बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 प्राचीन भारतीय इतिहास बीए सेमेस्टर-3 प्राचीन भारतीय इतिहाससरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 प्राचीन भारतीय इतिहास
प्रश्न- गुर्जर प्रतिहारों की शासन व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
अथवा
गुर्जर प्रतिहारों के शासन के महत्व का उल्लेख कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. प्रतिहारों की शासन व्यवस्था बताइए।
2. प्रतिहारों के विभिन्न राज्य अधिकारी कौन-कौन थे?
3. प्रतिहारों की प्रान्तीय शासन व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
उत्तर -
प्रतिहारों की शासन व्यवस्था
राज्य का स्वरूप - प्रतिहार शासन व्यवस्था राजसत्तात्मक थी। राजा अपने अधिकारों का पूर्ण रूप से प्रयोग करने को स्वतन्त्र था। उसके कुछ निजी सचिव तथा अमात्यों के अतिरिक्त प्रजा को प्रत्यक्ष रूप से शासन में भाग लेने का अधिकार नही था। प्रतिहार शिलालेखों के अनुसार प्रभुसत्ता का विभाजन किसी सीमा तक सामन्तों के हाथ था। जो युद्ध के समय अपने स्वामी की सहायता करते थे और आवश्यकता के समय स्वयं को उपस्थित करते थे। इसके बदले में वे अपने शासक से पंच महा शब्द ' अथवा राजपट्टी प्राप्त करते थे। शिलालेख में इनके नामों के आगे महा सामन्ताधिपति, महाप्रतिहार आदी विरुद्ध मिलते हैं परन्तु कहीं-कहीं पर इन्हें महाराजाधिराज, परमेश्वर आदि राजकीय उपाधियों से विभूषित किया गया है। राजौर शिलालेख में मंथन देव को इन्हीं नामों से पुकारा गया है। इसका कारण क्या था? सम्भवतः सामन्तों के विभिन्न स्तरों को प्रदर्शित करने के लिये इन विरुदों का प्रयोग होता था, परन्तु इन सामन्तों पर केन्द्रीय नियन्त्रण था। जब ये कोई दान देते थे तो प्रान्त के अधिकारी की अनुमति लेना आवश्यक था। प्रतापगढ़ अभिलेख के अनुसार चाहमान शासक इन्द्रराज ने एक सूर्य मन्दिर का निर्माण करवाने के लिए उज्जयिनी के गवर्नर से आज्ञा प्राप्त की थी।
राजा - राजा का पद वंशानुगत था। अरब इतिहासकार अलमसूदी का कथन है कि राजपद एक वंश के उत्तराधिकारियों तक ही सीमित था और कभी भी दूसरे के हाथों में नहीं था। साधारणतया, राजा का ज्येष्ठ पुत्र ( युवराज) ही राजा बनता था। परन्तु यह तब तक नहीं हो सकता था जब तक राज्य स्वयं उसे अपना उत्तराधिकारी घोषित न कर दे। अरब यात्री सुलेमान के विवरण से भी इस कथन की पुष्टि होती है।
