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बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2634
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 गृहविज्ञान

प्रश्न- धमनी तथा शिरा से आप क्या समझते हैं? धमनी तथा शिरा की रचना और कार्यों की तुलना कीजिए।

सम्बन्धित लघु प्रश्न
1. धमनी किसे कहते हैं?
2. शिराएँ रक्त को कहाँ ले जाती हैं?
3. शिरा, धमनी एवं केशिकाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
4. धमनी एवं शिराओं में अन्तर लिखिए।

उत्तर-

धमनियाँ
(Arteries)

हृदय के रक्त को शरीर के अन्य अंगों एवं फेफड़ों तक पहुँचाने वाली नलिकाएँ धमनियाँ हैं। हृदय अपनी प्रत्येक धड़कन पर बहुत सा रक्त धमनियों में पम्प करता है। जब निलयी आकुंचन से धमनी में रक्त पम्प होता है तो, लचीली होने के कारण, धमनी की दीवार पहले तो रक्त के दबाव से फैलती अर्थात् विस्तारित होती है, परन्तु निलयी आंकुचन के समाप्त होते ही यह अपने आप सिकुड़ती हैं जिससे रक्त पर आगे बहने का दबाव पड़ता है। स्पष्ट है कि धमनियों में रक्त अत्यधिक दबाव के साथ बहता है और निलयों की प्रांकुचन एवं प्रसारण प्रावस्थाओं के अनुसार इसकी दीवार क्रमशः फूलती और पिचकती है, अर्थात् इनमें भी लयबद्ध धड़कन होती है। रक्त के अत्यधिक दबाव को सहन करने के लिए धमनियों की दीवार, शिराओं की दीवार से अधिक मोटी एवं पेशीय, परन्तु कुछ कम लचीली होती है। इसमें मध्यस्तर अधिक मोटा और पेशियाँ तथा इलास्टिक तन्तु अधिक होते हैं। बड़ी धमनियों में तो मध्य स्तर अधिक मोटा और अधिक मजबूत बनाने के लिए इनके ठीक बाहर एक लचीली झिल्ली भी होती है। मोटी, दृढ़ और कम लचीली होने के कारण, धमनियों की गुहा सँकरी होती है। मोटी दीवार और सँकरी गुहा से धमनियों में रक्त दाब को बनाये रखने में सहायता मिलती है।

सामान्यतः धमनियाँ शरीर में, शिराओं की अपेक्षा, अधिक गहराई में स्थित होती है, लेकिन कहीं- कहीं ( कलाई, गर्दन इत्यादि में) ये त्वचा के ठीक नीचे ही होती हैं। ऐसे स्थानों पर हम इनकी धड़कन महसूस कर सकते हैं। इसी को नब्ज (pluse) देखना कहते हैं।

धमनिकाएँ एवं रक्त केशिकाएँ
(Arterioles and Blood Capillaries)

