बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्र बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्र : सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 8
प्लेटो एवं अरस्तू के आर्थिक विचार
(Economic Thought of Plato and Aristotle)
प्रश्न- प्लेटो के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
अथवा
यूनान के किसी एक विचारक के आर्थिक विचार की व्याख्या कीजिए।
उत्तर -
प्लेटो सुकरात का प्रधान शिष्य और अरस्तू का गुरु था। उसका जन्म एथेन्स (Athens) के एक धनी परिवार में हुआ था। सुकरात की मृत्यु के बाद वह अनेक देशों में भ्रमण पर निकल पड़ा था। जिन देशों में वह गया वहाँ की आर्थिक प्रगति से प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाया। स्वदेश आने के बाद उसके मन में विचारों का द्वन्द्व चल पड़ा। उसकी प्रमुख दो पुस्तकों, The Republic एवं The Law, से उसके आर्थिक विचारों का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। प्रारम्भ में प्लेटो साम्यवाद का समर्थक था। बाद में उसके विचारों में कुछ अन्तर आ गया।
प्लेटो के आर्थिक विचार (Economic Ideas of Plato) - प्लेटो के प्रमुख आर्थिक विचारों को निम्न क्रम में प्रस्तुत किया जा सकता है:
1. राज्य के उदय के आर्थिक कारण (Economic Causes of the Origin of State)- राज्य का जन्म एक आर्थिक घटना थी। बढ़ती हुई आवश्यकता की पूर्ति के लिए अधिकाधिक व्यक्तियों की आवश्यकता पड़ती है, विभिन्न कार्यों के लिए विभिन्न व्यक्तियों से सहायता ली जाती है। जब सहायता देने व सहायता पाने वाले एक स्थान में रहने लगते हैं, तो इनके समूह को राज्य कहा जाता है। प्लेटो का कहना है कि "मेरे विचार से राज्य का जन्म मानव जाति की आवश्यकताओं के कारण हुआ है; कोई भी स्वावलम्बी नहीं है, अपितु हम सभी की बहुत-सी आवश्यकताएँ होती हैं ....... और उनकी पूर्ति के लिए अनेक व्यक्तियों की आवश्यकता होती है। कोई एक उद्देश्य की पूर्ति के लिए सहायक ढूँढता है तो कोई "दूसरे के लिए और जब ये सभी सहयोगी एक समूह में एकत्र होते हैं तो उनसे बनने वाली संस्था ही राज्य है।"
परस्पर सहयोग तथा सद्भावना के कारण श्रम विभाजन और विनिमय का जन्म हुआ और इसी भावना ने राज्य को भी जन्म दिया। इस प्रकार, हम कह सकते हैं कि आर्थिक क्रियाओं के सम्पादन के ही कारण राज्य का जन्म हुआ।
2. श्रम विभाजन (Division of Labour) - प्लेटो ने राज्य के उदय का कारण आपसी सहयोग तथा श्रम-विभाजन बताया है। इस प्रकार, प्लेटो को श्रम विभाजन का जनक कहा जा सकता है। उसके द्वारा प्रतिपादित किये गये श्रम विभाजन के विचार के आधार पर हचेसन (Hutcheson), ह्यूम (Hume) तथा एडम स्मिथ (Adam Smith) ने आगे चलकर विस्तार से श्रम विभाजन की व्याख्या की। भले ही प्लेटो श्रम विभाजन की वैज्ञानिक व्याख्या नहीं कर पाया परन्तु वह श्रम विभाजन के लाभों खूब परिचित था। उसका कहना था कि " वस्तुएँ अधिक मात्रा में सरलता से अच्छी किस्म की तभी उत्पन्न हो सकती हैं, जब एक व्यक्ति उसी एक कार्य को करे जो उसकी प्रकृति के अनुरूप हो, और उसे सही समय - पर करे तथा अन्य कार्यों को त्याग दे।"