कार्यकारिणी के अध्यक्ष के रूप में राजा को अनेक कार्य देखने पड़ते थे। सभी उच्च अधिकारियों की नियुक्ति राजा स्वयं करता था। सम्पूर्ण आर्थिक व्यवस्था पर उसी का अधिकार था। राजपूतों की नियुक्ति तथा गुप्तचर विभाग का संचालन उसी के हाथ में था। राजा राज्य का सर्वोच्च न्यायाधीश भी होता था। वह छोटे न्यायालयों के दिये गये निर्णयों के विरुद्ध अपील सुनता था उसका निर्णय अन्तिम होता था। राजा का कर्त्तव्य था कि वह बिना किसी विलम्ब के जनता को न्याय दे। राजा सर्वोत्तम सेनापति भी होता था, और राज्य की रक्षा उसका पुनीत कर्त्तव्य था। मेघातिथि का समय नवीं शताब्दी स्वीकार किया जाता है, का कथन है कि यदि देश पर आक्रमण होता हो, नरसंहार हो रहा हो और सैनिक मर रहे हों तब यदि राजा युद्ध नहीं करता तो उसका सम्पूर्ण गौरव नष्ट हो जाता है। यथार्थ में राजा को ही युद्ध और रुचि का अधिकार था।
राजमहिषी तथा युवराज - राजा के उपरान्त दूसरा महत्वपूर्ण पद प्रमुख रानी का था। उसे अग्र तथा पट्टमहिषी भी कहा जाता था। राजा के मरने के बाद राजमहिषी को वृहत राशि राज्य की ओर से मिलती थी ताकि वह अपने पद के अनुकूल जीवन व्यतीत कर सके। यदि राजा के स्वर्गवास के समय युवराज अल्पवयस्क होता था, तो रानी संरक्षिका के रूप में राजकार्य का भी संचालन करती थी। उसे भूमि दान करने का भी अधिकार था, परन्तु सम्भवतः समकालीन राजा से उसके लिए अनुमति लेना आवश्यक था।
राज्य अधिकारी - शासन संचालन के लिए अनेक अधिकारियों की आवश्यकता होती थी।शिलालेखों में निम्नलिखित अधिकारियों के नामों का उल्लेख मिलता है।
1. महामन्त्रिन (मुख्यमन्त्री)- यह अधिकारी राजा को राज्य कार्य सम्बन्धी विषयों में परामर्श देता था। 'महाविरुद' के अनुसार वह सब मन्त्रियों में प्रमुख था।
2. पुरोहित - यह अधिकारी यज्ञ करता था और दान लेता था।
3. राजा अमात्य (राज्यमन्त्री ) - यह राजा का सबसे निकट का अधिकारी होता था।
4. महाकुमारामात्य - राजकुमार का प्रमुख परामर्शदाता।
5. महासंधिविग्राहक - युद्ध और सन्धि का मंत्री (विदेश मंत्री)।
6. महासेनाधिपति मुख्य सेनापति।
7. महादण्डनायक मुख्य दण्ड- न्यायाधीश
8. महाप्रतिहार मुख्य रक्षक।
9. महासामन्त सामन्तों में प्रमुख
10. महाक्षपटलिक मुख्य रिकार्ड कीपर।
11. महाधर्माध्यक्ष मुख्य न्यायाधीश।
12. महामुद्राधिकारी - कोषाध्यक्ष।
13. महाभोगिक - माल अधिकारी।
14. दण्ड पोषिका पुलिस कर्मचारी।
15. दण्डौ धार्मिक - न्यायाधीश अथवा पुलिस अधिकारी।
16. चौरो धार्णिक |
17. दण्डिक जेलर।
18. दशापराधिक - समस्त अपराधों की जांच करने वाला।
19. दूत प्रेषणिक गुप्तचर |
20. बलाधिकृत - कमाण्डेण्ट।
प्रान्तीय शासन - प्रान्त को भुक्ति कहा जाता था। प्रतिहार शिलालेखों में निम्नलिखित भुक्तियों के नाम मिलते हैं -
1. श्रावस्ती भुक्ति (दिगवा दुबौली ताम्रपात्र )।
