है। चार्ल्स डार्विन ने यह भी स्वीकार किया है कि माल्थस द्वारा प्रस्तुत जनसंख्या का सिद्धान्त ही वह आधार है जिसने उसे सामाजिक उद्विकास की विवेचना में योग्यतम प्राणी के आजीवन तथा 'प्राकृतिक प्रवरण' की अवधारणा को विकसित करने की प्रेरणा दी। इसी दृष्टिकोण से यह आवश्यक हो जाता है कि माल्थस के सिद्धान्त को संक्षेप में समझकर सामाजिक परिवर्तन एवं जैविकीय दशाओं का मूल्यांकन किया जाय। माल्थस का जनसंख्या का सिद्धान्त निम्न तीन मान्यताओं पर आधारित है -
1. मनुष्य में प्रजनन की अधिक क्षमता होने के कारण जनसंख्या में तीव्रदर से वृद्धि होती है।
2. जनसंख्या वृद्धि एवं खाद्यान्न उत्पादन के असन्तुलन के कारण नैसर्गिक प्रतिबन्धों के रूप में अकाल महामारियों एवं इसी तरह की दूसरी विपत्तियों मृत्यु दर को बढ़ाकर जनसंख्या के सन्तुलन को बनाये रखती हैं।
3. जनसंख्या वृद्धि की तुलना में आजीविका के आधार जैसे खाद्यानों का उत्पादन उसके अनुपात में नहीं हो पाता।
जनसंख्या वृद्धि की दर - माल्थस का कहना है कि मनुष्य में सन्तान को जन्म देने की क्षमता इतनी अधिक है कि यदि प्रजनन पर किसी तरह का भी प्रतिबन्ध न लगाया जाय तो यह खाद्य सामग्री के अनुपात में यह बहुत तेजी से बढ़ती है। एक सामान्यीकरण के रूप में यह कहा जा सकता है कि जनसंख्या में होने वाली वृद्धि ज्यामितीय अनुपात में होती अर्थात् 1: 2:4:8 आदि। साधारण रूप में कहा जा सकता है कि यदि जनसंख्या में होने वाली वृद्धि को स्वतन्त्र छोड़ दिया जाय तो किसी भी में प्रत्येक 25 वर्ष की अवधि में वहाँ की जनसंख्या दो गुनी हो जाती है।
खाद्य सामग्री के उत्पादन की दर - माल्थस के अनुसार खाद्यान्न का उत्पादन जनसंख्या वृद्धि की तुलना में बहुत धीरे-धीरे बढ़ता है। सामान्य रूप से यह कहा जा सकता है कि खाद्य सामग्री में होने वाली वृद्धि ज्यामितीय दर से न होकर गणितीय अनुपात में होती है। इसका तात्पर्य यह है कि यह वृद्धि 1:2:3:4 के अनुपात में होती है। इससे यह स्पष्ट होता है कि जितनी अवधि में जनसंख्या में आठ गुना वृद्धि हो जाती है, उतनी अवधि में खाद्य सामग्री में होने वाला उत्पादन केवल चार गुना बढ़ता है।
जनसंख्या पर नियन्त्रण - अपने सिद्धान्त में माल्थस ने यह स्पष्ट किया कि यदि बढ़ती हुयी जनसंख्या को नियन्त्रित न किया जाय, तब एक समय ऐसा आ जाता है जब जनसंख्या के अनुपात में खाद्य सामग्री बहुत कम रह जाती है। इस दशा में प्रकृति स्वयं ही जनसंख्या पर तरह-तरह के प्रतिबन्ध लगाना आरम्भ कर देती है। अकाल, भुखमरी, महामारियाँ एवं प्राकृतिक विपत्तियाँ, आदि प्रकृति द्वारा लगाये जाने वाले इसी तरह के प्रतिबन्ध हैं। माल्थस ने इन प्रतिबन्धों को 'नैसर्गिक प्रतिबन्ध' के नाम से सम्बोधित किया। ऐसे प्रतिबन्ध बहुत गम्भीर प्रकृति के होते हैं तथा इनसे मानव जीवन के लिये बड़े खतरे पैदा हो जाते है। इनसे बचने का एक ही उपाय है कि मनुष्य आत्मसंयम अथवा दूसरे उपायों के द्वारा नियन्त्रण करने का प्रयत्न करे। विलम्ब विवाह, ब्रह्मचर्य एवं प्राकृतिक आपदायें आदि प्रकृति द्वारा लगाये जाने वाले इसी तरह के प्रतिबन्ध है। माल्थस ने इन प्रतिबन्धों को "नैसर्गिक प्रतिबन्ध' के नाम से सम्बोधित किया। इस तरह के प्रतिबन्ध बहुत ही गम्भीर प्रकृति के होते है एवं इससे मानव जीवन के लिये बड़े खतरे पैदा हो जाते है। इनसे बचने का एक ही उपाय है कि मनुष्य आत्मसंयम या दूसरे उपायों के द्वारा जनसंख्या वृद्धि पर स्वयं नियन्त्रण लगाने का प्रयत्न करे। विलम्ब विवाह, ब्रह्मचर्य एवं नैतिक गुणों को अपनाना आत्मसंयम के कुछ विशेष तरीके है जिनसे जनसंख्या वृद्धि को रोका जा सकता है। दूसरी ओर, गर्भनिरोधक साधनों का उपयोग एवं गर्भपात आदि ऐसे साधन है जो अधिक नैतिक न होते हुये भी जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगा सकते हैं। इस तरह माल्थस ने यह स्पष्ट किया है कि जनसंख्या वृद्धि पर नैसर्गिक प्रतिबन्धों की गम्भीरता से बचने के लिये यह आवश्यक है कि मानवीय प्रयासों के द्वारा जनसंख्या वृद्धि को ज्यामितीय दर से बढ़ने से रोका जाय।