प्लेटो के अनुसार मनुष्य की तीन मुख्य आवश्यकताएँ भोजन, कपड़ा तथा मकान हैं। इसलिए समाज में कम-से-कम तीन वर्ग हैं किसान, जुलाहा तथा मजदूर ये लोग आपस में मिलजुलकर एक-दूसरे की आवश्यकताओं की पूर्ति करने लगते हैं। इस प्रकार, हम कह सकते हैं कि प्लेटो का श्रम विभाजन सामाजिक दृष्टिकोण को लेकर है। यूनानी राजनीतिज्ञ एकता को प्रमुख स्थान देते थे। इसलिए उनका ध्यान व्यक्ति की अपेक्षा समाज पर अधिक केन्द्रित था, और इसीलिए सामाजिक श्रम विभाजन का दृष्टिकोण उपयुक्त लगता था। प्लेटो ने श्रम विभाजन के विकास के लिए राज्य के आधार को बढ़ाने की आवश्यकता पर अधिक बल दिया है। बाद में, एडम स्मिथ ने श्रम विभाजन की सफलता के लिए बाजार के विस्तार पर जोर दिया था। इस प्रकार, यह स्पष्ट है कि श्रम विभाजन के सम्बन्ध में प्लेटो के विचार आधुनिक थे।
3. धन एवं सम्पत्ति सम्बन्धी विचार (Ideas on Wealth and Property) - प्लेटो धन के वितरण की न्यायोचित व्यवस्था लागू करना चाहता था। वह समाज में अत्यधिक धनी व अत्यधिक निर्धन व्यक्ति की स्थिति को न्यायोचित नहीं समझता था। यूनानी विचारक अत्यधिक धन की उपेक्षा इसलिए किया करते थे कि अत्यधिक धन जहाँ व्यक्ति व समाज को अकुशल बनाता है, वहीं वह उसे दुराचारी भी बना देता है, अत्यधिक धनी व्यक्ति के प्रति उनकी धारणा भी अच्छी नहीं थी। उनके अनुसार एक धनी व्यक्ति अत्यधिक धन को न्यायपूर्ण ढंग से न तो प्राप्त कर सकता है और न व्यय ही कर सकता है। निश्चय ही ऐसा व्यक्ति आय-व्यय करते समय नैतिकता की जगह अनैतिकता का सहारा अधिक लेता है।
शासक वर्ग के लोगों के बारे में प्लेटो का कहना था कि उनके पास अपनी सम्पत्ति व अपना घर नहीं होना चाहिए। अभिभावक और प्रशासक धन-सम्पत्ति के लोभ से दूर रहें। उन्हें तो सामूहिक जीवन व्यतीत करना चाहिए।
4. उत्तराधिकार पर नियन्त्रण (Control on Inheritance) - प्लेटो का विचार था कि राज्य में प्रत्येक व्यक्ति के पास भूमि होनी चाहिए लेकिन प्रशासकों के पास नहीं। कोई भी व्यक्ति अपनी भूमि को बेच नहीं सकता। भूमि का हस्तान्तरण उत्तराधिकार के ही नियमों के अनुसार किया जाना चाहिए। पिता की मृत्यु के बाद भूमि पुत्र को प्राप्त हो। यदि पुत्र न हो तो भूमि पुत्रियों के बीच बाँटने की व्यवस्था हो। पिता को यह अधिकार हो कि वह अपनी पुत्री के लिए पति का चुनाव करे और वही उसकी भूमि का उत्तराधिकारी भी बने। यदि कोई व्यक्ति निःसन्तान है तो वह किसी बच्चे को गोद लेकर अपना उत्तराधिकारी निश्चित कर सके। उत्तराधिकार की व्याख्या भूमि के ही सम्बन्ध में लागू थी, अन्य सम्पत्ति के सम्बन्ध में नहीं। प्लेटो का? विचार था कि उत्तराधिकार के नियमों के ही द्वारा भूमि के उप-विभाजन को रोका जा सकता है। संक्षेप में, यह कहा जा सकता है कि राज्य में प्रत्येक व्यक्ति को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त करने का अधिकार था।
5. मूल्य (Value) - मूल्य के सम्बन्धों में प्लेटो के विचार स्पष्ट नहीं थे। वह इतना अवश्य कहता है कि प्रत्येक वस्तु का आन्तरिक मूल्य होता है। वस्तु के धारक को उसके आन्तरिक मूल्य के बराबर कीमत मिलनी चाहिए। व्यक्ति को कीमत नहीं बढ़ानी चाहिए। प्लेटो के अनुसार, वस्तु का मूल्य वस्तु के आन्तरिक गुणों पर निर्भर करता है।