2. कान्यकुब्ज भुक्ति ( बराह ताम्रपात्र )।
3. गुर्जरात्र भुक्ति (दौलतपुर ताम्रपत्र )।
केन्द्र के समान ही गवर्नर की सहायता के लिए अनेक अधिकारी होते थे। इनमें व्यवहारिन, औपरिकामात्य, दूत तथा कोटपाल आदि प्रमुख हैं।
मण्डल - भुक्ति और मण्डल दोनों पृथक-पृथक इकाइयाँ थीं। बराह ताम्रपत्र में इन शब्दों का पृथक्-पृथक् प्रयोग किया गया है। मान्डलिक अथवा माण्डलेश्वर भुक्ति का प्रमुख अधिकारी होता था।
विषय - भुक्ति के उपरान्त शासन विभाजन की इकाइयों में विषय का स्थान आता है। प्रतिहार शिलालेखों में असुराभक विषय, बाल्मिका विषय, वाराणसी विषय आदि विषयों के नाम मिलते हैं।
विषयापति विषय का मुख्य अधिकारी होता था। विषय के लिए कहीं-कहीं भोग शब्द का भी प्रयोग किया गया है।
अग्रहर (तहसील) - विषय - छोटी इकाइयों में विभक्त होता था। इन इकाइयों को अग्रहर कहते थे। सम्भवत: विषयपति ही अग्रहर के प्रमुख अधिकारी की नियुक्ति करता था, परन्तु प्रान्तपति की स्वीकृति लेना अनिवार्य था।
ग्राम - ग्राम शासन की सबसे छोटी इकाई था। 'ग्रामपति' अथवा 'ग्राम-ग्रामिक' ग्राम का प्रमुख अधिकारी होता था। 'महन्तर' तथा "महन्तम" जैसे शब्दों का उल्लेख भी शिलालेखों में मिलता है। ये सम्भवतः ग्रामपति के सहायक अधिकारी थे। ग्राम की सुरक्षा का उत्तरदायित्व ग्रामपति पर ही था। ग्राम के वयोवृद्ध व्यक्तियों की एक सभा उसकी सहायता करती थी। इस सभा की सहायता से ग्रामपति, ग्राम की शान्ति बनाये रखता, ग्राम के छोटे-छोटे झगड़ों को निपटाना तथा दण्ड का आयोजन करता था। ग्राम के समस्त रिकार्ड पर उसी का नियन्त्रण होता था।
नगरपालिका और श्रेणियाँ - नगर शासन व्यवस्था के लिए एक सभा होती थी। सियोडोनी शिलालेख के अनुसार इसे पंचकुल कहा जाता था, और कभी-कभी इसमें दो अतिरिक्त सदस्यों की भी नियुक्ति होती थी। प्रत्येक व्यवसाय की एक श्रेणी होती थी। ग्वालियर शिलालेख में तैलक, श्रेणी, माली श्रेणी आदि के नामों का उल्लेख है।
आर्थिक विकल्प - राज्य की आय के विभिन्न साधन थे परन्तु मुख्य रूप से कृषि और विभिन्न कर आय के प्रमुख साधन थे। उपज का एक निश्चित भाग मुद्रा अथवा अन्न के रूप में राजकोष में जमा करना होता था, वास्तव में मुद्रा को ही अधिक पसन्द किया जाता था।
1. ग्राम भूमि - ग्राम की भूमि पर प्रत्यक्ष रूप से राज्य का अधिकार नहीं था परन्तु उत्तराधिकार विहीन भूमि, बेकार भूमि तथा झगड़े की स्थिति से प्राप्त और उसके उचित वितरण से राज्य की आय होती थी।
2. उदरंग कर (किरायेदार).
3. उपरिकर ( भूमि विहीन लोगों से कृषि कर),
4. भोग (भूमि और किराये पर कर).