विभिन्न अंगों में पहुँचकर धमनियाँ बारम्बार शाखान्वित होकर महीन होती जाती हैं। इनकी अन्तिम शाखाओं को धमनिकाएँ कहते हैं। इनकी महीन दीवार में मुख्य रूप से अरेखित पेशियाँ ही होती हैं। अतः ये अधिक लचीली होती हैं, अधिक फैलकर या सिकुड़कर ये आगे बहने वाले रक्त की मात्रा को काफी घटा-बढ़ा सकती हैं। किसी ऊतक में पहुँचकर प्रत्येक धमनिका 10 से 100 अत्यधिक महीन शाखाओं में बँट जाती हैं जिन्हें धमनी केशिकाएँ (arterial capillaries) कहते हैं। केशिकाओं में रक्त का बहाव बहुत धीमा हो जाता है। इनकी खोज सन 1961 में मारसेलो मैल्पीघी ने की थी। इनकी दीवार में बाह्य एवं मध्य स्तर नहीं होते हैं। अन्तः स्तर में भी केवल एण्डोथीलियम होती हैं जिनकी कोशाएँ अत्यधिक चपटी एवं शल्की होती हैं। इस प्रकार कोशिकाओं की दीवार 1 से भी कम मोटी झिल्ली के समान होती है और इसमें भी अनेक सूक्ष्म छिद्र होते हैं। प्रत्येक ऊतक के ऊतक द्रव्य में इन कोशिकाओं का घना जाल ( netwok) बिछा रहता है। मानव शरीर में औसतन लगभग दस अरब केशिकाएँ होती हैं। जिन्हें एक लाइन में जोड़ें तो 250,000 किलोमीटर लम्बी महीन नलिका बन जायेगी। केशिकाओं की महीन दीवार के आर-पार सामान्य विसरण द्वारा, रक्त एवं ऊतक द्रव्य के बीच पदार्थों का लेन-देन होता है। केशिकाओं से रक्त के प्लाज्मा का कुछ तरल अंश छनकर ऊतक द्रव्य में जाता है। इस तरल में पोषक पदार्थों, आक्सीजन (O2), हॉरमोन्स, विटामिनों इत्यादि लाभदायक पदार्थों की बहुतायात होती है। ऊतक की कोशाएँ अपनी आवश्यकतानुसार इन पदार्थों को ऊतक द्रव्य से लेती रहती हैं और बदले में अपने उपापचय के अपशिष्ट पदार्थों (कार्बन-डाइऑक्साइड तथा नाइट्रोजनीय एवं अन्य उपापचयी अपशिष्ट) इसमें मुक्त करती रहती हैं। कोशिकाओं के प्रमुख कार्य निम्नलिखित होते हैं-

(i) नलिका विहीन ग्रन्थियों के स्राव को रक्त में पहुँचाना।
(ii) गुर्दों में मूत्र को छाना जाना।
(iii) ऑक्सीजन व कार्बन डाइऑक्साइड का आदान-प्रदान करना।
(iv) शरीर के सभी अंगों को भोजन पहुँचाना।
(v) आँतों से पोषक तत्वों को ग्रहण करना।

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शिराएँ
(Veins)

शरीर के विभिन्न भागों में रक्त को हृदय की ओर ले जाने वाली रुधिर वाहिकाएँ शिराएँ कहलाती हैं। धमनी कोशिकाओं के दूरस्थ भागों में रक्त का दबाव बहुत कम हो जाता है। अतः ऊतक द्रव्य की बढ़ी हुई मात्रा, कार्बन डाइऑक्साइड अपशिष्टों से युक्त तरल के रूप में रिसकर वापस केशिकाओं के रक्त में आ जाता है। इससे रक्त अशुद्ध हो जाता है। इस प्रकार धमनी केशिकाओं के दूरस्थ भाग ही स्वयं शिरा केशिकाओं (venous capillaries) में बदल जाते हैं। अब शिरा केशिकाएँ परस्पर मिल-मिलकर शिराकाएँ (venules) बना लेती हैं। इस प्रकार ऊतकों में प्रत्येक केशिका जाल एक ओर धमनिकाओं से तथा दूसरी ओर शिराकाओं से जुड़ा होता है। शिराकाएँ परस्पर मिल-मिलकर छोटी-बड़ी शिराएँ ( veins) बनाती हैं। शिराओं की दीवार अधिक महीन और पिचकने वाली होती है। इसीलिए शिराओं में धड़कन नहीं होती। इनकी गुहा भी अपेक्षाकृत चौड़ी होती है। अतः इनमें रक्त का बहाव धीमा और निरन्तर होता है तथा इसका दबाव बहुत कम होता है। इसीलिए, विशेषतौर से उन शिराओं में जो शरीर के निचले एवं हृदय से दूरस्थ भागों में होती हैं, रक्त के उल्टी दिशा में बह जाने की आशंका होती है। अतः इनमें जगह-जगह एकतरफा (केवल हृदय की ओर खुलने वाले) अर्द्धचन्द्राकार कपाट हैं जो रक्त को उल्टी दिशा में बहने से रोकते हैं। शरीर की पेशियों के संकुचन तथा हृदय के विस्तारण चूषण खिंचाव से शिराओं में रक्त के हृदय की ओर आगे बढ़ते रहने में सहायता मिलती है।

