प्रश्न 4. परीक्षा से आप क्या समझते हैं? वर्तमान परीक्षा प्रणाली के
प्रकार बताते हुये उनके गुण व दोषों का वर्णन कीजिए तथा परीक्षण की विधियाँ
भी बताइये।
1. परीक्षा की परिभाषा बताइये।
2. परीक्षा के प्रकारों को बताइये।
3. परीक्षा के गुण व दोषों को बताइये।
4. परीक्षण की विधियाँ बताइये।
उत्तर-परीक्षा का अर्थ
(Meaning of Examination)
परीक्षा में अध्यापक विद्यार्थियों को उसकी रचना एवं प्रशासन, उत्तर-पुस्तिकाओं
का मूल्यांकन तथा छात्रों की उपलब्धि सूचित करने के लिए ग्रेड्स प्रदान करता
है। विद्यार्थी की उपलब्धि से सम्बन्धित साक्ष्यों को संकलित करने की एक
प्रक्रिया परीक्षा है।
शिक्षा शब्दकोश के अनुसार, “परीक्षा किसी क्षेत्र में छात्रों की योग्यता एवं
उपलब्धि की जाँच के लिए कोई प्रक्रिया है।' शिक्षा-विशेषज्ञों के अनुसार भौतिक
विज्ञान विषय में परीक्षा तो अवश्य होनी चाहिये। परीक्षा प्रणाली दोषरहित होनी
चाहिए। प्रश्न-पत्र में प्रश्न अधिक संख्या में होने चाहिये, ऐसा करने से
विद्यार्थी के सम्पूर्ण पाठ्यक्रम की जाँच हो सकती है। इसके अतिरिक्त रटने का
भी प्रोत्साहन नहीं मिलता है और नकल करने की भी गुंजाइश नहीं रहती है।
शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया की सफलता का आंकलन परीक्षा के माध्यम से होता है। अतः
शिक्षक अपने शिक्षण की सफलता, विद्यार्थी अपनी उपलब्धि, अभिभावक को शैक्षिक
प्रगति और प्रशासन शैक्षिक निवेश के फल को जानने की इच्छा रखता है। इन सभी की
इच्छाओं की पूर्ति परीक्षा परिणाम से हो जाती है। अत: वर्तमान समय में
परीक्षाओं का विशेष महत्व है।
वर्तमान परीक्षा प्रणाली (Present Examination System)- वर्तमान परीक्षा
प्रणाली निम्न प्रकार की होती है -
1. लिखित परीक्षा (Written Examination) - वर्तमान प्रचलित परीक्षा प्रणाली में
लिखित परीक्षा का विशेष स्थान होता है। शिक्षा के स्तर प्राथमिक, माध्यमिक एवं
उच्च प्रकार के होते हैं। इसी पर लिखित परीक्षाओं का प्रयोग होता है। लिखित
परीक्षायें विद्यार्थी की ज्ञान की सीमा, किसी समस्या की आलोचनात्मक व्याख्या,
विषयवस्तु को संगठित करने की योग्यता तथा भाव-प्रकाशन की क्षमता की जाँच करती
है।
2. प्रायोगिक परीक्षा (Practical Examination) - प्रायोगिक परीक्षायें बी.ए.
(शिक्षा, भूगोल, मनोविज्ञान, कला, संगीत आदि में), बी.एस-सी., एम.एस-सी. एवं
बी.एड. आदि में सम्पन्न करायी जाती हैं। विद्यार्थी को इन प्रायोगिक परीक्षाओं
में बैठना एवं उत्तीर्ण होना जरूरी होता है।
3. मौखिक परीक्षा (Oral Examination) - लिखित एवं प्रायोगिक परीक्षाओं के
साथ-साथ मौखिक परीक्षाओं का आयोजन बी.ए. (शिक्षा, भूगोल, मनोविज्ञान, कला,
संगीत आदि में), बी.एस-सी, एम.एस-सी., बी.कॉम., एम.कॉम. एवं एम.एड. में होता
है। मौखिक परीक्षाओं में भी विद्यार्थी को उत्तीर्ण होना आवश्यक है।
मुख्य रूप से विज्ञान शिक्षण में मौखिक परीक्षा का उपयोग प्रयोगात्मक परीक्षा
के साथ पूरक रूप में किया जाता है। इसके द्वारा प्रयोग से सम्बन्धित नियमों,
कार्याविधि व प्रयुक्त सामग्री के विषय में प्रश्न पूछे जाते हैं। इस तरह की
परीक्षा में कम समय में परीक्षक द्वारा अधिक जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
मौखिक परीक्षा का सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि इस परीक्षा में छात्रों द्वारा
किसी भी प्रकार के अनुचित साधनों का प्रयोग नहीं किया जा सकता।
वर्तमान परीक्षा प्रणाली के गुण (Merits of Present Examination System)-
वर्तमान परीक्षा प्रणाली के गुण निम्नलिखित हैं -
1. परीक्षायें शैक्षिक सत्र पर्यन्त चलती रहती हैं। जैसे - मासिक परीक्षायें,
त्रैमासिक परीक्षायें, छमाही परीक्षायें और वार्षिक परीक्षायें। इससे
विद्यार्थी वर्षपर्यन्त अध्ययन में लगे रहते हैं।
2. इन परीक्षाओं से विद्यार्थियों का मानसिक विकास होता है।
3. इससे विद्यार्थियों में भाव-प्रकाशन की क्षमता का विकास होता है।
4. वार्षिक परीक्षायें परिषदों एवं विश्वविद्यालयों द्वारा सम्पन्न करायी जाती
हैं। इससे इनका स्तर ऊँचा रहता है।
5. वार्षिक परीक्षायें सत्रान्त में सम्पन्न होती हैं जिससे कि विद्यार्थी की
शैक्षिक उपलब्धि की प्रगति का मूल्यांकन होता है।
6. परीक्षायें छात्रों को कक्षा में उन्नति या आगे बढ़ने का एक उत्साह जगाती
है।
7. परीक्षा परिणामों के आधार पर विद्यार्थी भावी जीवन में समायोजन कर अपनी
आजीविका चला सकता है। परीक्षाओं ने समाज को कुशल वक्ता, नेता, लेखक, डॉक्टर,
वकील, इन्जीनियर आदि दिए हैं।
वर्तमान परीक्षा प्रणाली के दोष (Demerits of Present Examination System) -
वर्तमान परीक्षा प्रणाली के निम्नलिखित दोष हैं -
1. यह परीक्षा विद्यार्थियों को रटने पर अधिक जोर देती है।
2. परीक्षा में संयोग के अवसर अधिक होते हैं।
3. इसकी मूल्यांकन प्रणाली दोषपूर्ण है।
4. इस परीक्षा प्रणाली से विद्यार्थी की वास्तविक योग्यता का मूल्यांकन नहीं हो
पाता है।
5. इस परीक्षा प्रणाली से प्राप्त अंकों से निकाले गए परिणाम वैध एवं विश्वसनीय
नहीं होते हैं।
6. इसमे सतत् मूल्यांकन प्रक्रिया का अभाव मिलता है।
7. इसमें प्रश्नपत्रों के लीक होने की सम्भावना बनी रहती है।
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