6. मुद्रा तथा ब्याज - प्लेटो देश के भीतर और बाहर के भुगतानों के लिए अलग-अलग प्रकार की मुद्रा की आवश्यकता को अनुभव करता है। उसका विचार था कि आन्तरिक लेन-देन के लिए सोने तथा चाँदी जैसी महत्वपूर्ण धातु से काम नहीं लिया जाना चाहिए। इसका उपयोग विदेशों को भुगतान करने के लिए किया जाना चाहिए। प्लेटो बयाज के भुगतान के पक्ष में नहीं था। यहूदी विचारकों के ही समान वह भी ब्याज के लेन-देन को अनुचित समझता है।
7. उद्योग तथा कृषि - उद्योग तथा कृषि के सम्बन्ध में प्लेटो के विचार यहूदी विचारकों से मिलते-जुलते थे। उसने उद्योग और व्यापार की अपेक्षा कृषि व्यवसाय को सर्वश्रेष्ठ बताया था। उसके अनुसार, "मुद्रा उधार लेकर किया गया व्यापार व पशु-पालन कृषि की तुलना में निकृष्ट हैं। कृषि उत्पादन भी उतना ही किया जाय जो आवश्यकता की पूर्ति कर सके। "
8. जनसंख्या (Population) - जनसंख्या के सम्बन्ध में प्लेटो ने बड़े विचित्र विचार दिये हैं। वह जनसंख्या को स्थिर रखने के पक्ष में था। उसने स्पष्ट किया है कि एक आदर्श राज्य की जनसंख्या 5,040 ने अधिक नहीं होनी चाहिए। यदि किसी राज्य में इससे कम जनसंख्या है तो बाहर के राज्यों की जनसंख्या को उस राज्य की ओर आकर्षित किया जाना चाहिए। यहाँ प्लेटो ने यह नहीं कहा कि राज्य के ही भीतर जनसंख्या बढ़ाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जाय। सामाजिक सन्तुलन बनाये रखने के लिए प्लेटो का विचार था कि यदि किसी राज्य में जनसंख्या अधिक होती है, तो उपनिवेश स्थापित करके उस अतिरिक्त जनसंख्या को अन्यत्र बसाया जाना चाहिए।
9. प्लेटो का साम्यवाद (Plato's Communism) प्लेटो का साम्यवाद यूनानी दर्शन का महत्वपूर्ण अंग है। प्लेटो ने अपने साम्यवाद में केवल भूमि व सम्पत्ति को ही शामिल नहीं किया बल्कि स्त्रियों और बच्चों को भी सम्मिलित किया था, ताकि समाज वर्ग संघर्ष से बच सके। जनसंख्या का नियन्त्रण करने तथा नस्ल को सुधारने के लिए उसने स्त्रियों और बच्चों को सामूहिक रूप से रखने की बात कही थी। उसने राज्य को एक परिवार का रूप प्रदान किया था। भले ही उसके साम्यवाद सम्बन्धी विचार कुछ अटपटे लगें, परन्तु इससे वर्ग संघर्ष जैसी भयानक घटनाओं को रोका जा सकता है।
यहाँ यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि प्लेटो के साम्यवाद का क्षेत्र व्यापक नहीं था। उसने समाज को दो भागों में बाँटा था (i) शासक, तथा (ii) शासित। प्लेटो का मत था कि शासक वर्ग की अपनी एक अलग जाति है। यह वर्ग हर प्रकार की बुराइयों से दूर रहे। शासकों के बच्चों को बचपन से ही. अलग कर दिया जाय और उन्हें शासन तन्त्र को चलाने के लिए अलग से उच्च शिक्षा दी जाये। इस प्रकार प्लेटो के साम्यवाद का उद्देश्य सम्पूर्ण समानता स्थापित करना नहीं था। प्लेटो का विचार था कि शासक (अभिभावक) वर्ग के लोग त्याग का जीवन व्यतीत करें। उन्हें निश्चिन्त जीवन बिताने के लिए वेतन दिया जाय। वे सम्पत्ति का संग्रह न करें।
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- प्रश्न- भारत के प्राचीनकालीन आर्थिक विचारधारा के प्रमुख स्रोतों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य रचित 'अर्थशास्त्र' में 'कल्याणकारी राज्य' की परिकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य की पुस्तक 'अर्थशास्त्र' में उल्लेखित विषयों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय आर्थिक विचारधारा की मुख्य विशेषताएँ क्या थीं?
