बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्र बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्र : सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- प्लेटो और अरस्तू के आर्थिक विचारों की तुलना कीजिये तथा आर्थिक विचारों के इतिहास में अरस्तू का महत्व बताइये।
उत्तर -
प्लेटो तथा अरस्तू के आर्थिक विचारों की तुलना
प्लेटो और अरस्तू के विचारों का तुलनात्मक अध्ययन इस प्रकार है : प्लेटो अरस्तू का गुरु होने के कारण अरस्तू ने जिन विषयों पर अपने विचार प्रकट किये हैं उन विचारों को और अधिक परिमार्जित रूप में अरस्तू ने प्रस्तुत किया अतः अरस्तू के विचारों में अधिक स्पष्टवादिता देखने को मिलती है। प्लेटो जन्मदाता है तो अरस्तू उसका परिमार्जनकर्ता है। प्लेटो ने कहा "मानव कुछ नहीं होता, जैसा समाज होता है व्यक्ति का व्यक्तित्व उसी के अनुसार परिवर्तित होता है। गुरु की बातों को पूर्ण रूप से स्वीकार न करते हुए अरस्तू ने अपनी बात को इस प्रकार कहा, "व्यक्ति समाज का निर्माता है। व्यक्ति जैसा होता है उसी के अनुसार समाज को निर्मित कर लेता है।" प्लेटों राज्य की शक्तियों को महत्वपूर्ण बताते हैं वही अरस्तू राज्य को समस्त क्रियाओं का नियन्त्रक मानते हैं। राज्य के अभाव में व्यक्ति का व्यक्तित्व, आर्थिक विकास, उन्नति सम्भव नहीं है। यदि राज्य व्यवस्थित व सुदृढ़ है तो नागरिकों का हर प्रकार से हित होगा। प्रत्येक इकाई अपने कार्य के प्रति उत्तरदायी होगी। आर्थिक विकास, प्रति व्यक्ति आय, जीवन प्रत्याशा तभी प्रभावी बनी रह सकती है जब राज्य का नियन्त्रण व्यवस्थित हो।
श्रम विभाजन के जन्मदाता के रूप में प्लेटो को जाना जाता है। प्लेटो ने तीन प्रकार के वर्ग बताये किसान, जुलाहा, मजदूर। ये लोग आपस में मिल-जुलकर एक-दूसरे की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। प्लेटो श्रम विभाजन के विकास के लिये राज्य के आधार को बढ़ाने पर बल देते हैं, वहीं अरस्तू अधिक उत्पादन के लिये श्रम विभाजन को महत्व देते हैं। उनका कहना है कि अधिक से अधिक उत्पादन तब होगा जब श्रमिक अपने कार्य में सिद्ध हस्त होंगे। वृहद पैमाने पर उत्पादन से अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में विकास की सम्भावना बढ़ जाती है।
आर्थिक विचारों के इतिहास में अरस्तू का महत्व आर्थिक विचारों के क्षेत्र में अरस्तू के विचार निम्न प्रकार हैं -
(1) राज्य को महत्व प्रदान करना - अरस्तू का मत था कि राज्य के अभाव में व्यक्ति का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा। राज्य सभी प्रकार के अहितकारी मान्यताओं को समाप्त कर आदर्श व्यवस्थाओं को लागू कर सकता है। जबकि प्रगति के लिए राज्य का होना परम आवश्यक है।