5. धार्मिक कर
6. व्यापारिक कर (आयात और निर्यात कर),
7. खानों और जंगलों से आय,
8. न्यायालय शुल्क और वैश्यावृत्ति कर।
इन विभिन्न साधनों से राज्य की आय होती थी। माल विभाग के सबसे बड़े अधिकारी को महाभोगिन कहते थे।
शासन का महत्व - प्रतिहार शासकों की शासन व्यवस्था का इतिहास में विशेष महत्व है। अन्य युगों की भाँति इस युग में भी वंशानुगत राजतन्त्र सर्वमान्य शासन पद्धति थी। राजा की स्थिति सर्वोपरि होती थी, जो न्याय और सेना का सर्वोच्च अधिकारी था। राजा महाराजाधिराज, परमभट्टारक, परमेश्वर जैसी उच्च सम्मानपरक उपाधियाँ धारण करते थे जिससे उसकी महत्ता का पता चलता है। शासक की स्थिति निरंकुश थी किन्तु व्यवहार में उसके द्वारा धर्म तथा लोक परम्पराओं के निर्धारित नियमों का पालन किया जाता था।
इसी प्रकार शासन के क्षेत्र में सामन्तवाद का पूर्ण विकास भी इसी युग में दिखाई देता है। इस समय सामन्त महाराज, महासामन्त, महासामन्ताधिपति, मण्डलेश्वर महामण्डलेश्वर, महामाण्डलिक आदि उपाधियाँ धारण करते थे। सामन्तों के पास अपने न्यायालय तथा अपनी मन्त्रिपरिषद् होती थी। राज्याभिषेक के अवसर पर उनकी उपस्थिति विशेष रूप से आवश्यक मानी जाती थी। सामन्तों के पास अपनी अलग-अलग सेना होती थी जो आवश्यकता पड़ने पर उनके नेतृत्व में राज्य की सेना में सम्मिलित होती थी। अतः स्पष्ट है कि राज्य की वास्तविक शक्ति और सुरक्षा की जिम्मेदारी सामन्तों पर ही होती थी।
प्रतिहार शासकों की न्याय व्यवस्था का विशेष महत्व था। प्रबन्धचिन्तामणि तथा दशकुमारचरित से ज्ञात होता है कि राजा को अपने मन्त्रियों द्वारा उनकी बात की अवहेलना करने पर दण्डित करने का अधिकार था। राजा दण्डस्वरूप मन्त्रियों के नाक-कान काट लेते अथवा उन्हें अन्धा बना देते थे जिससे इस युग में शासकों तथा उनके मन्त्रियों के सम्बन्ध कटुतापूर्ण हो गये थे। मन्त्रियों का स्थान एक नियमित नौकरशाही ने ग्रहण कर लिया था।
इस युग में राज्य की आय का प्रमुख स्रोत भूमि कर था। यह भूमि की स्थिति के अनुसार तीसरे से लेकर बारहवें भाग तक लिया जाता था। उद्योग तथा वाणिज्य कर राजस्व का तीसरा साधन था। वाणिज्य तथा उत्पादित वस्तुओं पर कर लगाये जाते थे सभी कर ग्राम पंचायतों द्वारा एकत्रित किया जाता था जो केन्द्रीय शासन से प्रायः स्वतन्त्र होकर अपना कार्य करती थीं।
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- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास को समझने हेतु उपयोगी स्रोतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सन 1909 ई. अधिनियम पारित होने के कारण बताइये।
- प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास को जानने में विदेशी यात्रियों / लेखकों के विवरण की क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, (1909 ई.) के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1909 ई. के मुख्य दोषों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- 1935 के भारत सरकार अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- शिलालेख, पुरातन के अध्ययन में किस प्रकार सहायक होते हैं?
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1935 ई. का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- न्यूमिजमाटिक्स की उपयोगिता को बताइए।
- प्रश्न- 'भारत के प्रजातन्त्रीकरण में 1935 ई. के अधिनियम ने एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। क्या आप इस कथन से सहमत हैं?
- प्रश्न- पुरातत्व स्मारक के महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1919 ई. के प्रमुख प्रावधानों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अरबों के आक्रमण के समय उत्तर भारत की राजनीतिक दशा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सन् 1995 ई. के अधिनियम के अन्तर्गत गर्वनरों की स्थिति व अधिकारों का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- हर्षवर्द्धन के इतिहास को समझने में ह्वेनसांग के विवरण हमारी कहाँ तक सहायता करते हैं?