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स्वयं रक्तवाहिनियों की दीवार में इनकी कोशाओं को आवश्यक पदार्थ पहुँचाने के लिए भी महीन रक्त वाहिनियों के जाल होते हैं। इस रक्त सप्लाई को वासा वैसोरम (vasa varsorum) कहते हैं।

प्लीहा, यकृत, लाल अस्थिमज्जा इत्यादि कुछ ऊतकों में महीनतम रक्त वाहिनियाँ, कोशिकाओ के नहीं, वरन् असममित सी गुहाओं के रूप में होती हैं जिन्हें रक्त पात्रक (blood sinusoids) कहते हैं। इनकी दीवार केशिकाओं की दीवार से भी अधिक महीन होती है।

धमनियों और शिराओं में अन्तर
(Diffirrence between Artiries and venis)

 

क्रम धमनियाँ (Arteries) शिराएँ (Veins)
1. रक्त को हृदय से अंगों में ले जाती है। रक्त को अंगों से हृदय में या हृदय की ओर लाती है।
2. फेफड़ों में जाने वाली फुफ्फुसीय धमनियों के अतिरिक्त सब में शुद्ध रक्त होता है। फुफ्फुसीय शिराओं के अतिरिक्त सब में अशुद्ध रक्त होता है।
3. इनमें रक्त हृदय की धड़कनों के अनुसार अत्यधिक दबाव के साथ बहता है। इनमें रक्त धीमी गति से लगातार बहुत कम दबाव के साथ बहता है।
4. इनकी दीवार मोटी, दृढ़ एवं कम लचीली होती है।  इनकी दीवार अपेक्षाकृत पतली परन्तु अधिक लचीली होती है।
5. दीवार मोटी होने के कारण धमनियाँ खाली होने पर पिचकती नहीं। शिराओं के खाली होने पर दीवार पिचक जाती है।
6. इनकी गुहा सँकरी होती है। इनकी गुहा चौड़ी होती है।
7. प्रमुख धमिनियाँ शरीर में सामान्यतः गहराई में स्थित होती हैं। प्रमुख शिराएँ सामान्यतया सतह के पास स्थित होती हैं।
8. इनके भीतर कपाट नहीं होते। इनके भीतर कपाट होते हैं।
9. ये गुलाबी या चटक लाल-सी होती हैं। ये गहरी लाल या नीली-सी होती हैं।
10. इनमें हर समय कुल रक्त का लगभग पन्द्रह प्रतिशत अंश भरा होता है। इनमें हर समय रक्त का लगभग चौंसठ प्रतिशत अंश भरा होता है।
11. धमनियों के अन्दर व्यास कम होता है। शिराओं के अन्दर व्यास अधिक अधिक होता है।

 