(2) उत्पादन व वितरण व्यवस्था पर विचार - अरस्तू अपने समय का महान चिन्तक था। उनका मानना था कि वृहद पैमाने पर उत्पादन होना चाहिए क्योंकि जब अधिकाधिक उत्पादन होगा तभी सामाजिक परिवर्तन की दिशा सकारात्मक रूप की ओर बढ़ेगी। किसी भी देश के विकास व उन्नति में खाद्यानों के उत्पादन का बहुत महत्व होता है। उत्पादन ही प्रगति का परिचायक है। जब खाद्यानों का निर्यात होगा तो राजस्व की प्राप्ति बढ़ेगी तथा सकल राष्ट्रीय उत्पाद में बढ़ोत्तरी होगी। अतः प्रत्येक स्थित में उत्पादन का बहुत महत्व है। उत्पादन के साथ-साथ यदि वितरण व्यवस्था उत्तम प्रकार की है तो सामाजिक संतुलन बना रहेगा।
(3) लगान व्यवस्था पर संतुलित विचार - अरस्तू का विचार था कि, लगान संतुलित होने चाहिए जिससे राज्य व राष्ट्र का स्वरूप बना रहे, जनता अपने आय के 1/3-1/ 5 भाग आय के रूप में राज्य को देती रहे ताकि राज्य अपने प्रजा की रक्षा कर सके। लगान इतना बोझिल न हो जाय कि जनता राज्य के प्रति विद्रोह कर दे। लगान वाध्यता मूलक न हो बल्कि प्रेरणात्मक हो।
(4) कृषि व्यवस्था पर अधिक बल - अरस्तू एक ऐसे विचारक थे जो कृषि व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन लाकर आर्थिक क्षेत्र में नये आयामों को स्थापित करना चाहते थे। कृषि का सम्बन्ध तकनीकी विधाओं से जुड़ा हुआ है, उनका कहना था कि कृषि क्षेत्र में रूढ़िवादी परम्पराओं को स्थान न देकर रचनात्मक आयामों को अपनाया जाये तो आर्थिक क्षेत्र में किसानों के लिये प्रगति का मार्ग प्रशस्त होगा। (5) लघु उद्योगों को प्रोत्साहित करना अरस्तू का मन्तव्य था कि, छोटे व मंझोले उद्योगों को अधिक प्रोत्साहित किया जाना चाहिए क्योंकि छोटे उद्योग आत्मनिर्भरता की ओर ले जाते है। छोटे उद्योगों से कुशल - गैरकुशल श्रमिकों को अधिक से अधिक कार्य मिल जाता है। बेरोजगारी की समस्या को लघु उद्योगों के माध्यम से क्रय किया जा सकता है। राष्ट्र का विकास बहुत कुछ मझोले उद्योगों पर निर्भर रहता है। सकल राष्ट्रीय उत्पाद व घरेलू उत्पाद को इन उद्योगों से बढ़ावा मिलता है। अतः प्रत्येक प्रकार से आर्थिक व्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
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- प्रश्न- भारत के प्राचीनकालीन आर्थिक विचारधारा के प्रमुख स्रोतों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य रचित 'अर्थशास्त्र' में 'कल्याणकारी राज्य' की परिकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य की पुस्तक 'अर्थशास्त्र' में उल्लेखित विषयों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय आर्थिक विचारधारा की मुख्य विशेषताएँ क्या थीं?
- प्रश्न- अर्थशास्त्र में उल्लिखित 'कृषि तथा पशुपालन' विषय पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के राजस्व के संबंध में विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के सार्वजनिक वित्त संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के कल्याणकारी राज्य की अवधारणा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के अनुसार, करारोपण राज्य के लिए क्यों आवश्यक है?
- प्रश्न- भारत में 19वीं शताब्दी में आर्थिक विचारधारा का विकास किन बातों से प्रभावित हुआ?