- प्रश्न- माण्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार (1919 ई.) के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हर्ष की प्रारम्भिक परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए उसकी राजनैतिक एवं सांस्कृतिक उपलब्धियाँ बताइए।
- प्रश्न- लोकतंत्र के आयाम से आप क्या समझते हैं? लोकतंत्र के सामाजिक आयामों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हर्ष के पश्चात् कन्नौज की स्थिति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोकतंत्र के राजनीतिक आयामों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- सिन्ध पर अरब आक्रमण के प्रभाव की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले कारकों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- कश्मीर के राजनैतिक इतिहास में भाग लेने वाले वंशों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले संवैधानिक कारकों पर प्रकाश डालिये।
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- प्रश्न- यशोवर्मन की मृत्यु के पश्चात् कन्नौज पर अधिकार करने के लिये किन शक्तियों में त्रिकोणात्मक संर्घष प्रारम्भ हुआ? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- राज्यों द्वारा स्वयत्तता (Autonomy) की माँग से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- कन्नौज का यशोवर्मन किस वंश का था? बताइए।
- प्रश्न- क्या भारत को एक सच्चा संघ (True Federation) कहा जा सकता है?
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- प्रश्न- दलीय प्रणाली (Party System) में क्या दोष पाये जाते हैं?
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- प्रश्न- क्षेत्रीय दलों के अवगुण, टिप्पणी कीजिए।
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- प्रश्न- प्रतिहार वंश के शासक वत्सराज के विषय में आप क्या जानते हैं? उनकी उपलब्धियों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- नागभट्ट द्वितीय के विषय में बताते हुए उसकी राजनैतिक उपलब्धियों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- पंचायती राज से आप क्या समझते हैं? ग्रामीण पुननिर्माण में पंचायतों के कार्यों एवं महत्व को बताइये।
- प्रश्न- "प्रतिहार वंश के शासकों में मिहिरभोज सर्वाधिक महत्वपूर्ण शासक था।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय ग्राम पंचायतों के दोषों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिहार वंश के शासक महेन्द्रपाल प्रथम के विषय में बताते हुए उसकी विजयों का भी उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- ग्राम पंचायतों का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
- प्रश्न- प्रतिहार शासक महिपाल प्रथम के व्यक्तित्व एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- क्षेत्र पंचायत के संगठन तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गुर्जर प्रतिहारों की शासन व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जिला पंचायत का संगठन तथा ग्रामीण समाज में इसकी भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिहारकालीन सामाजिक और धार्मिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में स्थानीय शासन के सम्बन्ध में 'पंचायत राज' के सिद्धान्त व व्यवहार की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- नागभट्ट प्रथम की उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नगरपालिका क्या है? तथा नगरपालिका के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिहार वंश के पतन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नगरीय स्वायत्त शासन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- गुर्जर शासन का महत्व बताइए।
- प्रश्न- ग्राम सभा के प्रमुख कार्य बताइये।
- प्रश्न- प्रतिहार वंश का प्रसिद्ध शासक आप किसे मानते हैं?
- प्रश्न- ग्राम पंचायत की आय के प्रमुख साधन बताइये।
- प्रश्न- मिहिरभोज के आधिपत्य का विस्तार बताइए।
- प्रश्न- पंचायती व्यवस्था के चार उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- राजशेखर के ग्रन्थ के विषय में बताइए।
- प्रश्न- ग्राम पंचायत के चार अधिकार बताइये।
- प्रश्न- त्रिकोणात्मक संघर्ष के क्या कारण थे? इसमें शामिल प्रमुख शक्तियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- न्याय पंचायत का गठन किस प्रकार किया जाता है?
