बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 प्राचीन भारतीय इतिहास बीए सेमेस्टर-3 प्राचीन भारतीय इतिहाससरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 प्राचीन भारतीय इतिहास
प्रश्न- प्रतिहारकालीन सामाजिक और धार्मिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. प्रतिहारकालीन समाज का वर्णन कीजिए।
2. प्रतिहारकालीन विवाह का वर्णन कीजिए।
3. प्रतिहारकालीन धार्मिक विश्वास का वर्णन कीजिए।
4. प्रतिहारकालीन धार्मिक क्रियायों का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
प्रतिहारकालीन सामाजिक स्थिति
भारतीय समाज का आधारभूत विभाजन ही वर्ण-व्यवस्था के आधार पर हुआ था और वह किसी न किसी रूप में प्रतिहार साम्राज्य में भी विद्यमान था। शिलालेखों में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र तथा कुछ अन्य जातियों के नामों का उल्लेख मिलता है। वर्ण जाति के रूप में पुष्ट हो चुका था और उसमें कर्म तथा जाति का ऐसा वर्ण संकट पनप रहा था, जिसमें इतने प्रतिरूप थे कि उनकी व्याख्या करना सम्भव नहीं है।
ब्राह्मण - ब्राह्मणों को समाज में सर्वोच्च स्थान था। उनको अन्य वर्णों की अपेक्षा अधिक आदर प्राप्त था। विभिन्न कार्यों एवं गोत्रों के अनुसार उनके विभिन्न नाम मिलते हैं। इतिहासकार अलबरूनी ने ब्राह्मण के जीवन को चार भागों में विभाजित किया है। उसने इनकी विस्तृत व्याख्या की है। सम्भवतः अलबरूनी ने उन आश्रमों की ओर संकेत किया है, जो वर्ण-व्यवस्था के प्रेरणा-स्रोत थे।
ब्राह्मण के प्रमुख कर्त्तव्यों में उपासना, दान देना व लेना, अध्ययन करना, यज्ञ करना और अग्नि उपासना आदि था। सम्भवतः ब्राह्मण स्वेच्छापूर्वक व्यवसाय करने को स्वतन्त्र था, परन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि उसके ऊपर कुछ नैतिक बंधन अवश्य थे। अलबरूनी के अनुसार यदि मनुष्य कोई ऐसा व्यवसाय धारण करता था जो उसकी जाति के विरुद्ध है तो उसे पाप लगता है, उदाहरणार्थ ब्राह्मण को व्यापार तथा शूद्र को कृषि |
ब्राह्मण राज्य के छोटे से बड़े पद तक कार्य करते थे। ग्वालियर अभिलेख के अनुसार भोज ने एक नागर ब्राह्मण को ग्वालियर दुर्ग का रक्षक नियुक्त किया था। कुछ शिलालेखों में उसी पर यज्ञ पूर्ण करने का उत्तरदायित्व था, और उसे पुरोहित कहा गया है, परन्तु ब्राह्मण की शिक्षा में निपुणता अधिक थी। अबू जैद के अनुसार धर्म और विज्ञान में रुचि रखने वाले व्यक्ति को ब्राह्मण कहा जाता था। वे राजकवि, ज्योतिषी, दार्शनिक तथा भविष्यवक्ता थे।
क्षत्रिय - ब्राह्मणों के उपरान्त क्षत्रियों का स्थान आता है। इतिहासकार सुलेमान के अनुसार समस्त राजपरिवार के सदस्य केवल एक ही परिवार से सम्बन्धित थे। सम्भवतः इस समय तक क्षत्रियों में गौत्र लिखने की प्रथा प्रचलित नहीं हुई थी। सम्भवतः इसका कारण यह था कि क्षत्रियों में वैदिक यज्ञों में बलि आदि प्रथा का अधिक प्रचलन नहीं था और उनका पौराणिक देवी देवताओं में अधिक विश्वास था।