- प्रश्न- नरौजी के प्रमुख आर्थिक सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- दादा भाई नौरोजी के निर्धनता सम्बन्धी विचार को समझाइये |
- प्रश्न- 'निष्कासन सिद्धान्त (The Drain Theory)' पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- रोमेश चन्द्र दत्त का सामान्य परिचय दीजिए।
- प्रश्न- रोमेश चन्द्र दत्त के कृषि सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "भारत की निर्धनता का कारण ब्रिटिश सरकार की शोषण नीति है।" रोमेश दत्त के इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- "लगान की ऊँची दर भारतीय कृषि की दुर्दशा का एक प्रमुख कारण है।" स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- रोमेश दत्त के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर के आर्थिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- डॉ. राम मनोहर लोहिया के प्रमुख आर्थिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- गाँधी जी के 'समाजवाद' दर्शन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गाँधीजी और नेहरू जी के आर्थिक विचारों की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- गाँधीवाद तथा साम्यवाद में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- गाँधीजी के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- गाँधीजी के मशीन सम्बन्धी विचारों को बताइये।
- प्रश्न- "नेहरूवाद मार्क्सवाद और गाँधीवाद का विवेकपूर्ण सम्मिश्रण है।" संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पंडित दीनदयाल उपाध्याय की आर्थिक नीति की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय भारी उद्योगों को अमानवीय और तानाशाही प्रकृति का मानते थे। क्यों? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय की विकेन्द्रीकृत अर्थव्यवस्था की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय के समग्र मानवतावाद के दर्शन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- दीन दयाल उपाध्याय की एकीकृत आर्थिक नीति की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अर्थशास्त्र में 'आवश्यकता विहीनता' की परिभाषा के जन्मदाता प्रो. जे. के. मेहता हैं। इनके आर्थिक विचार समझाइए।
- प्रश्न- अमर्त्य सेन के 'निर्धनता' सम्बन्धी विचार लिखिए।
- प्रश्न- वैश्वीकरण पर अमर्त्य सेन के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- विश्व व्यापार प्रणाली के सन्दर्भ में भगवती के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- व्यापार उदारीकरण पर भगवती के विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्लेटो के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्लेटो और अरस्तू के आर्थिक विचारों की तुलना कीजिये तथा आर्थिक विचारों के इतिहास में अरस्तू का महत्व बताइये।
- प्रश्न- प्राचीन आर्थिक विचारधाराओं की प्रमुख विशेषताएँ कौन-कौन सी थीं?
- प्रश्न- प्लेटो के 'साम्यवाद' की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सेण्ट थॉमस एक्विनास के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उचित कीमत (Just price) सम्बन्धी सन्त थॉमस एक्विनास के विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सन्त थॉमस एक्विनास के श्रम विभाजन सम्बन्धी विचारों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- वणिकवाद के उदय के मूल कारकों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'वणिकवाद' के पतन के प्रमुख कारणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उन परिस्थितियों का आलोचनात्मक विवेचन कीजिए जिन्होंने वणिकवाद को बढ़ावा दिया और जो इसके पतन का कारण बनीं।
- प्रश्न- वणिकवाद के सिद्धान्त एवं नीतियाँ लिखिये।
- प्रश्न- वाणिकवाद से क्या आशय है?
- प्रश्न- वणिकवादी दर्शन के मुख्य तत्त्व क्या थे?
- प्रश्न- वणिकवाद का आर्थिक विचारों के इतिहास में क्या महत्व है?
- प्रश्न- वणिकवाद के ब्याज के सिद्धांत की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- नव-वणिकवाद के उदय के कारण क्या हैं? संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पुराने वणिकवाद तथा नव-वणिकवाद में समानताएँ क्या हैं?
- प्रश्न- सोना चाँदी का महत्व बताइये।
- प्रश्न- वणिकवाद की एक राष्ट्रीय नीति के सन्दर्भ में चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- वणिकवादियों के 'राज्य सम्बन्धी विचार' क्या थे? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'वणिकवाद एवं राज्य समाजवाद' पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- थॉमस मून के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद क्या है? प्रकृतिवादी वणिकवादियों का क्यों विरोध करते हैं?
- प्रश्न- प्रकृतिवाद और वणिकवाद के अर्थशास्त्रीय दर्शन में क्या मूलाधारीय अन्तर है? उनके समाज की आर्थिक दशाओं में प्रकृतिवादियों की देन की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद के उदय के कौन-कौन से कारण उत्तरदायी थे?