- प्रश्न- सोलंकी वंश की विस्तृत व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- ग्राम पंचायत से आप क्या समझते तथा ग्राम सभा तथा ग्राम पंचायत में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- सोलंकी वंश के प्रमुख शासकों से अवगत कराइये।
- प्रश्न- ग्राम पंचायत की उन्नति के लिए सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- त्रिकोणात्मक संघर्ष के परिणाम पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ग्रामीण समुदाय पर पंचायत के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- त्रिकोणात्मक संघर्ष में राष्ट्रकूटों की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- भारत में पंचायत राज संस्थाएँ बताइये।
- प्रश्न- त्रिकोणात्मक संघर्ष में पालों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्र पंचायत का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
- प्रश्न- सोलंकी वंश के इतिहास को जानने के साधनों से अवगत कराइये।
- प्रश्न- ग्राम पंचायत के महत्व को बढ़ाने के लिए सरकार के द्वारा क्या प्रयास किये गये हैं?
- प्रश्न- सोलंकी वंश के राजनैतिक इतिहास के विषय में बताइये।
- प्रश्न- नगर निगम के संगठनात्मक संरचना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परमार वंश का इतिहास जानने के साधनों का वर्णन कीजिए। इस वंश की उत्पत्ति के विषय में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नगर निगम के भूमिका एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परमार शासक मुंज के विषय में बताइए। उसके शासन काल की राजनैतिक उपलब्धियों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- नगरीय स्वशासन संस्थाओं की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परमार नरेश भोज का परिचय दीजिए। भारतीय इतिहास में उसकी राजनैतिक एवं सांस्कृतिक उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- नगरीय निकायों की संरचना पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- परमार वंश का प्रसिद्ध शासक आप किसे मानते हैं?
- प्रश्न- नगर पंचायत पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- परमारों की कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- दबाव व हित समूह में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- परमार शासन व्यवस्था के बारे में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- दबाव समूह से आप क्या समझते हैं? दबाव समूहों के क्या लक्षण हैं? दबाव समूहों द्वारा अपनाई जाने वाली कार्यप्रणाली के विषय में बतायें।
- प्रश्न- परमार वंश के पतन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दबाव समूह अपने हित पूरा करने के लिए किस प्रकार कार्य करते हैं?
- प्रश्न- नवसाहसांकचरित में वर्णित परमारों के इतिहास के विषय में बताइए।
- प्रश्न- दबाव समूहों के महत्व पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- भोज के उत्तराधिकारियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
- प्रश्न- किन साधनों से बंगाल के पाल वंश के विषय में जानकारी प्राप्त होती है? इसकी उत्पत्ति के विषय में बताइए।
- प्रश्न- दबाव समूह किसे कहते हैं? दबाव समूह के कार्यों को लिखिए। भारत की राजनीति में दबाव समूहों की भूमिका की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- पाल नरेश धर्मपाल के विषय में बताते हुए उसकी उपलब्धियों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मतदान व्यवहार क्या है? मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्वों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पाल नरेश देवपाल के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी राजनैतिक उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
- प्रश्न- भारतीय इतिहास में पाल वंश के योगदान का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- दबाव समूहों के दोषों का वर्णन करें।
- प्रश्न- पालकालीन कला एवं स्थापत्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में श्रमिक संघों की विशेषताएँ। टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- धर्मपाल की पराजय के विषय में बताइए।
- प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पालों की राजनैतिक सत्ता का चर्मोत्कर्ष बताइए।
- प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को दूर करने के सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- हिन्दू शाही के पराक्रमी राजा "भीमदेव के विषय में विस्तृत रूप से बताइये।
- प्रश्न- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1996 के अंतर्गत चुनाव सुधार के संदर्भ में किये गये प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दू शाही को विस्तृत रूप से बताइये।
- प्रश्न- क्या निर्वाचन आयोग एक निष्पक्ष एवं स्वतन्त्र संस्था है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दू शाही वंश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- चुनाव सुधारों में बाधाओं पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- त्रिलोचनपाल एवं भीमपाल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्व बताइये।
- प्रश्न- महमूद गजनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- चुनाव सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- मुस्लिम आक्रमण के समय उत्तर की राजनीतिक स्थिति का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- अलगाव से आप क्या समझते हैं? अलगाववाद के कारण क्या हैं?