वैश्य - वैश्यों को समाज में तीसरा स्थान प्राप्त था। उनकी केवल एक ही जाति थी। उनके व्यवसाय के सम्बन्ध के अलबरूनी का कथन है कि वैश्य का कार्य कृषि करना, पशु-पालना तथा ब्राह्मणों के मार्ग की कठिनाइयों को दूर करना था, परन्तु सम्भवतः बौद्ध धर्म के प्रभाव के कारण वैश्यों ने बहुत समय पूर्व ही कृषि कार्य छोड़ दिया था तथा उनका स्तर पर्याप्त रूप से गिर गया था। अलबरूनी का कथन है कि वे वेदों को भी नहीं सुनते थे। यदि इसका पता चल जाये तो ब्राह्मण को यह अधिकार था कि न्यायाधीश के सामने ही उसके सीने में छुरा घोंपकर उसकी हत्या कर दे।
शूद्र - समाज में सबसे निम्न स्थान शूद्रों को ही प्राप्त था। उनके सम्बन्ध में अलबरूनी का कथन है कि शूद्र ब्राह्मण के लिये सेवक के समान थे। ब्राह्मण की उनके कार्यों में सहायता और सेवा करते थे। निःसन्देह शूद्र निर्धन था, परन्तु यज्ञोपवीत के बिना नहीं रहता था। ब्राह्मण के समस्त कार्य उसके लिए अस्पृश्य थे। परन्तु मेघा तिथि के अनुसार शूद्र प्रकरण श्राद्ध जैसे धार्मिक अनुष्ठान कर सकता था। अलबरूनी उपरोक्त जातियों के अतिरिक्त अन्त्यज, हाटी, चाण्डाल आदि का भी वर्णन करता है।
अरब यात्री इब्न खुददिब का विभाजन - अरब यात्री इब्न खुददिब ने तत्कालीन समाज में सात जातियों का विवरण दिया है। ये सात जातियाँ निम्नलिखित थीं-
1. सब्कुक्रिया (उच्च वर्ग राजा लोग इसी वर्ग के होते थे)।
2. ब्रह्म (ब्राह्मण) ये मदिरापान नहीं करते थे।
3. कटरिया (क्षत्रिय) ये केवल तीन प्याले ही मदिरा पीते थे। इनसे ब्राह्मण कन्याओं का विवाह नहीं होता था।
4. सुदरिया (शूद्र) इनका कार्य कृषि और पशुओं को पालना होता था।
5. बसुरिया (वैश्य) भृत्यों और सेवकों का वर्ग।
6. सण्डलिया (चाण्डाल) निम्न वर्ग।
7. लाहुद (खानाबदोश) जातियाँ।
सुलेमान का साक्ष्य - सुलेमान नामक इस अरब यात्री ने ऐसे लोगों का विवरण दिया है जो वनों और पर्वतों पर निवास करते थे और कभी-कभी ही अन्य लोगों से मिलते थे। उनमें से कुछ नग्नरहते थे और कुछ सूर्य की ओर मुख करके केवल मृगछाला ही धारण किये रहते थे। सम्भवतः सुलेमान ने या तो कुछ साधू इत्यादि देखे होंगे अथवा वानप्रस्थ तथा सन्यास में लीन भारतीय साधक देखे होंगे।
विवाह - इस समय अनुलोम विवाह प्रथा प्रचलित थी। इब्न खुददिब के अनुसार ब्राह्मण क्षत्रिय कन्या से विवाह कर सकता था। अलबरूनी के अनुसार प्रत्येक वर्ग वाला अपने से छोटे वर्गों की कन्याओं से विवाह कर सकता था। इन मुस्लिम इतिहासकारों के कथन की पुष्टि शिलालेखों से भी होती है।
अल्पवयी विवाह तथा बहुविवाह - अल्प आयु में ही विवाह का प्रचलन था। अलबरूनी के अनुसार हिन्दू लोग छोटी आयु में ही विवाह करते थे। ब्राह्मण 12 वर्ष से अधिक आयु की कन्या से विवाह नहीं कर सकता था। स्मृतियों के अनुसार कन्या का विवाह 10 से 12 वर्ष की अवस्था तक कर देना चाहिए।
विवाह विच्छेद - विवाह विच्छेद प्रचलित नहीं था। अलबरूनी के अनुसार मृत्यु ही पति-पत्नी को अलग-अलग कर सकती थी। यथार्थ में हिन्दू संस्कृति में विवाह को वैदिक काल से ही पवित्र बन्धन माना जाता था, जो राजपूत काल तक भी उसी प्रकार चलता रहा। विदेशी आक्रमणों से इसे और अधिक प्रोत्साहन मिला।