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- पारम्परिक गृह विज्ञान और वर्तमान युग में इसकी प्रासंगिकता एवं भारतीय गृह वैज्ञानिकों के द्वारा दिये गये योगदान की व्याख्या कीजिए।
  2. प्रश्न- NIPCCD के बारे में आप क्या जानते हैं? इसके प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- 'भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद' (I.C.M.R.) के विषय में विस्तृत रूप से बताइए।
  4. प्रश्न- केन्द्रीय आहार तकनीकी अनुसंधान परिषद (CFTRI) के विषय पर विस्तृत लेख लिखिए।
  5. प्रश्न- NIPCCD से आप समझते हैं? संक्षेप में बताइये।
  6. प्रश्न- केन्द्रीय खाद्य प्रौद्योगिक अनुसंधान संस्थान के विषय में आप क्या जानते हैं?
  7. प्रश्न- भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  8. प्रश्न- कोशिका किसे कहते हैं? इसकी संरचना का सचित्र वर्णन कीजिए तथा जीवित कोशिकाओं के लक्षण, गुण, एवं कार्य भी बताइए।
  9. प्रश्न- कोशिकाओं के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- प्लाज्मा झिल्ली की रचना, स्वभाव, जीवात्जनन एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- माइटोकॉण्ड्रिया कोशिका का 'पावर हाउस' कहलाता है। इस कथन की पुष्टि कीजिए।
  12. प्रश्न- केन्द्रक के विभिन्न घटकों के नाम बताइये। प्रत्येक के कार्य का भी वर्णन कीजिए।
  13. प्रश्न- केन्द्रक का महत्व समझाइये।
  14. प्रश्न- पाचन तन्त्र का सचित्र विस्तृत वर्णन कीजिए।
  15. प्रश्न- पाचन क्रिया में सहायक अंगों का वर्णन कीजिए तथा भोजन का अवशोषण किस प्रकार होता है?
  16. प्रश्न- पाचन तंत्र में पाए जाने वाले मुख्य पाचक रसों का संक्षिप्त परिचय दीजिए तथा पाचन क्रिया में इनकी भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  17. प्रश्न- आमाशय में पाचन क्रिया, छोटी आँत में भोजन का पाचन, पित्त रस तथा अग्न्याशयिक रस और आँत रस की क्रियाविधि बताइए।
  18. प्रश्न- लार ग्रन्थियों के बारे में बताइए तथा ये किस-किस नाम से जानी जाती हैं?
  19. प्रश्न- पित्ताशय के बारे में लिखिए।
  20. प्रश्न- आँत रस की क्रियाविधि किस प्रकार होती है।
  21. प्रश्न- श्वसन क्रिया से आप क्या समझती हैं? श्वसन तन्त्र के अंग कौन-कौन से होते हैं तथा इसकी क्रियाविधि और महत्व भी बताइए।
  22. प्रश्न- श्वासोच्छ्वास क्या है? इसकी क्रियाविधि समझाइये। श्वसन प्रतिवर्ती क्रिया का संचालन कैसे होता है?
  23. प्रश्न- फेफड़ों की धारिता पर टिप्पणी लिखिए।
  24. प्रश्न- बाह्य श्वसन तथा अन्तःश्वसन पर टिप्पणी लिखिए।
  25. प्रश्न- मानव शरीर के लिए ऑक्सीजन का महत्व बताइए।
  26. प्रश्न- श्वास लेने तथा श्वसन में अन्तर बताइये।
  27. प्रश्न- हृदय की संरचना एवं कार्य का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- रक्त परिसंचरण शरीर में किस प्रकार होता है? उसकी उपयोगिता बताइए।
  29. प्रश्न- हृदय के स्नायु को शुद्ध रक्त कैसे मिलता है तथा यकृताभिसरण कैसे होता है?
  30. प्रश्न- धमनी तथा शिरा से आप क्या समझते हैं? धमनी तथा शिरा की रचना और कार्यों की तुलना कीजिए।
  31. प्रश्न- लसिका से आप क्या समझते हैं? लसिका के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- रक्त का जमना एक जटिल रासायनिक क्रिया है।' व्याख्या कीजिए।
  33. प्रश्न- रक्तचाप पर टिप्पणी लिखिए।
  34. प्रश्न- हृदय का नामांकित चित्र बनाइए।
  35. प्रश्न- किसी भी व्यक्ति को किसी भी व्यक्ति का रक्त क्यों नहीं चढ़ाया जा सकता?