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- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का क्या अर्थ है? सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख कारकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के भौगोलिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जैवकीय कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के राजनैतिक तथा सेना सम्बन्धी कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में महापुरुषों की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्रौद्योगिकीय कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विचाराधारा सम्बन्धी कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के सांस्कृतिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के मनोवैज्ञानिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की परिभाषा बताते हुए इसकी विशेषताएं लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की प्रमुख प्रक्रियायें बताइये तथा सामाजिक परिवर्तन के कारणों (कारकों) का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में जैविकीय कारकों की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्राकृतिक कारकों का वर्णन कीजिए। सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों व प्रणिशास्त्रीय कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राणिशास्त्रीय कारक और सामाजिक परिवर्तन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में जनसंख्यात्मक कारक के महत्व की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारक बताइये तथा आर्थिक कारकों के आधार पर मार्क्स के विचार प्रकट कीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में आर्थिक कारकों से सम्बन्धित अन्य कारणों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक कारकों पर मार्क्स के विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में प्रौद्योगिकीय कारकों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के सांस्कृतिक कारकों का वर्णन कीजिए। सांस्कृतिक विलम्बना या पश्चायन (Cultural Lag) के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना या पश्चायन का सिद्धान्त प्रस्तुत कीजिए।
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- प्रश्न- सामाजिक संरचना के विकास में असहायक तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी एवं विकास के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सूचना तंत्र क्रान्ति के सामाजिक परिणामों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जैविकीय कारक का अर्थ बताइये।
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- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के 'प्रौद्योगिकीय कारक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- जनसंचार के प्रमुख माध्यम बताइये।
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी की सामाजिक परिवर्तन में भूमिका बताइये।
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी क्या है?
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- प्रश्न- सामाजिक प्रगति की सहायक दशाएँ कौन-कौन सी हैं?
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति के मापदण्ड क्या हैं?