विधवा जीवन और सती प्रथा - प्रतिहार विवरणों में विधवा विवाह के उदाहरण नहीं मिलते। अलबरूनी का कथन है कि विधवा स्त्री को पुनः अपना विवाह करना का अधिकार नहीं था। नियोग की प्रथा भी अधिक प्रचलित नहीं थी। स्मृतियों में सती प्रथा के उदाहरण और प्रमाण मिलते हैं, परन्तु इसे भी अच्छा नहीं समझा जाता था।
पर्दा प्रथा - अरब इतिहासकार अबुजैद के अनुसार अधिकतर राजा जब दरबार में बैठते थे तो उनकी स्त्रियाँ बिना पर्दा वहाँ बैठती थीं चाहे वहाँ कोई विदेशी हो अथवा स्वदेशी। सम्भवतः अबुजैद का यह कथन दक्षिण भारत पर अधिक लागू होता है क्योंकि वहाँ पर्दा प्रथा नहीं थी जबकि उत्तर भारत में पर्दा प्रथा थी। हाँ, इतना अवश्य सत्य हो सकता है कि उस समय इसमें इतनी दृढ़ता न हो जितनी बाद के युग में मिलती है।
वेषभूषा - साधारणतया पुरुष और नारी शरीर ढकने के लिए प्रायः दो वस्त्रों का प्रयोग करते थे। एक वस्त्र नीचे पहना जाता था और दूसरा ऊपर धारण किया जाता था। राजशेखर का कान्यकुब्ज की स्त्री के वस्त्रों के सम्बन्ध में कथन है कि ऊपर का वस्त्र कमर के चारों ओर लिपटा रहता था, जिसके नीचे वे कंचुकी पहनती थीं। इसके अतिरिक्त पुरुष सिर पर पगड़ी और पायजामे का प्रयोग भी करते थे।
आभूषण - स्त्री और पुरुष दोनों ही आभूषणों का प्रयोग करते थे। प्रमुख आभूषणों में तगड़ी, कुण्डल, पहुँची, बाजूबन्द और अंगूठी आदि उल्लेखनीय हैं।
प्रतिहारकालीन धार्मिक स्थिति
प्रतिहारकालीन भारत में हिन्दू धर्म का अत्यधिक विकास हुआ। भक्ति और पौराणिक भावना हिन्दू धर्म के रूप में कुछ नवीन मान्यताओं के साथ उदित हुई। विष्णु के अवतार के रूप में मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, रामकृष्ण, बुद्ध और कल्कि आदि देवताओं की पूजा अत्यधिक रूप से प्रचलित हो गई थी। विष्णु के अनेक मन्दिरों का निर्माण किया गया। सन् 875 ई. के एक प्रतिहार शिलालेख के अनुसार अल्ल ने आध्यात्मिक विकास के लिये एक विष्णु के मन्दिर का निर्माण कराया था। सियोडोनी अभिलेख में विष्णु के लिये विष्णु भट्टारक, नारायण भट्टारक, वामन स्वामी देव, चक्र स्वामी देव, त्रिभुवन स्वामी देव, तथा मुरारी आदि नाम मिलते हैं।
शैव धर्म - गुर्जर प्रतिहार शिलालेखों में शिव उपासना के सम्बन्ध में अनेक प्रमाण मिलते हैं। शिव के लिये उमामाहेश्वर, त्रिलोचन, लच्छुवेश्वर महादेव, योग स्वामी, पशुपति शम्भू, सिद्धेश्वर महादेव, महाकाल, कालप्रिय तथा अधीरेश्वर आदि नामों से शिलालेख मिलते हैं। शिव की उपासना मानव रूप और लिंग रूप, दोनों ही रूपों में होती थी। एक लिंग शिव की उपासना मेवाड़ में होती थी। अवन्ति और उज्जयिनी में तो बहुत समय पूर्व से ही शिव की उपासना प्रचलित थी। इन साक्ष्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि प्रतिहार युग में शिव प्रमुख देवता के रूप में उपासना की जाती थी। .
शिलालेखों में कुछ अन्य देवी-देवताओं के नामों का भी उल्लेख मिलता है। इनमें निम्नलिखित उल्लेखनीय हैं -
1. सूर्य देवता - सूर्य के लिए इन्द्र, राजादित्यदेव, इन्द्रादित्यदेव तरुणादित्यदेव और गंगादित्य आदि नामों का उल्लेख मिलता है।
2. विनायक अथवा दामोदर,
3. कुमार (कार्तिकेय).
4. भगवती (दुर्गा).
5. चण्डिका (चामुण्डा).