  36. प्रश्न- लाल रक्त कणिकाओं तथा श्वेत रक्त कणिकाओं में अन्तर बताइए?
  37. प्रश्न- आहार से आप क्या समझते हैं? आहार व पोषण विज्ञान का अन्य विज्ञानों से सम्बन्ध बताइए।
  38. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए। (i) चयापचय (ii) उपचारार्थ आहार।
  39. प्रश्न- "पोषण एवं स्वास्थ्य का आपस में पारस्परिक सम्बन्ध है।' इस कथन की पुष्टि कीजिए।
  40. प्रश्न- अभिशोषण तथा चयापचय को परिभाषित कीजिए।
  41. प्रश्न- शरीर पोषण में जल का अन्य पोषक तत्वों से कम महत्व नहीं है। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
  42. प्रश्न- भोजन की परिभाषा देते हुए इसके कार्य तथा वर्गीकरण बताइए।
  43. प्रश्न- भोजन के कार्यों की विस्तृत विवेचना करते हुए एक लेख लिखिए।
  44. प्रश्न- आमाशय में पाचन के चरण लिखिए।
  45. प्रश्न- मैक्रो एवं माइक्रो पोषण से आप क्या समझते हो तथा इनकी प्राप्ति स्रोत एवं कमी के प्रभाव क्या-क्या होते हैं?
  46. प्रश्न- आधारीय भोज्य समूहों की भोजन में क्या उपयोगिता है? सात वर्गीय भोज्य समूहों की विवेचना कीजिए।
  47. प्रश्न- “दूध सभी के लिए सम्पूर्ण आहार है।" समझाइए।
  48. प्रश्न- आहार में फलों व सब्जियों का महत्व बताइए। (क) मसाले (ख) तृण धान्य।
  49. प्रश्न- अण्डे की संरचना लिखिए।
  50. प्रश्न- पाचन, अभिशोषण व चयापचय में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  51. प्रश्न- आहार में दाल की उपयोगिता बताइए।
  52. प्रश्न- दूध में कौन से तत्व उपस्थित नहीं होते?
  53. प्रश्न- सोयाबीन का पौष्टिक मूल्य व आहार में इसका महत्व क्या है?
  54. प्रश्न- फलों से प्राप्त पौष्टिक तत्व व आहार में फलों का महत्व बताइए।
  55. प्रश्न- प्रोटीन की संरचना, संगठन बताइए तथा प्रोटीन का वर्गीकरण व उसका पाचन, अवशोषण व चयापचय का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- प्रोटीन के कार्यों, साधनों एवं उसकी कमी से होने वाले रोगों की विवेचना कीजिए।
  57. प्रश्न- 'शरीर निर्माणक' पौष्टिक तत्व कौन-कौन से हैं? इनके प्राप्ति के स्रोत क्या हैं?
  58. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट का वर्गीकरण कीजिए एवं उनके कार्य बताइये।
  59. प्रश्न- रेशे युक्त आहार से आप क्या समझते हैं? इसके स्रोत व कार्य बताइये।
  60. प्रश्न- वसा का अर्थ बताइए तथा उसका वर्गीकरण समझाइए।
  61. प्रश्न- वसा की दैनिक आवश्यकता बताइए तथा इसकी कमी तथा अधिकता से होने वाली हानियों को बताइए।
  62. प्रश्न- विटामिन से क्या अभिप्राय है? विटामिन का सामान्य वर्गीकरण देते हुए प्रत्येक का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  63. प्रश्न- वसा में घुलनशील विटामिन क्या होते हैं? आहार में विटामिन 'ए' कार्य, स्रोत तथा कमी से होने वाले रोगों का उल्लेख कीजिये।
  64. प्रश्न- खनिज तत्व क्या होते हैं? विभिन्न प्रकार के आवश्यक खनिज तत्वों के कार्यों तथा प्रभावों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  65. प्रश्न- शरीर में लौह लवण की उपस्थिति, स्रोत, दैनिक आवश्यकता, कार्य, न्यूनता के प्रभाव तथा इसके अवशोषण एवं चयापचय का वर्णन कीजिए।
  66. प्रश्न- प्रोटीन की आवश्यकता को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
  67. प्रश्न- क्वाशियोरकर कुपोषण के लक्षण बताइए।
  68. प्रश्न- भारतवासियों के भोजन में प्रोटीन की कमी के कारणों को संक्षेप में बताइए।
  69. प्रश्न- प्रोटीन हीनता के कारण बताइए।
  70. प्रश्न- क्वाशियोरकर तथा मेरेस्मस के लक्षण बताइए।