- प्रश्न- अर्थशास्त्र में उल्लिखित 'कृषि तथा पशुपालन' विषय पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के राजस्व के संबंध में विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के सार्वजनिक वित्त संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के कल्याणकारी राज्य की अवधारणा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के अनुसार, करारोपण राज्य के लिए क्यों आवश्यक है?
- प्रश्न- भारत में 19वीं शताब्दी में आर्थिक विचारधारा का विकास किन बातों से प्रभावित हुआ?
- प्रश्न- नरौजी के प्रमुख आर्थिक सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- दादा भाई नौरोजी के निर्धनता सम्बन्धी विचार को समझाइये |
- प्रश्न- 'निष्कासन सिद्धान्त (The Drain Theory)' पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- रोमेश चन्द्र दत्त का सामान्य परिचय दीजिए।
- प्रश्न- रोमेश चन्द्र दत्त के कृषि सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "भारत की निर्धनता का कारण ब्रिटिश सरकार की शोषण नीति है।" रोमेश दत्त के इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- "लगान की ऊँची दर भारतीय कृषि की दुर्दशा का एक प्रमुख कारण है।" स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- रोमेश दत्त के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर के आर्थिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- डॉ. राम मनोहर लोहिया के प्रमुख आर्थिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- गाँधी जी के 'समाजवाद' दर्शन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गाँधीजी और नेहरू जी के आर्थिक विचारों की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- गाँधीवाद तथा साम्यवाद में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- गाँधीजी के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- गाँधीजी के मशीन सम्बन्धी विचारों को बताइये।
- प्रश्न- "नेहरूवाद मार्क्सवाद और गाँधीवाद का विवेकपूर्ण सम्मिश्रण है।" संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पंडित दीनदयाल उपाध्याय की आर्थिक नीति की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय भारी उद्योगों को अमानवीय और तानाशाही प्रकृति का मानते थे। क्यों? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय की विकेन्द्रीकृत अर्थव्यवस्था की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय के समग्र मानवतावाद के दर्शन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- दीन दयाल उपाध्याय की एकीकृत आर्थिक नीति की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अर्थशास्त्र में 'आवश्यकता विहीनता' की परिभाषा के जन्मदाता प्रो. जे. के. मेहता हैं। इनके आर्थिक विचार समझाइए।
- प्रश्न- अमर्त्य सेन के 'निर्धनता' सम्बन्धी विचार लिखिए।
- प्रश्न- वैश्वीकरण पर अमर्त्य सेन के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- विश्व व्यापार प्रणाली के सन्दर्भ में भगवती के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- व्यापार उदारीकरण पर भगवती के विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्लेटो के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्लेटो और अरस्तू के आर्थिक विचारों की तुलना कीजिये तथा आर्थिक विचारों के इतिहास में अरस्तू का महत्व बताइये।
- प्रश्न- प्राचीन आर्थिक विचारधाराओं की प्रमुख विशेषताएँ कौन-कौन सी थीं?
- प्रश्न- प्लेटो के 'साम्यवाद' की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सेण्ट थॉमस एक्विनास के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उचित कीमत (Just price) सम्बन्धी सन्त थॉमस एक्विनास के विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सन्त थॉमस एक्विनास के श्रम विभाजन सम्बन्धी विचारों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- वणिकवाद के उदय के मूल कारकों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'वणिकवाद' के पतन के प्रमुख कारणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उन परिस्थितियों का आलोचनात्मक विवेचन कीजिए जिन्होंने वणिकवाद को बढ़ावा दिया और जो इसके पतन का कारण बनीं।
- प्रश्न- वणिकवाद के सिद्धान्त एवं नीतियाँ लिखिये।
- प्रश्न- वाणिकवाद से क्या आशय है?
- प्रश्न- वणिकवादी दर्शन के मुख्य तत्त्व क्या थे?
- प्रश्न- वणिकवाद का आर्थिक विचारों के इतिहास में क्या महत्व है?
- प्रश्न- वणिकवाद के ब्याज के सिद्धांत की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- नव-वणिकवाद के उदय के कारण क्या हैं? संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पुराने वणिकवाद तथा नव-वणिकवाद में समानताएँ क्या हैं?