- प्रश्न- निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
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- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास एवं प्रगति में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास की अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- विकास के उपागम बताइए।
- प्रश्न- भारतीय समाज मे विकास की सतत् प्रक्रिया पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
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- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के रेखीय सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वेबलन के सामाजिक परिवर्तन के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के सामाजिक परिवर्तन के सिद्धान्त का उल्लेख कीजिए।
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- प्रश्न- अभिजात वर्ग के परिभ्रमण की अवधारणा क्या है?
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- प्रश्न- संस्कृतिकरण का अर्थ बताइये तथा संस्कृतिकरण में सहायक अवस्थाओं का वर्गीकरण कीजिए व संस्कृतिकरण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- डा. एम. एन. श्रीनिवास के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को बताइए।
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- प्रश्न- आइजनस्टैड के अनुसार, आधुनिकीकरण के तत्वों को समझाइये।
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- प्रश्न- लौकिकीकरण का अर्थ, परिभाषा व तत्व बताइये। लौकिकीकरण के कारण तथा प्रभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लौकिकीकरण के प्रमुख कारण बताइये।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता क्या है? धर्मनिरपेक्षता के मुख्य कारकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- वैश्वीकरण क्या है? वैश्वीकरण की सामाजिक सांस्कृतिक प्रतिक्रिया की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत पर वैश्वीकरण और उदारीकरण के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक व्यवस्था पर प्रभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में वैश्वीकरण की कौन-कौन सी चुनौतियाँ हैं? वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- निम्नलिखित शीर्षकों पर टिप्पणी लिखिये - 1. संकीर्णता / संकीर्णीकरण / स्थानीयकरण 2. सार्वभौमिकरण।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण के कारकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के किन्हीं दो दुष्परिणामों की विवचेना कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकता एवं आधुनिकीकरण में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- एक प्रक्रिया के रूप में आधुनिकीकरण की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण की हालवर्न तथा पाई की परिभाषा दीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के दुष्परिणाम बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? सामाजिक आन्दोलन का अध्ययन किस-किस प्रकार से किया जा सकता है?
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन का अध्ययन किस-किस प्रकार से किया जा सकता है?
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के गुणों की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के सामाजिक आधार की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन को परिभाषित कीजिये। भारत मे सामाजिक आन्दोलन के कारणों एवं परिणामों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- "सामाजिक आन्दोलन और सामूहिक व्यवहार" के सम्बन्धों को समझाइये |
- प्रश्न- लोकतन्त्र में सामाजिक आन्दोलन की भूमिका को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलनों का एक उपयुक्त वर्गीकरण प्रस्तुत करिये। इसके लिये भारत में हुए समकालीन आन्दोलनों के उदाहरण दीजिये।
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- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के विकास के चरण अथवा अवस्थाओं को बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के उत्तरदायी कारणों पर प्रकाश डालिये।
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- प्रश्न- सर्वोदय आन्दोलन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सर्वोदय का प्रारम्भ कब से हुआ?
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- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन की क्या-क्या माँगे हैं?
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन की विचारधारा कैसी है?
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन का नवीन प्रेरणा के स्रोत बताइये।
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन का राजनीतिक स्वरूप बताइये।
- प्रश्न- आतंकवाद के रूप में नक्सली आन्दोलन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- "प्रतिक्रियावादी आंदोलन" से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न - रेनांसा के सामाजिक सुधार पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- प्रतिक्रियावादी आन्दोलन से आप क्या समझते हैं?
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- प्रश्न- कृषक आन्दोलन क्या है? भारत में किसी एक कृषक आन्दोलन की विवेचना कीजिये।
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- प्रश्न- भारत में मजदूर आन्दोलन के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- भारत में सामाजिक परिवर्तन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी कीजिये। -
- प्रश्न- कृषक आन्दोलन के प्रमुख कारणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- श्रम आन्दोलन के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- 'दलित आन्दोलन' से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- पर्यावरणीय आन्दोलनों के सामाजिक महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पर्यावरणीय आन्दोलन के सामाजिक प्रभाव क्या हैं?