6. श्री अम्बालोहि देवी,
7. श्री अथवा लक्ष्मी।
अलबरूनी के साक्ष्यों से इस बात की पुष्टि होती है कि इन देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को निश्चित मापदण्डों के आधार पर बनाया जाता था।
धार्मिक क्रियाएँ - इस काल में व्रतों का महत्व बढ़ गया था और वे पर्याप्त रूप से प्रचलित हो गये थे। इस सम्बन्ध में अलबरूनी ने विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया है। उसका कथन है कि वर्ष के 12 महीनों में व्रत रखने के पृथक्-पृथक् पल थे। जो मनुष्य साधारण भोजन प्राप्त कर 12 महीने व्रत रखता था, उसे 10000 वर्ष स्वर्ग में रहने का अवसर मिलता था। प्रमुख अवसरों और तिथियों पर भी उसने व्रत का उल्लेख किया है।
दान - विभिन्न प्रकार के दान का विवरण भी मिलता है। ब्राह्मणों को गाँव तथा भूमि का दान दिया जाता था। अलउतबी के अनुसार राजा तथा समृद्ध भक्त अपना सम्पूर्ण कोष तथा बहुमूल्य हीरे आदि मूर्ति के चरणों में अर्पित कर देते थे और उसके बदले में यश और अपने इष्ट की समीपता का लाभ उठाते थे।
यात्राएँ - इस काल में धार्मिक यात्राएँ भी प्रचलित थीं। वाराणसी, पुष्केर, कुरुक्षेत्र, मथुरा तथा अन्य तीर्थ स्थान, धार्मिक यात्राओं के प्रमुख स्थल थे। इन यात्राओं का उद्देश्य केवल मनोरंजन ही नहीं था वरन् अलबरूनी के अनुसार यात्री विभिन्न स्थलों पर जाकर धार्मिक क्रियाएं सम्पन्न करते थे।
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- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास को समझने हेतु उपयोगी स्रोतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सन 1909 ई. अधिनियम पारित होने के कारण बताइये।
- प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास को जानने में विदेशी यात्रियों / लेखकों के विवरण की क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, (1909 ई.) के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1909 ई. के मुख्य दोषों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- 1935 के भारत सरकार अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- शिलालेख, पुरातन के अध्ययन में किस प्रकार सहायक होते हैं?
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1935 ई. का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- न्यूमिजमाटिक्स की उपयोगिता को बताइए।
- प्रश्न- 'भारत के प्रजातन्त्रीकरण में 1935 ई. के अधिनियम ने एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। क्या आप इस कथन से सहमत हैं?
- प्रश्न- पुरातत्व स्मारक के महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1919 ई. के प्रमुख प्रावधानों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अरबों के आक्रमण के समय उत्तर भारत की राजनीतिक दशा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सन् 1995 ई. के अधिनियम के अन्तर्गत गर्वनरों की स्थिति व अधिकारों का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- हर्षवर्द्धन के इतिहास को समझने में ह्वेनसांग के विवरण हमारी कहाँ तक सहायता करते हैं?
- प्रश्न- माण्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार (1919 ई.) के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हर्ष की प्रारम्भिक परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए उसकी राजनैतिक एवं सांस्कृतिक उपलब्धियाँ बताइए।
- प्रश्न- लोकतंत्र के आयाम से आप क्या समझते हैं? लोकतंत्र के सामाजिक आयामों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हर्ष के पश्चात् कन्नौज की स्थिति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोकतंत्र के राजनीतिक आयामों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- सिन्ध पर अरब आक्रमण के प्रभाव की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले कारकों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- कश्मीर के राजनैतिक इतिहास में भाग लेने वाले वंशों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले संवैधानिक कारकों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- कश्मीर के शासक ललितादित्य मुक्तापीड के शासनकाल व राजनैतिक सफलताओं के विषय में बताइए।
- प्रश्न- संघवाद (Federalism) से आप क्या समझते हैं? क्या भारतीय संविधान का स्वरूप संघात्मक है? यदि हाँ तो उसके लक्षण क्या-क्या हैं?
- प्रश्न- कश्मीर के हिन्दू राज्य का इतिहास हमें किस ग्रन्थ से प्राप्त होता है?
- प्रश्न- भारतीय संविधान संघीय व्यवस्था स्थापित करता है। संक्षेप में बताएँ।
- प्रश्न- ललितादित्य व यशोवर्मन के मध्य हुए पारस्परिक संर्घष के विषय में बताइए।
- प्रश्न- संघवाद से आप क्या समझते हैं? संघवाद की पूर्व शर्तें क्या हैं? भारत के सन्दर्भ में संघवाद की उभरती हुई प्रवृत्तियों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- कन्नौज के शासक यशोवर्मन के प्रारम्भिक जीवन एवं राजनीतिक सफलता के विषय में बताइए |
- प्रश्न- भारत के संघवाद को कठोर ढाँचे में नही ढाला गया है" व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- यशोवर्मन की मृत्यु के पश्चात् कन्नौज पर अधिकार करने के लिये किन शक्तियों में त्रिकोणात्मक संर्घष प्रारम्भ हुआ? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- राज्यों द्वारा स्वयत्तता (Autonomy) की माँग से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- कन्नौज का यशोवर्मन किस वंश का था? बताइए।
- प्रश्न- क्या भारत को एक सच्चा संघ (True Federation) कहा जा सकता है?