- प्रश्न- सोना चाँदी का महत्व बताइये।
- प्रश्न- वणिकवाद की एक राष्ट्रीय नीति के सन्दर्भ में चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- वणिकवादियों के 'राज्य सम्बन्धी विचार' क्या थे? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'वणिकवाद एवं राज्य समाजवाद' पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- थॉमस मून के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद क्या है? प्रकृतिवादी वणिकवादियों का क्यों विरोध करते हैं?
- प्रश्न- प्रकृतिवाद और वणिकवाद के अर्थशास्त्रीय दर्शन में क्या मूलाधारीय अन्तर है? उनके समाज की आर्थिक दशाओं में प्रकृतिवादियों की देन की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद के उदय के कौन-कौन से कारण उत्तरदायी थे?
- प्रश्न- आर्थिक तालिका अथवा धन के परिभ्रमण से क्या आशय है?
- प्रश्न- आर्थिक तालिका की दुर्बलताओं की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'प्रकृतिवादी सिद्धान्त' क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- समान त्याग के सिद्धान्त से क्या अभिप्राय है?
- प्रश्न- "सहयोगी समाजवादी" से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- सर विलियम पैटी के आर्थिक विचारों का वर्णन करें।
- प्रश्न- तुर्गो (Turgot) के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लॉक के मूल्य सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लॉक के सम्पत्ति सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लॉक के मुद्रा सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लॉक का विदेशी व्यापार सम्बन्धी व्यापार संतुलन के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "डेविड ह्यूम (David Hume) को मुद्रावाद का सूत्रधार कहा जाता है।" इस कथन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ की पुस्तक 'राष्ट्रों का धन' (Wealth of Nations) का तत्कालिक आर्थिक विचारधारा पर क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- एडम स्मिथ के आर्थिक विचारों के विकास में योगदानों का विवरण दीजिए तथा उनके, आर्थिक सिद्धान्तों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ की व्यवस्था के अन्तर्गत " श्रम विभाजन" और "बाजार के विस्तार" की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'परम्परावाद' क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विचारों के इतिहास में स्मिथ के स्थान को चिन्हित कीजिए।
- प्रश्न- अहस्तक्षेप नीति क्या है?
- प्रश्न- स्मिथ के सिद्धान्तों का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- स्मिथ का आशावाद क्या है?
- प्रश्न- एडम स्मिथ के पूँजी संचय सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वितरण सम्बन्धी एडम स्मिथ के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ के व्यापार सम्बन्धी विचारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ के आशावाद पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- स्मिथ के प्रकृतिवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- "रिकार्डों का मुख्य योगदान मूल्य सिद्धान्त तथा वितरण सिद्धान्त के क्षेत्र में है। " व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- रिकार्डो के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धान्त की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उन परिस्थितियों का वर्णन कीजिये जिनसे प्रकृतिवाद का जन्म हुआ। प्रकृतिवाद का आर्थिक विचारों में क्या योगदान है?
- प्रश्न- रिकार्डों के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धान्त की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- डेविड रिकार्डों के 'मजदूरी सिद्धान्त' पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- रिकार्डों का तुलनात्मक लागत सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- रिकार्डों की प्रसिद्ध पुस्तक 'The Principles of Political Economy and Taxation' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- रिकार्डो के लगान सिद्धान्त की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के 'जनसंख्या सिद्धान्त' की व्याख्या कीजिए तथा इसकी आलोचनाओं को बताइए।
- प्रश्न- नव-माल्थसवाद क्या है? इसके प्रमुख आर्थिक विचारों की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अति उत्पादन तथा लगान पर माल्थस के विचारों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के 'लगान' सम्बन्धी विचार को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के 'प्रभावी माँग के सिद्धान्त' का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस और रिकार्डो को निराशावादी क्यों कहा जाता है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के विचारों को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक क्या थे? विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- 'मार्क्स अन्तर्राष्ट्रीय समाजवाद के पिता के रूप में था।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद' को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के 'अतिरेक मूल्य सिद्धान्त' की व्याख्या कीजिए तथा इसकी प्रमुख आलोचनाओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के आर्थिक विघटन सम्बन्धी विचार की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "मार्क्सवाद परम्परावाद के तने पर उगी हुई शाखा मात्र है।" उक्त कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- क्या कार्ल मार्क्स को प्रतिष्ठित सम्प्रदाय का अर्थशास्त्री माना जा सकता है? विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- सहयोगी समाजवाद, राज्य समाजवाद और वैज्ञानिक समाजवाद की तुलना कीजिए और उनका अन्तर भी स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मार्क्स द्वारा प्रतिपादित आधुनिक समाजवाद के मुख्य सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सिसमाण्डी के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "सिसमाण्डी समाजवादी विचारक था। " सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्सवाद की विचारधारा के मूल तत्त्व कौन-कौन से थे?