- प्रश्न- आर्थिक तालिका अथवा धन के परिभ्रमण से क्या आशय है?
- प्रश्न- आर्थिक तालिका की दुर्बलताओं की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'प्रकृतिवादी सिद्धान्त' क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- समान त्याग के सिद्धान्त से क्या अभिप्राय है?
- प्रश्न- "सहयोगी समाजवादी" से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- सर विलियम पैटी के आर्थिक विचारों का वर्णन करें।
- प्रश्न- तुर्गो (Turgot) के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लॉक के मूल्य सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लॉक के सम्पत्ति सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लॉक के मुद्रा सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लॉक का विदेशी व्यापार सम्बन्धी व्यापार संतुलन के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "डेविड ह्यूम (David Hume) को मुद्रावाद का सूत्रधार कहा जाता है।" इस कथन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ की पुस्तक 'राष्ट्रों का धन' (Wealth of Nations) का तत्कालिक आर्थिक विचारधारा पर क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- एडम स्मिथ के आर्थिक विचारों के विकास में योगदानों का विवरण दीजिए तथा उनके, आर्थिक सिद्धान्तों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ की व्यवस्था के अन्तर्गत " श्रम विभाजन" और "बाजार के विस्तार" की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'परम्परावाद' क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विचारों के इतिहास में स्मिथ के स्थान को चिन्हित कीजिए।
- प्रश्न- अहस्तक्षेप नीति क्या है?
- प्रश्न- स्मिथ के सिद्धान्तों का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- स्मिथ का आशावाद क्या है?
- प्रश्न- एडम स्मिथ के पूँजी संचय सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वितरण सम्बन्धी एडम स्मिथ के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ के व्यापार सम्बन्धी विचारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ के आशावाद पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- स्मिथ के प्रकृतिवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- "रिकार्डों का मुख्य योगदान मूल्य सिद्धान्त तथा वितरण सिद्धान्त के क्षेत्र में है। " व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- रिकार्डो के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धान्त की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उन परिस्थितियों का वर्णन कीजिये जिनसे प्रकृतिवाद का जन्म हुआ। प्रकृतिवाद का आर्थिक विचारों में क्या योगदान है?
- प्रश्न- रिकार्डों के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धान्त की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- डेविड रिकार्डों के 'मजदूरी सिद्धान्त' पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- रिकार्डों का तुलनात्मक लागत सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- रिकार्डों की प्रसिद्ध पुस्तक 'The Principles of Political Economy and Taxation' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- रिकार्डो के लगान सिद्धान्त की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के 'जनसंख्या सिद्धान्त' की व्याख्या कीजिए तथा इसकी आलोचनाओं को बताइए।
- प्रश्न- नव-माल्थसवाद क्या है? इसके प्रमुख आर्थिक विचारों की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अति उत्पादन तथा लगान पर माल्थस के विचारों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के 'लगान' सम्बन्धी विचार को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के 'प्रभावी माँग के सिद्धान्त' का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस और रिकार्डो को निराशावादी क्यों कहा जाता है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के विचारों को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक क्या थे? विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- 'मार्क्स अन्तर्राष्ट्रीय समाजवाद के पिता के रूप में था।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद' को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के 'अतिरेक मूल्य सिद्धान्त' की व्याख्या कीजिए तथा इसकी प्रमुख आलोचनाओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के आर्थिक विघटन सम्बन्धी विचार की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "मार्क्सवाद परम्परावाद के तने पर उगी हुई शाखा मात्र है।" उक्त कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- क्या कार्ल मार्क्स को प्रतिष्ठित सम्प्रदाय का अर्थशास्त्री माना जा सकता है? विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- सहयोगी समाजवाद, राज्य समाजवाद और वैज्ञानिक समाजवाद की तुलना कीजिए और उनका अन्तर भी स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मार्क्स द्वारा प्रतिपादित आधुनिक समाजवाद के मुख्य सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सिसमाण्डी के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "सिसमाण्डी समाजवादी विचारक था। " सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्सवाद की विचारधारा के मूल तत्त्व कौन-कौन से थे?