- प्रश्न- यशोवर्मन के शासनकाल के विषय में बताते हुए उसके दरबार के विद्वानों तथा उत्तराधिकारियों के नाम बताइए।
- प्रश्न- संघीय व्यवस्था में केन्द्र शक्तिशाली है क्यों?
- प्रश्न- त्रि-शक्ति संघर्ष के विषय में लिखिए।
- प्रश्न- क्या भारतीय संघीय व्यवस्था में गठबन्धन की सरकारें अपरिहार्य हैं? चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सिंध राजवंश के विषय में विस्तृत रूप से बताइये।
- प्रश्न- क्या क्षेत्रीय राजनीतिक दल भारतीय संघीय व्यवस्था के लिए संकट है? चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सिंध पर अरबों की सफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- केन्द्रीय सरकार के गठन में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "चचनामा" के विषय में संक्षिप्त रूप से बताइये।
- प्रश्न- भारत में गठबन्धन सरकार की राजनीति क्या है? गठबन्धन धर्म से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- दाहिर व मोहम्मद बिन कासिम पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
- प्रश्न- सिन्ध के इतिहास को संक्षिप्त रूप से अवगत कराइये।
- प्रश्न- राजनीतिक दलों का वर्गीकरण करें। दलीय पद्धति कितने प्रकार की होती है? गुण-दोषों के आधार पर विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अरोड़ की लड़ाई पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- दलीय पद्धति के लाभ व हानियाँ क्या हैं?
- प्रश्न- राजपूतों की उत्पत्ति के सम्बन्ध में विभिन्न मतों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय दलीय व्यवस्था में पिछले 60 वर्षों में आए परिवर्तनों के कारणों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतकालीन सामाजिक संरचना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक उदारवाद के इस युग में भारत में गठबंधन की राजनीति के भविष्य की आलोचनात्मक चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतों की अग्निकुण्ड से उत्पत्ति के विषय में बताइए।
- प्रश्न- दलीय प्रणाली (Party System) में क्या दोष पाये जाते हैं?
- प्रश्न- अलबरूनी के भारत विवरण का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
- प्रश्न- राजपूतों के स्थानीय प्रशासन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय दलों के उदय एवं विकास के लिए उत्तरदायी तत्व कौन से हैं?
- प्रश्न- राजपूत काल में साहित्य की प्रगति की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'गठबन्धन धर्म' से क्या तात्पर्य है? क्या यह नियमों एवं सिद्धान्तों के साथ समझौता है?
- प्रश्न- गुर्जर प्रतिहार वंश की उत्पत्ति से सम्बन्धित विभिन्न सिद्धान्तों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीय दलों के अवगुण, टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- नागभट्ट प्रथम कौन था? प्रतिहार वंश के राजनैतिक इतिहास में उसकी उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है? सामुदायिक विकास कार्यक्रम का क्या उद्देश्य है?
- प्रश्न- प्रतिहार वंश के शासक वत्सराज के विषय में आप क्या जानते हैं? उनकी उपलब्धियों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- नागभट्ट द्वितीय के विषय में बताते हुए उसकी राजनैतिक उपलब्धियों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- पंचायती राज से आप क्या समझते हैं? ग्रामीण पुननिर्माण में पंचायतों के कार्यों एवं महत्व को बताइये।
- प्रश्न- "प्रतिहार वंश के शासकों में मिहिरभोज सर्वाधिक महत्वपूर्ण शासक था।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय ग्राम पंचायतों के दोषों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिहार वंश के शासक महेन्द्रपाल प्रथम के विषय में बताते हुए उसकी विजयों का भी उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- ग्राम पंचायतों का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
- प्रश्न- प्रतिहार शासक महिपाल प्रथम के व्यक्तित्व एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- क्षेत्र पंचायत के संगठन तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गुर्जर प्रतिहारों की शासन व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जिला पंचायत का संगठन तथा ग्रामीण समाज में इसकी भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिहारकालीन सामाजिक और धार्मिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में स्थानीय शासन के सम्बन्ध में 'पंचायत राज' के सिद्धान्त व व्यवहार की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- नागभट्ट प्रथम की उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नगरपालिका क्या है? तथा नगरपालिका के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिहार वंश के पतन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नगरीय स्वायत्त शासन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- गुर्जर शासन का महत्व बताइए।
- प्रश्न- ग्राम सभा के प्रमुख कार्य बताइये।
- प्रश्न- प्रतिहार वंश का प्रसिद्ध शासक आप किसे मानते हैं?