  71. प्रश्न- प्रोटीन के कार्यों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- भोजन में अनाज के साथ दाल को सम्मिलित करने से प्रोटीन का पोषक मूल्य बढ़ जाता है।-कारण बताइये।
  73. प्रश्न- शरीर में प्रोटीन की आवश्यकता और कार्य लिखिए।
  74. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट्स के स्रोत बताइये।
  75. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट्स का वर्गीकरण कीजिए (केवल चार्ट द्वारा)।
  76. प्रश्न- यौगिक लिपिड के बारे में अतिसंक्षेप में बताइए।
  77. प्रश्न- आवश्यक वसीय अम्लों के बारे में बताइए।
  78. प्रश्न- किन्हीं दो वसा में घुलनशील विटामिन्स के रासायनिक नाम बताइये।
  79. प्रश्न बेरी-बेरी रोग का कारण, लक्षण एवं उपचार बताइये।
  80. प्रश्न- विटामिन (K) के के कार्य एवं प्राप्ति के साधन बताइये।
  81. प्रश्न- विटामिन K की कमी से होने वाले रोगों का वर्णन कीजिए।
  82. प्रश्न- एनीमिया के प्रकारों को बताइए।
  83. प्रश्न- आयोडीन के बारे में अति संक्षेप में बताइए।
  84. प्रश्न- आयोडीन के कार्य अति संक्षेप में बताइए।
  85. प्रश्न- आयोडीन की कमी से होने वाला रोग घेंघा के बारे में बताइए।
  86. प्रश्न- खनिज क्या होते हैं? मेजर तत्व और ट्रेस खनिज तत्व में अन्तर बताइए।
  87. प्रश्न- लौह तत्व के कोई चार स्रोत बताइये।
  88. प्रश्न- कैल्शियम के कोई दो अच्छे स्रोत बताइये।
  89. प्रश्न- भोजन पकाना क्यों आवश्यक है? भोजन पकाने की विभिन्न विधियों का वर्णन करिए।
  90. प्रश्न- भोजन पकाने की विभिन्न विधियाँ पौष्टिक तत्वों की मात्रा को किस प्रकार प्रभावित करती हैं? विस्तार से बताइए।
  91. प्रश्न- “भाप द्वारा पकाया भोजन सबसे उत्तम होता है।" इस कथन की पुष्टि कीजिए।
  92. प्रश्न- भोजन विषाक्तता पर टिप्पणी लिखिए।
  93. प्रश्न- भूनना व बेकिंग में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  94. प्रश्न- खाद्य पदार्थों में मिलावट किन कारणों से की जाती है? मिलावट किस प्रकार की जाती है?
  95. प्रश्न- मानव विकास को परिभाषित करते हुए इसकी उपयोगिता स्पष्ट करो।
  96. प्रश्न- मानव विकास के अध्ययन के महत्व की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।
  97. प्रश्न- वंशानुक्रम से आप क्या समझते है। वंशानुक्रम का मानवं विकास पर क्या प्रभाव पड़ता है?
  98. प्रश्न . वातावरण से क्या तात्पर्य है? विभिन्न प्रकार के वातावरण का मानव विकास पर पड़ने वाले प्रभावों की चर्चा कीजिए।
  99. प्रश्न . विकास एवं वृद्धि से आप क्या समझते हैं? विकास में होने वाले प्रमुख परिवर्तन कौन-कौन से हैं?
  100. प्रश्न- विकास के प्रमुख नियमों के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा कीजिए।
  101. प्रश्न- वृद्धि एवं विकास को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिए।
  102. प्रश्न- बाल विकास के अध्ययन की परिभाषा तथा आवश्यकता बताइये।
  103. प्रश्न- पूर्व-बाल्यावस्था में बालकों के शारीरिक विकास से आप क्या समझते हैं?
  104. प्रश्न- पूर्व-बाल्या अवस्था में क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते हैं?
  105. प्रश्न- मानव विकास को समझने में शिक्षा की भूमिका बताओ।
  106. प्रश्न- बाल मनोविज्ञान एवं मानव विकास में क्या अन्तर है?
  107. प्रश्न- वृद्धि एवं विकास में क्या अन्तर है?
  108. प्रश्न- गर्भकालीन विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-सी हैं? समझाइए।