- प्रश्न- महमूद गजनवी के भारतीय आक्रमणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राजनीति में धर्म की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चन्देल वंश के इतिहास के साधनों का वर्णन करते हुए इस वंश की उत्पत्ति के सम्बन्ध में बताइए।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता से आप क्या समझते हैं? धर्मनिरपेक्षता के संवैधानिक पक्ष को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- चन्देल नरेश यशोवर्मन कौन था? उसकी राजनैतिक उपलब्धियों पर विस्तार से चर्चा कीजिए।
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- प्रश्न- चन्देल नरेश धंग के शासन काल एवं उसकी उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जाति को परिभाषित कीजिए। भारतीय राजनीति पर जातिगत प्रभाव का अध्ययन कीजिए। जाति के राजनीतिकरण की विवेचना भी कीजिए।
- प्रश्न- चन्देल शासक विद्याधर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- निर्णय प्रक्रिया में राजनीतिक दलों में जाति की क्या भूमिका है?
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- प्रश्न- राज्यों की राजनीति को जाति ने किस प्रकार प्रभावित किया है?
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- प्रश्न- चन्देलों के पतन के लिये कौन उत्तरदायी था?
- प्रश्न- भारतीय राजनीति पर क्षेत्रवाद के प्रभावों का अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- खजुराहो मन्दिरों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- क्षेत्रवाद के उदय के लिए कौन-से तत्व जिम्मेदार हैं?
- प्रश्न- प्रतिहार साम्राज्य के पतन के बाद बुन्देलखण्ड (जेजाकभुक्ति) में किस वंश का उदय हुआ?
- प्रश्न- भारत में भाषा और राजनीति के सम्बन्धों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- महमूद गजनवी का चन्देलों पर आक्रमण' के विषय में बताइए।
- प्रश्न- उर्दू और हिन्दी भाषा को लेकर भारतीय राज्यों में क्या विवाद है? संक्षेप में चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- चाहमान वंश के इतिहास जानने के साधनों को बताते हुए इसकी उत्पत्ति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा की समस्या हल करने के सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- चाहमान नरेश अणराज के विषय में आप क्या जानते हैं? उसके शासनकाल में हुए प्रमुख युद्धों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता से आप क्या समझते हैं? साम्प्रदायिकता के उदय के कारण और इसके दुष्परिणामों की चर्चा करते हुए इसको दूर करने के सुझाव बताइये। भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता का क्या प्रभाव पड़ा? समझाइये।
- प्रश्न- चाहमान शासक विग्रहराज चतुर्थ के राज्यकाल का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता के उदय के पीछे क्या कारण हैं?
- प्रश्न- पृथ्वीराज तृतीय के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी सफलताओं एवं असफलताओं परं विस्तृत लेख लिखिए।
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता के दुष्परिणामों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- चाहमानों की शासन व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता को दूर करने के सुझाव दीजिये।
- प्रश्न- शाकम्भरी के चाहमान (चौहान) का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता के प्रभाव का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- विग्रहराज चतुर्थ की उपलब्धियाँ बताइए।
- प्रश्न- जाति व धर्म की राजनीति भारत में चुनावी राजनीति को कैसे प्रभावित करती है। क्या यह सकारात्मक प्रवृत्ति है या नकारात्मक?