- प्रश्न- ग्राम पंचायत की आय के प्रमुख साधन बताइये।
- प्रश्न- मिहिरभोज के आधिपत्य का विस्तार बताइए।
- प्रश्न- पंचायती व्यवस्था के चार उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- राजशेखर के ग्रन्थ के विषय में बताइए।
- प्रश्न- ग्राम पंचायत के चार अधिकार बताइये।
- प्रश्न- त्रिकोणात्मक संघर्ष के क्या कारण थे? इसमें शामिल प्रमुख शक्तियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- न्याय पंचायत का गठन किस प्रकार किया जाता है?
- प्रश्न- सोलंकी वंश की विस्तृत व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- ग्राम पंचायत से आप क्या समझते तथा ग्राम सभा तथा ग्राम पंचायत में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- सोलंकी वंश के प्रमुख शासकों से अवगत कराइये।
- प्रश्न- ग्राम पंचायत की उन्नति के लिए सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- त्रिकोणात्मक संघर्ष के परिणाम पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ग्रामीण समुदाय पर पंचायत के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- त्रिकोणात्मक संघर्ष में राष्ट्रकूटों की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- भारत में पंचायत राज संस्थाएँ बताइये।
- प्रश्न- त्रिकोणात्मक संघर्ष में पालों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्र पंचायत का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
- प्रश्न- सोलंकी वंश के इतिहास को जानने के साधनों से अवगत कराइये।
- प्रश्न- ग्राम पंचायत के महत्व को बढ़ाने के लिए सरकार के द्वारा क्या प्रयास किये गये हैं?
- प्रश्न- सोलंकी वंश के राजनैतिक इतिहास के विषय में बताइये।
- प्रश्न- नगर निगम के संगठनात्मक संरचना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परमार वंश का इतिहास जानने के साधनों का वर्णन कीजिए। इस वंश की उत्पत्ति के विषय में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नगर निगम के भूमिका एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परमार शासक मुंज के विषय में बताइए। उसके शासन काल की राजनैतिक उपलब्धियों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- नगरीय स्वशासन संस्थाओं की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परमार नरेश भोज का परिचय दीजिए। भारतीय इतिहास में उसकी राजनैतिक एवं सांस्कृतिक उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- नगरीय निकायों की संरचना पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- परमार वंश का प्रसिद्ध शासक आप किसे मानते हैं?
- प्रश्न- नगर पंचायत पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- परमारों की कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- दबाव व हित समूह में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- परमार शासन व्यवस्था के बारे में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- दबाव समूह से आप क्या समझते हैं? दबाव समूहों के क्या लक्षण हैं? दबाव समूहों द्वारा अपनाई जाने वाली कार्यप्रणाली के विषय में बतायें।
- प्रश्न- परमार वंश के पतन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दबाव समूह अपने हित पूरा करने के लिए किस प्रकार कार्य करते हैं?
- प्रश्न- नवसाहसांकचरित में वर्णित परमारों के इतिहास के विषय में बताइए।
- प्रश्न- दबाव समूहों के महत्व पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- भोज के उत्तराधिकारियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
- प्रश्न- किन साधनों से बंगाल के पाल वंश के विषय में जानकारी प्राप्त होती है? इसकी उत्पत्ति के विषय में बताइए।
- प्रश्न- दबाव समूह किसे कहते हैं? दबाव समूह के कार्यों को लिखिए। भारत की राजनीति में दबाव समूहों की भूमिका की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- पाल नरेश धर्मपाल के विषय में बताते हुए उसकी उपलब्धियों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मतदान व्यवहार क्या है? मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्वों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पाल नरेश देवपाल के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी राजनैतिक उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
- प्रश्न- भारतीय इतिहास में पाल वंश के योगदान का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- दबाव समूहों के दोषों का वर्णन करें।
- प्रश्न- पालकालीन कला एवं स्थापत्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में श्रमिक संघों की विशेषताएँ। टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- धर्मपाल की पराजय के विषय में बताइए।
- प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पालों की राजनैतिक सत्ता का चर्मोत्कर्ष बताइए।
- प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को दूर करने के सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- हिन्दू शाही के पराक्रमी राजा "भीमदेव के विषय में विस्तृत रूप से बताइये।
- प्रश्न- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1996 के अंतर्गत चुनाव सुधार के संदर्भ में किये गये प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दू शाही को विस्तृत रूप से बताइये।
- प्रश्न- क्या निर्वाचन आयोग एक निष्पक्ष एवं स्वतन्त्र संस्था है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दू शाही वंश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- चुनाव सुधारों में बाधाओं पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- त्रिलोचनपाल एवं भीमपाल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्व बताइये।
- प्रश्न- महमूद गजनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- चुनाव सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- मुस्लिम आक्रमण के समय उत्तर की राजनीतिक स्थिति का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- अलगाव से आप क्या समझते हैं? अलगाववाद के कारण क्या हैं?