- प्रश्न- मार्क्सवाद की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- वर्ग संघर्ष पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के प्रमुख आर्थिक विचारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के आर्थिक विचारों पर प्रभाव डालने वाले मुख्य घटकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जे आर. हिक्स के विचारों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "मिल के द्वारा परम्परावादी अर्थशास्त्र पूर्ण रूप से विकसित किया गया और उसी के साथ उसका पतन प्रारम्भ हुआ।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल परम्परावादी सिद्धान्तों के किन-किन नियमों से सहमत तथा किन-किन नियमों से असहमत था? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के स्वहित सिद्धान्त की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के स्वतन्त्रता प्रतियोगिता के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के जनसंख्या सिद्धांत की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मिल के समाजवादी विचारों की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- 'जे. एस. मिल समाजवादी था'। इस कथन के पक्ष में तर्क दीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के आर्थिक विचारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- जे. बी. से के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के मजदूरी सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मिल के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'मूल्य व वितरण' के क्षेत्र में मार्शल के योगदान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्पष्ट व्याख्या कीजिए कि नव-परम्परावाद क्या है? इस सन्दर्भ में मार्शल के आर्थिक सिद्धान्त के क्षेत्र में योगदान का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- नव परम्परावाद क्या है? परम्परावादी एवं नव परम्परावादी विचारों में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद को जन्म देने वाली शक्तियों की व्याख्या कीजिए तथा आर्थिक विचारधारा में उसका मुख्य योगदान बताइये।
- प्रश्न- मार्शल के निरंतरता सिद्धांत पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मार्शल के आभास लगान के संबंध में विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिनिधि फर्म के विषय में मार्शल के विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मार्शल ने अल्पकालीन व दीर्घकालीन विवाद के हल को कैसे सुलझाया?
- प्रश्न- परम्परावादी तथा नवपरम्परावादी विचारों में अन्तर कीजिए।
- प्रश्न- मार्शल के उपयोगितावाद पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- शुद्ध उत्पत्ति का सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- राबिन्स के विचारों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पीगू के आर्थिक कल्याण सम्बन्धी विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- पीगू ने अर्थशास्त्र का क्षेत्र निर्धारण किस प्रकार किया है?
- प्रश्न- पीगू के रोजगार सम्बन्धी विचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पीगू के समाजवादी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शुम्पीटर के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सीमान्तवाद क्या है? सीमान्तवादियों का अर्थशास्त्र में क्या योगदान रहा है?
- प्रश्न- क्रूनो के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मूल्य निर्धारण के सम्बन्ध में क्रूनो के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- गोसेन के आर्थिक विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जेवन्स के मूल्य सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रो. एल. वालरा (वालरस) के बाजार सन्तुलन सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सिसमण्डी के आर्थिक विचारों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- सीमान्तवादी क्रान्ति की व्याख्या कीजिए तथा इस सम्बन्ध में मेंजर के विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जेवन्स के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के द्रव्य सम्बन्धी विचारों को संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- विकस्टीड के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वालरस के उपयोगिता सम्बन्धी विचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वालरस के साम्य सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के आर्थिक विचारों पर प्रकाश डालिए
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के विनिमय सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के अनुसार वस्तुओं के वर्गीकरण का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के मुद्रा सम्बन्धी विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- जेवेन्स के मूल्य सिद्धान्त का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- जेवेन्स के आर्थिक विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- यूजिन वॉन बाम बावर्क के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बाम बावर्क के मूल्य सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नटविकसेल के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- इविंग फिशर के प्रमुख आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "मुद्रा प्रसार व संकुचन दोनों हानिकारक हैं।" इविंग फिशर के इस विचार का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- फिशर के मुद्रा के परिमाण सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।