- प्रश्न- पृथ्वीराजरासो पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- "वर्तमान भारतीय राजनीति में धर्म, जाति तथा आरक्षण प्रधान कारक बन गये हैं।" इस पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विग्रहराज चतुर्थ के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'जातिवाद' और सम्प्रदायवाद प्रजातंत्र के दो बड़े शत्रु हैं। टिप्पणी करें।
- प्रश्न- चाहमानों का बुन्देलखण्ड पर आक्रमण बताइए।
- प्रश्न- उत्तर प्रदेश के बँटवारे की राजनीति को समझाइए।
- प्रश्न- गहड़वाल वंश का इतिहास जानने के साधनों का उल्लेख कीजिए। इसकी उत्पत्ति के सम्बन्ध में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- जन राजनीतिक संस्कृति के विकास के कारण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गहड़वाल शासक गोविन्दचन्द्र के विषय में बताते हुए उसकी विजयों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 'भारतीय राजनीति में जाति की भूमिका' संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- गहड़वाल नरेश जयचन्द्र का परिचय दीजिए। उसकी राजनीतिक सफलताओं तथा असफलताओं का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- चुनावी राजनीति में भावनात्मक मुद्दे पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गहड़वाल नरेशों के 'शासन प्रबन्ध' पर एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार से क्या अभिप्राय है? भ्रष्टाचार की समस्या के लिए कौन से कारण उत्तरदायी हैं? इस समस्या के समाधान के लिए उपाय बताइए।
- प्रश्न- गोविन्दचन्द्र गहड़वाल के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- भ्रष्टाचार के लिए कौन-कौन से कारण उत्तरदायी हैं?
- प्रश्न- जयचन्द गहड़वाल के राज्यकाल की घटनाएँ बताइये।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार उन्मूलन के कौन-कौन से उपाय हैं?
- प्रश्न- गोविन्दचन्द्र के किन राज्यों से कूटनीतिक सम्बन्ध थे? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में राजनैतिक, व्यापारिक-औद्योगिक तथा धार्मिक क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कलचुरि वंश के शासक गांगेयदेव के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी विजयों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार क्या है? भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कलचुरि नरेश लक्ष्मीकर्ण के विषय में बताइए उसके शासन काल की प्रमुख राजनैतिक उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कलचुरि वंश का इतिहास जानने के साधन बताइए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार के प्रभावों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- गांगेयदेव के राज्यकाल की घटनाएँ लिखिए।
- प्रश्न- सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार की रोकथाम के सुझाव दीजिये।
- प्रश्न- कलचुरि वंश के पतन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बंगाल के सेन वंश के विषय में आप क्या जानते हैं? यहाँ के शासक विजयसेन की राजनैतिक उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार की विशेषताओं को बताइए।
- प्रश्न- सेन वंश के नरेश लक्ष्मणसेन का परिचय दीजिए। उसकी राजनैतिक एवं सांस्कृतिक उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- लोक जीवन में भ्रष्टाचार के कारण बताइये।
- प्रश्न- बंगाल के सेन वंश का संक्षिप्त इतिहास लिखिए।
- प्रश्न- राष्ट्रपति शासन क्या है? यह किन परिस्थितियों में लागू होता है? राष्ट्रपति शासन लगने से क्या परिवर्तन होता है?
- प्रश्न- अरबों के सिन्ध पर आक्रमण का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- दल-बदल की समस्या (भारतीय राजनैतिक दलों में)।
- प्रश्न- अरबों की सिन्ध विजय के परिणामों का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री के सम्बन्धों पर वैधानिक व राजनीतिक दृष्टिकोण क्या है? उनके सम्बन्धों के निर्धारक तत्व कौन-से हैं?
- प्रश्न- महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- दल-बदल कानून (Anti Defection Law) पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- गोरी के आक्रमण के समय भारत की राजनीतिक स्थिति बताइए।
- प्रश्न- संविधान के क्रियाकलापों पर पुनर्विलोकन हेतु स्थापित राष्ट्रीय आयोग (2002) की दलबदल नियम पद संस्तुति, टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- मुहम्मद गोरी के भारतीय अभियानों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 12वीं शताब्दी में मुसलमानों की विजय और हिन्दुओं की पराजय के क्या कारण थे? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- तुर्क आक्रमण के क्या कारण थे? इसका भारत पर क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- मुस्लिम आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय शासकों के प्रतिरोध पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- महमूद गजनवी के आक्रमणों के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अरबों के आक्रमण के समय भारत की दशा क्या थी?
- प्रश्न- तराइन के दूसरे युद्ध के परिणामों का वर्णन कीजिए।