- प्रश्न- महमूद गजनवी के भारतीय आक्रमणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राजनीति में धर्म की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चन्देल वंश के इतिहास के साधनों का वर्णन करते हुए इस वंश की उत्पत्ति के सम्बन्ध में बताइए।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता से आप क्या समझते हैं? धर्मनिरपेक्षता के संवैधानिक पक्ष को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- चन्देल नरेश यशोवर्मन कौन था? उसकी राजनैतिक उपलब्धियों पर विस्तार से चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सकारात्मक राजनीतिक कार्यवाही से क्या आशय है? इसके लिए भारतीय संविधान में क्या प्रावधान किए गए हैं?
- प्रश्न- चन्देल नरेश धंग के शासन काल एवं उसकी उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जाति को परिभाषित कीजिए। भारतीय राजनीति पर जातिगत प्रभाव का अध्ययन कीजिए। जाति के राजनीतिकरण की विवेचना भी कीजिए।
- प्रश्न- चन्देल शासक विद्याधर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- निर्णय प्रक्रिया में राजनीतिक दलों में जाति की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- कीर्तिवर्मन कौन था? उसके शासन काल के विषय में बताते हुए उसकी विजयों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राज्यों की राजनीति को जाति ने किस प्रकार प्रभावित किया है?
- प्रश्न- चन्देल शासन काल में कला की क्या स्थिति थी?
- प्रश्न- क्षेत्रीयतावाद (Regionalism) से क्या अभिप्राय है? इसने भारतीय राजनीति को किस प्रकार प्रभावित किया है? क्षेत्रवाद के उदय के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- चन्देलों के पतन के लिये कौन उत्तरदायी था?
- प्रश्न- भारतीय राजनीति पर क्षेत्रवाद के प्रभावों का अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- खजुराहो मन्दिरों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- क्षेत्रवाद के उदय के लिए कौन-से तत्व जिम्मेदार हैं?
- प्रश्न- प्रतिहार साम्राज्य के पतन के बाद बुन्देलखण्ड (जेजाकभुक्ति) में किस वंश का उदय हुआ?
- प्रश्न- भारत में भाषा और राजनीति के सम्बन्धों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- महमूद गजनवी का चन्देलों पर आक्रमण' के विषय में बताइए।
- प्रश्न- उर्दू और हिन्दी भाषा को लेकर भारतीय राज्यों में क्या विवाद है? संक्षेप में चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- चाहमान वंश के इतिहास जानने के साधनों को बताते हुए इसकी उत्पत्ति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा की समस्या हल करने के सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- चाहमान नरेश अणराज के विषय में आप क्या जानते हैं? उसके शासनकाल में हुए प्रमुख युद्धों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता से आप क्या समझते हैं? साम्प्रदायिकता के उदय के कारण और इसके दुष्परिणामों की चर्चा करते हुए इसको दूर करने के सुझाव बताइये। भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता का क्या प्रभाव पड़ा? समझाइये।
- प्रश्न- चाहमान शासक विग्रहराज चतुर्थ के राज्यकाल का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता के उदय के पीछे क्या कारण हैं?
- प्रश्न- पृथ्वीराज तृतीय के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी सफलताओं एवं असफलताओं परं विस्तृत लेख लिखिए।
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता के दुष्परिणामों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- चाहमानों की शासन व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता को दूर करने के सुझाव दीजिये।
- प्रश्न- शाकम्भरी के चाहमान (चौहान) का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता के प्रभाव का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- विग्रहराज चतुर्थ की उपलब्धियाँ बताइए।
- प्रश्न- जाति व धर्म की राजनीति भारत में चुनावी राजनीति को कैसे प्रभावित करती है। क्या यह सकारात्मक प्रवृत्ति है या नकारात्मक?