- प्रश्न- मार्क्सवाद की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- वर्ग संघर्ष पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के प्रमुख आर्थिक विचारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के आर्थिक विचारों पर प्रभाव डालने वाले मुख्य घटकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जे आर. हिक्स के विचारों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "मिल के द्वारा परम्परावादी अर्थशास्त्र पूर्ण रूप से विकसित किया गया और उसी के साथ उसका पतन प्रारम्भ हुआ।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल परम्परावादी सिद्धान्तों के किन-किन नियमों से सहमत तथा किन-किन नियमों से असहमत था? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के स्वहित सिद्धान्त की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के स्वतन्त्रता प्रतियोगिता के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के जनसंख्या सिद्धांत की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मिल के समाजवादी विचारों की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- 'जे. एस. मिल समाजवादी था'। इस कथन के पक्ष में तर्क दीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के आर्थिक विचारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- जे. बी. से के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के मजदूरी सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मिल के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'मूल्य व वितरण' के क्षेत्र में मार्शल के योगदान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्पष्ट व्याख्या कीजिए कि नव-परम्परावाद क्या है? इस सन्दर्भ में मार्शल के आर्थिक सिद्धान्त के क्षेत्र में योगदान का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- नव परम्परावाद क्या है? परम्परावादी एवं नव परम्परावादी विचारों में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद को जन्म देने वाली शक्तियों की व्याख्या कीजिए तथा आर्थिक विचारधारा में उसका मुख्य योगदान बताइये।
- प्रश्न- मार्शल के निरंतरता सिद्धांत पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मार्शल के आभास लगान के संबंध में विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिनिधि फर्म के विषय में मार्शल के विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मार्शल ने अल्पकालीन व दीर्घकालीन विवाद के हल को कैसे सुलझाया?
- प्रश्न- परम्परावादी तथा नवपरम्परावादी विचारों में अन्तर कीजिए।
- प्रश्न- मार्शल के उपयोगितावाद पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- शुद्ध उत्पत्ति का सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- राबिन्स के विचारों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पीगू के आर्थिक कल्याण सम्बन्धी विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- पीगू ने अर्थशास्त्र का क्षेत्र निर्धारण किस प्रकार किया है?
- प्रश्न- पीगू के रोजगार सम्बन्धी विचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पीगू के समाजवादी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शुम्पीटर के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सीमान्तवाद क्या है? सीमान्तवादियों का अर्थशास्त्र में क्या योगदान रहा है?
- प्रश्न- क्रूनो के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मूल्य निर्धारण के सम्बन्ध में क्रूनो के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- गोसेन के आर्थिक विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जेवन्स के मूल्य सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रो. एल. वालरा (वालरस) के बाजार सन्तुलन सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सिसमण्डी के आर्थिक विचारों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- सीमान्तवादी क्रान्ति की व्याख्या कीजिए तथा इस सम्बन्ध में मेंजर के विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जेवन्स के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के द्रव्य सम्बन्धी विचारों को संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- विकस्टीड के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वालरस के उपयोगिता सम्बन्धी विचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वालरस के साम्य सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के आर्थिक विचारों पर प्रकाश डालिए
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के विनिमय सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के अनुसार वस्तुओं के वर्गीकरण का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के मुद्रा सम्बन्धी विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- जेवेन्स के मूल्य सिद्धान्त का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- जेवेन्स के आर्थिक विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- यूजिन वॉन बाम बावर्क के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बाम बावर्क के मूल्य सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नटविकसेल के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- इविंग फिशर के प्रमुख आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "मुद्रा प्रसार व संकुचन दोनों हानिकारक हैं।" इविंग फिशर के इस विचार का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- फिशर के मुद्रा के परिमाण सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।