  109. प्रश्न- गर्भकालीन विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक कौन से है। विस्तार में समझाइए |
  110. प्रश्न- गर्भाधान तथा निषेचन की प्रक्रिया को स्पष्ट करते हुए भ्रूण विकास की प्रमुख अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।.
  111. प्रश्न- गर्भावस्था के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
  112. प्रश्न- प्रसव कितने प्रकार के होते हैं?
  113. प्रश्न- विकासात्मक अवस्थाओं से क्या आशर्य है? हरलॉक द्वारा दी गयी विकासात्मक अवस्थाओं की सूची बना कर उन्हें समझाइए।
  114. प्रश्न- "गर्भकालीन टॉक्सीमिया" को समझाइए।
  115. प्रश्न- विभिन्न प्रसव प्रक्रियाएँ कौन-सी हैं? किसी एक का वर्णन कीएिज।
  116. प्रश्न- आर. एच. तत्व को समझाइये।
  117. प्रश्न- विकासोचित कार्य का अर्थ बताइये। संक्षिप्त में 0-2 वर्ष के बच्चों के विकासोचित कार्य के बारे में बताइये।
  118. प्रश्न- नवजात शिशु की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करो।
  119. प्रश्न- नवजात शिशु की पूर्व अन्तर्क्रिया और संवेदी अनुक्रियाओं का वर्णन कीजिए। वह अपने वाह्य वातावरण से अनुकूलन कैसे स्थापित करता है? समझाइए।
  120. प्रश्न- क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते है? क्रियात्मक विकास का महत्व बताइये |
  121. प्रश्न- शैशवावस्था तथा स्कूल पूर्व बालकों के शारीरिक एवं क्रियात्मक विकास से आपक्या समझते हैं?
  122. प्रश्न- शैशवावस्था एवं स्कूल पूर्व बालकों के सामाजिक विकास से आप क्यसमझते हैं?
  123. प्रश्न- शैशवावस्थ एवं स्कूल पूर्व बालकों के संवेगात्मक विकास के सन्दर्भ में अध्ययन प्रस्तुत कीजिए।
  124. प्रश्न- शैशवावस्था क्या है?
  125. प्रश्न- शैशवावस्था में संवेगात्मक विकास क्या है?
  126. प्रश्न- शैशवावस्था की विशेषताएं क्या हैं?
  127. प्रश्न- शैशवावस्था में शिशु की शिक्षा के स्वरूप पर टिप्पणी लिखो।
  128. प्रश्न- शिशुकाल में शारीरिक विकास किस प्रकार होता है।
  129. प्रश्न- शैशवावस्था में मानसिक विकास कैसे होता है?
  130. प्रश्न- शैशवावस्था में गत्यात्मक विकास क्या है?
  131. प्रश्न- 1-2 वर्ष के बालकों के संज्ञानात्मक विकास के बारे में लिखिए।
  132. प्रश्न- बालक के भाषा विकास पर टिप्पणी लिखिए।
  133. प्रश्न- संवेग क्या है? बालकों के संवेगों का महत्व बताइये।
  134. प्रश्न- बालकों के संवेगों की विशेषताएँ बताइये।
  135. प्रश्न- बालकों के संवेगात्मक व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं समझाइये |
  136. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से आप क्या समझते है। पियाजे के संज्ञानात्मक विकासात्मक सिद्धान्त को समझाइये।
  137. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  138. प्रश्न- दो से छ: वर्ष के बच्चों का शारीरिक व माँसपेशियों का विकास किस प्रकार होता है? समझाइये।
  139. प्रश्न- व्यक्तित्व विकास से आपका क्या तात्पर्य है? बच्चे के व्यक्तित्व विकास को प्रभावित करने वाले कारकों को समझाइए।
  140. प्रश्न- भाषा पूर्व अभिव्यक्ति के प्रकार बताइये।
  141. प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है?
  142. प्रश्न- बाल्यावस्था की विशेषताएं बताइयें।
  143. प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में खेलों के प्रकार बताइए।
  144. प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में बच्चे अपने क्रोध का प्रदर्शन किस प्रकार करते हैं?

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