- प्रश्न- पृथ्वीराजरासो पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- "वर्तमान भारतीय राजनीति में धर्म, जाति तथा आरक्षण प्रधान कारक बन गये हैं।" इस पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विग्रहराज चतुर्थ के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'जातिवाद' और सम्प्रदायवाद प्रजातंत्र के दो बड़े शत्रु हैं। टिप्पणी करें।
- प्रश्न- चाहमानों का बुन्देलखण्ड पर आक्रमण बताइए।
- प्रश्न- उत्तर प्रदेश के बँटवारे की राजनीति को समझाइए।
- प्रश्न- गहड़वाल वंश का इतिहास जानने के साधनों का उल्लेख कीजिए। इसकी उत्पत्ति के सम्बन्ध में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- जन राजनीतिक संस्कृति के विकास के कारण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गहड़वाल शासक गोविन्दचन्द्र के विषय में बताते हुए उसकी विजयों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 'भारतीय राजनीति में जाति की भूमिका' संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- गहड़वाल नरेश जयचन्द्र का परिचय दीजिए। उसकी राजनीतिक सफलताओं तथा असफलताओं का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- चुनावी राजनीति में भावनात्मक मुद्दे पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गहड़वाल नरेशों के 'शासन प्रबन्ध' पर एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार से क्या अभिप्राय है? भ्रष्टाचार की समस्या के लिए कौन से कारण उत्तरदायी हैं? इस समस्या के समाधान के लिए उपाय बताइए।
- प्रश्न- गोविन्दचन्द्र गहड़वाल के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- भ्रष्टाचार के लिए कौन-कौन से कारण उत्तरदायी हैं?
- प्रश्न- जयचन्द गहड़वाल के राज्यकाल की घटनाएँ बताइये।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार उन्मूलन के कौन-कौन से उपाय हैं?
- प्रश्न- गोविन्दचन्द्र के किन राज्यों से कूटनीतिक सम्बन्ध थे? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में राजनैतिक, व्यापारिक-औद्योगिक तथा धार्मिक क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कलचुरि वंश के शासक गांगेयदेव के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी विजयों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार क्या है? भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कलचुरि नरेश लक्ष्मीकर्ण के विषय में बताइए उसके शासन काल की प्रमुख राजनैतिक उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कलचुरि वंश का इतिहास जानने के साधन बताइए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार के प्रभावों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- गांगेयदेव के राज्यकाल की घटनाएँ लिखिए।
- प्रश्न- सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार की रोकथाम के सुझाव दीजिये।
- प्रश्न- कलचुरि वंश के पतन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बंगाल के सेन वंश के विषय में आप क्या जानते हैं? यहाँ के शासक विजयसेन की राजनैतिक उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार की विशेषताओं को बताइए।
- प्रश्न- सेन वंश के नरेश लक्ष्मणसेन का परिचय दीजिए। उसकी राजनैतिक एवं सांस्कृतिक उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- लोक जीवन में भ्रष्टाचार के कारण बताइये।
- प्रश्न- बंगाल के सेन वंश का संक्षिप्त इतिहास लिखिए।
- प्रश्न- राष्ट्रपति शासन क्या है? यह किन परिस्थितियों में लागू होता है? राष्ट्रपति शासन लगने से क्या परिवर्तन होता है?
- प्रश्न- अरबों के सिन्ध पर आक्रमण का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- दल-बदल की समस्या (भारतीय राजनैतिक दलों में)।
- प्रश्न- अरबों की सिन्ध विजय के परिणामों का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री के सम्बन्धों पर वैधानिक व राजनीतिक दृष्टिकोण क्या है? उनके सम्बन्धों के निर्धारक तत्व कौन-से हैं?
- प्रश्न- महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- दल-बदल कानून (Anti Defection Law) पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- गोरी के आक्रमण के समय भारत की राजनीतिक स्थिति बताइए।
- प्रश्न- संविधान के क्रियाकलापों पर पुनर्विलोकन हेतु स्थापित राष्ट्रीय आयोग (2002) की दलबदल नियम पद संस्तुति, टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- मुहम्मद गोरी के भारतीय अभियानों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 12वीं शताब्दी में मुसलमानों की विजय और हिन्दुओं की पराजय के क्या कारण थे? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- तुर्क आक्रमण के क्या कारण थे? इसका भारत पर क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- मुस्लिम आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय शासकों के प्रतिरोध पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- महमूद गजनवी के आक्रमणों के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अरबों के आक्रमण के समय भारत की दशा क्या थी?
- प्रश्न- तराइन के दूसरे युद्ध के परिणामों का वर्णन कीजिए।